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15-Jul-2017 5:40:44 pm
Posted Date

यूरोपीय संघ के रुख से घरेलू बासमती निर्यात पर खतरा

नई दिल्ली,(आरएनएस)। यूरोपीय संघ (ईयू) के ताजा रुख से भारत के बासमती चावल के निर्यात पर संकट के बादल छाने लगे हैं। ईयू का फैसला लागू होने के बाद भारत से निर्यात होने वाले बासमती चावल पर अघोषित प्रतिबंध लग जाएगा। इसका फायदा मुख्य प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को मिल जाएगा। इस फैसले से भारतीय बासमती निर्यातकों के साथ धान किसानों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। चावल निर्यातकों ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लड़ाई है। ईयू का यह फैसला एक जनवरी, 2018 को लागू हो जाएगा। घरेलू बासमती धान में एक रोग को रोकने के लिए फंगिसाइड का उपयोग किया जाता है। यूरोपीय आयोग ने चावल में इसकी न्यूनतम मात्र निर्धारित कर दी है। भारत के लिहाज से यह मात्र बेहद कम है। भारतीय बासमती इस मानक को पूरा करने में सक्षम नहीं है। पाकिस्तान में बासमती की खेती में ब्लास्ट रोग नहीं लगता ही नहीं है। इसलिए उसे फंगिसाइड का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है। बासमती पर इस नियम का सीधा फायदा पाकिस्तान को मिल जाएगा। राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने इस संकट पर चिंता जताते हुए सरकार से मदद की अपील की है। उनका कहना है कि पुराने मानकों के आधार पर भारतीय बासमती पर किसी देश को एतराज नहीं है। अमेरिका, जापान, कनाडा समेत ज्यादातर देश यही बासमती खा रहे हैं। सेतिया ने प्रस्ताव रखा कि अगर यूरोपीय संघ अपने सख्त मानक से पीछे नहीं हटना चाहता है तो भारतीय किसानों को 2020 तक का समय दे। एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दखल देने की मांग की गई है। इस मसले पर ईयू से बातचीत के लिए 12 जुलाई को वाणिज्य मंत्रलय का प्रतिनिधिमंडल रवाना होगा। यूरोपीय देशों के लिए भारत से सालाना करीब 1,700 करोड़ रुपये का चावल निर्यात किया जाता है।

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