पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्तान सेना प्रमुख से गले मिलने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इसके चलते सिद्धू के खिलाफ मुजफ्फरपुर में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है। 24 अगस्त को कोर्ट द्वारा इस मामले में सुनवाई की जाएगी।
यह देशद्रोह का मुकदमा सीजेएम(मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी) की अदालत में दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सुधीर ओझा का कहना है कि सिद्धू ने पाकिस्तान सेना प्रमुख के गले लगकर सेना का अपमान किया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के पद पर इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी देश के सैन्य प्रमुख को गले लगाने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि सिद्धू ने इसका बचाव करते हुए कहा था कि अगर कोई कहे कि हमारी संस्कृति एक है और ऐतिहासिक गुरूद्वारा करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने की बात करे तो उन्हें क्या करना चाहिए था?
यही नहीं इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पहली पंक्ति में पीओके प्रमुख के बगल में बैठने के मुद्दे पर कांग्रेस नेता ने जवाब दिया था, ”अगर आपको कहीं सम्मान स्वरूप अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है तो आप वहीं बैठते हो जहां आपको कहा जाता है। मैं कहीं ओर बैठ सकता था लेकिन उन्होंने मुझे वहां बैठने के लिए कहा।”
ब्रिटेन से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है। बताया जा रहा है कि जब महिला डॉक्टर के पास अपनी बांई आंख के इलाज के लिए गई तो उसकी आंख में कॉन्टेक्ट लेंस पाया गया। जो कि 28 साल पुराना कॉन्टेक्ट लेंस था। मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 42 वर्षीय महिला को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसके आंख में बीते 28 साल से कॉन्टेक्ट लेंस मौजूद था। डॉक्टरों ने जब उसका एमआरआई स्कैन किया तो उसकी आंख में गांठ पाई गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन किया और उसी दौरान उन्हें आंख में कॉन्टेक्ट लेंस मिला।रिपोर्ट के मुताबिक जब महिला की उम्र 14 साल थी तभी से उसकी आंख में वो लेंस था। उसकी मां का कहना है कि 14 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलते हुए उसकी आंख में शटर लग गई थी। उसे लगा कि उसकी आखों में जो लेंस लगा है वह गिर गया है और खो गया है। लेकिन वो लेंस निकलने की बजाय उसकी आंख के अंदर जा चुका था। डॉक्टर भी हैरान हैं कि 28 साल से उसकी आंखों में एक लेंस था लेकिन उसे कोई नुकसान नहीं हुआ।
इस्लामाबाद :1 करोड़ नौकरियां पैदा करना, एक इस्लामिक कल्याणकारी देश बनाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तार-तार हो चुकी पाकिस्तान की छवि को सुधारना, नए प्रधानमंत्री इमरान खानके सामने अब देश से किए खुद के इन वादों को पूरा करने की चुनौती है। स्टार क्रिकेटर रहे और फायरब्रैंड राष्ट्रवादी खान ने बीते महीने हुए चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें जीती। इस चुनाव को जीतने के लिए खान ने देश में भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने और लोगों को गरीबी से निकालने का वादा किया। लेकिन उन्हें कई चुनौतियां विरासत में मिली है, जिनमें से आर्थिक संकट और आतंकवाद के मुद्दे पर अहम सहयोगी रहे अमेरिका के साथ खराब रिश्ते सबसे बड़ी हैं। अफगानिस्तान और भारत जैसे पड़ोसी देशों के साथ भी तनावपूर्ण रिश्ते चुनौतियों में शुमार है।
संसद में विपक्षी खान को कठपुतली बताकर और उनकी जीत के पीछे सेना के साथ गठजोड़ को कारण बता उनके खिलाफ एक महागठबंधन बनाने की राह पर हैं। हालांकि, खान लगातार चुनावों में सेना की मदद मिलने के आरोपों का खंडन करते रहे हैं।
अपने विजयी भाषण में खान ने भारत के साथ तनाव खत्म करने की बात कही तो वहीं अमेरिका के साथ परस्पर फायदेमंद रिश्तों का समर्थन किया।
विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा करने वाले खान पहले नेता बनेंगे या नहीं यह प्रभावशाली सैन्य अफसरों के साथ उनके रिश्तों पर निर्भर करता है। अगर उनकी विदेश नीति सैन्य अधिकारियों से अलग होगी, तो विशेषज्ञ कहते हैं कि खान का भी वही हाल होगा जो दूसरे प्रधानमंत्रियों का हुआ और वह भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे। पॉलिटिकल कमेंटेटर आमिर अहमद कहते हैं, ‘तब उनका भविष्य भी बाकी नेताओं के जैसा ही होगा।’
जनता की बड़ी उम्मीदें
संसद में बहुमत के लिए छोटी पार्टियों पर निर्भर, और सेनेट में विपक्ष का नियंत्रण, खान की गठबंधन सरकार के लिए बड़े और कड़े फैसले लेने की राह में रोड़ा बन सकते हैं।
फिर भी देश, खासतौर पर खान के युवा समर्थक अभी भी आशावान हैं कि खान भ्रष्टाचार मुक्त और समृद्ध नया पाकिस्तान बनाएंगे।
