छत्तीसगढ़

स्वाईन फ्लू: रोकथाम एवं बचाव के अलर्ट जारी
Posted Date : 26-Feb-2019 12:55:24 pm

स्वाईन फ्लू: रोकथाम एवं बचाव के अलर्ट जारी

कोरबा 26 फ रवरी । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. बी.बी. बोर्डे ने जिले में स्वाईन फ्लू के रोकथाम एवं बचाव हेतु आम नागरिकों को सतर्क रहने के साथ आवश्यक उपाय बताया गया है। उन्होने बताया कि  यह बीमारी एच1 एन1 इंफ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, प्रभावित मरीजों में अधिकतर वयस्क होते हैं, यह वायरस सवंमित वायू कण एवं सवंमित वस्तुओं के द्वारा फैलता है, संक्रमण अवधि एक से सात दिवस तक होती है, संक्रमण की अवधि बच्चों में सात दिवस से अधिक हो सकती है एवं बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं को संक्रमण का खतरा अधिक होता है, एच1एन1 इंफ्लूएंजा वायरस के जीवाणु सख्त सतह पर 24 से 48 घंटे, प्लास्टिक पर 24 घंटे, कपड़े या टीषु पेपर पर 8 से 12 घंटे एवं आद्रता 28 डिग्री सेंटीग्रेड 82 डिग्री फे. तक जीवित रहते हैं। टाइप ए.बी.सी. (एच1एन1) 1 से 7 घंटे तक जीवित रह सकते हैं। 
लक्षण:- तेज बुखार, उपरी श्वसन तंत्र संक्रमण, खांसी, नाक बहना, गले में खराष, सिरदर्द, बदन दर्द, थकावट, दस्त एवं उल्टी भी हो सकती है। जटिलताएं:- निमोनिया, दमा जैसी बीमारी, बेहोषी, रक्तचाप में गिरावट, झटके। मरीजों का वर्गीकरण (लक्षण आधारित) संदेहास्पद मरीज:- तीव्र ज्वर के साथ श्वसन तंत्र का संक्रमण, सात दिवस के भीतर स्वाईन फ्लू के मरीज से संपर्क करें, सात दिवस के भीतर स्वाईन फ्लू प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण। संभावित मरीज:- उपरोक्त लक्षणों के अलावा किसी मरीज को इंफ्लूएंजा ए अथवा आईएफए पॉजिटिव हो, चिकित्सकीय लक्षण के आधार पर संदेहास्पद मरीज की मृत्यु हुई हो, पाजीटिव मरीज से निकट संबंधित हो। किसको मानेंगे स्वाईन फ्लू पाजिटिव:- यदि कोई संदेहास्पद मरीज डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित लेबोरेटरी, बीएसएल 2 अथवा बीएसएल 3 लेबोरेटरी से रिपोर्ट पाजीटिव हो, पी.सी.आर. रिपोर्ट पाजीटिव हो, वायरल कल्चर पाजीटिव हो, पेन्डेमिक स्वाईन फ्लू एंटीबाडी चार गुना बढ़ी हो। स्वाईन फ्लू की रोकथाम, बचाव एवं  उपचार हेतु मरीजों का वर्गीकरण:- कैटेगरी ए - समान्य मरीज जिन्हें साधारण बुखार के साथ खांसी अथवा गले में खराश, बदन दर्द, सिरदर्द, डायरिया एवं उल्टी की शिकायत हो, सामान्यत: ऐसे मरीजों को स्वाईन फ्लू की जांच एवं ओसेल्टामीविर से ईलाज की आवश्यकता नहीं होती, कैटेगर ए के मरीज घर पर ही रहे एवं भीड़ वाले सार्वजनिक स्थलों पर आवाजाही न करें, घर के अन्य सदस्यों जैसे छोटे बच्चे गर्भवती महिला एवं बुजुर्ग के सीधे संपर्क में न आवे, ऐसे मरीजों को 24 से 48 घंटे तक चिकित्सक की निगरानी में होना चाहिए। कैटेगरी बी - कैटेगरी ए में उल्लेखित लक्षणों के अतिरिक्त यदि मरीज को तेज बुखार एवं गले में अधिक खराश हो, बच्चे, गर्भवती महिलाएं 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बुजुर्ग जिन्हे हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग,  लीवर पीडि़त, किडनी, डायबिटीज, एचआईव्ही एवं कैंसर आदि से पीडि़त हों, ऐसे मरीजों को चिकित्सक की सलाह पर स्वाईन फ्लू से बचाव की दवा ली जानी चाहिए, सामान्यत: ऐसे मरीजों को स्वाईन फ्लू की जांच की आवश्यकता नहीं होती है। कैटेगरी सी - कैटेगरी ए एव ंबी के अतिरिक्त यदि मरीज को सांस लेने में अधिक तकलीफ, छाती में दर्द, सांस लेने में अधिक तकलीफ, छाती में दर्द, रक्तचाप में गिरावट तथा खून के साथ बलगम आने व नाखूनों का नीला पडऩे के लक्षण हों, बच्चों में फ्लू के लक्षण के साथ ही रेड फ्लेग लक्षण पाये जाने पर मरीज का एच1एन1 पुष्टि हेतु टेस्ट कराया जाना चाहिए, मरीज को अस्पताल में भर्ती होकर समुचित उपचार लिया जाना चाहिए। 
बचाव हेतु उपाय:- भीड़ वाली सार्वजनिक स्थलों पर जाने से बचें, संक्रमित व्यक्ति से बिना सुरक्षा उपाय नहीं होने पर एक मीटर की दूरी बनाकर रखें, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के पूर्व अपने मुंह एवं नाक पर कवर का प्रयोग करें, हाथों को नियमित रूप से साबून से धोयें, सर्दी खांसी से पीडि़त सदस्यों से बच्चों की दूरी बनाये रखें, केटेगरी बी एवं सी मरीजों के संपर्क में आने पर व्यक्तिगत सर्विलेंस किया जावे, केटेगरी बी के लक्षण होने पर उम्र के अनुसार चिकित्सक की सलाह पर दवाई ली जावे। 

