नई दिल्ली। किसानों का आंदोलन लगातार 12वें दिन जारी है। किसान संगठनों की ओर से केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हुए हैं और आठ दिसंबर (मंगलवार) को भारत बंद का आह्वान किया है।
इससे पहले किसानों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। किसानों के विरोध-प्रदर्शन के चलते दिल्ली की कई सीमाएं सील कर दी गई हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा ट्विटर पर दी गई जानकारी के अनुसार, सिंघु, औचंडी, पियाओ, मनियारी, मंगेश बॉर्डर बंद है। इसके अलावा टिकरी और झरोडा बॉर्डर भी बंद है। उधर, उत्तर प्रदेश से दिल्ली में प्रवेश करने वाले मुख्य पथ, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-24 स्थित गाजीपुर बॉर्डर भी किसानों के आंदोलन के चलते बंद है। इसके अलावा नोएडा लिंक रोड स्थित चिल्ला बॉर्डर भी बंद है।
किसान आंदोलन के चलते सिंघु और टिकरी बॉर्डर के साथ-साथ गाजीपुर बॉर्डर पहले से ही बंद था, लेकिन अब कई और सीमाएं सील कर दी गई हैं। किसान नेताओं ने मांगें नहीं मानी जाने की सूरत में आंदोलन तेज करने की चेतावनी पहले ही दी थी। अब वे आठ दिसंबर को भारत बंद को सफल बनाने में जुटे हैं।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 12वें दिन में प्रवेश कर गया। वहीं पूरा विपक्ष लामबंद होकर किसानों के आंदोलन के समर्थन कर रहा है और कल आठ दिसंबर के भारत बंद के ऐलान का समर्थन करने के लिए दस ट्रेड यूनियन भी समर्थन में आ गई हैं, लेकिन देश व्यापी बंद में कुछ आवश्यक सेवाओं को छूट देने का भी ऐलान किया गया है। वहीं कनफेडेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) और ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टस वेलफेयर एसोसिएशन ने ऐलान किया है कि वे इस भारत बंद में शामिल नहीं होंगे और देशभर के बाजार व ट्रांसपोर्ट खुले रहेंगे। उधर भारत बंद को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किये हैं।
केंद्र सरकार और किसान संगठनों में कई दौर की वार्ताएं हो चुकी है, लेकिन उनका अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। केंद्र सरकार पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए दबाब बनाने के प्रयास में किसानों ने मंगलवार आठ दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। इस ऐलान के तहत हरियाणा-पंजाब के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान व तमिलनाडु के किसानों ने भी बंद का समर्थन किया है। वहीं कांग्रेस समेत किसानों के समर्थन में लामबंद हो रहे हैं, तो भारत बंद को समर्थन देने के लिए 10 ट्रेड यूनियन भी सामने आ गई हैं। दिल्ली में कुछ ऑटो और टैक्सी यूनियनों ने किसानों के भारत बंद को समर्थन दिया है। इस कारण शहर में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कई अन्य संघों ने किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन देने के बावजूद सेवाएं सामान्य तौर पर जारी रखने का निर्णय लिया है।
दिल्ली सीमा पर डटे आंदोलन किसानों ने ऐलान किया कि यह बंद चक्का जाम के साथ सुबह 11 बजे से 3 बजे तक रहेगा, लेकिन बंद से आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि 11 बजे से लेकर तीन बजे के बीच तीन राज्यों हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सभी मंडियां बंद रहेंगी। भाकियू प्रवक्ता राजेश टिकैत ने कहा कि हमारा विरोध शांतिपूर्ण है और हम इस तरह ही इसे जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि हम आम आदमी के लिए समस्याएं पैदा नहीं करना चाहते। इसलिए हम सुबह 11 बजे बंद शुरू करेंगे, ताकि वे समय पर कार्यालय के लिए निकल सकें। कार्यालयों में काम के घंटे दोपहर 3 बजे तक समाप्त हो जाएंगे। इस बंद के दौरान यातायात सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। बस और रेल से यात्रा करने वाले यात्रियों को परेशानी हो सकती है। इसी प्रकार आवश्यक चीजों जैसे दूध, फल और सब्जी पर रोक रहेगी। जबकि एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी। मेडिकल स्टोर खोले जा सकते हैं और अस्पताल सामान्य दिनों की तरह खुले रहेंगे। वहीं शादियों पर कोई पाबंदी नहीं रहेगी।
भारत बंद को टीएमसी का साथ नहीं : राय
टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस किसानों के आंदोलन के साथ खड़ी है, मगर हम उनके भारत बंद को बंगाल में समर्थन नहीं देगें। यह भारत बंद हमारे सिद्धांत के खिलाफ है।
