नईदिल्ली,06 सितंबर । सरकार पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) जैसी छोटी बचत स्कीमों पर इस महीने के अंत तक ब्याज घट सकती है. छोटी बचत स्कीमों की अधिक दरों के चलते बैंक अपने डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज देने के लिए मजबूर हैं. सरकार इन स्कीमों की ब्याज दरों की समीक्षा करेगी. इसमें वह दरों को घटाने का फैसला ले सकती है. इन स्कीम्स पर ब्याज घटाने का कारण ये है कि इनकी ब्याज दर बाजार से नहीं जुड़ी हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को बैंकों से अपने रिटेल और एमएसएमई लोन रेपो रेट जैसे किसी एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोडऩे के आदेश दिए हैं. इससे आने वाली तिमाहियों में बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर दबाव बन सकता है. कारण है कि बैंक डिपॉजिट पर ब्याज दरों में बड़ी कटौती नहीं कर पाएंगे. जबकि आरबीआई के कदम से नया लोन सस्ता होगा. भारतीय स्टेट बैंक सहित कुछ बैंकों ने रेपो रेट के साथ अपने सेविंग्स बैंक डिपॉजिट जोड़े हैं. लेकिन, इस तरह का बदलाव अस्थाई है. आईडीबीआई जैसे अन्य बैंकों ने कुछ बल्क डिपॉजिट के साथ रेपो रेट को जोड़ा है.
एसबीआई के एमडी पीके गुप्ता ने बताया कि ब्याज दरों में कमी के बीच डिपॉजिट को रेपो रेट से जोडऩा सही नहीं होगा. इसके अलावा एफडी के ग्राहक छोटी बचत स्कीमों की ओर रुख कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बैंक जल्द ही इस मसले को सरकार के साथ उठाएंगे. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि वाकई में यह बड़ी चिंता है. उन्होंने सुझाव दिया कि छोटी बचत स्कीमों की ब्याज दरों को घटाने की जरूरत है. यह फैसला राजनीतिक स्तर पर होगा.
अधिकारी ने कहा कि वैसे अभी इस मसले पर निर्णय लेना आसान नहीं होगा. खासतौर से यह देखते हुए कि मौजूदा आर्थिक स्थितियों को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. वित्त मंत्री भी छोटी बचत स्कीमों के लिए मार्केट लिंक्ड व्यवस्था की ओर रुख करने पर सहमति जता चुकी हैं.