बस्तर के देशी मुर्गा, मुर्गियों की अन्य प्रदेशों में भारी मांग
Posted Date : 26-Feb-2019 12:54:37 pm

बस्तर के देशी मुर्गा, मुर्गियों की अन्य प्रदेशों में भारी मांग

जगदलपुर, 26 फरवरी । अपने उपयोग के लिए परंपरा गत तरीके से ग्रामीणों द्वारा पूर्व में पाले जा रहे देशी मुर्गा, मुर्गियों की मांग अब प्रदेश के बाहर के प्रदेशों में तेजी से बढ़ रही है और बस्तर से प्रतिदिन 10 च्ंिटल से भी अधिक मुर्गा, मुर्गियों की खेप निर्यात की जा रही है। बड़े शहरों में इनकी कीमत भी अच्छी मिल जाती है और शौकिन लोगों को स्वाद भी मिल जाता है। 
उल्लेखनीय है कि पहले बस्तर के दक्षिण-पश्चिम बस्तर में मुर्गे, मुर्गियों की संख्या अधिक पाई जाती थी, लेकिन जब से इसका बाहर भेजा जाना शुरू हुआ है तब से इस अंचल के गांवों में इनकी आपूर्ति सीमित हो गई है और मूल्य भी बढ़ गये हैं। स्थानीय मांस व्यापारियों ने इस संबंध में बताया कि महाराष्ट्र के नागपुर, गोंदिया सहित प्रदेश के भी बड़े शहरों में इन देशी मुर्गा, मुर्गियों की मांग लगातार बढ़ रही है। इस व्यापार से सैकड़ों लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं वहीं स्थानीय ग्रामीणों को अपने घरों में पाली गई देशी मुर्गा, मुर्गियों का अच्छा दाम मिलने से उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति सरलता से हो रही है। इस संबंध में पशु चिकित्सा विभाग द्वारा न तो बाहर भेजी जा रही मुर्गा, मुर्गियों की जांच की जाती है और न ही आंध्र व तेलंगाना से यहां मंगाये जा रहे फार्मिंग चिकन की जांच की जाती है। इससे बड़ी बीमारी फैलने का भी खतरा बना हुआ है। इसके अलावा विभाग की अनुमति लिये बिना ही यह कार्य विभाग की नाक के नीचे हो रहा है। 

