नई दिल्ली ,09 जनवारी । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बारिश के बाद प्रदूषण में तो कमी जरूर आई लेकिन कोहरे ने परेशान करना शुरू कर दिया। अब एक बार फिर इस वीकेंड पर दिल्ली-एनसीआर में बारिश की संभावनाएं बनी हुई हैं।
मौसम विभाग के बुधवार के लिए कोहरे का यलो अलर्ट जारी किया था यानी सुबह के समय मध्यम स्तर का कोहरा राजधानी वालों को परेशान कर सकता है। आज सुबह कई जगहों पर कोहरा देखने को मिला। मंगलवार को दिनभर ठंडी हवाएं चलती रहीं जिसकी वजह से अधिकतम तापमान में गिरावट आई। अधिकतम तापमान 19.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 7 डिग्री रहा। बुधवार को तापमान 20 और 7 डिग्री के आसपास रह सकता है। हवा में नमी का स्तर अब भी 63 से 100 प्रतिशत तक बना हुआ है। मौसम एक्सपर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में पिछले दिनों हुई बर्फबारी के बाद उत्तर से ठंडी हवाएं राजधानी पहुंच रही थीं। इसकी वजह से दिन और रात के तापमान में हल्की गिरावट आई थी।
इस बीच एक नया वेस्टर्न डिस्टर्बेंस जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हो गया है। इसकी वजह से मंगलवार को हवाओं की दिशा में बदलाव हुआ है। ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाओं की जगह अब पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी हवाएं राजधानी आ रही हैं जिसकी वजह से बुधवार से तापमान में हल्का इजाफा होगा। वहीं 10 से 13 जनवरी के बीच यह सक्रिय वेस्टर्न डिस्टर्बेंस उत्तर के पहाड़ों के पास आएगा और इसकी वजह से हवाएं बाधित होंगी जिसकी वजह से सर्दी कम होगी। इस दौरान 12 और 13 जनवरी को हल्की बारिश की संभावना भी बनी हुई है जिसके बाद वेस्टर्न डिस्टर्बेंस कश्मीर से आगे बढ़ जाएगा। इसके बाद तापमान में गिरावट आएगी और कोहरा फिर घना होगा।
नईदिल्ली ,08 जनवारी । पश्चिम बंगाल में भाजपा रथ यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को नोटिस भेजा है. रथ यात्रा को लेकर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी.
इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कुछ शर्तों के साथ बीजेपी को रथ यात्रा की इजाजत दी थी. बाद में ममता बनर्जी की सरकार ने सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच के सामने चुनौती दी थी. कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इंटेलिजेंस रिपोर्ट का हवाला देते हुए रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी. प्रदेश में भाजपा की रथ यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को नोटिस भेजा है. रथ यात्रा को लेकर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी.
पिछले महीने कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने रथ यात्रा की इजाजत पर स्टे लगा दिया था. इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कुछ शर्तों के साथ बीजेपी को रथ यात्रा की इजाजत दी थी. बाद में ममता बनर्जी की सरकार ने सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच के सामने चुनौती दी थी. कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इंटेलिजेंस रिपोर्ट का हवाला देते हुए रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी. बता दें कि बीजेपी को पिछले दिनों रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी गई थी. ममता बनर्जी सरकार की दलील थी कि रथ यात्रा से साम्प्रदायिक तनाव हो सकता है.
राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस की ओर से पेश हुए वकील आनंद ग्रोवर ने दलील दी थी कि बीजेपी की रथ यात्रा की व्यापकता को लेकर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी कुछ जिलों में सभाएं कराना चाहती है तो इसकी इजाजत दी जा सकती है, लेकिन इतने व्यापक स्तर की रैलियों को मंजूरी नहीं दी जा सकती.
श्रीनगर ,08 जनवारी । पुलवामा में मंगलवार को सेना के गश्ती दल पर आतंकवादियों के हमला करने के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है और तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। इस बीच इंटरनेट सेवाओं को सस्पेंड कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि आतंकवादियों ने गश्त पर निकले सुरक्षा बलों के एक दल पर हमला कर दिया। दोनों ओर से गोलीबारी के बाद आतंकवादी इलाके में छिप गए। सुरक्षा बलों ने हमलावरों को पकडऩे के लिए इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में ही शनिवार को आतंकियों और सेना के बीच मुठभेड़ हो गई थी।
गौरतलब है कि गुरुवार को भी सेना ने मुठभेड़ में तीन आतंकियों को मार गिराया था। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा है कि सुरक्षा बलों को पुलवामा के अरिपल गांव में आंतकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। उसके आधार पर शनिवार सुबह घेराबंदी और खोज अभियान चलाया गया। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की ओर से गोलीबारी किए जाने के बाद सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की।
0-अंशु प्रकाश के साथ मारपीट का मामला
नईदिल्ली ,08 जनवारी । दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को राहत देते हुए सीएम पद से तुरंत हटाने की मांग को खारिज कर दी है. दरअसल अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के मामले में चार्जशीट आने के बाद केजरीवाल को तुरंत पद से हटाने की मांग की गई थी.
