छत्तीसगढ़

क्राइम ब्रांच का भय दिखाकर सिंचाई विभाग के क्लर्क से कार की लूट, तीन हिरासत में!
Posted Date : 04-May-2019 1:39:06 pm

क्राइम ब्रांच का भय दिखाकर सिंचाई विभाग के क्लर्क से कार की लूट, तीन हिरासत में!

0-आरोपियों ने डरा-धमका कार के ट्रांसफर फार्म में कराया प्रार्थी से हस्ताक्षर
रायपुर, 04 मई । राजधानी में एक अनोखा मामला सामने आया है। सिंचाई विभाग के एक क्लर्क को क्राइम ब्रांच का भय दिखाकर उसी के विभाग की एक युवती ने अपने अन्य दो साथियों के साथ मिलकर कार के ट्रांसफर फार्म में जबरदस्ती हस्ताक्षर कराकर कार लूटकर ले गये है। इस मामले की शिकायत पर पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध किया है। खबर है कि पुलिस ने मामले में युवती व उसके साथी युवको को हिरासत में ले लिया है। आरोपी युवकों में एक पुलिस आरक्षक भी बताया जा रहा है। 
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सिंचाई विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत दिलीप कुमार कंवर निवासी मं.एच 10 सिचाई कालोनी शांतिनगर को 2 अप्रैल को देर शाम में करीब 7.30 बजे उसके विभाग में ही संविदा के पद पर कार्यरत युवती रेणुका साहू ने फोन कर मिलने के लिए बुलाया। इसके बाद दोनों कार से नया रायपुर गए, जहां घटना स्थल पर एक अन्य कार सवार दो युवक रंजित सिंह 38 वर्ष एवं सूरज यादव 23 वर्ष  युवती के कहने पर प्रार्थी दिलीप कंवर को क्राइम ब्रांच का भय दिखाते हुए उससे उसकी मारूति सिप्ट कार क्रमांक सीजी04एम7773 का नाम ट्रांसपर कराने के लिए जबरन फार्म 29, 30 में हस्ताक्षर कराकर कर को लूटकर ले गये। कार की कीमत 5 लाख रूपये बतायी जा रही है। बताया जा रहा है कि कार लूटने वाले दो युवकों में एक पुलिस आरक्षक है। हालांकि इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पायी है। इधर घटना के बाद प्रार्थी की रिपोर्ट पर पुलिस ने युवती व उसके साथी दोनों युवकों को भी हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है ऐसी खबर आ रही है। संभवत: शाम तक पुलिस इस मामले का खुलासा कर सकती है। 

ट्रेन हाइजेक मामले में हाईकोर्ट ने उपेन्द्र सिंग को मिली  थोड़ी राहत
Posted Date : 04-May-2019 1:38:49 pm