बीजापुर जिले के दो ऐतिहासिक व प्रख्यात मंदिर पर्यटन विभाग की उपेक्षा के शिकार
Posted Date : 26-Feb-2019 12:53:58 pm

बीजापुर जिले के दो ऐतिहासिक व प्रख्यात मंदिर पर्यटन विभाग की उपेक्षा के शिकार

बीजापुर, 26 फरवरी । जिले में श्रद्वालुओं के लिए मंदिर व टूरिस्टों के लिए घूमने की जगह सकलनारायण गुफा और भ्रदकाली मंदिर है, लेकिन विडंबना है कि यह दो मंदिर पर्यटन विभाग की अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। 
विभाग के नुमाइंदे बताते हैं कि भोपालपटनम ब्लॉक में दो पर्यटन की जगह है। रूद्रराम के पास की पहाड़ी पर सकलनारायण मंदिर है जहां हिन्दू नववर्ष उगादी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा बड़े ही जोरशोर से की जाती है और मेले का आयोजन भी किया जाता है। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपनी ऊंगली में पहाड़ को उठाये हुए गुफा के अंदर दिखाई देते हैं।
दूसरा ब्लाक मुख्यालय से 17 किमी दूर भद्रकाली मंदिर है जहा बसंत पंचमी के दिन मां काली की पूजा अर्चना की जाती है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु देवी मां की दर्शन के लिए पहुंचते हैं। नवरात्र के समय बीजापुर, भैरमगढ़, दंतेवाड़ा, जगदलपुर के आसपास के लोग पैदल यात्रा कर अपनी मन्नत को पूरी करने यहां आते हैं। तीन दिन के इस कार्यक्रम में पहला दिन गणपति पूजन के साथ गौतम कुण्ड संगम से पानी लाकर देवी स्नान किया जाता है। दूसरा बसंत पंचमी के दिन देवी पूजन एवं हवन लोक नृत्य का कार्यक्रम सम्पन किया जाता है। मेले के तीसरे दिन बोनालु कार्यक्रम कर समापन किया जाता है।

समाज को आगे बढ़ाने में हर व्यक्ति बने भागीदार : ताम्रध्वज साहू
Posted Date : 26-Feb-2019 12:52:16 pm

