नई दिल्ली ,21 जनवरी । राजधानी दिल्ली निवासी दो दिन से जनवरी के मौसम में भी गर्मी का अहसास कर रहे हैं। रविवार को अधिकतम तापमान 28.7 डिग्री को छू गया। यह सामान्य से 7 डिग्री अधिक है। बारह वर्षों में जनवरी इतना गर्म कभी नहीं था। अनुमान है कि आज बूंदाबांदी शुरू होगी, जिससे सर्दी बढ़ेगी।
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की सक्रियता की वजह से सोमवार से बूंदाबांदी शुरू होगी जो 26 जनवरी तक जारी रहेगी। हालांकि, इस दौरान एक-दो दिन हल्की बारिश के भी आसार हैं। बारिश आज शाम से शुरू हो सकती है जिससे तापमान में कमी आएगी।
आज तापमान 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है। 21 से 23 जनवरी तक हल्की बूंदाबांदी अधिकतम तापमान को वापस 20 से 21 डिग्री सेल्सियस पर लाएंगी। 25 और 26 जनवरी को हल्की बूंदाबांदी की संभावनाएं जताई गई हैं। तेज हवाएं भी चल सकती हैं।
नईदिल्ली,20 जनवरी । दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी ने 26 जनवरी के मौके पर उन 20 बहादुर बच्चों की मदद के लिए हस्तक्षेप किया है। गौर करने वाली बात है कि इस बार ये 20 बहादुर बच्चे गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। केंद्र सरकार ने 1957 से 20 बहादुर बच्चों को सम्मानित करने वाले एनजीओ इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर (आईसीसीडब्लू) से खुद को अलग कर लिया है। लेकिन इस एनजीओ पर वित्तीय अनियमितता के आरोप के बाद सरकार ने इस बार खुद वीर बच्चों का चयन किया है।
दिल्ली में बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि तिवारी ने केंद्र सरकार के अधिकारियों से इस बारे में बातचीत की है। मनोज तिवारी ने शनिवार को पीएमओ, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को टैग करते हुए ट्वीट किया, मैं इन मासूम, बहादुर बच्चों के लिए भावुक हो गया हूं। हमें इन बहादुरों से मिलना अच्छा लगेगा। यह दुख की बात है कि एक संदिग्ध एनजीओ की वजह से इन बच्चों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि एनजीओ पर कुछ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं और दिल्ली हाई कोर्ट में इसकी जांच चल रही है। मंत्रालय की तरफ से यह भी स्पष्ट किया गया कि केंद्र सरकार ने अपने नए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार अवॉर्ड शुरू किए गए हैं, जिसके लिए पहले से ही 26 बच्चे चुने जा चुके हैं।
एनजीओ की तरफ से जिन बच्चों को अवॉर्ड मिल रहा है, वो इस बार गणतंत्र दिवस परेड कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। इन बच्चों को इसकी काफी निराशा भी है। एनजीओ के पास भी इस बात की कोई योजना नहीं है कि इन बच्चों को कैसे सम्मानित किया जाएगा।
0-शिवराज बोले-कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त
भोपाल,20 जनवरी । मध्य प्रदेश में एक और बीजेपी नेता की हत्या ने पूरे सूबे की कानून-व्यस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। पिछले दिनों ही मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में एक बीजेपी नेता सहित दो लोगों की हत्या हुई थी। उधर, रविवार को एक और बीजेपी नेता मनोज ठाकरे की हत्या के बाद बीजेपी ने सूबे की कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो टूक कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। उन्होंने कमलनाथ सरकार को चेतावनी दी कि अगर जल्द अपराध नहीं पकड़े गए तो बीजेपी सडक़ पर उतरकर आंदोलन करेगी।
वलवाड़ी के एसएपी ने बताया कि बीजेपी नेता मनोज ठाकरे का शव एक खेत में मिला है। पुलिस के मुताबिक, वह मॉर्निंग वॉक पर गए थे। पुलिस को शव के पास खून से सना पत्थर मिला है। ऐसे में माना जा रहा है कि पत्थर से उनकी हत्या की गई है।
बता दें कि इंदौर में कारोबारी संदीप अग्रवाल और मंदसौर में नगर पालिकाध्यक्ष व बीजेपी नेता प्रहलाद बंधवार की पिछले दिनों गोली मारकर हत्या कर दी गई। इन हत्याओं के बाद भी शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर निशाना साधा था। चौहान ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर अग्रवाल बंधवार की हत्या को राज्य की लचर कानून-व्यवस्था को दर्शाने वाला बताया था। चौहान ने आरोप लगाया था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आते ही आपराधिक तत्वों को राजनीतिक संरक्षण मिलना प्रारंभ हो गया है, अपराधियों के हौसले बुलंद और पुलिस के हौसले ध्वस्त हैं।
गंभीर मामला, कांग्रेस कर रही क्रूर मजाक
अब एक और बीजेपी नेता की हत्या के बाद कमलनाथ सरकार फिर बीजेपी के निशाने पर है। शिवराज सिंह चौहान ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, एक के बाद एक बीजेपी नेताओं की हत्या होना बहुत गंभीर मामला है। कांग्रेस इसको सतही तौर पर लेकर क्रूर मजाक कर रही है। गृह मंत्री के गृह जिले में सरेआम भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष मनोज ठाकरे को मार दिया गया।
बंधवार की हत्या के मामले में सीबीआई जांच की मांग
बीजेपी नेता बंधवार की हत्या के मामले में शिवराज ने सीबीआई जांच की मांग की है। रविवार को एक ट्वीट में शिवारज ने लिखा, प्रह्लाद बंधवार की 25 हजार रुपये के लिए हत्या का तर्क गले नहीं उतर रहा है। इसके पीछे किसी गहरे षड्यंत्र की आशंका है। इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। अपराधी बेखौफ हो गए हैं, लोग सरेआम मारे जा रहे हैं। क्या कांग्रेस का नारा वक्त है बदलाव का ऐसा ही वक्त लाने के लिए था?