पाकिस्तान के टाइम्स अखबार के एडिटर रज़ा अहमद रूमी कहते हैं, ‘इमरान खान की सबसे बड़ी चुनौती अपने समर्थकों और वोटर्स की उम्मीदों को संभालना है क्योंकि उनके वादे चांद तोड़कर लाने जैसे हैं।’
इसी हफ्ते स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस्लामाबाद की सड़कों पर झंडा फहराते पाकिस्तानियों में से अधिकतर को भरोसा था कि खान वर्ल्ड क्लास अस्पता बनाने और शिक्षा व्यवस्था सुधारने के अपने वादे पूरे करेंगे, वह भी एक ऐसे देश में जहां निरक्षरता दर 40 प्रतिश से ज्यादा है।
खान की पार्टी के लिए चुनावों में स्वेच्छा से काम करने वाले शेख फरहाज कहते हैं, ‘मैंने अपनी बेटी को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी में डाला है क्योंकि हमें भरोसा है कि पाकिस्तान बदलने वाला है।’
देश के लोग इसलिए भी उत्साहित हैं क्योंकि खान ने दशकों से सत्ता पर देश के दो परिवारों के दबदबे को खत्म करते हुए जीत हासिल की है। सड़क किनारे झंडे बेचने वाले शाह सुल्तान ने कहा, ‘हमें इमरान खान से बहुत उम्मीदें हैं। हम निम्न वर्ग के लोग हैं और मैंने खान को इसलिए वोट दिया था क्योंकि पिछले राजनेताओं ने हमारे देश के साथ क्या किया। उन्होंने हमारे देश के पास कुछ भी नहीं छोड़ा।’
बढ़ता आर्थिक संकट
लेकिन खान के कैंपेन में किए वादों को कितना पूरा किया जाएगा, यह देश की आर्थिक हालत से जांचा जा सकता है। सेंट्रल बैंक ने बीते दिसंबर से 4 बार रुपये का अवमूल्यन किया है लेकिन फिर भी मौजूदा घाटा मुद्रा को संकट की ओर ले जा रहा है, जबकि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.8 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
आर्थिक विकास लगभग 6 प्रतिशत पर चल रहा है, लेकिन इन घाटे की अस्थिरता को देखते हुए पाकिस्तान की वृद्धि में गिरावट की भविष्यवाणी करना आसान है।
खान सरकार को जल्द ही यह तय करना पड़ेगा कि चीन से और कर्ज लेना है या नहीं या फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से बेलआउट पैकेज लेना है। अगर ऐसा होता है तो 1980 के बाद से यह पाकिस्तान का 15वां बेलआउट पैकेज होगा। दोनों ही कर्जदाता पाकिस्तान से कड़े वित्तीय अनुशासन के पालन की मांग कर सकते हैं, जिसका अर्थ है खर्चे में बड़ी कटौती।खान ने अपने सरकार के पहले 100 दिन का प्लान पेश कर दिया है लेकिन पीटीआई की तरफ से प्रस्तावित अधिकांश सुधारों को पूरा होने में लंबा वक्त लगेगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेकर भारत लौटे पंजाब के मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने वहां की खातिरदारी की जमकर प्रशंसा की. सिद्धू ने रविवार को कहा, ‘पाकिस्तान में बहुत प्यार और अपनापन मिला. ये एक पहल है जो सकारात्मक है.’ कांग्रेस नेता सिद्धू यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, पूरी उम्र में जो नहीं मिला वह 2 दिन में मिला है. शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान के बगल में बैठने के सवाल पर सिद्धू ने कहा, ‘मैं वहां मेहमान था, मुझे जहां बिठाया गया मैं वहां बैठ गया.’ यहां गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत अपना हिस्सा बताता है. वहां के किसी भी राष्ट्रपति के पद को भारत स्वीकार नहीं करता है.
इससे पहले शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने शनिवार को उम्मीद जतायी कि उनके मित्र इमरान खान का पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनना पाकिस्तान-भारत शांति प्रक्रिया के लिए बेहतर होगा. गहरे नीले रंग का सूट और एक गुलाबी पगड़ी पहने सिद्धू खान के शपथ ग्रहण समारोह में अन्य विशिष्ट अतिथियों के साथ मौजूद थे. खान ने आज इस्लामाबाद स्थित ऐवान-ए-सद्र (पाकिस्तान के राष्ट्रपति भवन) में पद और गोपनीयता की शपथ ली. खान 1992 के विश्व कप में पाक क्रिकेट टीम के कप्तान थे जब पाकिस्तान ने विश्व कप जीता था. खान ने अपनी टीम के कुछ पूर्व सहयोगियों और मित्रों को अपने शपथग्रहण में आमंत्रित किया था.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के एक व्यापारी ने भारत के बाढ़ प्रभावित राज्य केरल की आर्थिक सहायता के लिए 26 लाख दिरहम (707, 837 डॉलर) का दान दिया है। भारतीय रुपए में देखा जाए तो यह दान 4,94,03,483 रुपए का है।खलीज टाइम्स’ के अनुसार, फातिमा हेल्थकेयर ग्रुप के अध्यक्ष के.पी. हुसैन के अनुसार, राशि का लगभग आधा हिस्सा केरल के मुख्यमंत्री राहत निधि जबकि शेष चिकित्सा सहायता के लिए आवंटित किया जाएगा। हुसैन ने कहा कि समूह ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव के साथ समन्वय किया है ताकि राहत शिविरों तक मेडिकल संकाय से अपने स्वयंसेवकों को भेजा जा सके जिसमें डॉक्टर और पैरामेडिक्स शामिल हैं। इससे पहले यूएई के अन्य व्यापारी भी केरल में राहत अभियानों में दान देने की बात कह चुके हैं।