समाज को आगे बढ़ाने में हर व्यक्ति बने भागीदार : ताम्रध्वज साहू

0-टिकरापारा रायपुर में ‘साहू विधायकों का अभिनंदन’ समारोह सम्पन्न
रायपुर, 26 फ रवरी ।  गृह, लोक निर्माण और संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू आज राजधानी रायपुर के टिकरापारा स्थित भामाशाह छात्रावास, साहू समाज भवन में आयोजित सम्मान समारोह में शामिल हुए। तेली इंजीनियर्स वेलफेयर्स एसोसिएशन छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित ‘साहू विधायकों का अभिनंदन’ कार्यक्रम की अध्यक्षता अभनपुर के विधायक धनेन्द्र साहू ने की। प्रदेश में वर्तमान में साहू समाज से छह विधायकों में दुर्ग ग्रामीण से ताम्रध्वज साहू, अभनपुर से धनेन्द्र साहू, डोंगरगांव से दलेश्वर साहू, खुज्जी से  छन्नी साहू, धमतरी से  रंजना साहू और कसडोल से सुशकुंतला साहू शामिल हैं। समारोह में गृह मंत्री साहू ने भक्त माता कर्मा के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। गृह मंत्री साहू ने इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए हर व्यक्ति को हमेशा बढ़-चढक़र अपनी भागीदारी निभानी चाहिए। उन्होंने साहू समाज के सभी इंजीनियर्स द्वारा समाज की सेवा के लिए गठित एसोसिएशन की सराहना की और इसे सक्रिय बनाकर समाज सेवा के लिए निरंतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने एसोसिएशन को समाज के खासकर कमजोर तथा असहाय लोगों को सक्षम बनाने के लिए हर संभव मदद प्रदान करने के लिए भी विशेष जोर दिया। इसके साथ ही कोचिंग आदि के माध्यम से युवाओं को सही मार्गदर्शन देकर उन्हें स्वावलम्बी बनाने में सहयोग देने के लिए कहा। साहू ने कहा कि संगठन में हर तरह के लोगों का मेल-मिलाप होता है और नये-नये सोच तथा चीजों के बारे में जानकारी मिलती है। इसे आत्मसात कर व्यक्ति स्वयं सहित अपने परिवार और समाज की उन्नति के लिए भागीदार बनें। समारोह को विधायक धनेन्द्र साहू ने भी सम्बोधित करते हुए एसोसिएशन को समाज की भलाई की दिशा में सतत रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर एसोसिएशन के पदाधिकारी सर्वराम साहू, टिकाराम, राधेश्याम, रामजी राठौर, नारायण साहू, सुनलिनी साहू चन्द्रशेखर साहू, संतराम साहू, डॉ. सरिता साहू, भागवत साहू, प्रेमनारायण साहू, हरिराम साहू सहित साहू समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।  

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 637 करोड़ 44 लाख 78 हजार रूपए की अनुदान मांगे ध्वनि मत से पारित
Posted Date : 26-Feb-2019 12:50:03 pm

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 637 करोड़ 44 लाख 78 हजार रूपए की अनुदान मांगे ध्वनि मत से पारित

