छत्तीसगढ़

 मुख्यमंत्री बघेल शामिल हुए गंधर्व महोत्सव में
Posted Date : 11-Feb-2019 12:35:12 pm

मुख्यमंत्री बघेल शामिल हुए गंधर्व महोत्सव में

0 सांकरदाहरा में हर साल इस महोत्सव के लिए डेढ़ लाख रूपए अनुदान की घोषणा
0 महाशिवरात्रि पर तीन दिवसीय महोत्सव भी होगा
0 मुख्यमंत्री ने 39.40 लाख रूपए की लागत से निर्मित भवन का किया लोकार्पण
0 बेन्दरकट्टा-कोहका मार्ग में शिवनाथ नदी पर बनेगा उच्चस्तरीय पुल

रायपुर, 11 फरवरी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव विकासखंड के मोक्षधाम सांकरदाहरा देवरी में आयोजित गाड़ा (गंधर्व) महोत्सव एवं बसंत पंचमी कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने सांकरदाहरा में हर साल होने वाले इस महोत्सव के लिए 50 हजार रूपए के बजाए डेढ़ लाख रूपए का अनुदान देने की घोषणा की। उन्होंने सांकरदाहरा में महाशिवरात्रि के मौके पर हर वर्ष 3 दिवसीय महोत्सव आयोजित कराने की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने यहां पर्यटन मद से 39 लाख 40 हजार रूपए की लागत से निर्मित वेटिंग भवन का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि बेन्दरकट्टा-कोहका मार्ग में शिवनाथ नदी पर उच्चस्तरीय पुल बनाने के लिए धन राशि का प्रावधान विश्रीय वर्ष 2019-20 के बजट में कर दिया गया है। सराईपाली विधायक किस्मतलाल नंद, खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी चन्दू साहू और डोंगरगांव विधायक दलेश्वर साहू कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। 
मुख्यमंत्री बघेल ने अपने उद्बोधन में गंधर्व समाज के नागरिकों को महोत्सव के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर समाज को विकास की राह में आगे बढऩे के लिए नई पीढ़ी की पढा़ई-लिखाई और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। शिक्षित और संगठित समाज तेजी से विकास करता है। उन्होंने इस मौके पर सामूहिक विवाह के महत्व पर विशेष रूप से अपनी बात रखते हुए कहा कि इससे धन और समय की बचत होती है। उन्होंने हर समाज में सामूहिक विवाह को बढ़ावा देने पर जोर दिया और कहा कि बचत धन का उपयोग बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने परिवार, गांव, समाज की उन्नति के लिए नशापान को भी बाधक बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सभी समाजों के सहयोग से शराब बंदी लागू की जाएगी। इसके लिए सामाजिक जनजागरण जरूरी है। हर समाज की ओर से गांव-गांव में बैठक कर शराब पर प्रतिबंध लगाने के लिए पहल होनी चाहिए। लोगों को नशे से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाए। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद किसानों और कमजोर वर्गों के हित में नए-नए फैसले लिए जा रहे हैं। नई सरकार के पहले दिन ही किसानों के हित में दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। प्रदेश के 16 लाख से अधिक किसानों के 6 हजार 100 करोड़ रूपए के कृषि ऋण माफ कर दिया गया। धान की कीमत 2 हजार 500 रूपए प्रति क्ंिवटल करने का निर्णय लिया गया। बघेल ने बताया कि दो दिन पहले ही उन्होंने विधानसभा में विश्रीय वर्ष 2019-20 के बजट भाषण में किसानों द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए