नई दिल्ली । श्रम मंत्रालय के अनुसार, ईपीएफओ ने देशभर में अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट्स सिस्टम (सीपीपीएस) का रोलआउट पूरा कर लिया है, जिससे 68 लाख से अधिक पेंशन पाने वालों को लाभ मिलेगा।
मंत्रालय द्वारा हाल ही में दी गई जानकारी के अनुसार, सेंट्रलाइज्ड पेंशन पेमेंट्स सिस्टम पुराने पेंशन वितरण सिस्टम से अलग एक विकेंद्रीकृत सिस्टम है। इस नए सिस्टम के तहत ईपीएफओ का प्रत्येक क्षेत्रीय/क्षेत्रीय कार्यलय केवल 3 से 4 बैंक के साथ अलग-अलग समझौतों को बनाए रखेगा। इस नए सिस्टम के साथ लाभार्थियों को सुविधा मिलेगी कि वे किसी भी बैंक से पेंशन निकाल सकेंगे। साथ ही पेंशन शुरू होने के समय वेरिफिकेशन के लिए लाभार्थी को बैंक जाने की जरूरत नहीं होगी और राशि जारी होने के तुरंत बाद जमा कर दिया जाएगा।
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जनवरी 2025 से सीपीपीएस पूरे भारत में पेंशन का वितरण सुनिश्चित करेगा और पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं होगी। सरकार द्वारा उठाया जा रहा यह कदम उन पेंशनभोगियों के लिए राहत भरा होगा, जो रिटायरमेंट के बाद अपने होमटाउन चले जाते हैं और वहीं, आगे का जीवन गुजर-बसर करते हैं।
सफल क्रियान्वयन की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा, ईपीएफओ के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में सीपीपीएस का पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह परिवर्तनकारी पहल पेंशनभोगियों को देश में कहीं भी, किसी भी बैंक, किसी भी शाखा से अपनी पेंशन को सहजता से प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, सीपीपीएस का पहला पायलट प्रोजेक्ट पिछले साल अक्टूबर में करनाल, जम्मू और श्रीनगर क्षेत्रीय कार्यालयों में पूरा हो गया था, जिसमें 49,000 से अधिक ईपीएस पेंशनभोगियों को लगभग 11 करोड़ रुपये का पेंशन वितरित किया गया था। दूसरा पायलट प्रोजेक्ट नवंबर में 24 क्षेत्रीय कार्यालयों में शुरू किया गया, जहां 9.3 लाख से अधिक पेंशनभोगियों को लगभग 213 करोड़ रुपये पेंशन वितरित की गई। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, दिसंबर 2024 के लिए ईपीएफओ के सभी 122 पेंशन वितरण क्षेत्रीय कार्यालयों से जुड़े 68 लाख से अधिक पेंशन प्राप्तकर्ताओं को लगभग 1,570 करोड़ रुपये की पेंशन बांटी गई है।
नई दिल्ली । सरकार द्वारा गुरुवार को ऐलान किया गया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) की वर्तमान सीरीज के आधार को 2011-12 से 2022-23 तक संशोधित करने के लिए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में एक वर्किंग ग्रुप का गठन किया गया है।
वर्किंग ग्रुप को अपनी अंतिम रिपोर्ट आर्थिक सलाहकार के ऑफिस को 18 महीने के अंदर जमा करने को कहा गया है।
वर्किंग ग्रुप के सदस्यों में आरबीआई, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग, सांख्यिकी मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों के विभाग, कृषि विभाग, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल हैं। इसके अलावा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष को भी इसका सदस्य नियुक्त किया गया है।
गैर-आधिकारिक सदस्यों में अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी, कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के एमडी नीलेश शाह और बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के सह-प्रमुख एवं अर्थशास्त्री इंद्रनील सेनगुप्ता शामिल हैं।
वर्किंग ग्रुप अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों के संदर्भ में आधार वर्ष 2022-23 के साथ डब्लूपीआई और पीपीआई (उत्पादक मूल्य सूचकांक) की कमोडिटी बास्केट के लिए सुझाव जैसे विषयों पर भी कार्य करेगा।
वर्किंग ग्रुप मूल्य संग्रहण की मौजूदा प्रणाली की समीक्षा करेगा और सुधार के लिए सुझाव देगा।
यह डब्ल्यूपीआई/पीपीआई के लिए अपनाई जाने वाली गणना पद्धति पर भी निर्णय लेगा और मूल्य एवं जीवन-यापन लागत की सांख्यिकी पर तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा अप्रूव्ड की पीपीआई के कलेक्शन की पद्धति की जांच करेगा, संकलन और प्रस्तुति में आगे सुधार का सुझाव देगा। डब्ल्यूपीआई से पीपीआई पर स्विच करने के लिए रोडमैप की सिफारिश करेगा।