० ग्रामीण नलजल योजना के लिए जनसंख्या की बाध्यता समाप्त 
रायपुर, 25 फरवरी । आज विधानसभा में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार द्वारा प्रस्तुत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 637 करोड़ 44 लाख 78 हजार रूपए अनुदान मांगे ध्वनि मत से पारित की गई। विधानसभा में गुरू रूद्रकुमार ने कहा कि राज्य की अधिकांश आबादी पेयजल के लिए मुख्य रूप से भूगर्भीय स्रोत पर निर्भर है। वर्षा जल के संचयन एवं भू-जल संवर्धन योजनाओं के साथ ही सतही जल स्रोतों का उपयोग प्राथमिकता से किया जाएगा। राज्य में उपलब्ध सीमित संसाधनों का उपयोग करते हुए सभी के सहयोग एवं भागीदारी से आने वाली पीढ़ी को शुद्ध एवं पर्याप्त जल उपलब्ध कराने हेतु हम दृढ़ संकल्पित हैं। 
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ने कहा कि ग्रामीण जल प्रदाय कार्यक्रम के अंतर्गत शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश में जल प्रदाय योजनाएं पूर्ण की जा रही है। ग्रामीण जल प्रदाय कार्यक्रम के अंतर्गत हैण्डपंप योजना, नलजल योजना, सोलर आधारित हैण्डपंप योजना के माध्यम से ग्रामीण जनता को पेयजल उपलब्ध कराए जा रहे हैं। हैण्डपंप योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में 64 करोड़ 50 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। इस कार्य हेतु 45 रिंग मशीनों से नलकूप खनन का कार्य कराया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में हैण्डपंप संधारण हेतु 33 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों की पेयजल से संबंधित शिकायतों की त्वरित सूचना से अवगत कराए जाने के लिए टोल फ्री नंबर 18002330008 की व्यवस्था है, जिस पर विभाग द्वारा त्वरित निराकरण किया जाता है। उन्होंने बताया कि 21 फरवरी 2019 तक टोलफ्री के माध्यम से 1040 शिकायतों के विरूद्ध 814 शिकायतों का निराकरण किया गया।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ने कहा कि राज्य में नलजल क्रियान्वयन हेतु जनसंख्या की सीमा की बाध्यता को समाप्त कर दी गई है। अब छोटे-बड़े गांव में नलजल योजना का कार्य संपादित किए जाएंगे। ग्रामीण नलजल प्रदाय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2019-20 के बजट में 61 करोड़ 90 लाख का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि विभाग राज्य मद से 12 समूह जल प्रदाय योजनाओं एवं निक्षेप मद से 6 समूह जल प्रदाय योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। समूह नलजल प्रदाय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में 112 करोड़ 85 लाख का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार शालाओं में पेयजल व्यवस्था के लिए 50 हजार 622 हैण्डपंपों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की शासकीय शालाओं में पेयजल व्यवस्था विभाग द्वारा की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों की शासकीय शालाओं में पेयजल व्यवस्था के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में 12 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। 
साढ़े छह हजार से अधिक सोलर पंप स्थापित
मंत्री रूद्रकुमार ने बताया कि विभाग ने एक अभिनव प्रयोग किया है, जिसके अंतर्गत सोलर पेनल पर आधारित पॉवर पंप एवं हैण्डपंप एक साथ कार्य करते हैं। यह योजना विशेष कर उन बसाहटों एवं शालाओं के लिए बहुत उपयोगी है, जहां विद्युत व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। सुदूर वनांचल क्षेत्रों में सौर ऊर्जा आधारित पेयजल योजनाओं के लिए नाबार्ड पोषित योजना के अंतर्गत ग्रामीण पेयजल योजनाओं का निर्माण कार्य हेतु वर्ष 2019-20 के लिए 15 करोड़ 50 लाख रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। राज्य में अब तक 6 हजार 622 सोलर पंपों के माध्यम से जल प्रदाय किया जा रहा है। 
लोक स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 90 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के विभिन्न अवयवों के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में 90 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
गरीबों के लिए नई नलजल योजना
