क्या आगे चलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उनकी पार्टी वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की तरह साईड लाइन कर सकती है? भाजपा का मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यह कतई नहीं चाहता कि हिंदू सम्राट के रुप में उसने जिसकी छवि गढ़ कर देश के सर्वोच्च लोकतांत्रिक पद पर पहुंचाया है वह किंचित मात्र भी हिंदुत्व के एजेंडे से परे जाए। संघ प्रचारक से लेकर पंद्रह साल तक गुजरात के मुयमंत्री और फिर तीन साल से प्रधानमंत्री तक के अपने सियासी सफर में यूं तो मोदी की छवि एक आदर्श हिंदू नेता की रही है। वे हिंदुत्व के एजेंडे को फालो करते रहे हैं मगर बीच बीच में अचानक उन्हें इससे भटकते देख लोग भौंचक रह जाते हैं। अब यह उनके जैसे कद्दावर कुशल राजनीतिज्ञ की सहज स्वाभाविक वैचारिक अभिव्यित है या फिर राजनीतिक रणनीति? यदि भारत के धर्म निरपेक्ष और बहुलतावाद के पक्ष में गाहे बगाहे उनकी स्वीकारोित उन्हें आम जनमानस में एक सर्व स्वीकार्य नेता के रुप में खड़े कर सकती है तो दूसरी ओर अपने दोनों अग्रज और दिग्गज नेताओं की तरह हाशिए में जाने पर भी मजबूर कर सकती है। हाल ही में गौ रक्षा पर अपने बयान को लेकर मोदी फिर कांग्रेस के साथ अपने लोगों के निशाने पर हैं। भाजपा और कथित गौरक्षक उनके इस बयान से मायूस हैं। महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम के सौ साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि गौ रक्षा के नाम पर इंसान को मार देना कतई बर्दाश्त नहीं है। मुल्क में गाय के नाम पर बढ़ती हिंसक घटनाओं पर दुख जताते भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि या हमें गाय के नाम पर किसी इंसान को मारने का हक मिल जाता है ? या ये गो भित है, या ये गो रक्षा है। ये गांधी विनोबा का रास्ता नहीं हो सकता । हम कैसे आपा खो रहे हैं। या मरीज की मौत हो जाए तो हम अस्पताल में आग लगा देंगे,ड़ाटरों से मारपीट करेंगे ? हम या कर रहे हैं, इन चीजों को आज बढ़ावा मिल रहा है। मौजूदा हालात पर पीड़ा होती है। इस तरह की हिंसा पर सालभर में यह उनका चौथा बयान है । इसके पहले भी मोदी ने गौरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को लताड़ लगाई थी जिसके बाद गौरक्षकों ने उन्हें आड़े हाथों लिया था। इस बार भी इस वर्ग के नेता उनके बयान से जहां खिन्न हैं वहीं कांगे्रस ने इसे राजनीतिक स्टंड बताते घडिय़ाली आंसू बहाने वाला बयान बताया है। कांग्रेस प्रवता मनीष तिवारी ने तंज कसा है कि पीएम को खुद से पूछना चाहिए कि किसने इस देश में अराजकता का माहौल बनाया। वहीं महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि बयान सही है,लेकिन इसका जमीनी तौर पर भी कार्रवाई के साथ पालन किया जाना चाहिए। सालभर से बार बार मोदी का इस तरह से देश के संप्रभु और धर्म निरपेक्ष सामाजिक सद्भाव के ढांचे के पक्ष में बयान देना राजनीतिक रणनीति है, जनता और पद का नैतिक दबाव है या फिर उनकी सहज आत्म स्वीकारोित ? वत के साथ यह देखना दिलचस्प होगा । बहरहाल आरएसएस नीत अपनी पार्टी में अब तक हिंदू ह्दय सम्राट की छवि बनाने वाले मोदी यदि वाकई बदल रहे हैं तो उनका हश्र भी आगे चलकर इस लीक पर चलने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी की तरह हो