नई दिल्ली ,20 जनवरी । राजधानी दिल्ली में 174 ऐसे स्मारक हैं जो केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित हैं। इनमें से 13 स्मारक गायब हो गए हैं। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया अपनी आधिकारिक मिसिंग लिस्ट को अपडेट करने में नाकामयाब रहा है। एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने खुलासा किया कि इनमें से कई जगहों का पता लगा लिया गया या फिर इनका नाम दो नोटिफिकेशनस के चलते पहली बार गलत लिखा गया था।
सूत्रों के मुताबिक, 2014 में एआई के दिल्ली सर्किल द्वारा तैयार की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मिसिंग लिस्ट में से कम से कम 4 स्मारक मिल गए हैं। लेकिन अभी तक ऑफिशल लिस्ट में यह जानकारी अपडेट नहीं की गई है। गायब हुए स्मारकों को पता लगाने की कवायद तब शुरू हुई जब कंपट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ने राष्ट्रीय धरोहरों के खराब देखरेख के लिए एएसआई को लताड़ा।
गायब हुए स्मारकों को दिल्ली सर्किल और मिनी-सर्किल के बीच बांट दिया गया। दिल्ली सर्किल में 4 गायब स्मारक लिस्टेड हैं। इनमें निजामुद्दीन में तीन गुंबदों वाला एक मकबरा, महरौली में शम्सी तालाब के नाम से जाने वाली एक मस्जिद और मुनिरका में दो अनाम मस्जिद शामिल हैं। वहीं मिनी सर्किल में गायब हुए एएसआई स्मारकों की संख्या 9 है। इनमें शेर शाह की दिल्ली के मोती गेट समेत नजफगढ़ के पास फूल चादर, अलीपुर कब्रिस्तान, बाराखंभा कब्रिस्तान और निकोलसन की मूर्ति समेत दूसरे स्मारक शामिल हैं।
इस दौरान इनमें से कुछ जगहों को मिसिंग लिस्ट से हटा दिया गया है। एक अधिकार ने बताया, जोगाबाई टीला मिसिंग के तौर पर लिस्टेड था, लेकिन एआई ने शाहीन बाग के सघन इलाके में इसका पता लगा लिया। इसे चिन्हित किया गया और फिर लिस्ट से हटा दिया गया। निजामुद्दीन में नीली छतरी को भी इसी तरह लिस्ट से हटाया गया और चिन्हित किया गया।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि कई ऐसे स्मारक हैं जिनकी पहचान कर ली गई है और उन्हें लिस्ट से हटाने की जरूरत है। एआई के अधिकार ने कहा, गोल्फ कोर्स के अंदर तीन गुंबदों वाले एक मकबरा है। मोती और शेर शाह गेट ड्यूल नोटिफिकेशन वाले एक ही स्मारक हैं। इसी तरह, शम्सी तालाब और हौज-ए-शम्सी के लिए भी ड्यूल नोटिफिकेशन जारी हुईं थीं। निकोलसन की मूर्ति आयरलैंड में है और इसका पता लगा लिया गया है। केंद्र ने 1960 के दशक में इसे तोहफे में दिया था। निकोलसने के प्राइमरी स्कूल में आज यह मूर्ति लगी हुई है। कुछ स्मारक जो सही में गायब हैं, उनमें फूल चादर और इंचा वाली गुमटी शामिल हैं।
गांधीनगर ,19 जनवरी । गुजरात दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह अपनी मां से मुलाकात की है. गांधीनगर में मोदी अपनी मां हीरा बेन से मिले. पीएम मोदी सुबह नौ बजकर चार मिनट पर मां से मिलने घर पहुंचे. उन्होंने अपनी मां के साथ लगभग आधे घंटे का वक्त बिताया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने घर के बाकी सदस्यों से भी मुलाकात कर उनका हाल-चाल पूछा.
