मुंबई ,30 मई । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मई में अब तक भारतीय पूंजी बाजार से 12.39 करोड़ डॉलर की शुद्ध निकासी की है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने मई के पहले चार सप्ताह में घरेलू पूंजी बाजार में 1,87,589.29 करोड़ रुपये लगाये जबकि इसी दौरान 1,88,577.50 करोड़ रुपये निकाले भी। इस प्रकार उन्होंने 988.21 करोड़ रुपये यानी 12.30 करोड़ डॉलर की शुद्ध निकासी की है। एफपीआई ने शुद्ध रूप से 44.68 करोड़ डॉलर के शेयर और 4.94 करोड़ डॉलर के डेट बेचे। वहीं, अन्य माध्यमों जैसे डेट-वीआरआर और हाइब्रिड में उन्होंने शुद्ध रूप से पूंजी लगाई।
यह लगातार दूसरा महीना है जब एफपीआई ने बाजार से पूंजी निकाली है। अप्रैल में उन्होंने शुद्ध रूप से 118.56 करोड़ डॉलर (करीब 8,836) करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।
नई दिल्ली ,30 मई । विदेशों में खाद्य तेलों में मजबूती के बीच बीते सप्ताह दिल्ली थोक जिंस बाजार में भी इनके भाव चढ़ गये। तेलों के साथ गुड़ भी महंगा हुआ जबकि दालों, गेहूं और चीनी में साप्ताहिक गिरावट देखी गई।
तेल तिलहन : वैश्विक स्तर पर मलेशिया के बुरसा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज में पाम ऑयल का अगस्त वायदा समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान 22 रिंगिट चढक़र 4,015 रिंगिट प्रति टन पर पहुंच गया। जुलाई का अमेरिकी सोया तेल वायदा भी 0.34 सेंट की मजबूती के साथ सप्ताहांत पर 65.82 सेंट प्रति पाउंड बोला गया।
स्थानीय बाजार में ग्राहकी आने से सरसों तेल 439 रुपये, मूंगफली तेल 148 रुपये और सोया तेल 146 रुपये प्रति क्विंटल चढ़ गया। सूरजमुखी तेल, पाम ऑयल और वनस्पति के भाव में कुल मिलाकर कोई बदलाव नहीं हुआ।
सप्ताहांत पर सरसों तेल 17,435 रुपये, मूंगफली तेल 19,341 रुपये, सूरजमुखी तेल 19,267 रुपये, सोया रिफाइंड 15,237 रुपये, पाम ऑयल 12,527 रुपये और वनस्पति तेल 13,479 रुपये प्रति क्विंटल पर रहा।
नयी दिल्ली ,30 मई । गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी डिजिटल कंपनियों ने भारत के नये सोशल मीडिया नियमों के हिसाब से शिकायत अधिकारी की नियुक्ति समेत अन्य जानकारी सार्वजनिक करने के उद्देश्य से अपनी वेबसाइट अद्यतन करने शुरू कर दिये हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने नये डिजिटल नियमों के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय के साथ ब्योरा साझा किये हैं। हालांकि ट्विटर अभी भी नियमों का अनुपालन नहीं कर रही। नये नियमों के तहत प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों को शिकायत निपटान अधिकारी, नोडल अधिकारी और मुख्य परिचालन अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता है। इन अधिकारियों के लिये जरूरी है कि उनकी नियुक्ति भारत में हो और वे यहां रहे।
प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थों की श्रेणी में वे सोशल मीडिया मंच आते हैं जिनके उपयोगकर्ताओं की संख्या 50 लाख से अधिक है। उद्योग सूत्रों ने कहा कि फेसबुक और व्हाट्सऐप पहले ही अनुपालन रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के साथ साझा कर चुकी हैं। नये शिकायत अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में जानकारी इन मंचों पर अद्यतन की जा रही है। गूगल ने ‘कांटेक्ट अस’ पृष्ठ पर जो ग्रियर का