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गांधी की सार्धशती जयंती वाले वर्ष में विश्व स्तर पर होंगे कार्यक्रम
Posted Date : 27-Nov-2018 12:34:44 pm

गांधी की सार्धशती जयंती वाले वर्ष में विश्व स्तर पर होंगे कार्यक्रम

नई दिल्ली ,27 नवंबर । मोदी सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वाले साल में विश्व स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की शृंखला तैयार की है। इसमें ग्लोबल साइकिलिंग इवेंट, वेजिटेरियन फूड फेस्टिवल, विश्व की 150 मशहूर शख्सियतों से लेख लिखवाकर गांधी साहित्य का संकलन तैयार करना और विदेश में खादी को महज कपड़े के बजाय एक आइडिया और हेल्थ के तौर पर बढ़ावा देना शामिल होगा।
एक सरकारी नोट के मुताबिक गांधी पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा देने के लिए लगभग एक दर्जन कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है। इनमें से एक इवेंट में दुनियाभर के जानेमाने कलाकारों से गुजराती में वैष्णव जन तो भजन गायन और दूसरा विश्व भर की महत्वपूर्ण इमारतों पर गांधी की तस्वीरों का डिजिटल प्रोजेक्शन शामिल हैं। सरकार इस साल गांधी पर डाक टिकट जारी कराने के लिए दुनियाभर के देशों से बात कर रही है। 
दुनियाभर में फैले इंडियन मिशन से खादी को दुनियाभर में महज कपड़ा नहीं बल्कि टिकाऊ विकास और रोजगार सृजन के माध्यम के अलावा हेल्थ सलूशन और आइडिया के तौर पर बढ़ावा देने के लिए इनोवेटिव तरीके ढूंढने के लिए कहा गया है।
मोदी सरकार के पिछले चार साल के कार्यकाल में खादी की सामग्री की बिक्री देश में तेजी से बढ़ी है। दुनियाभर में फैले इंडियन मिशन 3 जून 2019 को वर्ल्ड साइकिलिंग डे के मौके पर गांधी साइकिलिंग इवेंट का आयोजन करेंगे। इसके अलावा सभी मिशन एक ऑनलाइन च्जि और वेजिटेरियन फूड फेस्टिवल का आयोजन भी करेंगे। 
गांधी साहित्य संकलन के लिए दुनियाभर में मशहूर पॉलिटिकल लीडर्स, जर्नलिस्ट्स, आर्टिस्ट्स और बिजनेस लीडर्स समेत 150 शख्सियत की पहचान की गई है। सरकारी नोट के अनुसार, इन सबसे इस बाबत लिखने के लिए कहा गया है कि 21वीं शताब्दी में उनके लिए गांधी क्या अहमियत रखते हैं। 
गांधी से प्रभावित विख्यात लोगों द्वारा गांधी पर संक्षिप्त बातचीत सत्य वार्ता के नाम से आयोजित की जाएगी। इनके साथ प्रेरक बातचीत को ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा। गांधी पर लिखी सामग्री का ट्रांसलेशन कर इसे दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों तक पहुंचाया जाएगा। प्रत्येक विदेशी मिशन आगामी एक साल में 12 स्कूलों में वार्ता कार्यक्रम का आयोजन करेगा। 
वैश्विक स्तर पर छात्रों की पहुंच में लाने के लिए गांधी पर विभिन्न भाषाओं में किताबें दी जाएंगी। सभी इंडियन मिशंस और पोस्ट्स 5 जून, 2019 को वर्ल्ड इन्वाइरनमेंट डे पर 159 पौधे लगाएंगे। इस साल 2 अक्टूबर को पडऩे वाली गांधी की 150वीं जयंती को प्रधानमंत्री मोदी के संजीदगी से लेने के चलते आगामी एक साल में होने वाले सेलिब्रेशंस पर सरकार डॉक्युमेंटरी बनाने की योजना में है। 
गांधी से प्रभावित ख्यातिप्राप्त लोगों के साथ सत्य वार्ता नाम से संक्षिप्त चर्चा का आयोजन कराया जाएगा, उनके साथ प्रेरक बातचीत को ऑनलाइन मुहैया कराया जाएगा। दुनियाभर के छात्रों तक गांधी को पहुंचाने के लिए कई भाषाओं में उनकी किताबें भेंट की जाएंगी। गांधी के साहित्य संकलन का अनुवाद दुनियाभर के विश्वविद्यालयों में मुहैया कराया जाएगा। इंडियन मिशन अगले एक साल में 12 स्कूलों में टॉक इवेंट कराएंगे। विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी इंडियन मिशन और पोस्ट 5 जून 2019 को 150-150 पौधे लगाएंगे।

