व्यापार

03-Nov-2019 12:54:16 pm
Posted Date

35वां आसियान शिखर सम्मेलन शुरू, 3.4 अरब लोगों के ट्रेड समझौते पर टिकीं भारतीय कारोबारियों की नजरें

बैंकॉक ,03 नवंबर । बहुपक्षीय व्यापार और संपर्क सूत्र बढ़ाने के मुद्दों पर केंद्रित दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के 35 वें शिखर सम्मेलन और अन्य संबंधित शिखर सम्मेलन रविवार को शुरू हो गए। थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा,एक समृद्ध और स्थिर क्षेत्र बनाने के लिए हमें इस वर्ष के अंतर क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) की असहमतियों को
खत्म करने के लिए लगातार काम करना रखना चाहिए ताकि क्षेत्र में आर्थिक विकास के साथ-साथ व्यापार और निवेश बढ़ सके। उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के साथ-साथ क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग ढांचे के दायरे में बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए निरंतर सहयोग करने का भी आह्वान किया ताकि आसियान और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के लचीलापन को मजबूत किया जा सके।
उम्मीद की जा रही है कि इस समिट में भारत क्रष्टश्वक्क पैक्ट पर भारत साइन कर देगा। कांग्रेस इसका जबर्दस्त विरोध कर रही है तो भारतीय उद्योग जगत ने भी चिंता जताई है।  आरसीईपी एक ट्रेड अग्रीमेंट है जो सदस्य देशों को एक दूसरे के साथ व्यापार में सहूलियत प्रदान करता है। एग्रीमेंट के तहत सदस्य देशों को आयात और निर्यात पर लगने वाला टैक्स नहीं भरना पड़ता है या बहुत कम भरना पड़ता है। इस एग्रीमेंट पर आसियान के 10 देशों के साथ-साथ छह अन्य देश, जिसमें भारत भी शामिल है, दस्तखत करेंगे।
क्रष्टश्वक्क के सदस्य देशों पर ध्यान दें तो 10 आसियान सदस्यों के अलावा इसमें भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। यह एग्रीमेंट दुनिया के 3.4 अरब लोगों के बीच एक समझौता होगा और यह विश्व का सबसे बड़ा फ्री ट्रेड पैक्ट होगा। भारत का व्यापार घाटा क्रष्टश्वक्क के ज्यादातर सदस्य देशों के साथ है और समझौते के बाद भारत पर बहुत ज्यादा बोझ बढ़ जाएगा। 
हालांकि लगातार विरोध के बीच सरकार पहले ही जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिए जाने की बात कह चुकी है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था भारत जल्दबाजी में कोई भी एफटीए नहीं करेगा और घरेलू उद्योग के हितों से समझौता किए बिना ही कोई गठजोड़ करेगा। आरसीईपी के संदर्भ में काफी सारी गलत सूचनाएं हैं। भारत अपनी शर्तों पर एफटीए या व्यापक भागीदारी समझौता करेगा।
उधर, आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच सहित कई संगठन डेयरी और कृषि क्षेत्र को इस समझौते से बाहर रखने की मांग कर रहे हैं। भारत पूर्व में हुए कई एफटीए से भी इन संवेदनशील क्षेत्रों को बाहर रखता आ रहा है।  भारतीय उद्योग जगत ने आरसीईपी समूह में चीन की मौजूदगी को लेकर चिंता जताई है। डेयरी, धातु, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन समेत विभिन्न क्षेत्रों ने सरकार से इन क्षेत्रों में शुल्क कटौती नहीं करने का आग्रह किया है। उद्योग जगत को आशंका है कि आयात शुल्क कम या खत्म होने से विदेशों से अधिक मात्रा में माल भारत आएगा और स्थानीय उद्योगों पर इसका बुरा असर होगा। अमूल ने भी डेयरी उद्योग को लेकर चिंता जाहिर की थी।
भारत प्रस्तावित समझौते के तहत चीन से आने वाले करीब 80 प्रतिशत उत्पादों पर शुल्क घटा या हटा सकता है। भारत इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयातित 86 प्रतिशत उत्पादों और आसियान, जापान और दक्षिण कोरिया से आयात होने वाले उत्पादों के 90 प्रतिशत पर सीमा शुल्क में कटौती कर सकता है। आयात होने वाले सामानों पर शुल्क कटौती को 5, 10, 15, 20 और 25 साल की अवधि में अमल में लाया जाना है। भारत का 2018-19 में क्रष्टश्वक्क के सदस्य देशों में से चीन, दक्षिण कोरिया और आस्ट्रेलिया सहित 11 देशों के साथ व्यापार में घाटा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आसियान शिखर सम्मेलन 2019 में ‘एडवांसिंग पार्टनरशिप फॉर सस्टेनेबिलिटी’ विषय के तहत, सामाजिक निर्माण और एकीकरण के मुद्दे पर चर्चा होगी। डिजिटल बदलाव से उत्पन्न अवसरों का उपयोग करने और इस क्षेत्र में वाली आर्थिक अनिश्चितताओं के समाधान की तलाश की जाएगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1967 में स्थापित, आसियान समूह में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।

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