ट्रेन हाइजेक मामले में हाईकोर्ट ने उपेन्द्र सिंग को मिली थोड़ी राहत

० हाईकोर्ट ने इस प्रकरण से किया बरी
भिलाई , 04 मई । दुर्ग में जनशताब्दी एक्सप्रेस हाइजेक कांड में नया मोड़ आ गया है। इस मामले में उपेंद्र सिंह सहित 10 अन्य आरोपी थे। उन्हें रेलवे एक्ट 150 (1) बी में सेशन कोर्ट से उम्र कैद की सजा सुनाई गई। आरोपी पक्ष मामले को लेकर हाईकोर्ट गया। जहां से बुधवार को उक्त धारा के तहत दिए गए उम्रकैद से हाईकोर्ट की बैंच ने उन्हें बरी कर दिया।
न्यायाधीश मणिंद्र मोहन श्रीवास्तव व रजनी दुबे की बैंच ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि रेलवे एक्ट 150 (1)ब का अपराध नहीं बनता। आरोपी पक्ष के वकील बीपी सिंह ने तर्क रखा कि यह धारा रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने की दशा में लगती है। जबकि आरोपियों के तरफ से किसी प्रकार से संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। 
इस मामले में तीन अलग-अलग मामले बनाए गए। पहला मामला कार मालिक केशवर राव की शिकायत पर, जिसकी कार छीनकर आरोपी भागे थे। दूसरा मामला आरक्षक सचित कुमार की शिकायत पर और तीसरा रेलवे में ड्रायवर दीपक ठाकुर की शिकायत पर दर्ज किया गया। मामले में दुर्ग के एडीडे मंसूर अहमद के न्यायालय में सुनवाई हुई। आरोपियों पर दोष सिद्ध पाया गया। 
उपेंद्र उर्फ कबरा जयचंद वैद्य अपहरण कांड का मुख्य आरोपी है। तत्कालीन एडीजे हेमंत अग्रवाल के न्यायालय में विचाराधीन मामले में उसे सुनवाई के लिए दुर्ग लाया गया था। शाम करीब 5.10 बजे वह बिलासपुर जेल जाने के लिए जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में आरक्षक सचित शर्मा, बीरेंद्र सिंह व सदाराम के सुरक्षा घेरे के बीच ट्रेन में चढ़ा। इस बीच जैसे ही ट्रेन कैवल्यधाम पहुंची, चैन पुलिंग कर दी गई। इस बीच उपेंद्र का पुत्र प्रीतम सिंह, दोस्त अनिल सिंह, शंकर राव, बिल्लू सहित अन्य मौके पर पहुंचे। उन्होंने सचित व बीरेंद्र पर मिर्ची पाउडर फेंका और कट्टे के बट से वार कर आरक्षकों को घायल कर दिया। 

मंंत्री रविन्द्र चौबे के स्वास्थ्य में आ रहा तेजी से सुधार
Posted Date : 04-May-2019 1:38:22 pm

मंंत्री रविन्द्र चौबे के स्वास्थ्य में आ रहा तेजी से सुधार

रायपुर, 04 मई । वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मंत्री रविन्द्र चोब्े के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आ रहा है, इसके अलावा अब चिकित्सकों ने उन्हें चलने-फिरने की भी अनुमति दे दी है। 
सूत्रों की माने तो वर्तमान में आईसीयू में भर्ती मंत्री चौबे के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आ रहा है। बताया गया कि अब उन्हें सामान्य भोजन भी दिया जा रहा है, पूरी तरह से सचेत और शुभचिंतकों से लगातार बातचीत कर रहे चौबे के स्वास्थ्य में आ रहे सुधार से चिकित्सक और समर्थक दोनों खुश हैं। चिकित्सकों के अनुसार उनके शरीर के बाकी अंग सामान्य रूप से काम कर रहे हैं और उन्हें अब चलने-फिरने की भी अनुमति चिकित्सकों ने दी है, बताया जाता है कि उन्हें जल्द ही आईसीयू से सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया जा सकता है। 

 कमरे में सोए ग्रामीण को सूड़ से खींचकर हाथी ने पटक कर मार डाला
Posted Date : 04-May-2019 1:38:04 pm