गए 4 हजार करोड़ रूपए के ऋण को भी माफ करने की घोषणा की है। इस तरह प्रदेश के किसानों के 10 हजार करोड़ रूपए के ऋण माफ किया गया है। यह मेहनतकश किसानों का अधिकार और सम्मान है। बघेल ने बताया कि नवम्बर 2019 में खरीफ मौसम में 2500 रूपए प्रति क्ंिवटल की दर से धान खरीदी के लिए 5 हजार करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। सभी राशन कार्डधारी परिवारों को 35 किलो चावल हर महीने देने तथा आगामी अप्रैल महीने से बिजली बिल आधा करने का निर्णय लिया गया है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की नई सरकार ने कृषि आधारित ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ-साथ परंपरागत खेती-किसानी और पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नई योजना शुरू की है। इस योजना को ग्रामीण परिवेश के अनुरूप नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी, छश्रीसगढ़ के चार चिन्हारी, ऐला बचाना है संगवारी का नाम दिया गया है। गांवों के आस-पास बहने वाले प्राकृतिक नालों को पुनर्जीवित करने प्राथमिकता से कार्य किया जाएगा। ऐसे जलन्नेतों में मुहाने से लेकर अंतिम छोर तक छोटे-बड़े चेक डेम, स्टाप डेम या अन्य संरचनाएं बनाई जाएंगी। जिससे भू-जल में वृद्धि होने के साथ आस-पास के खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। उन्होंने बताया कि पशुधन के संरक्षण के लिए हर गांव में तीन एकड़ क्षेत्र में गौठान विकसित किए जाएंगे। यहां पशुओं के लिए चारा-पानी की व्यवस्था की जाएगी। पशुओं के नस्ल सुधार के लिए भी कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। बघेल ने कहा कि जंगलों तथा जंगलों के आस-पास हजारों गांव बंदरों से भी परेशान रहते हैं। खेती-बाड़ी और घरों को बंदरों द्वारा लगातार नुकसान पहुंचाए जाने की घटनाएं होती है। बंदरों के लिए जंगलों में ही भोजन की व्यवस्था करने साग, सब्जी और फलदार पौधे उगाने के लिए भी कार्यक्रम शुरू करने की योजना है। उन्होंने कहा कि जंगलों में व्यापक पैमाने पर साग, सब्जी और फलदार पौधों के बीजों का छिडक़ाव किया जाएगा। खीरा-ककड़ी के बीजों का छिडक़ाव प्राथमिकता से होगा। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि जनता के सहयोग एवं आशीर्वाद से प्रदेश सरकार जनघोषणा पत्र में शामिल सारे वादे पूरी करेगी। बघेल ने महोत्सव में नव दंपश्रि को आशीर्वाद भी दिया। 
समारोह में खुज्जी विधायक श्रीमती छन्नी चन्दू साहू ने हर समाज को आगे बढ़ाने  के लिए शिक्षा और मजबूत संगठन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संगठित, शिक्षित और संघर्षशील समाज निरंतर प्रगति करता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसानों की भलाई के लिए गए फैसलों से किसानों के चेहरे में मुस्कान आई है। उन्होंने सांकरदाहरा में गंधर्व महोत्सव आयोजित करने की परंपरा शुरू करने के लिए गंधर्व समाज के सभी नागरिकों की सराहना की। सराईपाली विधायक किस्मतलाल नंद, गंधर्व समाज के प्रांताध्यक्ष अशोक नायक, राजनांदगांव जिला अध्यक्ष माधो लाल देवदास और सांकरदाहरा विकास समिति के अध्यक्ष कमलनारायण वैष्णव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। 