वर्किंग ग्रुप अब तक अपनाई गई लिंकिंग फैक्टर की गणना की विधि की आगे जांच करेगा। अगर जरूरी हुई तो लिंकिंग फैक्टर की गणना की विधि में उचित परिवर्तन का सुझाव देगा।
इसके अलावा वर्किंग ग्रुप डब्लूपीआई/पीपीआई की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए आवश्यक किसी भी अन्य सुधार का सुझाव दे सकता है।
अगर यह जरूरी होता है तो वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष को अन्य एजेंसियों से विशेषज्ञों को चुनने की अनुमति है।
नई दिल्ली । वर्ष 2025 की शुरुआत के साथ ही अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यभार संभालने से पहले दुनिया में अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है, लेकिन, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में बताया गया कि जीएसटी संग्रह, सर्विस परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई), एयर पैसेंजर ग्रोथ और वाहनों का पंजीकरण में वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में मजबूत वद्धि देखने को मिली है। वहीं, दूसरी तरफ चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार धीमी होती जा रही है और प्रशासन के लिए घरेलू खपत बढ़ाना और रियल एस्टेट सेक्टर को फिर से वृद्धि की ओर ले जाना एक चुनौती बन गया है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था विकास के बारे में मिश्रित संकेत दे रही है। श्रम बाजार में नरमी दिख रही है और मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां कमजोर बनी हुई हैं। खुदरा बिक्री, आवास बिक्री और सेवा क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। यूरोप में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों ने अभी तक गति नहीं पकड़ी है। वहीं सेवा क्षेत्र फिर से अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
भारत में चालू खाता घाटा (सीएडी) वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में जीडीपी का 1.2 प्रतिशत तक कम हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में यह जीडीपी के 1.3 प्रतिशत के बराबर था।
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री सोनल बधान ने कहा, पिछले वर्ष व्यापार घाटा अधिक था, सेवाओं के निर्यात में तेजी के साथ-साथ रेमिटेंस में निरंतर मजबूती ने चालू खाते घाटे को कम किया है। हमारे साल के अंत के बाजार विश्लेषण से पता चलता है कि सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों ने कैलेंडर वर्ष 24 में 8.7 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। सेंसेक्स ने इस साल का नया ऑल टाइम हाई बनाया और 85,500 का आंकड़ा पार कर गया।
2024 में रियल एस्टेट, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और आईटी का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। इस दौरान भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 2.8 प्रतिशत घटा, लेकिन इसका प्रदर्शन बाकी अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले काफी अच्छा था।
रिपोर्ट के अनुसार, हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स ने अक्टूबर-दिसंबर 2024 की अवधि में मजबूत सुधार दिखाया है। जीएसटी संग्रह तीसरी तिमाही में 8.3 प्रतिशत (सालाना आधार पर) बढक़र 5.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है, और यह दूसरी तिमाही के 5.3 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है, जो उपभोग पैटर्न में और सुधार का संकेत देता है।
इसके अलावा त्योहारी मांग के कारण शहरी उपभोग के अन्य संकेतकों में भी सुधार हुआ है। हवाई यात्रा में तीसरी तिमाही में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि दूसरी तिमाही में यह 7.8 प्रतिशत थी। सेवा पीएमआई तीसरी तिमाही में 59.2 रही, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 58.1 थी।
बधान ने कहा, हमें उम्मीद है कि कॉर्पोरेट्स के नतीजे भी तीसरी तिमाही में बेहतर रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि दूसरी छमाही में सरकारी खर्च में तेजी आने और उसके बाद सरकारी और निजी निवेश दोनों में सुधार की उम्मीद से आईआईपी वृद्धि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में बेहतर रहेगी।
