0- पीएम ने की अयोध्या से जुड़ी परियोजनाओं की समीक्षा
0- राम मंदिर निर्माण से पहले परियोजनाओं को पूरा करने का दिया निर्देश
0- कहा - नई अयोध्या में दिखे इसकी आध्यात्मिक और उदात्त पहचान
नई दिल्ली ,26 जून । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अयोध्या से विकास से जुड़ी परियोजनाओं की समीक्षा की। समीक्षा में भावी अयोध्या से जुड़ी प्रस्तुति (विजन डॉक्यूमेंट) देखने के बाद पीएम ने अपनी ओर से कई सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि भावी अयोध्या भगवान राम की तरह बननी चाहिए। ऐसी अयोध्या जिसमें भगवान राम की तरह पूरे भारत को आत्मसात कर लेने की क्षमता की जिससे आने वाली पीढिय़ों में अपने जीवन में कम से कम एक बार अयोध्या जाने की इच्छा अनिवार्य रूप से जागृत हो। पीएम ने राम मंदिर निर्माण से पहले सभी परियोजनाओं को पूरा करने का निर्देश दिया।
इस दौरान पीएम ने याद दिलाया कि अयोध्या ऐसा शहर है जो सभी भारतीयों की चेतना में अंकित है। ऐसे में नया शहर ऐसा बने जिसमें हमारी सर्वोत्तम परंपराओं और विकास से जुड़े सर्वोत्तम परिवर्तनों की स्पष्टï झलक दिखाई दे। उन्होंने कहा कि नए शहर के निर्माण से पहले हमें समझना होगा कि अयोध्या आध्यात्मिक और उदात्त दोनोंं है। शहर के भविष्य का बुनियादी ढांचा इस शहर के मानव लोकाचार से मेल खाने वाला होना चाहिए। ऐसा निर्माण पर्यटकों, तीर्थयात्रियों, अध्यात्म से जुड़े लोगों के सहित हर वर्ग को लाभ देगा।
सांस्कृतिक जीवंतता का रखें ध्यान
इस दौरान पीएम ने अयोध्या की प्राचीन सांस्कृतिक पहचान की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि अयोध्या में तेज गति से विकास होना चाहिए। जिन परियोजनाओं को मंजूरी मिली है, उसे तेज गति से पूरा किया जाना चाहिए। इन परियोजनाओं को हर हाल में राम मंदिर बनने से पहले पूरा कर लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अयोध्या की पहचान का जश्न मनाएं, मगर नवोन्वेषी तरीकों से इसकी सांस्कृतिक जीवंतता को जीवित रखें।
स्वस्थ जनभागीदारी भी हो सुनिश्चित
पीएम ने कहा कि विकास कार्यों और निर्माण कार्यों में स्वस्थ जनभागीदारी की भावना भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान राम के काल में स्वस्थ जनभागीदारी की भावना कई बार दिखाई दी है। उन्होंने कहा कि देश के युवा कौशल के मामले में प्रतिभा से पूर्ण हैं। विकाय कार्यों में ऐसे युवाओं के कौशल का लाभ उठाया जाना चाहिए।
पीएम के निर्देशों के अनुरूप बनेगी अयोध्या
बैठक में अधिकारियोंं की ओर से परियोजनों के संदर्भ में एक प्रस्तुति दी गई। इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि अयोध्या को वैश्विक पर्यटन हब, आध्यात्मिक केंद्र और स्थाई स्मार्ट सिटी के रूप मेंं विकसित करने की परिकल्पना है। बैठक में राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्य और दिनेश शर्मा, मंत्रियों में सुरेश खन्ना, आशुतोष टंडन, नीलकंठ तिवारी, महेंद्र सिंह, अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह, राज्य के मुख्य सचिव, पर्यटन सचिव आदि मौजूद रहे।
0- एक सप्ताह में लगाई 3.3 करोड़ वैक्सीन
नई दिल्ली ,26 जून । कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भारत में जो तबाही मचाई उससे कोई अंजान नहीं। यहां हजारों की संख्या में लोगों मे जान गंवाई। मगर अब भारत ने कोरोना पर अटैक तेज कर दिया है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारत में टीकाकरण के नए चरण की शुरुआत के बाद अब वैक्सीन लगाने की रफ्तार तेज हो गई है। इस सप्ताह भारत में करीब साढ़े तीन करोड़ वैक्सीन लगाई गई है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। भारत में एक दिन (21 जून को) में 80 लाख से अधिक लोगों को टीका लगाया गया था। यह संख्या स्विट्जरलैंड की आबादी के बराबर है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में कहा गया है कि 21 जून से 26 जून के बीच 3.3 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की खुराकें दी गई हैं। इससे पहले टीकाकरण का साप्ताहिक रिकॉर्ड 2.47 करोड़ खुराक का था जो कि 3 अप्रैल से 9 अप्रैल के बीच दर्ज किया गया था।
महाराष्ट्र सबसे आगे
महाराष्ट्र शुक्रवार को 3 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड -19 वैक्सीन खुराक देने वाला पहला राज्य बन गया। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, पश्चिम बंगाल में भी वैक्सीन दिए जाने के आंकड़े दो करोड़ से तीन करोड़ खुराक के बीच हैं।
कैसे आई टीकाकरण में तेजी?