कृषि निर्यात नीति पर इस हफ्ते विचार कर सकता है मंत्रिमंडल
Posted Date : 27-Nov-2018 12:32:07 pm

कृषि निर्यात नीति पर इस हफ्ते विचार कर सकता है मंत्रिमंडल

नई दिल्ली ,27 नवंबर । केंद्रीय मंत्रिमंडल इस सप्ताह प्रस्तावित कृषि निर्यात नीति पर विचार कर सकता है। इस नीति का मकसद कृषि उत्पादों का निर्यात और वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाना है। 
सूत्रों के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय इस नीति को अंतिम रूप दे चुका है। अब उसने इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा है।
अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित नीति कृषि निर्यात के सभी पहलुओं पर केंद्रित होगी। इसमें ढांचे का आधुनिकीकरण, उत्पादों का मानकीकरण, नियमनों को तर्कसंगत करना, शोध एवं विकास गतिविधियों पर ध्यान देना, उत्पादन और व्यापार के लिए नियमन और नियमन बनाने को यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण की तर्ज पर एजेंसी का गठन शामिल है। मंत्रालय द्वारा तैयार नीति के मसौदे में स्थिर व्यापार नीति व्यवस्था, कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानून में सुधार, मंडी शुल्क को तर्कसंगत बनाना और जमीन के पट्टे को उदार करना शामिल है। इसके तहत 2022 तक देश से कृषि उत्पादों के निर्यात को दोगुना कर 60 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रस्तावित राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति के तहत यह भी भरोसा दिया जाएगा कि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद और सभी तरह के जैविक उत्पादों को किसी तरह के निर्यात अंकुश के तहत नहीं लाया जाएगा। इस तरह के अंकुश हैं न्यूनतम निर्यात मूल्य, निर्यात शुल्क या प्रतिबंध। 
घरेलू बाजार में कीमतों और उत्पादन में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर मौजूदा नियमों का इस्तेमाल मुद्रास्फीति पर अंकुश, किसानों को मूल्य समर्थन और घरेलू उद्योग को संरक्षण जैसे लघु अवधि के लक्ष्यों के लिए किया जाता है। मसौदे में कहा गया है कि इस तरह के फैसलों से घरेलू बाजार में कीमतों में संतुलन तो कायम होता है लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत की छवि को आघात पहुंचता है। इसी के मद्देनजर एक स्थिर तथा अनुकूल नीति बनाना जरूरी है। नीति के मसौदे में मजबूत गुणवत्ता व्यवस्था और शोध एवं विकास, नई किस्मों, आधुनिक प्रयोगशालाओं पर भी जोर दिया गया है। देश के वस्तुओं के कुल निर्यात में कृषि उत्पादों का हिस्सा 10 प्रतिशत है। भारत से मुख्य रूप से चाय, कॉफी, चावल, मोटे अनाज, तंबाकू, मसालों, काजू, आयल मील, फलों और सब्जियों, समुद्री उत्पादों, मांस, डेयरी और पॉल्ट्री उत्पादों का निर्यात किया जाता है। वर्ष 2017 में भारत का कृषि निर्यात 31 अरब डॉलर रहा था जो विश्व कृषि व्यापार का मात्र दो प्रतिशत है। 

संसद में व्यवधान, अदालतों में बार-बार स्थगित सुनवाई होने से चिंतित राष्ट्रपति
Posted Date : 27-Nov-2018 12:31:05 pm

