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16-Jun-2017 12:48:28 pm
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विज्ञान समाचार Science News भारत ने रचा इतिहास: लॉन्च किया सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3

नई दिल्ली। लगातार अंतरिक्ष में अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराने में जुटा इसरो एक नया कीर्तिमान बना लिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने सोमवार को भारत में विकसित किए गए करीब 200 बड़े हाथियों के बराबर वजन वाले रॉकेट लॉन्च कर दिया। इसरो की योजना इस रॉकेट के जरिए भारतीय जमीन से भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचाने की है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित रॉकेट केंद्र में देश के सबसे आधुनिक और भारी जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क तीन,जीएसएलवी एमके3 को रखा गया है। जीएसएलवी मार्क 3 अब तक के सबसे वजनदार उपग्रहों को अपने साथ ले जाने में सक्षम है। इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने दुनिया के कई करोड़ डॉलर के प्रक्षेपण बाजार में भी अपनी स्थिति मजबूत बना ली है। भारत में ही विकसित नई पीढ़ी के हैवी लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी मार्क ३ रॉकेट को फैट वॉय नाम दिया गया है। इस रॉकेट के जरिए 3,136 किलोग्राम के कयूनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-19 को अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा गया। इस रॉकेट के तीन प्रपोल्शन, सॉलिड एस 200, लिक्विड एल110 कोर स्टेज और सबसे ताकतवर क्रायोजनिक अपर स्टेज को भारत में ही विकसित किया गया है। ये है खासियत फैट वॉय के लॉन्च के साथ ही देश में ही भारी रॉकेट को विकसित करने वाली इसरो की क्षमता का भी टेस्ट हुआ। यह रॉकेट चार टन के कयूनिकेशन सैटेलाइट को उच्च कक्षा में ले जाने में सक्षम होगा। इस रॉकेट का वजन पूर्ण विकसित 200 हाथियों के बराबर होगा। यह सैटेलाइट देश भर में डाटा कनेिटविटी को बेहतर बनाएगा। पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण जीएसएलवी एमके.3 का यह पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण है। अगर सब कुछ योजना के तहत ठीक से चला तो एक दशक या करीब आधा दर्जन सफल लॉन्चिंग के बाद इस रॉकेट के जरिए धरती से भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचाने की कोशिश की जा सकती है। ऐसे स्थिति में ये रॉकेट सबसे अहम विकल्प बन सकता है। सरकार से धन का इंतजार यह रॉकेट पृथ्वी की कम ऊंचाई वाली कक्षा तक आठ टन वजन ले जाने में सक्षम है जो भारत के चालक दल को ले जाने के लिए लिहाज से पर्याप्त है। इसरो पहले ही अंतरिक्ष में दो-तीन सदस्यीय चालक दल भेजने की योजना तैयार कर चुका है। इसरो को बस इस संबंध में सरकार की ओर से तीन-चार अरब डॉलर की राशि आवंटित किए जाने का इंतजार है। इसरो की इस सफलता पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बधाई दी है। राष्ट्रपति ने कहा- राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा गया है कि जीएसएलवी - एमके ३ के ऐतिहासिक प्रक्षेपण पर इसरो को हार्दिक बधाई। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि - जीएसएलवी एमके 3 भारत द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा रॉकेट है और आज तक बनाए गए भारी उपग्रहों को ले जाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को इस महत्वपूर्ण उपलिध पर गर्व है। पीएम ने कहा गर्व है पीएम मोदी ने कहा कि जीएसएलवी- एम के आई आई आई डी 1 / जीएसएटी - 19 मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के समर्पित वैज्ञानिकों के लिए बधाई। पीएम ने कहा कि जीएसएलवी एमके 3 डी जीएसएटी -19 मिशन भारत को अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण वाहन और उपग्रह क्षमता के करीब ले जा रहा है। राष्ट्र को गर्व है! 

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