नाम दिया है। उनका पता माउंटेन व्यू अमेरिका का है। इस पृष्ठ पर यूट्यूब के लिये शिकायत निपटान व्यवस्था के बारे में भी जानकारी दी गयी है। नियमों के अनुसार सभी सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी-अपनी वेबसाइट, ऐप या दोनोंपर शिकायत निपटान अधिकारी और उनके पते के बारे में जानकारी देनी है। साथ ही शिकायत के तरीके को बताना है जिसके जरिये उपयोगकर्ता या पीडि़त अपनी शिकायत कर सके। शिकायत अधिकारी को 24 घंटे के भीतर दर्ज की गयी शिकायत प्राप्त करने के बारे में सूचना देनी होगी। साथ ही ऐसे शिकायतों का निपटान प्राप्ति की तारीख से 15 दिन की अवधि में करना होगा। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि ट्विटर नियमों का पालन नहीं कर रही। कंपनी ने मंत्रालय को मुख्य अनुपालन अधिकार के नाम के बारे में जानकारी मंत्रालय को नहीं भेजी। उसने विधि कंपनी में काम करने वाले एक वकील का नाम बतौर संपर्क अधिकरी और शिकायत अधिकारी के रूप में दिया है। सूत्रों के अनुसार जबकि आईटी नियमों में साफ कहा गया है कि सोशल मीडिया मंचों के मनोनीत अधिकारियों के कंपनी का कर्मचारी होना और उसका भारत में निवासी होना जरूरी है। इस बारे में ट्विटर ने ई-मेल के जरिये पूछे गये सवालों का जवाब नहीं दिया। कंपनी की वेबसाइट पर भारत के लिये शिकायत अधिकारी (अंतरिम) के तौर पर धर्मेन्द्र चतुर का नाम दिया गय है। गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप ने भी नये आईटी नियमों के तहत जरूरी नियुक्तियों के बारे में ई-मेल के जरिये पूछे गये विस्तृत सवालों के जवाब नहीं दिये। सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि नये नियमों के प्रावधानों को लागू करने केसंदर्भ में गूगल, फेसबुक और व्हाट्सऐप के अलावा कू, सर्चचैट, टेलीग्राम और लिंक्डइन जैसे महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों ने मंत्रालय के साथ ब्योरा साझा किये हैं।
नयी दिल्ली ,30 मई । देश की सर्वाधिक मूल्यवान 10 कंपनियों में से आठ के बाजार पूंजीकरण (एमकैप) में पिछले सप्ताह संयुक्त रूप से 1,39,566.52 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। इसमें सर्वाधिक लाभ में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस और इन्फोसिस रही। साप्ताहिक आधार पर बीएसई सेंसेक्स 882.40 अंक यानी 1.74 प्रतिशत मजबूत हुआ। केवल दो कंपनियों...हिंदुस्तान यूनिलीवर और बजाज फाइनेंस...के बाजार पूंजीकरण में शुक्रवार को समाप्त सप्ताह के दौरान गिरावट दर्ज की गयी। लाभ में रहने वाली कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार मूल्यांकन 59,590.77 अंक उछलकर 13,28,049.94 करोड़ रुपये पहुंच गया। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का एमकैप 23,562.96 करोड़ रुपये बढक़र 11,63,018.74 करोड़ रुपये रहा जबकि इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण 21,395.27 करोड़ रुपये बढक़र 5,98,604.10 करोड़ रुपये पहुंच गया। सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का बाजार पूंजीकरण 18,697.06 करोड़ रुपये बढक़र 3,76,663.23 करोड़ रुपये पहुंच गया।