0-मोदी के कार्यकाल में महंगाई आसमान के भी ऊपर
रायपुर, 17 नवंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमीरों के कठपुतली है, उनकी विश्वसनीयता ताश के पत्तों की तरह ढह चुकी है और देश की जनता समझ चुकी है कि उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है।
उक्त बातें पूर्व भारतीय क्रिकेटर नवजोत सिंग सिद्धू ने आज राजीव भवन में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कही। श्री सिद्धू ने केन्द्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी की विश्वसनीयता ताश के पत्तों की तरह ढह चुकी है। देश की जनता जान चुकी है कि श्री मोदी क्या कहते हैं और क्या करते हैं? उन्होंने कहा कि देश की जनता का विश्वास हासिल कर श्री मोदी अमीरों के कठपुतली बन गए हैं। यह बात देशवासी जान चुके हैं, वर्ष 2014 में श्री मोदी की जो लहर चली थी वही अब भाजपा पर कहर बनकर टूट रही है। इसीलिए अब देशवासी बदलाव के पक्ष में खड़े हो गए हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का असली उद्देश्य क्या था? यह आज तक देश की जनता समझ नहीं पाई। उन्होंने कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करके उसके स्थान पर सीधे 2000 का नोट लाना, ब्लैक मनी को पर्पलमनी बनाने जैसा हो गया है। गरीब अपनी जिंदगी भर की जमापूंजी को साबित करने बैंकों के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहे। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि पर यही भाजपा के लोग हाय-तौबा मचाते थे, आज स्थिति क्या है? पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में वृद्धि हुई या कमी? देश की जनता अब सब कुछ समझ चुकी है।
जगदलपुर, 17 नवंबर । 12 नवंबर से पूर्व तक अंचल में कृषक वर्ग चुनाव की ओर विशेष रूची ले रहा था और पुरूष मतदाता तो करीब-करीब इसमें पूरी तरह से सक्रिय रहा। लेकिन मतदान होने के बाद अब किसानों ने अपनी खेती और अपनी होने वाली उपज की ओर ध्यान केंद्रित कर दिया है। अंचल में इन दिनों धान कटाई का कार्य तेजी से चल रहा है। चुनाव के पूर्व जो मोटे धान की फसल थी वह तो करीब-करीब कट चुकी थी। लेकिन अब दुसरी किस्मों की फसल तैयार होकर अपनी कटाई का रास्ता देख रही है। इसीलिए मतदान के बाद किसान खेतों में ज्यादा दिख रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मतदान के पहले खेतों में काम करने वाले वर्ग के अंतर्गत महिलाओं की संख्या ही अधिक दिखी और पुरूष वर्ग चुनाव के कार्य में गांव-गांव और गली-गली घुम रहा था। इस वर्ष ऐन फसल पकने के समय मौसम की मार किसानों को वर्षा न होने की स्थिति से पड़ी जिससे अच्छी फसल आने की आशा कमजोर हो गई। फिर भी फसल एवरेज से कम हुई है। इसलिए किसानों ने थोड़ी निराशा जरूर दिखी। लेकिन इस से उभरते हुए अंचल के ग्रामीण पुन: खेत में सक्रिय हो रहे हैं।