कमरे में सोए ग्रामीण को सूड़ से खींचकर हाथी ने पटक कर मार डाला

0 दूसरे कमरे में सो रहे अन्य लोगों ने छिपकर बचाई जान
कोरबा, 04 मई । गोल्हर क्षेत्र में हुई घटना की याद पिछली रात ताजा हो गई। यहां हाथी ने एक घर के कमरें में सो रहे ग्रामीण को सूड़ से खींचकर बाहर निकाला और फिर पटक दिया। ग्रामीण की तुरंत मौत हो गई। इस वाक्ये से दूसरे कमरें में सोए लोग भयभीत हो गए। उन्होंने किसी तरह छिपकर अपनी जान बचाई। घटनाक्रम से कुदमुरा व छाल रेंज के अनेक ग्रामों में डर का वातावरण बना हुआ है। इधर वन विभाग ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है। कोरबा जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर पिथरा गांव में यह घटना आज सुबह 04 बजे के लगभग हुई। 
वन मण्डल कोरबा के कुदमुरा रेंज के सीमांत क्षेत्र में हुई घटना ने लोगों को बालकोनगर रेंज के गोल्हर फूटहामुड़ा में तीन महीने पहले हाथी द्वारा एक महिला और बच्चे को पटककर मार डालने की याद ताजा कर दी। यह घटना गांव के आंगनबाड़ी भवन में हुई थी, जहां हाथियों के हमले से बचाने वन विभाग ने लोगों को यहां ठहराया था। 04 मई को हुई घटना के बारे में विभागीय सूत्रों ने बताया कि छाल परिक्षेत्र में पिथरा गांव आता है, जहां के ग्रामीण इसदु लकड़ा 68 वर्ष की मौत हो गई। पिथरा में अनुसूचित जनजाति वर्ग की आबादी अधिक संख्या में है। मुख्य गांव से हटकर बाहरी क्षेत्र में एक्का-दुक्का मकान लोगों ने बना रखे हैं। जिन पर अक्सर जंगली जानवरों के हमले का डर बना रहता है। इसदु का मकान भी इसी क्षेत्र में स्थित है। नजदीक से ही घना जंगल लगा हुआ है। लकड़ा यहां पर पत्नी, बहू और बच्चों के साथ निवासरत था। बीती रात्रि सदस्यों ने भोजन किया और सो गए। सामने के कमरें में इसदु लकड़ा सोया हुआ था। आज तडक़े जंगल की तरफ से हाथी यहां पहुंचे। जिस तरह की जानकारी मिली, उसमें कहा गया कि हाथी ने कमरें के दरवाजे को तोडऩे के साथ ग्रामीण को सूड़ से बाहर खींच लिया और पटकने के साथ कुचल दिया। ग्रामीण की इस घटना में मौके पर ही मृत्यु हो गई। हाथी की आहट और इंसान की चीख सूनने के साथ परिवार के लोग अनहोनी से कांप उठे। उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए दूसरे कमरें में खुद को छिपाया। घटना की जानकारी आम होने पर कुछ घंटे बाद वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी यहां पहुंचे। पुलिस की मौजूदगी में शव का पंचनामा किया गया। उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। धरमजयगढ़ डीएफओ ने बताया कि मृतक के परिजनों को प्रारंभिक राहत राशि दी गई है। ऐसे प्रकरणों में 04 लाख रूपए की क्षतिपूर्ति दी जानी है। शेष राशि का भुगतान कागजी कार्रवाई के पश्चात किया जायेगा।

6 लाख का ब्राउन शुगर के साथ एक गिरफ्तार
Posted Date : 04-May-2019 1:36:57 pm

6 लाख का ब्राउन शुगर के साथ एक गिरफ्तार

अंबिकापुर, 04 मई । अंबिकापुर पुलिस ने एक युवक को ब्राउन शुगर के साथ गिरफ्तार किया है। आरोपी के पास से करीब 6 लाख रूपये का ब्राउन शुगर जब्त किया है। आरोपी ब्राउन शुगर झारखंड से लाकर अंबिकापुर में खपाया करता था।  
नगर पुलिस अधीक्षक आरएन यादव ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि कोतवाली थाना प्रभारी कृष्णकांत सिंह को मुखबिर से सूचना मिली थी कि राजू नामदेव नामक व्यक्ति अपने पास बड़ी मात्रा में ब्राउन शुगर रखकर ब्राम्हणपारा के पास ग्राहक की तलाश कर रहा है। इस सूचना पर कोतवाली पुलिस की संयुक्त टीम तुरंत मौके पर पहुंचकर हुलिया बताए अनुसार मौजूद युवक को घेराबंदी कर धर-दबोचा। उसकी तलाशी लेने पर उसकेपास से 30.45 ग्राम ब्राउन शुगर बरामद किया। बरामद ब्राउन शुगर की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 6 लाख रूपये आंकी गई है।  पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह झारखंड से ब्राउन शुगर लाकर अंबिकापुर में खपाता था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की है। इस कार्रवाई में थाना प्रभारी कृष्णकांत सिंह, उप निरीक्षक अमित गुप्ता, आरक्षक संजीव चौबे, लाल भुवन सिंह, मुकेश पांडे, सीनू फिरदौसी, साइबर क्राइम सेल प्रभारी मनीष यादव, आरक्षक भोजराज पासवान, जयदीप सिंह, दीनदयाल सिंह, अमृत सिंह, वीरेंद्र पैकरा व महिला आरक्षक स्मिता रागिनी शामिल थीं।