ज्ञात हो कि पिछले साल दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश से सीएम आवास पर मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी.
इस चार्जशीट में केजरीवाल और सिसोदिया समेत आप के 11 विधायकों को भी आरोपी बनाया गया है. पूरे मामले में अरविंद केजरीवाल के पूर्व सलाहकार वीके जैन को मुख्य सरकारी गवाह बनाया गया है. बीती 18 मई को दिल्ली पुलिस ने इस मामले में केजरीवाल से भी 3 घंटे से ज्यादा पूछताछ की थी.
क्या हुआ था उस रात
19 फरवरी 2018 की रात सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने सरकारी बंगले पर कुछ योजनाओं पर चर्चा के लिए मीटिंग बुलाई थी. इसमें चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश भी शामिल हुए थे. अंशु प्रकाश का आरोप है कि विवाद एक विज्ञापन पास कराने को लेकर शुरू हुआ था. उन पर दबाव डाला गया कि विज्ञापन के लिए बजट पास किया जाए. जब उन्होंने इससे इनकार कर दिया तो आप के दो विधायकों प्रकाश जरवाल और अमानतुल्लाह ख़ान ने उन्हें कंधे पर हाथ रखकर ज़बरदस्ती वहीं बैठा दिया. इसके बाद दोबारा उन्होंने उठने की कोशिश की तो उनके साथ मारपीट की गई. चार्जशीट के मुताबिक उनके गाल पर थप्पड़ मारे गए और पीठ पर भी घूंसे मारे और गलियां दी गई.
अंशु प्रकाश ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से इस मामले की शिकायत की थी जिसके बाद एफआईआर दर्ज कराई गई थी. दिल्ली पुलिस के एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया था कि जिस मीटिंग में चीफ सेक्रेटरी के साथ मारपीट हुई, वो मुख्यमंत्री के बंगले के कैंप ऑफिस में नहीं बल्कि ड्रॉइंग रूम में हुई थी. जांच के दौरान सीएम हाउस से जब्त किए गए सीसीटीवी के साथ छेड़छाड़ की गई थी, उनकी टाइमिंग अलग थी.
बीजापुर, 08 जनवरी । छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के एक गांव में रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून .. रहीम की ये पंक्ति पानी की महत्ता को दर्षा रही है कि यदि पानी नहीं रहेगा तो कुछ भी नहीं रहेगा, लेकिन जब पानी अमृत के बजाए जहर बन जाए तो पूरा जीवन अपंगता की ओर बढ़ चलता है। यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। बीजापुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किमी दूर भोपालपट्नम में स्थित छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव जहां पर युवा 25 वर्श की आयु में ही लाठी लेकर चलने को मजबूर हो जाते हैं और 40 साल के पड़ाव में प्रकृति के नियम के विपरित बुढ़े होने लग जाते हैं। यहां 40 फीसदी लोग उम्र से पहले ही या तो लाठी के सहारे चलने लगते हैं या तो बुढ़े हो जाते हैं। इसकी वजह कोई षारीरिक दोश नहीं बल्कि यहां के भूगर्भ में ठहरा पानी है, जो इनके लिए अमृत नहीं बल्कि जहर साबित हो रहा है। यहां के हैंडपंपों और कुओं से निकलने वाले पानी में फलोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण पूरा गांव का गांव समय से पहले ही अपंगता के साथ-साथ लगातार मौत की ओर बढ़ रहा हैं। षुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण मजबूरन आज भी यहां के लोग फलोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं, बावजूद षासन-प्रषासन मौत की ओर बढ़ रहे इस गांव और ग्रामीणों की ना तो सुध ले रहा है ना ही इस खतरनाक हालात से बचने के लिए कोई कार्ययोजना तैयार करता नजर आ रहा है, जबकी इस गांव में आठ वर्श के उम्र से लेकर 40 वर्श तक का हर तीसरे व्यक्ति में कुबड़पन, दांतों में सडऩ, पीलापन और बुढ़ापा नजर आता है। प्रषासन ने यहां तक सडक़ तो बना दी पर विडंबना तो देखिए कि सडक़ बनाने वाले प्रषासन की नजर इन पीडि़तों पर अब तक नहीं पड़ पाई।
