नई दिल्ली ,26 नवंबर । राष्ट्रीय राजधानी में माह नवंबर में वायु का प्रदूषण पिछले वर्षों की तुलना में कम हुआ है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार खतरनाक और बेहद खराब स्तर के प्रदूषित दिनों की संख्या में काफी कमी आई है। इस बार सामान्य स्तर के प्रदूषण का एक दिन भी मिला। प्रदूषण में कमी की एक वजह शुरुआती 12 दिनों में ग्रैप की तरफ से दिल्ली-एनसीआर में लागू किए गए कठोर नियम भी हैं। हालांकि, प्रदूषण में कमी के लिए 50 पर्सेंट योगदान मौसम और हवाओं का माना जा रहा है। नवंबर में रेकॉर्डतोड़ बारिश, तेज हवा और खिली धूप ने अपना करिश्मा दिखाया है।
पूरे साल में प्रदूषण के लिहाज से सबसे संवेदनशील महीना नवंबर रहता है। इस महीने में प्रदूषण का स्तर 470 तक पहुंच जाता है। इस साल सबसे अधिक एयर इंडेक्स 426 रहा। पिछले दो दिनों से दिल्ली की हवा खराब स्तर पर बनी हुई है। हवाओं की स्पीड अभी ठीक है, ऐसे में अगले तीन दिनों तक प्रदूषण खराब से बेहद खराब की बीच रह सकता है।
इस साल नवंबर में 2010 के बाद रेकॉर्ड 8.6 एमएम बारिश हुई। पिछले दो सालों से यह महीना सूखा रहा था। 2015 में भी दिल्ली में सिर्फ 1.1 एमएम बारिश हुई थी। इसके अलावा हवाओं की औसत स्पीड भी पिछले तीन सालों में इस माह अधिकतम 5 से 7 किलोमीटर रही। इस बार यह कई बार 15 से 20 किलोमीटर की रफ्तार से भी बही।
ईपीसीए के चेयरमैन भूरेलाल के अनुसार, सभी ने इस बार काम किया है। लोगों ने भी काफी शिकायतें कीं जिसके बाद उन्होंने भी स्थिति को परखा और मौके पर कार्रवाई की। नाइट पट्रोलिंग की व्यवस्था की। नवंबर के शुरुआती 12 दिनों में प्रदूषण के चलते कई चीजों पर रोक लगाई गई।
सीपीसीबी के अनुसार, पराली भी इस बार कम जली है। टास्क फोर्स की टीमों ने इस बार काफी काम किया है। हालांकि, कम प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह मौसम और हवाएं ही रहीं। हवाएं नियमित अंतराल पर तेज हुईं और बारिश के लिहाज से भी यह महीना अच्छा रहा।