नई दिल्ली ,16 नवंबर । रूस और भारत के बीच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम पर हुई डील से अमेरिका खुश नहीं था। इस डील से पहले कई बार उसने (अमेरिका) चेताया था कि अगर भारत ने रूस से यह डील की, तो वह अमेरिकी दंडात्मक प्रतिबंधों के लिए तैयार रहे। हालांकि भारत ने रूस के साथ इस डील को पूरा किया।
भारत के महत्व को समझते हुए बाद में अमेरिका ने भारत के प्रति अपना रुख बदला और रूस के साथ हुई इस डील पर वह भारत को विशेष छूट देने पर राजी हो गया। हालांकि यह बात किसी से छिपी नहीं थी कि अमेरिका इस डील से खुश नहीं था। अब नई दिल्ली एक बार फिर दोनों देशों के आपसी संबंधों में संतुलन साधने की तैयारी में है। भारत अब अमेरिका के साथ एक डिफेंस डील करने की तैयारी कर रहा है। भारत सरकार ने ट्रंप प्रशासन से 24 रोमियो एमएच-60 हेलिकॉप्टर खरीदने की इच्छा जताई है।
भारत सरकार ने इन लड़ाकू हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए अमेरिकी प्रशासन को 13,500 करोड़ रुपये का लेटर ऑफ रिच्ेस्ट भेजा है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि भारत टोरपीडो जैसे हथियार और ऐंटी-सबमरीन मिसाइल के रखरखाव के जरूरी अन्य उपकरणों की खरीदारी की यह डील जल्द से जल्द करने का इच्छुक है।
भारतीय नेवी के जंगी बेड़े को और ताकत देने के लिहाज से सरकार इस डील को 2020-2024 तक पूरा करने के मूड में है। इन दिनों चीनी परमाणु और डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन भारतीय समुद्री सीमा में बार-बार घुसने की हिमाकत करते हैं। दो सरकारों (भारत-अमेरिका) के बीच होने वाले इस समझौते (एमएच-60 हेलिकॉप्टर्स की) की निर्माता कंपनी शिकोर्स्की-लोकहीड मार्टिन है। यह अमेरिका की विदेश मिलिटरी सेल्स प्रोग्राम का हिस्सा है। भारत को उम्मीद है कि वह एक साल के भीतर इस डील पर अमेरिका के साथ हाथ मिला लेगा।
रक्षा सौदों के लिहाज से देखें, तो 2007 से अब तक अमेरिका भारत के साथ इस क्षेत्र में अपने व्यापार को 17 बिलियन डॉलर तक बढ़ा चुका है। पिछले एक दशक का आकलन करें, तो बीते 3-4 सालों में अमेरिका अब भारत को रूस से ज्यादा मिलटरी उपकरणों की आपूर्ति करा रहा है।
इससे पहले रूस के साथ हुई एस-400 एयर डिफेंस डील के बाद ट्रंप सरकार काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन ऐक्ट (सीएएटीएसए) के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाने के हक में थी। अमेरिका के रक्षा सचिव जिम मैटिस और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा छूट दिलाने के लिए मजबूती के साथ भारत का पक्ष रखा था।
अमेरिका के इस घरेलू कानून के मुताबिक अगर कोई देश ईरान, नॉर्थ कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन का संबंध रखता है तो वह अमेरिकी प्रतिबंधों का शिकार होगा। हालांकि भारत इन नियमों में विशेष छूट हासिल करने में कामयाब रहा। इस डील के अलावा भारत अमेरिका के साथ कुछ अन्य रक्षा सौदों पर भी विचार कर रहा है।
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