नई दिल्ली। व्यापारियों के संगठन कनफेडेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को किसानों के 'भारत बंद के दौरान दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में बाजार खुले रहेंगे। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टस वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यू) भी घोषणा की है कि 'भारत बंद के दौरान परिवहन या ट्रांसपोर्ट क्षेत्र का परिचालन भी सामान्य रहेगा। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान पिछले 11 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने लोगों से उनके 'भारत बंद के आह्वान में शामिल होने की अपील की है। कैट और एआईटीडब्ल्यूए ने सोमवार को संयुक्त बयान में कहा कि किसी भी किसान नेता या संगठन ने उनसे इस मुद्दे पर समर्थन नहीं मांगा है। ऐसे में व्यापारी और ट्रांसपोर्टर 'भारत बंद में शामिल नहीं होंगे।
कांग्रेस ने संशोधन की कही थी बात
नई दिल्ली। देश में लगातार 12वें दिन किसानों का आंदोलन चल रहा है। सभी विपक्षी दलों ने किसानों के इस विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है। किसानों ने मांगे पूरी न होने की सूरत में आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को कहा कि विपक्षी दल दोहरा रवैया अपना रहे हैं। विपक्ष केवल विरोध के लिए विरोध कर रहा है। प्रसाद ने एक-एक कर उन तमाम नेताओं के नाम लेकर हमला बोला है जिन्होंने कृषि कानूनों पर सरकार से मिलती-जुलती राय रखी थी।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएंगे। हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन ये सभी कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेंद्र मोदी जी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है। विपक्ष का शर्मनाक और दोहरा चेहरा सामने आया है। विपक्ष राजनीतिक वजूद बचाने के लिए आंदोलन के साथ है। विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, किसानों से संबंधित सुधारों को लेकर जो कानून बने हैं, उसको लेकर कुछ किसान संगठनों ने जो शंका उठाई है उसके लिए चर्चा हो रही है, वो चर्चा की अपनी प्रक्रिया है जो सरकार कर रही है। लेकिन अचानक तमाम विपक्षी या गैर भाजपाई दल कूद गए हैं। आज जब कांग्रेस का राजनीतिक वजूद खत्म हो रहा है, ये बार-बार चुनाव में हारते हैं चाहे वो लोकसभा हो, विधानसभा हो या नगर निगम चुनाव हो। ये अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी विरोधी आंदोलन में शामिल हो जाते हैं।
कांग्रेस ने की थी कानून संशोधन की बात
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 2019 के चुनाव में अपने चुनाव घोषणा पत्र में साफ-साफ कहा है कि वो एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट एक्ट को समाप्त करेगी और किसानों को अपनी फसलों के निर्यात और व्यापार पर सभी बंधनों से मुक्त करेगी। शरद पवार पर हमला करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि शरद पवार जब देश के कृषि और उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने देश के सारे मुख्यमंत्रियों को चि_ी लिखी थी। जिसमे उन्होंने लिखा था कि मंडी एक्ट में बदलाव जरूरी है, प्राइवेट सेक्टर का आना जरूरी है, किसानों को कहीं भी अपनी फसल बेचने का अवसर मिलना चाहिए।
किसानों के समर्थन में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने आज धरना दिया। इसे लेकर प्रसाद ने कहा कि वह अखिलेश यादव को याद दिलाना चाहते हैं कि अखिलेश जी एग्रीकल्चरल स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट आई है। उसमें आपके पिता मुलायम सिंह यादव भी सदस्य हैं। उन्होंने भी उस रिपोर्ट में साफ-साफ कहा है कि ये बहुत जरूरी है कि किसानों को मंडियों के चंगुल से मुक्त किया जाए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि नए कानून को 23 नवंबर 2020 को दिल्ली सरकार ने गजट करके नोटिफाई कर दिया था। एक तरफ आप विरोध कर रहे हैं दूसरी तरफ नोटिफाई कर रहे हैं।
काले कानूनों को वापस ले