संसद में व्यवधान, अदालतों में बार-बार स्थगित सुनवाई होने से चिंतित राष्ट्रपति

नई दिल्ली ,27 नवंबर । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसदीय कामकाज में बार-बार पडऩे वाले व्यवधान और अदालतों में मामलों की सुनवाई बार-बार स्थगित होने को लेकर सोमवार को चिंता जताई। 
यहां सोमवार को संविधान दिवस समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने यह भी कहा कि राजनीति के क्षेत्र में ‘न्याय’ का उद्देश्य सिर्फ स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव और वयस्क मताधिकार का सार्वभौम इस्तेमाल करना ही नहीं है, बल्कि यह चुनाव प्रचार खर्च में पारदर्शिता रखने और बेहतर करने की भी मांग करता है तथा सरकार यह करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि संविधान ने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों का बंटवारा किया है। इन तीनों को संविधान को कायम रखने की जिम्मेदारियां दी हैं ताकि वे इसकी (संविधान की) आशाओं एवं उम्मीदों को साकार कर सकें। उन्होंने कहा कि संविधान का संरक्षण करना और उसे मजबूत करना भारत के लोगों की साझेदारी के साथ इन तीनों संस्थाओं का साझा कर्तव्य है।
संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है। दरअसल, संविधान सभा ने भारत के संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। यह 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ था। राष्ट्रपति ने संसद की कार्यवाही में बार बार पडऩे वाले व्यवधान को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने अदालतों में मामलों की सुनवाई बार-बार स्थगित होने के चलते वादियों को होने वाली परेशानी को लेकर भी चिंता जताई, हालांकि न्यायपालिका इसका सर्वश्रेष्ठ हल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि संविधान को अंगीकार करना भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि संविधान में शायद सबसे ज्यादा गतिशील शब्द ‘न्याय’ है। उन्होंने कहा कि न्याय एक एकल शब्द है। न्याय एक जटिल और स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति देने वाला शब्द है। न्याय हमारे संविधान और राष्ट्र निर्माण का साधन तथा लक्ष्य दोनों ही है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय को अवश्य ही व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। समाज का उद्भव और इसकी बदलती मान्यताएं, जीवनशैली और प्रौद्योगिकी को हर कोई इसे संरक्षित रखता है।
कोविंद ने कहा कि संविधान स्वतंत्र भारत का आधुनिक ग्रंथ है। संविधान नागरिकों को सशक्त करता है, वहीं नागरिक भी संविधान का पालन कर उसे मजबूत बनाते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक न्याय सभी वयस्कों को राजनीतिक प्रक्रिया में समान भागीदारी प्रदान करता है। यह कानून के निर्माण और उनके उचित क्रियान्वयन में भी उन्हें भागीदार बनाता है। आर्थिक न्याय का उद्देश्य गरीबी का पूर्ण उन्मूलन करना, आजीविका अर्जित करने के लिए समान अवसर देना और उचित पारिश्रमिक देना है। कोविंद ने कहा कि यह एक विरोधाभास है कि कभी कभी नागरिकों को संविधान के मायने के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती। उन्होंने प्रौद्योगिकी का हवाला देते हुए कहा कि यह न्याय प्रक्रिया में तेजी लाती है और एक चुनौती भी है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय समान अवसर मुहैया करता है। भारत में सामाजिक न्याय का दायरा आधुनिक परिदृश्य में बढ़ा भी है। इनमें स्वच्छ हवा, कम प्रदूषित शहर एवं कस्बे, नदियां एवं जल स्रोत, स्वच्छ जीवन की परिस्थितियां और हरित एवं पारिस्थितिकी हितैषी आर्थिक विकास आते हैं। वहीं कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संविधानिक नैतिकता एक समान रहनी चाहिए ये जज से जज के हिसाब से बदलनी नहीं चाहिए। लोगों को यह पता है कि वे वोट के जरिए ताकतवर और लोकप्रिय लीडर को  भी सत्ता से हटा सकते हैं, ये संविधान की ताकत है।
संकट के क्षण में हमारा मार्गदर्शन करता है संविधान:रंजन गोगोई
संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि जब इसे को लागू किया गया, तो हमारे संविधान की आलोचना की गई। सर इवर जेनिंग्स ने इसे बहुत बड़ा और कठोर बताया। समय ने आलोचनाओं को कमजोर कर दिया है और यह गर्व की बात है कि हमारे संविधान ने पिछले सात दशकों में बड़ी ताकत के साथ जीता है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान संकट के क्षण हमारा मार्गदर्शन करता है। सत्तर सालों में संविधान खरा उतरा है और ये गरीबों की आवाज है। हमे संविधान की आवाज सुननी चाहिए नहीं तो विरोधी मतों का शौर अराजकता फैला देंगे।