मंत्री गुरू रूद्रकुमार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बीपीएल परिवारों को मुफ्त नल कनेक्शन प्रदान करने हेतु मिनीमाता अमृत-धारा नल योजना के रूप में नवीन योजना प्रारंभ की जा रही है, जिसमें 10 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए किया गया है। इस योजना से राज्य के 39.9 प्रतिशत अर्थात 78 लाख जनसंख्या एवं 33 लाख परिवार गरीबी रेखा के नीचे आते हैं, जो इस योजना से सीधे लाभान्वित होंगे। राजीव गांधी सर्वजल योजना के रूप में दूसरी नवीन योजना का शुभारंभ अगले वित्तीय वर्ष से किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत दुर्ग संभाग के साजा समूह जल प्रदाय योजना में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वाटर फिल्टर स्थापित कर पैकेज्ड वॉटर उपलब्ध कराए जाने की योजना बनाई गई है। इस कार्य हेतु वित्तीय वर्ष  2019-20 के बजट में 2 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
मुख्यमंत्री चलित संयंत्र पेयजल योजना
प्राकृतिक आपदा की स्थिति में पेयजल संकट उत्पन्न होने पर जलजनित बीमारी फैलने की स्थिति में शुद्ध पेयजल प्रदाय करने मुख्यमंत्री चलित संयंत्र पेयजल योजना प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है, जिसके अंतर्गत रायपुर, बिलासपुर और बस्तर संभाग में मोबाइल वॉटर यूरीफायर संयंत्र के माध्यम से शुद्ध जल प्रदाय करने हेतु 5 करोड़ रूपए का बजट वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए प्रावधान किया गया है। 
सुपेबेड़ा में जल प्रदाय योजना
ग्राम सुपेबेड़ा में उत्पन्न गंभीर संकट को दूर करने के उद्देश्य से जिला गरियाबंद के विकासखण्ड देवभोग अंतर्गत तेल नदी से पानी लाकर ग्राम सुपेबेड़ा हेतु शुद्ध पेयजल प्रदान करने हेतु आगामी वित्तीय वर्ष 2019-20 में योजना प्रारंभ की जाएगी, जिसकी अनुमानित लागत 10 करोड़ रूपए है। इस कार्य हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
गिरौदपुरी धाम समूह जल प्रदाय योजना
जिला बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के विकासखण्ड कसडोल अंतर्गत गिरौदपुरी में समूह जल प्रदाय योजना प्रारंभ की जाएगी, जिसकी अनुमानित लागत 90 करोड़ रूपए है। इस कार्य हेतु वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में पांच करोड़ का प्रावधान है। इस योजना से आसपास के गांवों के लगभग 40 से 50 हजार लोग लाभान्वित होंगे। 
राज्य के आंगनबाड़ी, प्राथमिक एवं उपस्वास्थ्य केन्द्रों में नलकूप खनन एवं रनिंग वॉटर उपलब्ध कराने हेतु इस वित्तीय वर्ष में एक नवीन योजना प्रारंभ की जा रही है। इसके लिए 10 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान वित्तीय वर्ष 2019-20 में किया गया है। राजधानी के पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय परिसर एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर के जल प्रदाय व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण हेतु अनुमानित लागत दो करोड़ रूपए है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में एक करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। जिला दुर्ग के विकासखण्ड दुर्ग के अंतर्गत चन्दखुरी-कोलिहापुरी समूह नल जल प्रदाय योजना अनुमानित लागत रूपए 9 करोड़ 48 लाख रूपए है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में एक करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। 
मंत्री  रूद्रकुमार ने भूजल के अत्यधिक दोहन से भूजल में गिरावट के साथ ही जल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। सरकार द्वारा पेयजल का परीक्षण पर अधिक जोर दिया जा रहा है। ंजल गुणवत्ता से प्रभावित बसाहटों में शुद्ध पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश में 3488 आयरन रिमूव्हल प्लांट, 573 फ्लोराइड रिमूव्हर प्लांट एवं खारे पानी से प्रभावित बसाहटों हेतु 129 आर.ओ. प्लांट लगाये गये हैं। प्रगतिरत नगरीय जल प्रदाय योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए 70 प्रतिशत अनुदान राज्य शासन का एवं 30 प्रतिशत शासकीय ऋण की नीति निर्धारित है। इसके क्रियान्वयन हेतु 67 करोड़ 74 लाख 57 हजार रूपए का बजट प्रावधान वित्तीय वर्ष 2019-20 में किया गया है। शासकीय ऋण उपलब्ध कराने के लिए इस वर्ष के बजट में 78 करोड़ 40 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। 