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारत में टीकाकरण के नए चरण की शुरुआत की गई। इसके तहत कई राज्यों ने मेगा टीकाकरण शिविर आयोजित किए। इसी की मदद से 21 जून को टीकाकरण का एक दिन का आंकड़ा 80 लाख से अधिक हो गया। इसके बाद रोजाना टीकाकरण का आंकड़ा 80 लाख से घटकर करीब 60 लाख पर आ गया, लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा साप्ताहिक टीकाकरण का रिकॉर्ड बना।
और तेज होगा वैक्सीन कार्यक्रम
सरकार ने कहा है कि टीकाकरण की संख्या वास्तव में और बढ़ जाएगी क्योंकि भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया दोनों जुलाई, अगस्त में वैक्सीन प्रोडक्शन में तेजी ला रहे हैं। ऐसे में निजी अस्पताल भी अपने 25 प्रतिशत कोटे से वैक्सीन निर्माताओं से टीके खरीदना शुरू कर देंगे। सरकार ने पहले कहा था कि वह दिसंबर 2021 तक पूरी आबादी का टीकाकरण करेगी। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन की झिझक और सप्लाई में कमी इस समय चुनौती खड़ी कर सकती है।
0- सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर
नई दिल्ली ,26 जून । सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर पश्चिम बंगाल में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें डिटेन कर डिपोर्ट करने की गुहार लगाई गई है। याचिका में केंद्र व पश्चिम बंगाल सरकार को एक वर्ष के भीतर ऐसे सभी लोगों को डिपोर्ट करने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई है।
बर्धमान निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता संगीता चक्रवर्ती द्वारा संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत दायर इस याचिका में ऐसे सरकारी अधिकारियों, पुलिसकर्मियों और सुरक्षा बल के लोगों की पहचान कर उनपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) लगाने की गुहार लगाई गई है जिनका लिंक ऐसे माफियाओं से हैं जिनकी बदौलत ये सभी भारत में अवैध तरीके से घुस आए।
वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया है कि ऐसे सरकारी अधिकारियों की आय से अधिक संपत्तियों को शत-प्रतिशत जब्त कर लिया जाना चाहिए। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि वैसे सरकारी अधिकारियों, ट्रैवल एजेंट व अन्य लोगों पर भी रासुका लगाया जाना चाहिए जिन्होंने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियो के लिए आधार, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत आदि की व्यवस्था करवाई। याचिका में यह भी कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में एक अध्याय जोड़ा जाए और उसमें अवैध तरीके से देश में घुसने के अपराध को संज्ञेय गैर जमानती और गैर समझौतावादी घोषित किया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों ने हिंदू परिवारों के साथ लूटपाट, मारपीट, अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम दिया। उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया। निशाना उन हिन्दू परिवारों को निशाना बनाया गया जिन्होंने भाजपा को वोट दिया था। याचिका में ऐसे कुछ पीडि़त परिवारों का हवाला भी दिया गया है। याचिका में विधि आयोग की 175वीं रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया था कि अवैध घुसपैठिए लोकतंत्र और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। रिपोर्ट में खासतौर पर भारत के पूर्वी भाग और जम्मू एवं कश्मीर में घुसपैठियों का जिक्र किया गया था।
झांसी ,25 जून । झांसी में गलत ट्रेन में सवार होने का अहसास होने पर पांच यात्रियों के ट्रेन से कूद जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई।
मृतक की पहचान 33 वर्षीय अजय कुमार के रूप में हुई है, जो ट्रेन के पहिए के नीचे आ गया, जबकि घटना में उसके दो भाई-बहनों सहित चार अन्य घायल हो गए।
पीडि़त झांसी स्टेशन पर गलत ट्रेन में सवार हो गए थे और स्टेशन से निकलते ही घबरा गए।
आनन-फानन में वे सभी ट्रेन से कूद गए जिससे अजय की मौत हो गई।
घटना बीती शाम झांसी रेलवे स्टेशन से महज एक किलोमीटर की दूरी पर हुई।
अजय अपने छोटे भाई-बहन विजय कुमार और संजय, चचेरे भाई संदीप कुमार और चाचा जगमोहन के साथ आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी जा रहे थे।
वे सभी आंध्र प्रदेश में एक निजी कंपनी में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं।
विजय को गंभीर चोटें आई हैं और वह कोमा में है। बाकी तीन लोग मामूली रूप से घायल होने से बाल-बाल बचे।
पांच में से एक संदीप कुमार ने कहा,कि वे गोरखपुर से बस में झांसी पहुंचे और राजमुंदरी के लिए ट्रेन में सवार होना था। लेकिन गलती से हम दिल्ली जाने वाली ट्रेन में सवार हो गए।
झांसी संभाग के जीआरपी कर्मियों ने कहा कि उन्हें घटना का एक संकटपूर्ण संदेश मिला है।