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने गुरुवार को बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दर को बढ़ाने के लिए लाई गई फेम-2 स्कीम के तहत 16.15 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को इंसेंटिव दिया गया है।
इसमें 14.27 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन, 1.59 लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन, 22,548 इलेक्ट्रिक गाडिय़ां और 5,131 ई-बस शामिल है।
इसके अतिरिक्त, 10,985 ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 8,812 स्थापना के लिए आवंटित भी कर दिए गए हैं।
भारी उद्योग मंत्रालय ने बताया कि 31 अक्टूबर, 2024 तक, कुल 8,844 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें से 6,577 करोड़ रुपये की सब्सिडी, 2,244 करोड़ रुपये कैपिटल एसेट्स पर और 23 करोड़ रुपये अन्य मदों पर खर्च किए गए हैं।
इस योजना में चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम भी शामिल है और इससे महत्वपूर्ण नीतिगत पहलों को भी समर्थन मिला है, जैसे कि ईवी पर जीएसटी को कम करना और राज्य ईवी नीतियों को सक्षम बनाना।
योजना के पहले चरण को शुरू में दो साल की अवधि के लिए मंजूरी दी गई थी, जो 1 अप्रैल, 2015 से शुरू हुई थी।
योजना के सफल कार्यान्वयन के बाद, दूसरे चरण फेम- 2 को 2019 में 11,500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था, जिससे दो, तीन, चार पहिया वाहनों, इलेक्ट्रिक बसों और ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों सहित इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जा सके।
कुल मिलाकर, देश में अब तक ईवी के लिए 25,202 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा चुके हैं। कर्नाटक 5,765 ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद महाराष्ट्र 3,728 और उत्तर प्रदेश 1,989 के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है।
भारी उद्योग मंत्रालय भारत में ईवी अपनाने पर जोर दे रहा है। 29 सितंबर, 2024 को मंत्रालय ने ईवी अपनाने में तेजी लाने, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने और देश में ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा देने के लिए पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना को अधिसूचित किया गया था।
इस योजना का दो साल की अवधि के लिए 10,900 करोड़ रुपये का बजट है। कुल आवंटित बजट में से 2,000 करोड़ रुपये ईवी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन (ईवीपीसीएस) की स्थापना के लिए रखे गए हैं।
नई दिल्ली । कोयला मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत का कुल कोयला उत्पादन दिसंबर 2024 के दौरान 5.33 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करते हुए 97.94 मिलियन टन (एमटी) पर पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी महीने यह 92.98 एमटी था।
कैप्टिव और दूसरी खदानों ने 18.95 एमटी उत्पादन किया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 14.62 एमटी की तुलना में 29.61 प्रतिशत की शानदार वृद्धि को दर्शाता है।
बयान में कहा गया है कि 24 दिसंबर तक क्यूमलेटिव कोयला उत्पादन में भी शानदार वृद्धि देखी गई, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 726.29 एमटी तक पहुंच गया, जबकि यह वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि के दौरान 684.45 एमटी था, जो 6.11 की वृद्धि दर्शाता है।
कोयला डिस्पैच के मामले में, 24 दिसंबर के आंकड़े बढक़र 92.59 मीट्रिक टन हो गए, जबकि दिसंबर 2023 में यह 87.06 मीट्रिक टन था, जो 6.36 प्रतिशत की वृद्धि दर है।
कैप्टिव और दूसरे खदानों से डिस्पैच 18.13 मीट्रिक टन रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 31.83 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2024 तक क्यूमलेटिव कोयला डिस्पैच वित्त वर्ष 2024-25 में 750.75 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 711.07 मीट्रिक टन था, जो 5.58 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर्शाता है।
कोयला मंत्रालय ने कहा कि वह उत्पादन बढ़ाने और देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के उद्देश्य से काम कर रहा है।
