फिल्मों के मामले में नुसरत भरूचा लकी रही हैं। प्यार का पंचनामा वन, टू और सोनू के टीटू की स्वीटी बॉक्स ऑफिस पर खूब चलीं और इन दिनों वह चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म ड्रीमगर्ल से। यहां नुशरत कई मुद्दों पर बेबाक बात कर रही हैं:
आपकी हालिया फिल्म ड्रीमगर्ल में किरदार एक ऐसी आवाज के इश्क में पड़ जाते हैं, जो लडक़े की है। क्या कभी आप वर्चुअल दुनिया में किसी के आकर्षण में पड़ी हैं?
सच कहूं, तो इन मामलों में मैं बहुत डरपोक हूं या आसानी से लोगों पर यकीन नहीं करती। ऑरकुट के जमाने जब एक ट्रेंड चला था न कि लोग एक-दूसरे से पूछते थे एएसएल (सेक्स लोकेशन) तो मैं सोचती थी कि मैं अपनी लोकेशन क्यों दूं? मुझे नहीं बतानी अपनी ऐज, सेक्स या लोकेशन। तुम कौन होते हो, ये जाननेवाले? मैं किसी अनजान इंसान के साथ ये सब कुछ शेयर करने को राजी नहीं थी। मैं किसी स्टुपिट चैट विंडो पर ये इंफर्मेशन क्यों दूं? मुझे तब भी इस बात का अहसास था कि अपनी कोई भी पर्सनल डिटेल शेयर नहीं करनी। मुझे हमेशा से इस बात का डर सताता था कि जिसके साथ भी मैं चैट करूं, अगर रेपिस्ट, मुजरिम या फिर मानसिक तौर पर बीमार इंसान निकला तो मैं क्या करूंगी? मैंने मस्ती में चैट की होगी, मगर मैं कभी किसी आकर्षण में नहीं पड़ी।
हाल ही में शादीशुदा लोगों के लिए ग्लीडन नामक एक डेटिंग ऐप लाया गया है। इसमें सबसे चौंकानेवाली बात यह है कि इसमें इंडिया के मेट्रो सिटीज की महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा रजिस्टर किया है। क्या कहना चाहेंगी?
पर्सनली मैं आज तक किसी डेटिंग ऐप में नहीं रही हूं। मैं हमेशा यह सोचती हूं कि ऐसे डेटिंग ऐप्स की क्या जरूरत है? क्या हम खुद जाकर व्यक्तिगत रूप से किसी इंसान से रिश्ता नहीं बना सकते? मुझे किसी से मिलने के लिए कोई ऐप नहीं चाहिए। ये तो खैर सिंगल लोगों की बात है, मगर मैरिड लोगों के लिए डेटिंग ऐप तो किसी भी तरह मेरे गले नहीं उतरता। अगर आपको शादी के बाद भी किसी डेटिंग ऐप की जरूरत है, तो फिर आप शादी में क्यों हो? विवाह संस्था का अर्थ होता है कि आप अगर इस इंस्टिट्यूशन में हैं, तो आप किसी एक के साथ कमिटेड हैं। फिर आपका ऐसा करना नैतिक रूप से सही नहीं होता।
आपकी फिल्मों प्यार का पंचनामा और सोनू के टीटू की स्वीटी को अच्छा रिस्पॉन्स मिला, बावजूद आपकी बहुत कम फिल्में आती हैं। कारण?
देखिए, मुझे कोई अच्छी फिल्म ऑफर नहीं करता। ऐसा नहीं है कि मुझे काम नहीं करना। मुझे 3 अच्छी फिल्में मिली हैं और मैंने बैक टू बैक की हैं। मुझे ड्रीमगर्ल मिली तो मुझे उसे हां करने में जरा भी देर नहीं लगी। जल्द ही मैं मरजांवा और हुड़दंग में नजर आऊंगी।
मीटू मामले में आप अपने प्यार का पंचनामा वन, टू और सोनू के टीटू की स्वीटी के निर्देशक लव रंजन के सपॉर्ट में आगे आईं, जबकि लोग डिप्लोमैटिक या न्यूट्रल हो जाते हैं?
सच कहूं, तो कई बार डिप्लोमैटिक भी होना पड़ता है। वह बुरी बात नहीं होती। लेकिन कई बार डिप्लोमैटिक होना ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि लोग आपके बारे में तरह-तरह की बात कर रहे होते हैं, कई बार यह स्मार्ट मूव भी होता है। (मुस्कुराती हैं) पब्लिक फिगर होने के नाते कुछ भी कहने से पहले हमारी जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। कई बार खामोश रहने में भी खूब मेहनत लगती है। लव सर (निर्देशक लव रंजन) का केस सामने आने के एक दिन बाद मैंने एक ओपन लेटर लिखा था और मुझे उसे लिखने में उतना समय लगा था। मुझे उस केस में जो महसूस हुआ और जो लगा उसे मैंने पूरी फीलिंग के साथ लिखा। उसमें साफ हो जाता है कि मैं क्यों लिख रही हूं? मुझे जो कहना था, मैंने कहा और उसके बाद के कॉमेंट्स मैंने नहीं पढ़े।
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