देश के सबसे बड़े बाघ राष्ट्रीय उद्यान में एक भी बाघ नहीं
Posted Date : 10-Feb-2019 12:18:41 pm

देश के सबसे बड़े बाघ राष्ट्रीय उद्यान में एक भी बाघ नहीं

0 यहां बाघों पर न कभी शोध हुआ, न ही इनके रहवास के बारे में जानने की कोशिश 
जगदलपुर, 10 फरवरी । आपको जानकर ताज्जुब होगा कि बस्तर स्थित देश की सबसे बड़ी बाघ परियोजना इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में एक भी बाघ नहीं है। हालांकि इस राष्ट्रीय उद्यान में असली नस्ल के वन भैंसा सहित कई जानवर मौजूद हैं। बाघ परियोजना में वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों ने एक भी बाघ को देखा तक नहीं है। सारी स्थिति का आंकलन करने के बाद टायगर रिजर्व कंजर्वेशन ऑर्थोरिटी ने बजट देना बंद कर दिया है। 
बीजापुर इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान बाघ परियोजना के अनुविभागीय अधिकारी आरएस वट्टी ने बताया कि वर्ष 2018 में इंद्रावती टायगर रिजर्व बीजापुर की ओर से एक रिपोर्ट तैयार कर नेशनल टायगर कंजर्वेशन ऑर्थोरिटी को भेजी गई थी। यहां 12 बाघ होने के साक्ष्य में मददेड़, कुटरू, कोर, पासेवाड़ा, सेंन्डा व पिल्लुर जैसे रेंजों में किये गये सर्वे में साक्ष्य के आधार पर रिपोर्ट बनाई गई है। उनमेें बाघ का पंजा, मल व उसके शिकार के साक्ष्य शामिल हैंं। रामसेवक वट्टी ने बताया कि अक्टूबर 2018 में टायगर होने की एक रिपोर्ट नेशनल टायगर कंजर्वेशन ऑर्थोरिटी को भेजी गई थी, लेकिन एनटीसीए रिपोर्ट को नहीं मान रही है। उन्होंने आगे बताया कि इसके चलते ही नवम्बर में राष्ट्रीय बाघ अभिकरण मद को नेशनल टायगर कंजर्वेशन ऑर्थोरिटी ने रोक दिया है। 
वैज्ञानिक तरीके से होती है गणना - वट्टी 
श्री वट्टी ने बताया कि बस्तर की बाघ परियोजना, देश के सबसे बड़े बाघ परियोजना में शामिल है, जिसका क्षेत्रफ ल 2000 वर्ग किलो मीटर है। इस उद्यान क्षेत्र में 55 गंाव हैं और इनकी आबादी लगभग पांच हजार के करीब है। उन्होंने बताया कि हर चार सालों में होने वाले वन्य प्राणियों की गणना वैज्ञानिक तरीके से की जाती है। गणना जीपीएस सिस्टम से कनेक्ट होती है और इसकी मानिटरिंग देहरादून से की जाती है। उन्होंने बताया कि इस बार बाघों की गणना के लिए रिजर्व क्षेत्र में  कुल 54 टे्रक  लाइन बनाये गए थे और हर लाइन दो किलोमीटर तक डाली गयी थी, इनकी मानिटरिंग देहरादून से हो रही थी। उन्होंने बताया कि टायगर के विचरण करने का एरिया करीब बीस किलोमीटर तक होता है। 
बाघों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं रहा उद्यान - प्राणी विशेषज्ञ
प्राणी विशेषज्ञ राकेश पांडे एवं अब्दुल वहाब खान ने बताया कि इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के संरक्षण  के लिए कोई योजना नहीं है। बस्तर में बाघों का घर कहलाने वाला इंद्रावती टाईगर रिजर्व बाघों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं रह गया है, इसलिये बाघों की संख्या लगातार घटकर समाप्त हो गयी है। टायगर रिजर्व का यह इलाका पूरी तरह से माओवादियों के कब्जे में हैं। इस इलाके में घुसने की हिमाकत विभाग भी नहीं करता। यहां के बाघों पर न कभी शोध हुआ है और न किसी प्राणी विज्ञानी ने इनके व्यवहार या फि र रहवास के बारे में जानने की कोशिश की है। बाघों के संरक्षण के नाम पर केवल टायगर रिजर्व नाम दे दिया गया। 
पूर्व में आया बजट कहां खर्च हुआ - वर्मा 
बस्तर प्रकृति बचाओ समिति के संस्थापक शरदचंद वर्मा ने कहा कि बाघ परियोजना में बाघ नहीं होना एक चिंतनीय विषय है और इस पर गहन अध्ययन होना चाहिए। उन्होंने बताया कि 1984 में जब वन भैंसा को बचाने के लिए एक योजना तैयार की गयी थी, उसी दौरान शेरों की अधिक संख्या को देखते हुये टायगर प्रोजेक्ट बनाया गया था, जिसके कारण लगातार केन्द्र से बजट मिलता था। उन्होंने सवाल भी उठाया कि पूर्व में आया बजट कहां खर्च हुआ यह समझ से परे तो है ही साथ ही शोध का भी विषय है।  

यातायात सुरक्षा सप्ताह समाप्त के बाद थाने पड़े सैंकड़ों वाहनों की हो सकती है नीलामी
Posted Date : 10-Feb-2019 12:15:24 pm

यातायात सुरक्षा सप्ताह समाप्त के बाद थाने पड़े सैंकड़ों वाहनों की हो सकती है नीलामी

