0-केरल सरकार का हाई कोर्ट को सुझाव
कोच्चि । केरल सरकार ने चार महिला श्रद्धालुओं की ओर से दिए गए सुझाव को हाई कोर्ट तक पहुंचाते हुए कहा है कि सबरीमाला पूजन के लिए दो दिन खासकर महिलाओं के लिए निर्धारित किए जाएं। वार्षिक पूजन के लिए निर्धारित दिनों में से केवल महिलाओं के लिए दो दिन तय करने के सुझाव को लेकर अब कोर्ट फैसला लेगा।
कोर्ट को यह सुझाव राज्य अटॉर्नी केवी सोहन ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दर्शनार्थी महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान दिया। अपनी याचिका में चार महिला दर्शनार्थियों ने मांग की है कि उनके लिए अलग से दो या तीन दिन निर्धारित किए जाएं। उनकी ओर से कहा गया, कोर्ट के आदेश के बाद जो महिलाएं दर्शन के लिए जाना चाहती हैं, वे भी गुंडों और अराजक तत्वों के डर से नहीं जा पातीं।
चीफ जस्टिस हरिकेश रॉय की बेंच ने त्रावणकोर देवास्वं बोर्ड (टीडीबी) से सुरक्षा इंतजामों व अन्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने, साथ ही इनकी जानकारी देने को कहा है। टीडीबी से 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के सुरक्षा मानकों को लेकर अगले साल दिन में स्टेटमेंट फाइल करने को कहा गया है।
0-कहा- नहीं चाहिए सरकारी सुविधाएं
नई दिल्ली । देश के पूर्व प्रधानमंत्री और दिवंगत बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी की फैमिली ने किसी भी तरह की सरकारी सुविधाएं लेने से इनकार कर दिया है। उनकी परिवार वालों का कहना है कि वे लोग अपना खर्च उठाने में सक्षम हैं और सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहते।
अटल की फैमिली में उनकी दत्तक पुत्री नमिता, दामाद रंजन भट्टाचार्य और नाती निहारिका समेत कुछ अन्य सदस्य शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अटल के परिजनों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लेटर लिखकर अपने फैसले के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्रियों की फैमिली को मुफ्त आवास की सुविधा, मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं, सरकारी स्टाफ, घरेलू विमान टिकटें, ट्रेन में फ्री यात्रा और एसपीजी सुरक्षा समेत अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
बता दें कि वाजपेयी का परिवार उनके साथ ही राजधानी दिल्ली के लुटियंस जोन के कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित सरकारी आवास में रहता था, हालांकि उन्होंने इस आवास को छोडक़र जाने का फैसला किया है।
हैदराबाद । निर्वाचन आयोग ने तेलंगाना में सात दिसंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर शुक्रवार को संतोष जाहिर किया । मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ पी रावत ने यहां संवाददाताओं को बताया कि प्रदेश में कुल 32,796 मतदान केन्द्र बनाये गए हैं और प्रति मतदान केन्द्र मतदाताओं की संख्या औसतन 856 होगी। निर्वाचन आयोग इस संबंध में करीब एक महीना पहले राज्य का दौरा कर चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘चीजों में काफी सुधार हुआ है और आयोग तेलंगाना में आज की तारीख में चुनाव की तैयारियों के स्तर पर संतोष जाहिर करता है।’’
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव के तीसरे चरण के लिए मतदान चल रहा है। राज्य के कुल 2,773 मतदान केंद्रों पर सुबह आठ बजे मतदान शुरू हुआ, जिनमें कश्मीर के 918 और जम्मू के 1,855 केंद्र शामिल हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मतदान दोपहर दो बजे समाप्त होगा। अधिकारियों ने बताया कि 727 मतदान केंद्रों को अति संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है, जिनमें कश्मीर खंड के 493 और जम्मू खंड के 234 केंद्र शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस चरण में 358 सरपंच और 1,652 पंच की सीटों के लिए कुल 5,239 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने बताया कि इस चरण में 96 सरपंचों और 1,437 पंचों को निर्विरोध चुना गया गया। अधिकारियों ने बताया कि 4,23,592 मतदाता सरपंच निर्वाचन क्षेत्रों के लिए जबकि 2,70,668 पंच निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि मतदान सुचारू रूप से कराने के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई है। जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव नौ चरणों में आयोजित कराये जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत 17 नवंबर को हुई थी। प्रथम चरण में पूरे जम्मू-कश्मीर में 74.1 प्रतिशत मतदान हुआ है, जिसमें कश्मीर में 64.5 जबकि जम्मू में 79.4 फीसदी मतदान हुआ था। दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को हुआ था, जिसमें समूचे राज्य में 71.1 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। इनमें जम्मू से 80.4 फीसदी जबकि कश्मीर से 52.2 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था।
0-बदल रहा है चाइल्ड पॉर्नोग्रफी का कानून
नई दिल्ली। व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए चाइल्ड पॉर्नोग्रफी मटीरियल रखने, उसे देखने या उसके संग्रहण और वितरण पर दंड का प्रावधान और कठोर हो सकता है। इसके तहत मोटा जुर्माना और जेल की सजा बढ़ाकर पांच वर्ष तक का प्रावधान किया जा सकता है। ऐसा किया जाना गैर-जमानती अपराध माना जाएगा और दूसरी बार दोषी पाए जाने पर सात वर्ष तक की सजा हो सकेगी।