यहां के सेवानिवृत्त षिक्षक तामड़ी नागैया, जनप्रतिनिधि नीलम गणपत और फलोराइय युक्त पानी से पीडि़त तामड़ी गोपाल का कहना है कि गांव में पांच नलकूप और चार कुएं हैं, इनमें से सभी नलकूपों और कुओं में फलोराइड युक्त पानी निकलता है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने सभी नलकूपों को सील कर दिया था लेकिन गांव के लोग अब भी दो नलकूपों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर व्यक्ति षहर से खरीदकर पानी नहीं ला सकता है, इसलिए यही पानी पीने में इस्तेमाल होता है। यही नहीं बल्कि गर्मी के दिनों में कुछ लोग तीन किमी दूर इंद्रावती नदी से पानी लाकर उबालकर पीते हैं। इनमें से तामड़ी नागैया का कहना है कि यह समस्या पिछले तीस सालों से ज्यादा बढ़ी है, क्योंकि तीस साल पहले तक यहां के लोग कुएं का पानी पीने के लिए उपयोग किया करते थे, परंतु जब से नलकूपों का खनन किया गया तब से यह समस्या विराट रूप लेने लगा और अब स्थिति ऐसी है कि गांव की 40 फ ीसदी आबादी 25 वर्श की उम्र में लाठी के सहारे चलने , कुबड़पन को ढोने और 40 वर्श की अवस्था में ही बुढ़े होकर जीवन जीने को मजबूर है। यहां पर लगभग 60 फीसदी लोगों के दांत पीले होकर सडऩे लगे हैं। बताया जा रहा है कि यह पूरा गांव भू गर्भ में स्थित चट्टान पर बसा हुआ है और यही वजह है कि पानी में फलोराइड की मात्रा अधिक है और इस भू गर्भ से निकलने वाला पानी यहां के ग्रामीणों के लिए जहर बना हुआ है।
जनकार बताते हैं कि वन पार्ट पर मिलियन यानि पीपीएम तक फलोराइड की मौजूदगी इस्तेमाल करने लायक है, जबकि पीपीएम को मार्जिनल सेप माना गया है। डेढ़ पीएम से अधिक फलोराइड की मौजूदगी को खतरनाक माना गया है और गेर्रागुड़ा में डेढ़ से दो पीपीएम तक इसकी मौजूदगी का पता चला है और लोगों पर इसका खतरनाक असर साफ नजर आ रहा है। इस समस्या से निजात पाने के लिए एक साल पहले पीएचई विभाग ने इस गांव में एक ओवरहेड टैंक का निर्माण कर गांव के हर मकान तक पाइप लाइन विस्तार के साथ नल कनेक्षन भी दे रखा है, परंतु प्रषासन की लापरवाही के चलते आज पर्यंत तक पाइप लाइन के सहारे घरों में मौजूद नल कनेक्षनों में षुद्ध पेयजल की सप्लाई करने में प्रषासन और विभाग असफल रहा है। परिणामस्वरूप गांव के संपन्न लोग किसी तरह भोपालपटनम स्थित वाटर प्लांट से षुद्ध पेयजल खरीदकर पीने में उपयोग तो कर लेते हैं, परंतु गरीब तबके के लोग अब भी फलोराइड युक्त पानी पीकर जवानी में ही बुढ़ापे को समय से पहले पाने को मजबूर हैं।
लगाया गया था कैम्प,किया ईलाज—सीएमएचओ
इस मामले में सीएमएचओ डॉ बीआर पुजारी का कहना है कि ग्रामीणों के षिकायत के बाद गांव में कैम्प लगाकर लोगों का इलाज किया गया था और कुछ लोगों को बीजापुर भी बुलाया गया था, चूंकि इस गांव के पानी में फलोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण हड्डियों में टेड़ापन, कुबड़पन और दांतों में पीलेपन के साथ सडऩ की समस्या आती है। जिसका इलाज सिर्फ षुद्ध पेयजल से ही हो पाएगा। षिकायत के बाद गांव के अधिकांष हैंडपंपों को सील करवा दिया गया था।
पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी पंचायत की—ईई पीएचई
वही फलोराइड समस्या के निदान के लिए पीएचई द्वारा निर्मित वाटर ओवरहेड टैंक से पेयजल आपूर्ति ना होने की बात पर ईई जगदीष कुमार का कहना है कि विभाग द्वारा टैंक के निर्माण पष्चात् पंचायत को हैण्डओवर किया जा चुका है। पेयजल आपूर्ति षुरू करने की जिम्मेदारी अब पंचायत की है फिर भी अगर पानी की सप्लाई नहीं की जा रही है तो विभाग इसे अवष्य संज्ञान में लेगा।
नयी दिल्ली ,07 जनवारी । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केन्द्र से उस याचिका के संबंध में जवाब तलब किया जिसमें आरोप लगाया गया कि शीर्ष अदालत द्वारा आईटी कानून की धारा 66ए को समाप्त किए जाने के बावजूद इसके तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं। समाप्त की गई धारा के तहत किसी भी व्यक्ति को वेबसाइट पर कथित तौर पर ‘‘अपमानजनक’’ सामग्री साझा करने पर गिरफ्तारी का प्रावधान था। इसे 24 मार्च 2015 को शीर्ष अदालत ने समाप्त कर दिया था। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा कि आईटी कानून की धारा 66ए को समाप्त करने के उसके आदेश का उल्लंघन किया गया तो संबंधित अधिकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा। स्वयं सेवी संगठन ‘पीयूसीएल’ के वकील संजय पारिख ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा आईटी कानून की धारा 66ए को 2015 में समाप्त किए गए जाने के बावजूद इसके तहत 22 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।