नई दिल्ली। कांग्रेस ने किसान संगठनों की ओर से आहूत 'भारत बंद से एक दिन पहले सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को 'अहंकार छोड़कर किसानों के मन की बात सुननी चाहिए और कृषि से संबंधित 'काले कानूनों को वापस लेना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि सरकार को कृषि कानूनों को रद्द करना होगा और इससे कम, कुछ भी मंज़ूर नहीं होगा। कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''देश का किसान राजनीतिक दायरे से ऊपर उठकर एकजुट है। कांग्रेस ने किसान संगठनों की ओर से आहूत 'भारत बंदÓ से एक दिन पहले सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को 'अहंकार छोड़कर किसानों के मन की बात सुननी चाहिए और कृषि से संबंधित 'काले कानूनों को वापस लेना चाहिए। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि सरकार को कृषि कानूनों को रद्द करना होगा और इससे कम, कुछ भी मंज़ूर नहीं होगा। कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने यहां संवाददाताओं से कहा कि देश का किसान राजनीतिक दायरे से ऊपर उठकर एकजुट है। हरित क्रांति में नेतृत्व की भूमिका निभाने वाले पंजाब ने खेती व्यापारीकरण के खिलाफ क्रांति की है। हमें गर्व है कि कांग्रेस किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। उन्होंने दावा किया कि इस कानून की मूल भावना ही सवालों के घेरे में है। दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है। आज किसानों की परीक्षा नहीं है, बल्कि सरकार की परीक्षा है कि क्या वह सबको साथ लेकर चल सकती है? कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर भाजपा सरकार के लोग किसानों की बात नहीं सुनने चाहते हैं तो उन्हें आरएसएस से जुड़े संगठनों स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ की बात सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री से आग्रह करना चाहते हैं कि इस मामले का जल्द से जल्द हल निकाला जाए। सरकार अहंकार छोड़कर किसानों के मन की बात सुने और इन काले कानूनों को वापस ले। जाखड़ ने यह भी कहा कि इस मामले पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। उधर, पंजाब से जुड़े कई कांग्रेस सांसदों ने कृषि कानूनों के खिलाफ और प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने किसान संगठनों की ओर से आठ दिसंबर को आहूत 'भारत बंद का समर्थन किया है।
नई दिल्ली। पेट्रोलियम, रसायन एवं पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्र (पीसीपीआईआर) नीति को पूरी तरह नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। नए सिरे से तैयार नीति के तहत 2035 तक 20 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित कर भारत को पेट्रोलियम, रसायन, पेट्रोरसायन प्रसंस्करण और विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने में केंद्र की बड़ी भूमिका होगी।
पीसीपीआईआर नीति-2007 पूरी तरह विफल हो गई थी। इसमें खर्च का ज्यादातर बोझ राज्यों को वहन करना था। प्रस्तावित नयी नीति 2020-35 में पीसीपीआईआर की पूरी अवधारणा को नए सिरे से तैयार किया गया है। पुरानी नीति में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है। इसके तहत प्रत्येक निवेश क्षेत्र के आकार को 250 वर्ग किलोमीटर से घटाकर विशेष क्लस्टर एकीकरण रणनीति के साथ 50 वर्ग किलोमीटर किया जा रहा है। पीसीपीआईआर को राष्ट्रीय संरचना पाइपलाइन से जोडऩे से इसे काफी प्रोत्साहन मिल सकता है। 2007 में तैयार नीति में भारी शुरुआती पूंजीगत लागत की वजह से प्रस्तावित परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ पा रही थीं। समझा जाता है कि नयी नीति के तहत सरकार पीसीपीआईआर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कोष में करीब 20 प्रतिशत तक की कमी के लिए वित्तपोषण यानी वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा सरकार स्मार्ट और सतत प्रणालियां मसलन एकीकृत ठोस कचरा प्रबंधन, तत्काल आधार पर पर्यावरणीय निगरानी प्रणाली तथा आपात प्रतिक्रिया प्रणाली आदि के लिए 20 प्रतिशत का अतिरिक्त बजटीय आवंटन भी उपलब्ध करा सकती है। वीजीएफ के जरिये प्रत्येक परियोजना करीब दो लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटा सकती है। आंध्र प्रदेश सरकार में विशेष मुख्य सचिव रजत भार्गव की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने हाल में नयी पीसीपीआईआर नीति 2020-35 का मसौदा तैयार किया है और इसे केंद्रीय रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग को सौंपा है। पीसीपीआईआर नीति-2007 में पेट्रोलियम निवेश क्षेत्रों को विकसित करने का बोझ संबंधित राज्यों को वहन करना था। वहीं नयी नीति में इसका ज्यादातर बोझ केंद्र को उठाना होगा। केंद्र का अगले पांच साल में 100 लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्रियान्वयन का लक्ष्य है। समिति ने राष्ट्रीय संरचना पाइपलाइन के तहत पीसीपीआईआर परियोजनाओं के लिए प्राथमिकता के आधार पर वित्तपोषण सुनिश्चित करने का सुझाव दिया है।