वहीं कोटक महिंद्रा बैंक का एमकैप 8,435.06 करोड़ रुपये बढक़र 3,56,849.67 करोड़ रुपये रहा। एचडीएफसी का बाजार मूल्यांकन 4,555.41 करोड़ रुपये बढक़र 4,58,418.62 करोड़ रुपये और एचडीएफसी बैंक का एमकैप 2,721.71 करोड़ रुपये बढक़र 8,28,341.24 करोड़ रुपये पहुंच गया। आईसीआईसीआई बैंक का बाजार मूल्यांकन आलोच्य सप्ताह में 608.28 करोड़ रुपये बढक़र 4,45,171.34 करोड़ रुपये रहा। दूसरी तरफ, हिंदुस्तान यूनिलीवर का एमकैप 8,904.94 करोड़ रुपये घटकर 5,45,762.50 करोड़ रुपये और बाजाज फाइनेंस का बाजार पूंजीकरण 1,282.63 करोड़ रुपये कम होकर 3,38,589.27 करोड़ रुपये पर आ गये। रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रही। उसके बाद क्रमश : टाटा कंसल्टेंसी सर्विसज, एचडीएफसी बैंक, इन्फोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और बजाज फाइनेंस का स्थान रहा।
नई दिल्ली ,29 मई । सरकार और सोशल मीडिया में विवादों के बीच आज कल एक मैसेज काफी वायरल हो रहा है। वायरल हो रहे इस मैसेज में कहा गया है कि लोगों की चैट अब प्राइवेट नहीं है और सरकार उसे पढ़ सकती है। इसमें ये भी बताया गया है कि अगर सरकार ने आपका मैसेज पढ़ा है तो आपको नया टिक या कलर दिखेगा। व्हाट्सएप पर ही वायरल हो रहे इस फेक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि अब एक तीसरा टिक जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि अगर सरकार ने मैसेज को पढ़ा है तो तीसरा टिक नजर आएगा। अगर सरकार कार्रवाई करना चाहती है तो एक ब्लू टिक और दो रैड टिक नजऱ आएंगे और तीसरे रेड टिक का मतलब है कि यूजऱ को कोर्ट से समन भेजा जा रहा है। वहीं अब व्हाट्सएप ने खुद ही अपने यूजर्स को इस फेक मैसेज के बारे में सावधान किया है। कंपनी ने इसे गलत बताया है और लोगों से इस तरह के मैसेज से दूर रहने को कहा है। बता दें कि आजकल व्हाट्सएप और सरकार के बीच कानूनी विवाद चल रहा है। व्हाट्सएप ने केंद्र सरकार के नए ढ्ढञ्ज रूल्स के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। इसके बाद ही फेक मैसेज के जरिए लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि वॉट्सऐप यूज़र्स को ऐसे किसी मैसेज पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि कंपनी ने खुद इसे फेक करार दिया है। व्हाट्सएप मे कहा है कि यूज़र्स के बीच वॉट्सऐप पर होने वाली चैट एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड होती है। इसका मतलब है कि कोई भी इस चैट को नहीं पढ़ सकता। इस तक किसी सरकार या थर्ड पार्टी की पहुंच नहीं है। व्हाट्सएप ने लोगों से इस तरह के किसी मैसेज को फॉरवर्ड नहीं करने और इसकी रिपोर्ट करने को कहा है।
जानकारी के अनुसार अभी व्हाट्सएप चैट्स में दो टिक दिखते हैं। मैसेज भेजने पर अगर एक टिक दिखता है तो इसका मतलब है मैसेज भेज दिया गया है, लेकिन दूसरे यूजऱ को प्राप्त नहीं हुआ। मैसेज प्राप्त होने पर दो टिक दिखते हैं और मैसेज पढऩे पर दो टिक नीले रंग के हो जाते हैं।
नई दिल्ली ,29 मई । अभी-अभी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 100 रुपये के वार्निश लगे नोट जारी करने की तैयारी में है। खबर है कि अब 100 रुपए का नोट खूब चमकदार होगा। नोट में पहले भी चमक थी, लेकिन अब इसे और बढ़ाने का फैसला किया गया है। अभी इसे ट्रायल के आधार पर जारी किया जाएगा। बाद में इसे बड़े पैमाने पर उतारने की तैयारी है। वार्निश लगे नोट उतारने के पीछे वजह नोटों को टिकाऊ और सुरक्षित बनाना है।
फील्ड ट्रायल सफल रहता है तो वार्निश लगे नोट धीरे-धीरे उतारे जाएंगे और पुराने नोट हटा लिए जाएंगे। उनकी जगह पर नए चमकदार नोट आ जाएंगे। वार्निश चढ़े नोट के बारे में रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है। आरबीआई ने नोटों के लिए कई प्लान बनाए हैं जिसमें वार्निश लगे नोट भी एक है।
रिजर्व बैंक नोटों को इस तरह से डिजाइन करना चाहता है जिससे कि नेत्रहीन लोग भी हाथ में लेकर पहचान सकें। रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है, भारतीय नोट में नेत्रहीन लोगों की सुविधा के लिए कई इंतजाम किए गए हैं। जैसे इंटेग्लियो प्रिंटिंग, टेक्टाइल मार्क, नोटों के अलग-अलग साइज, नोटों पर बड़े अक्षरों में शब्द लिखना, नोटों के अलग-अलग रंग, मोनोक्रोमेटिक कलर और नोटों का पैटर्न इसमें शामिल हैं।
नोटों की चलिटी बेहतर हो, इसके लिए आरबीआई ने मुंबई में बैंकनोट चलिटी एस्योरेंस लेबोरेटरी की स्थापना की है। इस लेबोरेटरी का काम नोटों को अपग्रेड करने और स्टैंडर्ड बढ़ाने पर जोर देना है। देश के अलग-अलग प्रेस नोट में नोट छपते हैं, उन सबका स्टैंडर्ड एक हो और सभी सुरक्षा के मानकों का ध्यान रखा जा सके, बैंकनोट चलिटी एस्योरेंस लेबोरेटरी इस पर काम करता है।
सालाना रिपोर्ट में आरबीआई ने बताया है, पिछले साल की तुलना में इस साल नकली नोटों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। 10 के जाली नोट 20.2 परसेंट, 20 के जाली नोट 87.2 परसेंट और 50 के जाली नोट 57.3 परसेंट पकड़े गए हैं। 500 और 2,000 के नकली नोट भी पकड़े गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 500 रुपये (नोटबंदी के बाद शुरू हुए नए नोट) के जाली नोटों में 121.10 परसेंट और 2,000 के जाली नोटों में 21.9 परसेंट की तेजी देखी जा रही है। हालांकि एक अच्छी बात यह है कि 100 के जाली नोटों में पहले से गिरावट है और इसमें 7.5 परसेंट की कमी देखी गई है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि 100 के नए नोट हाल में जारी किए गए हैं।
गौर हो कि 1 जुलाई, 2020 से 31 मार्च 2021 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर कुल 4,012.1 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। पिछले साल जुलाई 2019 से जून 2020 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर 4,377.8 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। जाली नोटों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा कि कुल नकली नोटों में 3.9 परसेंट रिजर्व बैंक में जबकि 96.1 परसेंट अन्य बैंकों में पाए गए थे। 2020-21 के दौरान कुल 2,08,625 जाली नोट पकड़ में आए। 2019-20 में यह संख्या 2,96,695 थी और 2018-19 में 3,17,384 थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में इस साल नोटों की आवक 9.7 परसेंट कम हुई है। पिछले साल से इस साल देखें तो बैंक नोट की सप्लाई 0.3 परसेंट कम हुई है।
बाजार में जितने नोट हैं, उनमें किस नोट की कितनी मात्रा है, रिजर्व बैंक ने इसके बारे में भी बताया है। वैल्यू टर्म में देखें तो 500 और 2,000 के बैंक नोट 85।7 परसेंट चलन में हैं। यानी कि देश में जितने बैंक नोट चलन में हैं, उनमें 85.7 परसेंट 500 और 2,000 के नोट हैं। 31 मार्च, 2020 को यह मात्रा 83.4 परसेंट थी। रिपोर्ट में यह बात कही गई है। वॉल्यूम के हिसाब से देखें तो 500 के नोट का शेयर सबसे ज्यादा है और यह 31.1 परसेंट के आसपास है। उसके बाद 10 रुपये का नोट आता है जिसका वॉल्यूम 23.6 परसेंट है। नोटों की यह मात्रा 31 मार्च, 2021 के चलन के हिसाब से बताई गई है।