व्यावसायिक इस्तेमाल पर सबसे कठोर सजा
दरअसल, संशोधन प्रस्ताव में सबसे कठोर दंड का प्रावधान उन लोगों के लिए किया गया है जो अश्लील सामग्री का संग्रह व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए करते हैं। अभी सेक्शन 15 के तहत ज्यादा-से-ज्यादा तीन साल तक की सजा और जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। अब इसमें संशोधन कर यह सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि पहली बार दोषी पाए गए लोगों को कम-से-कम तीन साल और ज्यादा-से-ज्यादा पांच साल तक की जेल हो। लेकिन, अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार दोषी पाया जाए तो उसे कम-से-कम पांच साल और ज्यादा-से-ज्यादा साल सात वर्ष की सजा दिए जाने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है।
वॉट्सऐप पर आए ऐसी सामग्री तो सावधान
इनके अलावा, बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (प्रॉटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऐक्ट यानी पॉक्सो ऐक्ट) में प्रस्तावित संशोधनों में जिन बातों का जिक्र है, उनमें चाइल्ड पॉर्नोग्रफी की हरेक जानकारी के साथ-साथ इसे जुड़ी अश्लील तस्वीरें एवं विडियोज वॉट्सऐप पर भी रखे जाने की सूचना नहीं देने पर भी जुर्माने का प्रावधान शामिल है। संशोधन प्रस्ताव को कानून मंत्रालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। सूत्रों के मुताबिक, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय को उम्मीद है कि इसे अगले सप्ताह तक मंजूरी मिल जाएगी और फिर इसे पास करवाने के लिए कैबिनेट में जल्द भेजा जा सकेगा।
पीएमओ ने की पहल
पॉर्नोग्रफी की बढ़ती घटनाओं पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) चिंता जाहिर कर चुका है। इसलिए, उसी ने इसे बेहद गंभीर अपराध की श्रेणी में रखने की पहल की। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी भी चॉइल्ड पॉर्नोग्रफी और बदले की भावना से अश्लील तस्वीरें या विडियोज सार्वजनिक करने जैसी बच्चों से संबंधित यौन अपराधों पर लगातार चिंता जाहिर करती रही हैं। वह कानून में बदलाव समेत रोकथाम की विभिन्न आवश्यक पहलों की जरूरत पर जोर देती रहती हैं।
जानकारी नहीं देने पर भी जुर्माना
पॉक्सो ऐक्ट की धारा 15 में संशोधन के प्रस्ताव के तहत वैसे किसी व्यक्ति पर कम-से-कम 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा जो बच्चों से जुड़ी कोई भी अश्लील सामग्री रखता है या इसका संग्रह करता है और इसे डिलीट नहीं करता, पूरी तरह खत्म नहीं करता या संबंधित अथॉरिटी को इसकी जानकारी नहीं देता है। अगर कोई व्यक्ति इस मामले में दोबारा दोषी पाया गया तो उस पर कम-से-कम 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। साथ ही, संबंधित अथॉरिटी से शिकायत और अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश किए जाने के मकसद के अलावा इस तरह की सामग्री को किसी भी तरीके से इधर-उधर भेजने, उसका प्रचार करने और उसे विभिन्न समूहों अथवा लोगों में इसके वितरण को लेकर भी कानून में संशोधन किया जा रहा है।
0-एयर पलूशन
नई दिल्ली । दिल्ली में वायु प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए स्कूलों, बाजारों और ऑफिस की टाइमिंग में बदलाव पर विचार किया जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नेतृत्व वाली टास्क फोर्स की गुरुवार को हुई बैठक में इस पर चर्चा की गई। टास्क फोर्स के एक सदस्य ने बताया कि स्कूल की टाइमिंग सुबह 8 की जगह 10 और बाजार की टाइमिंग सुबह 10 से 8 बजे करने पर विचार किया जा रहा है।
उन्होंने बताया, प्रदूषण का स्तर सामान्यत: सुबह और शाम में सबसे अधिक रहता है। बाजार के खोलने का वक्त सुबह 10 से रात 9 की जगह सुबह 8 से शाम 6 रखने पर विचार किया गया, ऑफिस का वक्त भी आगे खिसकाने पर विचार हुआ। उसी प्रकार बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए यह विचार किया गया कि स्कूल का वक्त सुबह 8 बजे की जगह सुबह 10 बजे किया जा सकता है ताकि बच्चे अपने घर से सुबह 6 बजे की जगह सुबह 8 बजे निकलेंगे।
टास्क फोर्स में सरकारी अधिकारी, पर्यावरण, स्वास्थ्य और पर्यावरण विशेषज्ञ शामिल हैं। उधर, टास्क फोर्स के कुछ सदस्यों ने लॉजिस्टिक की समस्या बता इस प्रस्ताव का विरोध किया। दिल्ली सरकार के अधिकारी ने बताया, ऑफिस के समय को आगे बढ़ाने का सुझाव है। लेकिन यह पहले से हो रहा है। स्कूली बच्चे सुबह 6.30 से 7 बजे निकलते हैं और ऑफिस वाले सुबह 8 बजे। केंद्र सरकार के कर्मी सुबह 9 बजे निकलते हैं, जबकि राज्य सरकार के कर्मी 9.30 बजे जबकि बाजार सुबह 10 बजे खुलता है। ट्रैवलिंग में कुल 4 घंटे से ज्यादा लग जाता है। प्रस्ताव में स्कूलों के देर से खोलने और बाजारों तथा दुकानों को जल्दी खोलने की बात कही गई है।
अधिकारी ने बताया कि स्कूलों को लेकर दूसरी समस्या इसके दो शिफ्टों -सुबह और शाम में चलना है। सुबह की शिफ्ट 7.30 से दोपहर 1 बजे की होती है जबकि शाम की दोपहर 1.30 बजे से शाम 6.30 बजे की। यह स्कूलों में संभव नहीं है जो कि पहले से ही दो शिफ्टों में काम कर रहे हैं।