क्या राजसात किए जा रहे वाहन को उसके मालिक की जानकारी में प्रयुक्त किया गया है?
Posted Date : 04-May-2019 1:29:56 pm

क्या राजसात किए जा रहे वाहन को उसके मालिक की जानकारी में प्रयुक्त किया गया है?

काले हीरे के काले कारोबार में पहाड़ी कोरवा की पि-कप जब्त, दोषी कौन ?
अपनों पे रहम, गैरों पे सितम की तर्ज पर वन कानून के रखवाले ?
न्यायसाक्षी/पत्थलगॉंव। विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित ‘‘कोयले में पि-कप जब्त‘‘, ‘‘आखिर कोयला लोड पि-कप का राज क्या है‘‘, जैसे शीर्षक से प्रकाशित समाचार की सच्चाई के तह तक जाने के प्रयास में जब हमारे संवाददाता परमवीर भाटिया द्वारा धरमजयगढ़ तहसील के ग्राम साजापाली के आश्रित ग्राम ‘‘आमानारा‘‘ में निवासरत देश के राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले पहाड़ी कोरवाओं से सम्पर्क किया और उक्त जब्त पि-कप के सम्बंध में जो जानकारी आई वो बेहद चौकाने वाली है। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार पि-कप स्वामी पहाड़ी कोरवा बागर साय पिता बिरजु राम कोरवा एवं गांव के अन्य कुछ जानकार व्यक्तियों द्वारा बताया गया कि लगभग चार पांच माह पूर्व बाकारूमा परिक्षेत्र के तेजपुर वन परिसर रक्षक विनोद तिग्गा द्वारा लालमाटी (तेजपुर) के वन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष उसत राम के साथ आकर गांव बागर साय कोरवा की पि-कप को किराये में वन क्षेत्रों से जब्ती लकडिय़ों की ढुलाई करने हेेतु मांगा गया, इनकार करने पर ये दोनों व्यक्ति कुछ दिनों बाद पुन: जब्ती लकडिय़ों ढुलाई (परिवहन) करने हेतु पि-कप वाहन मांगने लगे। तब पि-कप स्वामी बागर साय द्वारा अपने घर परिवार वालों से सलाह मशविरा कर गांव के कुछ व्यक्तियों के समक्ष पच्चास हजार माह में किराया तय कर दिनांक 27/10/2018 को उक्त कथित सफेद कलर की टाटा पीकप क्र0 सीजी13 - 3402 माडॅल वर्ष 2017 को उक्त वन रक्षक के विश्वास एवं भरोसे पर, और उनके झांसे में आकर, पचास हजार रूपये एडवांस बतौर लेकर उनके सुपुर्द कर दिया गया, इसके बाद पि-कप स्वामी द्वारा बार-बार फोन पर सम्पर्क कर, उक्त पि-कप के किराया का पैसा मांगे जाने पर भी नहीं दिया गया, बल्कि वर्दी के रौब में उक्त वन रक्षक द्वारा पि-कप स्वामी बागर साय को धमका दिया जाता था। बताया गया कि, वर्दी के रौब में उक्त वन रक्षक द्वारा बागर साय कोरवा को उसका उक्त पि-कप वाहन नहीं लौटाया गया, और पच्चास हजार रूपये शुरू में एक माह का एडवांस बतौर दिये जाने के बाद, से आज तक अन्य कोई रकम बतौर किराया नहीं दिया गया। 
क्या है प्रकरण
