नई दिल्ली ,02 जनवरी । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार सुबह कडक़ड़ाती ठंड रही। यहां का तापमान 6.5 डिग्री सेल्सियस रहा जो औसत तापमान से एक डिग्री नीचे है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार दिल्ली में वायु प्रदूषण अब भी बेहद गंभीर स्तर पर है।
दिल्ली के कुछ इलाकों में सुबह घना कोहरा रहा, दिन में आसमान मुख्य रूप से साफ रहेगा, जिसके बाद धुंध छाने के आसार हैं। अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। सुबह 8.30 बजे आद्र्रता का स्तर 86 फीसदी रहा।
वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान प्रणाली के मुताबिक, प्रदूषण का स्तर बेहद खराब से गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। प्रमुख प्रदूषक कणिका तत्व (पीएम) 2.5 और पीएम 10 के साथ सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक 432 रहा।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को मंगलवार को अधिकतम तापमान औसत से तीन डिग्री ऊपर 23 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ जबकि न्यूनतम तापमान औसत से तीन डिग्री कम 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।
0-आईटी एक्ट में बदलाव की तैयारी में सरकार
नई दिल्ली ,02 जनवरी । अश्लील सामग्री देने वालों पर सरकार सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 (आईटी एक्ट) में बदलाव की पूरी तैयारी कर ली है।
रिपोर्ट के मुताबिक चाइल्ड पोर्नोग्राफी और फर्जी खबरों को फैलाने वाले ऐप व साइट पर तुरंत कार्रवाई होगी और इन्हें तत्काल प्रभाव से बंद किया जाएगा। नए नियम के मुताबिक यदि कोई मोबाइल ऐप या वेबसाइट आईटीएक्ट के नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए जाते हैं तो उनके ऊपर 15 करोड़ तक का जुर्माना या पूरी दुनिया में होने वाली कमाई का 4 फीसदी जुर्माना लगेगा। वहीं आईटी एक्स 69ए के तहत सरकार किसी भी वेबसाइट और ऐप को बंद करने का आदेश दे सकती है। बता दें कि पिछले सप्ताह ही इस मामले को लेकर एक बैठक हुई थी जिसमें साइबर लॉ डिवीजन, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, ऑइंटरनेट सेवा प्रदाता संघ के एक अधिकारी, गूगल, फेसबुक, व्हाट्सऐप, अमेजॉन, याहू, ट्विटर, शेयरचैट और सेबी के प्रतिनिधियों शामिल थे। इस अधिनियम के लागू होने के बाद किसी भी मामले पर सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार को 72 घंटों के भीतर जानकारी देनी होगी।
नई दिल्ली ,02 जनवरी । जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रवीण तिवारी 30 साल के एक पीएचडी स्कॉलर की चट्टान की चोटी से नीचे गिरने की वजह से मौत हो गई। वह अपने दोस्त के साथ कैंपस के पास स्थित पार्थसारथी रॉक्स घूमने गए थे। एक वायरल विडियों के मुताबिक प्रवीण तिवारी संकरी चट्टानों पर चढ़ते दिख रहे हैं। बीच-बीच में वह विडियो बना रहे दोस्त से बातचीत भी करते हैं। वह तिवारी को बार-बार संभलकर आगे बढऩे को भी कह रहा है। विडियो में तिवारी दोस्त को बताते भी हैं कि चट्टान कठोर दिख रही है, लेकिन असल में वह वैसी है नहीं।
इसके कुछ देर बाद ही तिवारी का बैलेंस बिगड़ जाता है और वह नीचे गिर जाते हैं।
तिवारी के दोस्त ने सबसे पहले हॉस्टल को इसबारे में जानकारी दी थी। फिर उन्होंने पुलिस को बुलाया। तिवारी को पास के एक हॉस्पिटल में लेकर जाया गया था, जहां उन्हें पहले से मृत घोषित कर दिया गया।
मिली जानकारी के मुताबिक, तिवारी मध्यप्रदेश के जबलपुर के रहनेवाले थे। पिछले 6 सालों से वह दिल्ली में रहकर ही पढ़ रहे थे। पुलिस ने बताया कि तिवारी सोशल स्टडीज में पीएचडी कर रहे थे और जेएनयू के ब्रह्मपुत्र हॉस्टल में रहते थे।
0-राफेल मामला
नई दिल्ली ,02 जनवरी । राफेल केस में सरकार को क्लीन चिट मिलने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने वकील प्रशांत भूषण के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट से राफेल केस पर अपने फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया है। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर को अपने फैसले में साफ कहा था कि राफेल डील में उसे कोई अनियमितता नजर नहीं आई है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील को देश की जरूरत बताते हुए इसके खिलाफ सारी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कांग्रेस पार्टी के लिए एक झटके के तौर पर देखा गया क्योंकि विपक्षी पार्टी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही थी। दरअसल, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने यूपीए की तुलना में तीन गुना अधिक कीमत देकर राफेल विमान का सौदा किया है।
याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार अर्जी के लिए खुली अदालत में मौखिक सुनवाई करने का अनुरोध किया है। याचिका के अनुसार राफेल पर हाल के फैसले में कई त्रुटियां हैं। यह फैसला सरकार द्वारा किए गए गलत दावों पर आधारित है, जो सरकार ने बिना हस्ताक्षर के सीलबंद लिफाफे में दिया था और इस तरह से स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।
याचिका में इस बात का भी जिक्र है कि मामले में फैसला सुरक्षित रखने के बाद कई नए तथ्य सामने आए हैं, जिससे मामले की तह तक जाने की जरूरत है। तीनों याचिकाकर्ताओं ने 14 दिसंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जाहिर की है। तीनों ने कहा, राफेल पर सीएजी की कोई भी रिपोर्ट न तो सबमिट की गई और न उसकी जांच हुई। ऐसे में यह चौंकाने वाली बात है कि फैसला सीएजी रिपोर्ट के बारे पूरी तरह से गलत सूचना पर दिया गया।
नई दिल्ली,02 जनवरी । हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के तीन राज्यों में हार और लोकसभा चुनाव से पहले के अंतिम महाधिवेशन में बीजेपी लाइन ऑफ ऐक्शन तय करेगी। इस महाधिवेशन में पार्टी की कार्यकारिणी के सदस्यों, राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के अलावा सभी जनप्रतिनिधियों को भी बुला रही है ताकि चुनाव के वक्त कार्यकर्ताओं में लाइन ऑफ ऐक्शन को लेकर किसी तरह का भ्रम न हो।
इसके अलावा पार्टी यह भी चाहती है कि चुनाव से पहले के इस कार्यक्रम के जरिए कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा जाए ताकि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से हुई निराशा को धोया जा सके। 11 और 12 जनवरी को होने वाले इस कार्यक्रम में देशभर से लगभग 12 हजार पार्टी नेता शामिल होंगे। इनमें जनप्रतिनिधियों के अलावा संगठन के नेता भी शामिल हैं।
चूंकि इस राष्ट्रीय परिषद में सभी जनप्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है इसलिए यह एक तरह से महाधिवेशन की तरह ही है। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भी इसी तरह का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया गया था। हालांकि उसमें इतनी बड़ी तादाद में कार्यकर्ताओं को शामिल नहीं किया गया था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने रणनीति बनाई है कि महाधिवेशन में पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर रहे और जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं तक सीधे यह संदेश जाए कि पार्टी किस लाइन पर चुनाव लडऩे जा रही है।
यह भी तय किया जाएगा कि कांग्रेस पर किस तरह से हमलावर रहना है और राफेल पर कांग्रेस के प्रचार की किस तरह से काट की जानी है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इसके लिए राजनीतिक प्रस्ताव भी लाया जाएगा और इस प्रस्ताव के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि देश में पीएम नरेंद्र मोदी के मुकाबले का नेता किसी भी विपक्षी दल के पास नहीं है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि यूपी के कार्यकर्ताओं को यह बताया जाएगा कि अगर एसपी और बीएसपी के बीच गठबंधन होता है तो किस तरह से चुनाव लड़ा जाए ताकि 50 फीसदी वोट हासिल करने का टारगेट पूरा किया जा सके।
0-मेघालय खनिक मामला
नई दिल्ली ,02 जनवरी । मेघालय में फंसे 13 खनिकों का कोई सुराग न मिलने के बाद अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। मिली जानकारी के अनुसार खनिकों का लगभग 20 दिन बाद तक कोई पता नहीं लग सका है, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में मेंशन किया गया है। अब गुरुवार को दो जजों की बेंच इसकी सुनवाई करेगी। इन जजों में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि एक वकील ने इस केस को सुप्रीम कोर्ट में मेंशन कर खनिकों को बाहर निकालने के लिए उचित व्यवस्था की मांग की थी। जिसके तहत जरूरी मैनपावर और सामान दिया जाए। दरअसल, खदान में पानी का जलस्तर काफी ज्यादा है, जिसकी वजह से गोताखोरों को अंदर जाने में परेशानी हो रही है। ज्यादा प्रेशर वाले पंप भी मांगे गए थे। अबतक मामले में प्रशासन को कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली है। 28 दिसंबर के ऑपरेशन में खोजी दल सिर्फ तीन हेलमेट निकालने में सफल हुआ था।
बता दें कि ये खनिक 13 दिसंबर को एक कोयला खदान में फंस गए थे, जिन्हें अबतक निकाला नहीं जा सका है। एनडीआरएफ कई मौकों पर पर्याप्त सामान न होने की बात कह चुकी है। इस मामले का राजनीतिकरण भी हो चुका है। कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी पार्टियों ने मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर पीएम पर निशाना भी साधा था।