राहुल ने चिश्ती की दरगाह में चादर चढ़ाने के बाद ब्रह्मा मंदिर के भी किए दर्शन
Posted Date : 26-Nov-2018 11:51:34 am

राहुल ने चिश्ती की दरगाह में चादर चढ़ाने के बाद ब्रह्मा मंदिर के भी किए दर्शन

अजमेर ,26 नवंबर । कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान में आज अपनी चुनावी सभा से अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हाजरी लगाई तथा पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर में दर्शन किये। उन्होंने पहले दरगाह पहुंचकर मजार पर मखमली चादर चढ़ाई तथा अकीदत के फूल पेश कर देश में अमन चैन, खुशहाली एवं भाईचारे की दुआ की। गांधी परिवार के खादिम सैय्यद अब्दुल गनी गुर्देजी ने राहुल को जियारत कराई।
इससे पहले दरगाह के निजाम गेट पर खादिम परिवार के गुर्देजी के अलावा सैय्यद जोयब खिश्ती व सैय्यद यासिर गुर्देजी ने राहुल गांधी की आगवानी की। फिर उन्हें बुलंद दरवाजे से महफिल खाने सबीलीगेट, शाहजंंहानी मस्जिद, पायंती दरवाजे होते हुए मजार शरफ लाया गया।
इस अवसर पर पार्टी के राजस्थान प्रभारी अविनाश राय पाण्डे, राष्ट्रीय महासिचव अशोक गहलोत , प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट , राजस्थान सहप्रभारी काजी निजामुद्दीन , कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला, सांसद डॉ रघु शर्मा, शहर अध्यक्ष विजय जैन मौजूद थे। जियारत के बाद लौटते समय खादिमों की दोनों संस्था अन्जुमन यादगार एवं अन्जुमन सैय्यद जादगान के सदर महासिचवों की ओर से उनका स्वागत किया गया। दरगाह कमेटी ने भी स्मृति चिह्न भेंट किया।
इसके बाद गांधी तीर्थराज पुष्कर पहुंचे जहां उन्होंने ब्रह्म घाट पहुंचे जहां उन्होंने पवित्र पुष्कर सरोवर पूजा अर्चना की। पुश्तैनी पुरोहित नंदलाल कौल के पुत्र राजनाथ कौल ने उन्हें पूजा कराई। इसके बाद वह ब्रह्मा मंदिर के दर्शन किए। इस अवसर पर उनको यादगार तस्वीरों का एलबम भी भेंट किया गया। इसके बाद गांधी का जैसलमेर जिले के पोकरण में जनसभा को संबोधित करने का कार्यक्रम हैं।