इस बीच बीते पांच अप्रैल को किसी मुखबिर की सूचना पर अवैध कोयला से लदे उक्त पि-कप वाहन को धरमजयगढ़ के एस.डी.एम. एन.के. चौबे द्वारा ग्राम तेजपुर के समीप पकड़ लिया गया, बताया तो यह भी गया है कि सामने से आ रही अवैध कोयला लोड उक्त पि-कप को जब एस.डी.एम. साहब द्वारा अपनी टीम के साथ रोकने की कोशिश की गयी, तब पि-कप चालक एस.डी.एम. साहब की वाहन को साइड कट मारते हुए निकल गया, उक्त पि-कप का पीछा जब एस.डी.एम. साहब द्वारा अपनी टीम के साथ किया गया, तब उक्त पि-कप का चालक एवं उसमे सवार अन्य लोग पि-कप को छोड़ खड़े कर भाग गये, जिसे एस.डी.एम. साहब द्वारा जब्त कर अग्रिम कार्यवाही हेतु वन विभाग के सुपुर्द कर दिया गया। पि-कप के चालक एवं उसमें सवार अन्य लोग के पकड़ में न आने के कारण पि-कप स्वामी एवं उसमें सवार आरोपियों का पता न चल सका। 
उक्त पि-कप स्वामी पहाड़ी कोरवा बागर साय ने बताया कि जब्ती कार्यवाही के अगले दिन 6 अप्रैल को उसका बयान धरमजयगढ़ के एस.डी.एम. साहब द्वारा रेंजर के समक्ष अपने कार्यालय में लिया गया है, जिसमें मैनें उक्त जब्ती पि-कप के सम्बन्ध समस्त बातें जो कि किराया के सम्बंध में थीं, सच-सच बता दी। यह भी कहा कि, पुन: इसके पश्चात् 11 अप्रैल को साहू रेंजर द्वारा ग्राम साजापाली के वन रक्षक परिसर में मुझे बुलवाकर उक्त जब्त पि-कप के सम्बंध में मेरा बयान लिया गया है, उसे भी मैंने मेरी पि-कप को वन रक्षक तिग्गा द्वारा किराये में लिये जाने बाबत् सारी बातें सच-सच बता दी है। 
‘‘अपनों पे रहम, गैरों पे सितम‘‘
सवाल यह उठता है कि उक्त पि-कप स्वामी बागर साय जो पहाड़ी कोरवा एवं जिसे देश के राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र की उपाधि से नवाजा गया है, जो बीहड़ ग्रामीण अंचल एवं पहॅुच विहिन क्षेत्रों में निवासरत है, जो सीधे-साधे एवं सरल स्वभाव के होकर अनपढ़ एवं अज्ञानी हैं, जिनके रग-रग में झूठ बोलने का कहीं कोई स्थान ही नहीं है, क्या उक्त गरीब पहाड़ी कोरवा द्वारा अपनी पि-कप वाहन से संबंधित उक्त बातें एस.डी.एम. व संबंधित रेंजर को दिये अपने बयान में कही गयी बातें सच्ची हैं, ऐसा पीडि़त पहाड़ी कोरवा के चेहरे से ही स्पष्ट झलक रहा था। लेकिन इस सम्बंध में कोई कार्यवाही का नहीं संदेह को जन्म देता है कि आखिर क्यों सही संज्ञान नहीं लिया गया।
ग्राम तेजपुर के जानकार कुछ ग्रामीणों द्वारा खाक़ी वर्दी से डरे सहमे होते हुए, दबी जुबान से बताया गया कि उक्त वन रक्षक विनोद तिग्गा करीब एक वर्ष से यहां पदस्थ हैं, तब से इनकी गतिविधियां संदिग्ध है। यह भी कहा कि, इनके शासकीय क्वार्टर में बाहर से आये अनाधिकृत व्यक्तियों का जमावड़ा रहता है, जिनसे उक्त नाकेदार द्वारा अवैध कार्यों को अंजाम दिया जाता है, ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि कोयले में जब्ती उक्त पि-कप नाका क्वार्टर के बगल में कई बार खड़े रहती थी, जिससे रात के अंधेरे में जंगल के काले कारोबार को अंजाम दिया जाता था, ग्रामीणों द्वारा यह भी बताया गया कि उक्त वन रक्षक द्वारा अपने सहयोगी उसतराम एवं अन्य कुछ व्यक्तियों के साथ जंगल में अवैध लकड़ी काटने वालों को पकड़ कर उन्हें जेल भेजने का भय दिखाकर, उनके हथियार जब्त कर, उनसे भारी भरकम राशि वसूल कर जब्त लकडिय़ों को शासकीय रिकार्ड में दर्ज न कर, उन्हें संबंधित वनमाफिया मित्रों को बिक्री कर दिया जाता है। दबी जुबान से गांव के ग्रामीणों द्वारा हमारे प्रतिनिधि को यह भी बताया गया कि यहां कोयले का काला कारोबार व लकडिय़ों की अवैध कटायी सब उक्त वन रक्षक विनोद तिग्गा से मिली भगत कर हो रही है। जानकार सूत्रों ने यह भी बताया कि यहां वन क्षेत्र से कोयला खोदने वाले लेबरों से पांच सौ रूपये प्रति ट्रिप, एवं लोड करने वाले वाहन पीकप व ट्रैक्टर से एक हजार रूपये प्रति ट्रिप उक्त वन रक्षक द्वारा लिया जाता है। यह काला कारोबार रात के अंधेरे में एवं कभी-कभी दिन के उजाले में भी सीजन भर किया जाता है, यहां का सारा कोयला आसपास क्षेत्रों के इंटा भट्टों में खपाया जाता है, जंगल के चारों ओर मुख्य मार्ग पर यहां ढाबों की गैर बसाहट है, जिनमें तस्करों का नेटवर्क चलता है, याने कि पकडऩे वाला कोई भी अधिकारी चारों ओर के किसी भी रास्ते से इन्हें पकडऩे की कोशिश यदि करेगा, तो तत्काल तस्करों को खबर हो जायेगी, एवं ये अपने सुरक्षित ठिकानों में पनाह ले लेंगे। यही कारण है कि उक्त काला कारोबार वन क्षेत्रों से धड़ल्ले से हो रहा है, जिसे रोक पाने का कार्य तत्काल प्रभाव से किया जाना चाहिए। 
‘‘सैंय्या भये कोतवाल, तो डर काहे का‘‘
इतना बेखौफ काला कारोबार एक वन रक्षक द्वारा वन माफिया एवं खनिज माफियाओं से साठ-गांठ कर धड़ल्ले से चलाया जा रहा है, एवं समाचार पत्रों के सुर्खियों में आने के बाद भी वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई संज्ञान न लिया जाना भी अनेक संदेहों को जन्म देता है, वैसे भी छोटी मोटी एवं साधारण शिकायतों पर अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को बचाने की भरसक कोशिश करते हैं।  सवाल यह उठता है कि उक्त जब्त पि-कप की निष्पक्ष जांच कर संबंधित अधिकारी क्या एक गरीब पहाड़ी कोरवा एवं राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र को न्याय दिला पायेगा ? क्या दोषियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही होगी? 
 
बाक्स्
वैसे भी भारतीय वन अधिनियम १९२७ के तहत् यह प्रमाणित किया जाना आवश्यक है कि आरक्षित वन में अपराध किया गया है। साथ ही यह भी कि वन अपराध में प्रयुक्त वाहन को राजसात किए जाने के पूर्व यह प्रमाणित किया जाना आवश्यक है कि क्या वाहन को उसके मालिक की जानकारी में प्रयुक्त किया गया है? ऐसे निष्कर्ष के अभाव में अधिग्रहण अथवा राजसात की कार्यवाही का आदेश न्यायोचित नहीं है, ऐसा निर्णय देवकीनंदन शर्मा वि0 प्राधिकृत अधिकारी एवं अपर वनमंडलाधिकारी वगै० में २०११ में माननीय उच्च-न्यायालय द्वारा दिया गया है।