बिलासपुर, 10 फरवरी ।  इस बार के सडक़ सुरक्षा सप्ताह में सबसे बड़ा आकर्षण रहा- वाहन मेला। जी हां हम बात कर रहे हैं उस वाहन मेंले की जो बिल्कुल अनोखा था, लेकिन सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र भी। बिलासपुर जिले के अलग-अलग थानों में जप्त और लावारिस वाहनों के ढेर लग चुके थे, इससे जहां थानों की शोभा बिगड़ रही थी वहीं इनकी सुरक्षा भी पुलिस के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी बन चुकी थी, जिसे देखते हुए नए पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा और एडिशनल एसपी विजय अग्रवाल ने बिल्कुल अनूठी पहल की। सभी थानों से उन वाहनों को इक_ा कर पुलिस लाइन लाया गया ताकि उनके असली हकदारो तक इन मोटरबाइक को पहुंचाया जाए। पुलिस ग्राउंड के एक हिस्से में कतार से इन वाहनों को रखा गया है, ठीक वैसा ही जैसा कि पुराने वाहनों के विक्रेता खरीदारों के लिए वाहनों को सजाते हैं। लंबे वक्त से इन वाहनों की सुपुर्दगी ना होने से वाहनों की संख्या बेहिसाब बढ़ चुकी है। कानूनी जटिलताओं के चलते वाहनों के मालिक इन्हें हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाए थे, लेकिन अब एसपी की पहल से उनके लिए एक नया अवसर आया है । इन वाहनों को पुलिस लाइन में रखने के साथ सभी वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर और चेचिस नंबर की सूची वाहनों की कंपनी के अनुसार बनाई गई है ,जैसे हीरो होंडा, बजाज ,यामाहा आदि कंपनियों की सूची बनाई गई है ,ताकि वाहन मालिक बेवजह उलझे नहीं । पुलिस लाइन में मौजूद सूची को आसानी से सर्च कर वाहनों के असली हकदार रजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन -चेचिस नंबर के आधार पर अपने वाहनों की पतासाजी कर सकते हैं । इसका अच्छा प्रतिसाद भी देखा जा रहा है। अब तक 55 से अधिक वाहन मालिकों को उनके वाहन लौटाए जा चुके हैं, वहीं सभी थानों को यह निर्देश दिया गया है कि वे वाहन मालिकों को खोजें और एक तय तिथि पर एक साथ बड़ी संख्या में उन्हें उनके वाहन लौटा कर एक नई मिसाल कायम करें । इसके लिए पुलिस प्रयास कर रही है । लंबे समय से थानों में मौजूद इन चोरी हुए या लावारिस वाहनों को उनके वारिसों तक पहुंचाने के इस काम में पुलिस ने जैसी तत्परता दिखाई है वैसे तत्परता पहले कभी नहीं देखी । चूँकि एसपी ने इस अभियान में तेजी लाने के लिए सभी थाना प्रभारियों को कड़े निर्देश दिए थे इसी का असर है कि वाहन उनके असली हकदारो तक पहुंच रहे हैं। सरकंडा के विनय पटेल, गनियारी के राजा राम, बलौदा बाजार के योगेश यादव जैसे ना जाने कितने नाम हैं, जिन्हें जिन्होंने यह उम्मीद ही छोड़ दी थी कि उनके वाहन उन्हें वापस भी मिल सकते हैं ,लेकिन पुलिस की नई पहल से उनके चेहरे पर मुस्कान खिल उठी है । पुलिस की योजना है कि अधिक से अधिक संख्या में वाहन मालिकों का पता कर उन्हें उनके वाहन लौटा दिया जाए ।उसके बाद भी अगर वाहन शेष रहते हैं तो फिर इसके लिए नीलामी की प्रक्रिया की जाएगी ।यही वजह है कि बड़ी संख्या में कबाड़ी और पुराने वाहनों को खरीदने के इच्छुक लोग भी यहां आकर यहां मौजूद वाहनों का मुआयना कर रहे हैं वाहनों के मालिक ना मिलने पर नीलामी के दौरान उन्हें बेहद सस्ते में यह वाहन मिल सकते हैं। यातायात सुरक्षा सप्ताह समाप्त होने के बाद अब कभी भी नीलामी की जा सकती है। यहां रोजाना सैकड़ों लोग वाहनों को देखने और पहचानने पहुंच रहे हैं।