 राजिम माघी पुन्नी मेला में अल्का चंद्राकर ने अपनी प्रस्तुति दी
Posted Date : 25-Feb-2019 1:10:51 pm

राजिम माघी पुन्नी मेला में अल्का चंद्राकर ने अपनी प्रस्तुति दी

0 सरकार की मंशा है गढ़बो नवा छत्तीसगढ़, तो छत्तीसगढ़ में स्थानीय कलाकारों का भविष्य होगा उज्ज्वल
0 अल्का चंद्राकर ने अपने अनुभव साझा कर छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों की सराहना

राजिम, 25 फरवरी । त्रिवेणी संगम में राजिम माघी पुन्नी मेला में अपनी प्रस्तुति देने आई अल्का चंद्राकर का कहना है कि प्रदेश की नई सरकार के प्रयासों से छत्तीसगढ़ में कलाकारों का भविष्य उज्ज्वल है। अल्का ने कहा कि जैसे गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ है तो कही न कहीं छत्तीसगढ़ में कलाकारों का स्थान भी बहुत उंचाई तक जाएगा और कलाकारों को एक अच्छा स्थान मिलेगा। छत्तीसगढ़ के बाहर भी छत्तीसगढ़ी वेषभूषा व छत्तीसगढ़ी संगीत, मांदर लेकर किए जा रहे नृत्य  लोग काफी उत्साह से देखते हैं तब हमें बहुत अच्छा लगता हैं।
अल्का चंद्रकार ने अपनी प्रस्तुति के बाद मीडिया से बात करते हुए कई बातें कहीं। राजनीति कलाकारों के प्रवेश पर उन्होंने कहा कि कलाकार की पहचान जो तालियों में है वह राजनीति में नहीं और ताली को वोट में परिवर्तन करना बहुत कठिन काम है। इसलिए कलाकार को कलाकार ही रहना ज्यादा बेहतर होगा, उसको राजनीति में बिल्कुल नहीं जाना चाहिए। अल्का चंद्राकर का कहना है कि फिल्म इंडस्ट्री की चमक दमक और स्टूडियों में गाने की अपेक्षा मंच पर लाइव लोगों के सामने प्रस्तुति देने में ज्यादा आनंद आता है। क्योंकि मंच में प्रस्तुति देते समय दर्शकों का उत्साह हमें अच्छा लगता है।
राजिम की पुरानी पहचान लौटी है
राजिम कुंभ का नाम परिवर्तन अल्का चंद्राकर की नजर में छत्तीसढ़ सरकार का एक अच्छा कदम है। इससे छत्तीसगढ़ की पुरानी पहचान लौटी है। राजिम के इस मेले को कुंभ का नाम देना गलत था क्योंकि यहां कुंंभ जैसा कुछ भी नहीं है। लेकिन पुराने समय से इसे पुन्नी मेला जरूर कहा जाता है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू की पहल ने राजिम को पुरानी पहचान लौटाई है। रही स्वरूप की बात तो पहले राजिम कुंभ में आते थे अब पुन्नी मेले में आएंगे।  यहां आने से दर्शकों का प्यार वैसे ही मिल रहा है जैसे पहले मिलता रहा है। इसलिए कुंभ और पुन्नी मेले में किसी तरह से बदलाव नजर नहीं आ रहा है।
लोक संगीत का कलेवर बदल रहा है
अल्का चंद्राकर का कहना है कि हमारा प्रयास है कि छत्तीसगढ़ की परंपरा और लोक संस्कृति को बचाकर चले। यह कह सकते हैं कि कलेवर बदल गया है उस कलेवर को ध्यान में रखते हुए लोक संगीत और लोक परंपरा को नये कलेवर के साथ अगर युवाओं के सामने लाए तो वह चीजें बरकरार रहेगी और बाधाएं भी नहीं आयेंगी। इसके अलावा हम ऐसा संस्थान शुरू करना चाहते हैं जहां छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति की शिक्षा दी जाए। हमारी ओर से काम शुरू कर दिया है कि ऐसी संस्था बनाए जहां लोग केवल लोक संस्कृति और लोक गीतों व वाद्य यंत्रों की शिक्षा दी जायेगी ताकि यहां की युवा पीड़ी को छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति का ज्ञान मिल सके।
हमारी लोक कला का विदेशों में भी सम्मान
अल्का चंद्राकर का कहना है कि लोक कला एक ऐसी चीज है जो बहुत दूर-दूर तक जानी जाती है। लोक परंपरा और लोक संस्कृति को ही हम बाहर विदेषों में ले जा सकते हैं। जैसे हमारी तीजन बाई पंडवानी के माध्यम से लोक कला को विदेषों में जाकर प्रस्तुति देकर नाम कमाया है। उसकी वजह ही है लोक संस्कृति लोक परंपरा। लोक कला में इतनी शक्ति है जिसे दूर-दूर तक बिखेरा जा सकता है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी चीज अगर लोगों को बहुतायत मात्रा में मिल जाती है तो रूचि कम होने लगती है। स्थानीय कलाकारों को राजिम माघी पुन्नी मेले में मिले मंच पर अल्का चंद्राकर ने सरकार का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि राजिम मेले में प्रदेश के लोक कलाकारों ही बुलाए जाने का निर्णय स्वागत योग्य है इससे हमारे स्थानीय कलाकारों को बेहतर मंच मिलेगा।