नवंबर में राजधानी का प्रदूषण हुआ कम
Posted Date : 26-Nov-2018 11:48:54 am

नवंबर में राजधानी का प्रदूषण हुआ कम

नई दिल्ली ,26 नवंबर । राष्ट्रीय राजधानी में माह नवंबर में वायु का प्रदूषण पिछले वर्षों की तुलना में कम हुआ है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार खतरनाक और बेहद खराब स्तर के प्रदूषित दिनों की संख्या में काफी कमी आई है। इस बार सामान्य स्तर के प्रदूषण का एक दिन भी मिला। प्रदूषण में कमी की एक वजह शुरुआती 12 दिनों में ग्रैप की तरफ से दिल्ली-एनसीआर में लागू किए गए कठोर नियम भी हैं। हालांकि, प्रदूषण में कमी के लिए 50 पर्सेंट योगदान मौसम और हवाओं का माना जा रहा है। नवंबर में रेकॉर्डतोड़ बारिश, तेज हवा और खिली धूप ने अपना करिश्मा दिखाया है।
पूरे साल में प्रदूषण के लिहाज से सबसे संवेदनशील महीना नवंबर रहता है। इस महीने में प्रदूषण का स्तर 470 तक पहुंच जाता है। इस साल सबसे अधिक एयर इंडेक्स 426 रहा। पिछले दो दिनों से दिल्ली की हवा खराब स्तर पर बनी हुई है। हवाओं की स्पीड अभी ठीक है, ऐसे में अगले तीन दिनों तक प्रदूषण खराब से बेहद खराब की बीच रह सकता है।
इस साल नवंबर में 2010 के बाद रेकॉर्ड 8.6 एमएम बारिश हुई। पिछले दो सालों से यह महीना सूखा रहा था। 2015 में भी दिल्ली में सिर्फ 1.1 एमएम बारिश हुई थी। इसके अलावा हवाओं की औसत स्पीड भी पिछले तीन सालों में इस माह अधिकतम 5 से 7 किलोमीटर रही। इस बार यह कई बार 15 से 20 किलोमीटर की रफ्तार से भी बही। 
ईपीसीए के चेयरमैन भूरेलाल के अनुसार, सभी ने इस बार काम किया है। लोगों ने भी काफी शिकायतें कीं जिसके बाद उन्होंने भी स्थिति को परखा और मौके पर कार्रवाई की। नाइट पट्रोलिंग की व्यवस्था की। नवंबर के शुरुआती 12 दिनों में प्रदूषण के चलते कई चीजों पर रोक लगाई गई। 
सीपीसीबी के अनुसार, पराली भी इस बार कम जली है। टास्क फोर्स की टीमों ने इस बार काफी काम किया है। हालांकि, कम प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह मौसम और हवाएं ही रहीं। हवाएं नियमित अंतराल पर तेज हुईं और बारिश के लिहाज से भी यह महीना अच्छा रहा।

अब विद्यार्थियों को नहीं उठाना पड़ेगा भारी-भरकम बैग
Posted Date : 26-Nov-2018 11:48:23 am

अब विद्यार्थियों को नहीं उठाना पड़ेगा भारी-भरकम बैग

0-मंत्रालय ने जारी किया सर्कुलर 
नई दिल्ली ,26 नवंबर । देश के मावन संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी सर्कुलर में बताया गया है कि अब विद्यार्थियों को भारी-भरकम बस्ते से निजात मिलेगी। मंत्रालय का कहना है कि भारी स्कूली बस्ते के कारण बच्चों की सेहत पर पडने वाले नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए स्कूली बैग का वजन तय कर दिया है। इससे जुड़ा सर्कुलर सभी राज्यों को भेज दिया है और उस पर अविलंव अमल करने के आदेश भी दिए हैं। 
मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर में बताया गया है कि कक्षा 1 से 2 तक के छात्रों के लिए स्कूल बैग का वजन 1.5 किलोग्राम तक होना चाहिए। वहीं तीसरी से पांचवींं कक्षा के स्टूडेंट्स के बस्ते का वजन 2-3 किलोग्राम होगा। 6वीं और 7वीं के छात्रों के बस्ते का वजन 4 केजी से ज्यादा नहीं होना चाहिए और 8वीं-9वीं छात्रों का बस्ता 4.5 किलोग्राम का होगा। वहीं 10वीं के छात्रों के बैग का वजन 5 किलोग्राम तय तय कर दिया गया है। 
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के इस कदम से छात्रों के माता-पिता बेहद खुश हैं। उनके अनुसार भारी बस्ते के कारण बच्चों की पीठ अकड़ जारी है और वह पीठ व कंधों में दर्द की शिकायत भी करते हैं। डॉक्टरों की मानें तो भारी बस्ते के कारण बच्चों का शारीरिक विकास प्रभावित होता है। चिल्ड्रेंस स्कूल बैग एक्ट, 2006, के अनुसार स्कूल बैग का वजन छात्र के कुल वजन का 10 प्रतिशत या इससे कम होना चाहिए।