इसके बाद वो यहां से हजीरा के लिए निकल गए. पीएम मोदी आज हजीरा में देश में बनी होवित्जर तोप के-9 वज्र देश को सौपेंगे. बता दें कि पीएम मोदी जब भी गांधीनगर में होते हैं तो वो समय निकालकर मां से मिलने जरूर जाते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाइब्रेंट गुजरात समिट के सिलसिले में शुक्रवार से गांधीनगर में हैं. वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन गांधीनगर में 17 से 20 जनवरी तक किया जा रहा है. सम्मेलन में कई देशों के कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहे हैं. हालांकि, लेकिन इसमें पाकिस्तान की भागीदारी नहीं होगी.
0-जेएनयू नारेबाजी
नईदिल्ली ,19 जनवरी । जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 10 छात्रों के खिलाफ कथित देशद्रोह के मामले में दिल्ली की अदालत ने पुलिस को फटकार लगाई है. कोर्ट ने पुलिस से दिल्ली सरकार से मंजूरी लिए बिना चार्जशीट दायर करने पर सवाल खड़े किए.
इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, आपके पास लीगल डिपार्टमेंट की मंजूरी नहीं है. आपने सरकार की अनुमति के बिना चार्जशीट कैसे दाखिल कर दी. इस पर दिल्ली पुलिस ने बताया कि 10 दिन के अंदर दिल्ली सरकार से चार्जशीट के लिए ज़रूरी मंजूरी मिल जाएगी.
दरअसल देशद्रोह के मामले में सीआरपीसी के सेक्शन 196 के तहत जब तक सरकार मंजूरी नहीं दे देती, तब तक कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नहीं ले सकता.
दरअसल दिल्ली पुलिस ने यहां पटियाला हाउस कोर्ट में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 1200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल करते हुए कहा कि वह परिसर में एक कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे और उन पर फरवरी 2016 में यूनिवर्सिटी कैंपस में देश विरोधी नारों का समर्थन करने का आरोप है.
पुलिस ने कोर्ट के सामने दावा किया था कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार ने सरकार के खिलाफ नफरत और असंतोष भडक़ाने के लिए 2016 में भारत विरोधी नारे लगाए थे. पुलिस ने आरोपपत्र में कई गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा है कि नौ फरवरी 2016 को यूनिवर्सिटी कैंपस में कन्हैया प्रदर्शनकारियों के साथ चल रहे थे और काफी संख्या में अज्ञात लोग नारेबाजी कर रहे थे.
गौरतलब है कि संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरू को दी गई फांसी की बरसी पर कैंपस में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. आरोपपत्र के मुताबिक गवाहों ने यह भी कहा कि कन्हैया घटनास्थल पर मौजूद था, जहां प्रदर्शनकारियों के हाथों में अफजल के पोस्टर थे. अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि कन्हैया ने सरकार के खिलाफ नफरत और असंतोष भडक़ाने के लिए खुद ही भारत विरोधी नारे लगाए थे.
इसमें कहा गया है कि एजेंसी ने जिन साक्ष्यों को शामिल किया है, उनमें जेएनयू की उच्चस्तरीय कमेटी, जेएनयू के कुलसचिव भूपिंदर जुत्सी का बयान और मोबाइल फोन रिकार्डिंग (जिसमें कुमार को कार्यक्रम के रद्द होने को लेकर बहस करते सुना गया) शामिल है. इसमें कहा गया है, कन्हैया ने उनसे (जुत्सी) से यह भी कहा कि इजाजत के बगैर भी कार्यक्रम करेंगे.
पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के बारे में कहा कि उन्होंने भारत विरोधी नारे लगाए थे. आरोपपत्र में कहा गया है कि कई वीडियो में उमर खालिद को नारे लगाते देखा गया है, जिससे उसकी मौजूदगी की पुष्टि हुई है. उसके मोबाइल फोन की लोकेशन का भी बतौर साक्ष्य इस्तेमाल किया गया. वहीं रामा नागा के बारे में आरोपपत्र में कहा गया है कि उसने आरएसएस के खिलाफ भाषण दिए थे.
इस मामले में करीब तीन साल बाद आरोपपत्र दाखिल करने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस तरह के मामलों में आमतौर पर इतना वक्त लग जाता है क्योंकि इसके तहत देश भर में जांच की गई और इसमें ढेर सारे रिकार्ड तथा सबूत शामिल थे.