रायपुर, 21 नवंबर । छत्तीसगढ़ विधानसभा 2018 चुनाव का दूसरा दौर भी समाप्त हो गया। अब 90 विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारों में चुनावी परिणाम को लेकर चाय-पान ठेलों से लेकर होटलों, चौक-चौराहों पर चर्चा चल रही है, कि आखिर सरकार किसकी बनेगी? भाजपा शासन की पंद्रह वर्षीय पृष्ठभूमि को नेस्तनाबूत कर देने का दावा करने वाले कांग्रेस समर्थक तो कहीं-कहीं बहस करते करते झगड़ा भी करने लग जाते है। वहीं भाजपा की पुन: सत्ता में आने की शत-प्रतिशत रैंकिंग देने वाले भाजपा के समर्थक फूले नहीं समा रहे है। वहीं दूसरी छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी की छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस औरर बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन में उतरे प्रत्याशी और उसके समर्थक आम जनता को सब्जबाग दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे है। भाषणबाजी, नारे और पोस्टर युद्ध की समाप्ति के बाद भी बहस मुबाहिस चल रहे है। खासकर सेवानिवृृत्त हो चुके अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच यह छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव परिणाम बातचीत का अच्छा विषय बन पड़ा है। वे अपनी उम्र और अनुभव का हवाला देते हुए युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास भी करते है। नए मतदाताओं के बीच भी कालेज एवं अन्य शैक्षिणक संस्थाओं में चुनाव परिणाम को लेकर चर्चा होने लगी है। वे एक दूसरे से अपनी पहली बार ईवीएम के माध्यम से दिए गए मतदान का अनुभव भी शेयर करते देखे जा रहे है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि चुनाव में बतौरर प्रत्याशी संघर्ष करने वालों की भी नीदें उड़ चुकी है। हालांकि उनके दरबार में चुनाव जीतने का दावा करने वाले समर्थकों और कार्यकर्ताओं की फौज भी रहती है। किंतु व्यक्तिगत रुप से स्वयं प्रत्याशी 11 दिसंबर 2018 के इंतजार में अपनी नींद हराम कर रहे है। क्योंकि सही परिणाम तो वही होगा, जो निर्धारित तिथि पर निकलेगा। बहरहाल चुनाव परिणाम को लेकर हो रही हलचल का बुद्धिजीवी मजा ले रहे हैं।
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