सब-इंस्पेक्टर संदीप कुमार ने कहा, पांच लोग लगभग एक किलोमीटर की यात्रा के बाद ट्रेन से कूद गए थे। पीडि़त घबरा गए और गलती का एहसास होने के बाद ट्रेन से कूद गए। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, जबकि घायलों को झांसी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
नई दिल्ली ,25 जून । दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा के वाहन पर खतरनाक और लापरवाही से वाहन चलाने के लिए चालान काटा है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, वाड्रा की कार को दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के बारापुल्ला फ्लाईओवर पर पीछे से टक्कर मारी गई। उन्होंने अचानक ब्रेक लगाई थी, जिसके बाद चालान जारी किया गया।
वाड्रा बीती सुबह अपने कार्यालय जा रहे थे, जबकि उनके साथ उनके सुरक्षाकर्मी एक अन्य वाहन में सवार थे।
अचानक वाड्रा ने ब्रेक लगाया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सुरक्षा टीम के वाहन ने उनकी कार को पीछे से टक्कर मार दी। उन्होंने कहा कि घटना के बाद यातायात पुलिस ने चालान जारी किया।
नई दिल्ली ,25 जून । नीति आयोग ने नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉलकी अध्यक्षता और भारतीय पोषण संस्थान की निदेशक डॉआर हेमलता की सह अध्यक्षता में मातृ, किशोरावस्था और बचपन के मोटापे की रोकथाम पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
समस्या को पेश करते हुए, नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव (स्वास्थ्य और पोषण) डॉ राकेश सरवाल ने मोटापे को एक मौन महामारी की संज्ञा दी। राष्ट्रीय परामर्श में वैश्विक विशेषज्ञों, संयुक्त राष्ट्र निकायों, केंद्रीय मंत्रालयों और राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधियों नेमोटापे के बढ़ते प्रसार को लेकर अपने साक्ष्य प्रस्तुत किएऔर मोटापे को कम करने के लिए सबसे कारगर तरीके भी पेश किए।
यूनिसेफ इंडिया के पोषण वर्ग के प्रमुख अर्जन डे वाग्ट ने भारत में अति पोषण के बढ़ते बोझ पर साक्ष्य प्रस्तुत किया। इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ (आईईजी) के प्रोफेसर विलियम जोने भारत के कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में मोटापे के वर्तमान और उभरते रुझानों से जुड़ा महत्वपूर्णआंकड़ा साझा किया।
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) की हेड ऑफ यूनिट और प्रोग्राम ऑफिसर (स्वास्थ्य एवं पोषण) शारिका युनूस ने मोटापे को रोकने के लिए खाद्य-आधारित सामाजिक सुरक्षा तंत्र में विविधता लाने की जरूरत पर जोर दिया।पीएचएफआई के स्वास्थ्य संवर्धन प्रभाग की निदेशक मोनिका अरोड़ा और डब्ल्यूएचओ की राष्ट्रीय पेशेवर अधिकारी (पोषण) रचिता गुप्ता ने भारतीय टेलीविजन पर मोटोपे को जन्म देने वाली प्रचार रणनीतियों को लेकर विचार-विमर्श किया। वैश्विक विशेषज्ञों -डीकिन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर कैथरीन बैकहोलरऔर वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के नीति निदेशक टिम लॉबस्टीनने बताया कि कैसे मोटापे से ग्रस्त आबादी एक अस्वस्थ आबादी है और मोटापे के इलाज की लागत, जंक फूड के प्रचार की लागत के बराबर है।
सम्मेलन में आयुष मंत्रालय और युवा मामलों के विभाग के सचिवों ने स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने पर अपने सुझाव पेश किए। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने व्यवहार परिवर्तन और एक अनुकूल नीति परिदृश्य शुरू करनेकी जरूरत पर जोर दिया। भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधियास्मीन हक ने भी इसकी वकालत की।
पैनल के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस मुद्दे पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देने की जरूरत का उल्लेख किया। उन्होंने शारीरिक गतिविधि, स्वस्थ भोजन और जीवन शैली को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर जन संचार पर जोर दिया। मोटापे की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए पूरी सरकार और पूरे समाज के दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर दिया गया।वित्तीय उपायों से संबंधित रणनीतियों को अपनाने की तत्काल जरूरत, पैकेज के आगे के हिस्से में लेबलिंग को विनियमित करना, स्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि और जीवन शैली विकल्पों को बढ़ावा देना भविष्य के विचार-विमर्श और कार्रवाई के लिए प्रमुख विषयों के रूप में उभरे।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉलने सम्मेलन के अंत में शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए किशोरों को लक्षित करते हुए एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।