बस्तर में धड़ल्ले से बिक रहा है मिलावटी अमानक दूध
Posted Date : 10-Feb-2019 12:13:16 pm

बस्तर में धड़ल्ले से बिक रहा है मिलावटी अमानक दूध

खाद्य विभाग द्वारा लिए गए सेम्पल में यह बात सिद्ध हुयी 
जगदलपुर, 10 फरवरी । शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए बच्चे हों या बड़े, सभी को दूध की जरूरत होती है। गाय के दूध को स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। लेकिन मिलावट के चलते लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि, दूध बच्चों को पिलाएं या नहीं। शहर में बिकने वाली दूध मिलावटी है, इसका खुलासा राजधानी रायपुर से जांच रिपोर्ट आने के बाद हुआ है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा दूध का सैंपल लेकर जांच के लिए सेंट्रल लैब भेजा गया था।
नगर एवं आसपास के क्षेत्रों में संचालित होटल व रेस्टोरेंट में मिलावटी दूध का उपयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसका खुलासा खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग के द्वारा जांच के लिए भेजी गई रिपोर्ट आने के बाद हुआ है। विभागीय अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार 5 सैंपल जांच के लिए रायपुर स्थित लैब में भेजा गया था। इनमें एक की रिपोर्ट आ गयी है, जो जांच में अमानक पाया गया है। 
जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी जाहिरा खान ने बताया कि, पिछले दिनों नगर में दूध बेचने आने वाले ग्रामीणों से 5 सैंपल लेकर जांच के लिए रायपुर में भेजा गया था। रिपोर्ट में दूध अमानक पाया गया। उन्होंने बताया कि दूध में पोषक तत्व 2.2 प्रतिशत पाया गया, जबकि 4.5 प्रतिशत होना चाहिए था। 
हालांकि, मिलावटी खाद्य पदार्थों के कारोबार में लगातार हो रही वृद्धि की मुख्य वजह खाद्य विभाग की उदासीनता है। नियमत: सभी खाद्य विक्रेताओं को अपना पंजीकरण कराना एवं विभाग से लायसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है, लेकिन अधिकांश दूध कारोबारी बिना लाइसेंस के ही अपना कारोबार कर रहे हंै। खाद्य विभाग द्वारा केवल त्योहारी सीजन में जांच कर खानापूर्ति कर ली जाती है।
बस्तर जिले में लगभग 15 हजार लीटर दूध की खपत हर दिन हो रही है, जिसमें डेयरी विकास परियोजना का 2800 लीटर, ओडिशा का 2300 लीटर दूध शामिल है। इसमें भी ओमफेड 1500 और लूज दूध 800 लीटर शामिल है। यह स्थिति तब है जब इस समय सातों ब्लाकों में गायवंशीय 573539 व भैंसवंशीय 111404 है। इसमें सबसे अधिक दूध की खपत जगदलपुर में हो रही है। डेयरियों की संख्या कम एवं दूध उत्पादन में कमी के बाद भी यहां पर हर साल होटल, रेस्टोरेंट व चाय ठेलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे अपने स्कूल, शाला से मिला इतना कुछ कि ऋण से मुक्त होना असंभव
Posted Date : 10-Feb-2019 12:10:39 pm

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहुंचे अपने स्कूल, शाला से मिला इतना कुछ कि ऋण से मुक्त होना असंभव

0 बजट में मर्रा में नये कृषि महाविद्यालय की घोषणा 
0 बजट का 22 फीसदी हिस्सा कृषि क्षेत्र के लिए