कोयला उत्पादन और डिस्पैच में लगातार वृद्धि से कोयले में आत्मनिर्भरता हासिल करने और आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करने में मदद मिलेगी।
घरेलू उत्पादन में वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान भारत का कोयला आयात 3.1 प्रतिशत घटकर 149.39 मिलियन टन (एमटी) रह गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 154.17 मीट्रिक टन था।
कोयला मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 तक कोयला आधारित बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 3.87 प्रतिशत की शानदार वृद्धि हुई है, लेकिन इसी अवधि के दौरान थर्मल पावर प्लांट द्वारा मिश्रण उद्देश्यों के लिए आयात में 19.5 प्रतिशत की कमी आई है।
अहमदाबाद । अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने बुधवार को कहा कि हमारी असली चुनौती अपनी पूंजी को प्रभावी ढंग से तैनात करने की है और हमें उन दो टी को प्राथमिकता देनी चाहिए जो आज की दुनिया में सबसे बड़े डिफ्रेंशिएटर को तौर पर काम रहे हैं, वो हैं टेक्नोलॉजी और टैलेंट।
कंपनी के कर्मचारियों को अपने नववर्ष संदेश में गौतम अदाणी ने कहा कि हमारा ध्यान अपने लोगों की असीम क्षमता को अनलॉक करने पर है।
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन ने कहा, सबसे पहले मैं टेक्नोलॉजी के बारे में बात करूंगा। आज के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में हर कंपनी को एक टेक्नोलॉजी कंपनी के रूप में सोचना और कार्य करना चाहिए या महत्वहीन होने का जोखिम उठाना चाहिए। प्रभावी ढंग से स्केलिंग के लिए केवल सॉफ्टवेयर टूल लागू करने से कहीं अधिक की आवश्यकता होती है। इसके लिए हमारे संगठन के मूल ढांचे में टेक्नोलॉजी फर्स्ट की मानसिकता को शामिल करना आवश्यक है।
गौतम अदाणी ने आगे कहा, यह वैकल्पिक नहीं है, बल्कि आवश्यक है और इसकी शुरुआत हमारे शीर्ष 100 लीडर्स द्वारा माहौल तय करने से होती है। हममें से हर एक को टेक्नोलॉजी रूप से कुशल होने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए और यह किसी विशेष कार्य को पूरा करने के लिए नहीं, बल्कि सोचने के तरीके के रूप में भी है। आवश्यक होने की दौड़ में तकनीक ही रेसट्रैक है और नेतृत्व वह कदम है, जो सुनिश्चित करता है कि हम पहले स्थान पर रहें।
शीर्ष उद्योगपति ने इस बात पर जोर दिया कि परिवर्तन का समय हमारा इंतजार नहीं करते, बल्कि वे मांग करते हैं कि हम दूरदृष्टि, साहस और कार्य करने की इच्छाशक्ति के साथ उनका सामना करें।
गौतम अदाणी ने कहा, एआई-संचालित दुनिया में भविष्य इस बारे में है कि हम कैसे काम करते हैं और अपने लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करते हैं। मैं आप सभी को चुनौती देता हूं कि आप इनोवेशन करने और उत्कृष्टता के नए स्टैंडर्ड स्थापित करने के लिए टेक्नोलॉजी को एक लीवर के रूप में अपनाएं। आपका करियर विकास और हमारी सामूहिक सफलता इस पर निर्भर करती है।
टैलेंट के बारे में गौतम अदाणी ने कहा कि यह हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती है और यह हमारी दीर्घकालिक सफलता का निर्धारण करेगी।
टैलेंट केवल रिज्यूमे या क्रेडेंशियल्स नहीं है, बल्कि यह एडेप्ट, इनोवेशन और लीडरशीप है। इस वर्ष, हम इन-हाउस टैलेंट को पोषित करके सबसे पहले क्षमता का एक पावरहाउस बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोगुना कर रहे हैं।
अदाणी समूह के चेयरमैन ने कहा, हमारा लक्ष्य प्रत्येक व्यक्ति की पूरी क्षमता को अनलॉक करना है। हम जो सबसे बड़ा निवेश कर सकते हैं, वह केवल सिस्टम या रणनीतियों में नहीं है, बल्कि हमारे लोगों की असीम क्षमता को अनलॉक करने में है, जो नेतृत्व करने और इनोवेशन करने का साहस करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि समूह महत्वाकांक्षी युवा पेशेवरों को आकर्षित करने के लिए प्रमुख परिसरों में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है, जो हमें भविष्य में आगे ले जाएंगे।
गौतम अदाणी ने कहा, भर्ती से अलग, हम यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूत इंजीनियरिंग और प्रबंधन कैरियर ट्रैक स्थापित कर रहे हैं कि सभी के पास एक्सीलेंस प्राप्त करने के लिए साधन हों। हम आपके लिए नेटवर्क बनाने, सहयोग करने और संबंध बनाने के अवसर भी बना रहे हैं, जो आपकी वृद्धि और सफलता को शक्ति प्रदान करेंगे।