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07-Nov-2019 1:19:07 pm
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परोपकार के लिए हमें टैक्स छूट की जरूरत नहीं : टाटा ट्रस्ट्स

मुंबई ,07 नवंबर ।  टाटा के ट्रस्टों ने पिछले महीने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दिए जवाब में कहा कि उन्हें परोपकार की खातिर टैक्स छूट की जरूरत नहीं है। ट्रस्ट के करीबी अधिकारियों ने बताया कि टाटा ट्रस्ट का मकसद हमेशा से परोपकार करना रहा है, भले टैक्स छूट मिले या न मिले। उनके मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ कानूनी लड़ाई में हारने पर ट्रस्टों की हालत खराब हो सकती है। छह ट्रस्टों में से एक के डिपार्टमेंट को दिए जवाब में कहा गया है, ‘मूलरूप से ट्रस्ट की स्थापना परोपकार की खातिर हुई थी। इसकी सराहना करना महत्वपूर्ण है। ट्रस्ट ने इस मामले में अपना स्वरूप बरकरार रखा है। उसने सिर्फ रजिस्ट्रेशन छोड़ा है। इनकम टैक्स ऐक्ट (आईटीए) से ट्रस्ट चैरिटी के रूप में अपनी पहचान नहीं करता। हालांकि रजिस्ट्रेशन की वजह से उसे कुछ फायदे मिलते थे क्योंकि ट्रस्ट असल में एक चैरिटी है।’ 31 अक्टूबर को मुंबई के प्रिंसिपल कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स ने टाटा के छह ट्रस्टों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था। इनमें जमशेदजी टाटा ट्रस्ट, आर डी टाटा ट्रस्ट, टाटा एजुकेशन ट्रस्ट, टाटा सोशल वेलफेयर ट्रस्ट, सार्वजनिक सेवा ट्रस्ट और नवाजबाई रतन टाटा ट्रस्ट के नाम शामिल थे। इनकम टैक्स कानून के कथित उल्लंघन के कारण उनका रजिस्ट्रेशन कैंसल किया गया था।
इस मामले से करीबी तौर पर जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हम पर पिछला बकाया चुकाने के लिए दबाव डाला जा रहा है। इससे हमें कामकाज बंद करना पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो देश को बड़ा नुकसान होगा।’ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अभी तक टैक्स की मांग वाला नोटिस नहीं भेजा है, लेकिन इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल (ढ्ढञ्ज्रञ्ज) में अपील करने से पहले ट्रस्टों को 12,000 करोड़ के अनुमानित टैक्स डिमांड का 20 प्रतिशत चुकाना होगा।
इस मामले से जुड़े करीबी अधिकारियों ने बताया कि टाटा के ट्रस्टों को संभावित टैक्स चुकाने के लिए अपने टाटा संस के शेयर बेचने पड़ेंगे। टाटा के ट्रस्टों के चेयरमैन रतन टाटा है। इन ट्रस्टों के पास टाटा संस की 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सर रतन टाटा ट्रस्ट के पास टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 23.56 प्रतिशत और सर दोराबजी ट्रस्ट के पास 27.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इन दोनों ट्रस्टों के पास टाटा संस के 66 प्रतिशत शेयर हैं।
विवाद 2013 में शुरू हुआ था, जब कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल (ष्ट्रत्र) ने कहा था कि जमशेदजी टाटा ट्रस्ट और नवाजबाई रतन टाटा ट्रस्ट न ेइन्वेस्टमेंट के प्रतिबंधित जरियों में 3139 करोड़ रुपये निवेश किए। ष्ट्रत्र ने कहा था कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इन ट्रस्टों को असामान्य टैक्स छूट दी थी जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
कुछ टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और टाटा कैपिटल लिमिटेड के शेयर भी थे। टीसीएस के कुछ शेयरों को बाद में बेच दिया गया और मिली रकम को टाटा संस लिमिटेड के प्रेफरेंस शेयरों में निवेश कर दिया गया था। ष्ट्रत्र के अनुसार ऐसा करने से चैरिटीज के लिए निवेश के नियमों का उल्लंघन हुआ।

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