रायपुर, 10 फरवरी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज दुर्ग जिले के ग्राम मर्रा स्थित हाई स्कूल पहुंचे। मुख्यमंत्री ने इसी स्कूल से शिक्षा ग्रहण की है। उन्होंने गुरूजनों से आशीर्वाद लिया और सहपाठियों के साथ बिताए आत्मीय क्षणों और स्कूल के दौर को साझा किया। बघेल ने यहां आयोजित सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि अपने स्कूल को देखता हूं तो अपने गुरुजनों की, सहपाठियों की बहुत सी स्मृतियां ताजी हो जाती हैं। इनका इतना आशीर्वाद मिला कि आज मैं प्रदेश का मुख्यमंत्री हूँ। उन्होंने कहा यह इतना बड़ा ऋण है कि इस ऋण से मुक्त होना असंभव है। अपने सबसे मधुर दिन मैंने यहां बिताये। आज जब सभी दोस्तों से मुलाकात हुई तो लगा कि पुराने दिन वापस आ गए। यहां अब नया स्कूल भवन बन गया है, लेकिन मुझे वो पुरानी स्कूल भवन ही अच्छा लगता था। थी। तब साईकल से स्कूल आते थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यवस्था में बेहतर बदलाव के लिए संघर्ष करना मैंने मर्रा से ही सीखा। यहां शिक्षकों की कमी थी। जब हमने संघर्ष किया तो यह कमी पूरी हुई। यह सीख हमेशा याद रही और मैं संघर्ष से कभी पीछे नहीं रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती किसानी विकसित हो इसके लिए मर्रा में कृषि महाविद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया। इसके आरम्भ हो जाने से बेहतर कृषि विशेषज्ञ तैयार हो पाएंगे और वे क्षेत्र में खेती किसानी को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार बजट में सर्वाधिक 22 फीसदी का प्रावधान कृषि के लिए रखा गया है। हम नरूवा, गरुवा, घुरूवा और बारी का विचार लेकर गांव के विकास के लिए काम कर रहे हैं। इसकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विस्तार देने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हमारा पशुधन हमारी शक्ति बनेगा। जैविक खाद से लेकर बायो गैस तक गौठान से हमे प्राप्त होंगे। यह ऐसा संसाधन है जो मुफ्त है और हमेशा के लिए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्ज माफी तथा 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदी से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है जिसका असर बाजार में दिखने लगेगा। उन्होंने कहा कि किसानों के पास जो धन आया है, उससे वे छोटी-छोटी खुशियां पूरी कर सकेंगे। कुछ लोगों ने तो बाइक ली और लिखा लिया, 2500 रुपये धान मूल्य से प्राप्त। यह सब सुनकर बहुत अच्छा लगता है।

आम जनता के प्रेम और स्नेह की शक्ति से सरकार ले रही मजबूती से निर्णय : भूपेश बघेल
Posted Date : 10-Feb-2019 12:09:17 pm

आम जनता के प्रेम और स्नेह की शक्ति से सरकार ले रही मजबूती से निर्णय : भूपेश बघेल

0 विप्र समाज के कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री
रायपुर, 10 फरवरी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि लोगों से मिले प्रेम और स्नेह की शक्ति से ही सरकार प्रदेश हित में बड़े निर्णय ले सकी है और उन पर मजबूती के साथ अमल कर रही है। मुख्यमंत्री आज दुर्ग जिले के विकासखण्ड मुख्यालय पाटन में आयोजित छत्तीसगढिय़ा विप्र समाज द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं जहां भी जाता हूँ वहां लोगों के चेहरे में काफी उत्साह महसूस करता हूँ। सभी कहते हैं कि पहली बार ऐसी सरकार आई है जिसकी प्राथमिकता गरुवा, नरूवा, घुरूवा, बाड़ी है। लोग कहते हैं कि मुख्यमंत्री के संबोधन में यह शब्द सुनकर अच्छा लगता है। हम ऐसे निर्णय ले रहे हैं जिससे छत्तीसगढ़ मजबूती से उभरेगा। 
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी में अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ के मनखे बहुत मयारू हे। लोगों के इस प्रेम और स्नेह से मिली शक्ति की वजह से ही सरकार बड़े निर्णय ले पाई है और इसे क्रियान्वित कर पाई है। उन्होंने इस अवसर पर विप्र समाज के वरिष्ठजनों का शॉल एवं श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गायें हमारी शक्ति थी, अब नहीं रही। इस पशुधन का उपयोग करना है। खेती के लिए जैविक खाद हमें मिलेगी, बायो गैस भी हम प्राप्त कर सकेंगे। मैं लगातार ग्रामीण भाइयों से मिलता हूँ और उनसे पूछता हूँ कि खेती की बेहतरी के लिए क्या क्या कर सकते हैं। गांवों के बेहतर विकास से ही हम छत्तीसगढ़ को समृद्ध कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर पंडित सुंदर लाल शर्मा, खूबचंद बघेल एवं पवन दीवान का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि हम अपने पूर्वजों के सपनों का छत्तीसगढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।