सकता है। वाजपेयी ने गुजरात दंगों पर बतौर प्रधानमंत्री तत्कालीन मुयमंत्री नरेंद्र मोदी को बेबाकी से नसीहत देते हुए राजधर्म की याद दिलाते हुए दंगों को दुर्भाग्यजनक बताते दुख जताया था। हालांकि अपने पूरे राजनीतिक सफर में वाजपेयी की छवि कभी भी कट्टर हिंदू नेता की नहीं रही। समाजवादी सोच के होने से उनके बारे में लोग कहते थे कि एक अच्छा नेता गलत पार्टी में है। मगर वे आखिर तक पार्टी के प्रति निष्ठावान रहे । किंतु अपनी स ा ं प ्र द ा िय क सद्भाव की छवि की कीमत उ न् ह े ं च ु क ा न े चुकानी पड़ी । धीरे धीरे उन्हें नेपथ्य में धकेला जाने लगा। इसी तरह भाजपा के संस्थापक और इसे स्टैंड करने वाले आडवानी ताजिंदगी कट्टर संघी रहे मगर उम्र ढलने, देश की संस्कृति के साथ प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति बनने की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के साथ उन्हें यह एहसास हो चला कि गंगा जमुनी तहजीब की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। इसके चलते उन्होंने इसकी स्वीकारोित जिन्ना की कब्र पर यानी ऐसी जगह पर की जहां से यह पैगाम सारी दुनिया में गया। मगर उनकी पार्टी इसे हजम नहंी कर पायी और यहीं से उन्हें साईड लाइन कर मोदी को आगे बढ़ाने का काम संघ और पार्टी से शुरु किया । सियासी पराभव देखिए कि आज पार्टी में राष्ट्रपति पद के सबसे प्रबल संभावित दावेदार मोदी अपने प्रतिद्वंद्वी घोषित प्रत्याशी रामनाथ कोविंद का समर्थन करने मजबूर हैं। अपने समय के इन कद्दावर नेताओं की तरह हालांकि फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी की स्थिति नहीं है उम्र और लोकप्रियता व सियासत के हिसाब से राष्ट्रीय राजनीति में अभी उनकी शुरुआत है। पार्टी उन्हें लंबी रेस का अश्वमेघी घोड़ा मान कर चल रही है। मगर जिस हिसाब से वे संघ नीत भाजपा की हिंदुत्व की विचारधारा से बीच बीच में भटकते दिख रहे हैं, उन्हें भी धीरे धीरे वाजपेयी और आडवानी की तरह साईड लाइन किया जा सकता है। उनकी जगह अगले चुनाव में योगी आदित्यनाथ को कमान दी जा सकती है जिस तरह उन्हें यूपी का सीएम बनाया गया। संघ ने ऐसा करके उनकी छवि तराशने का काम शुरु कर दिया है। योंकि संघ कभी नहीं चाहेगा कि जिसे प्रधानमंत्री के पद पर अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए बिठाया है वह परे जाए। अब सवाल यह है कि या देश की धर्म निरपेक्षता या मुस्लिमों के पक्ष में मोदी का बयान देना उनकी राजनीतिक मजबूरी और सुनियोजित रणनीति है या फिर वाकई उनका आत्मज्ञान जाग उठा है। या उन्हें भी प्रधानमंत्री जैसे शीर्ष पद पर बैठे यह एहसास होने लगा है कि सांप्रदायिक सद्भाव और बहुलतावाद ही भारत की संस्कृति है। इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। यानी वत के साथ एहसास और परिपवता के चलते वे अपनी पार्टी की एकपक्षीय विचारधारा से असहमत होते जा रहे हैं? यह हकीकत है,भ्रम है या फिर सियासत? विपक्ष का कहना है कि मोदी की बयानबाजी राजनीतिक और घडिय़ाली आंसू हैं? तो या वाकई में उनकी नजर मुस्लिम वोट बैंक पर है। दो साल बाद लोकसभा चुनाव, और इसके पहले मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ जैसे दर्जनभर राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी मोदी के बूते मुस्लिम वोट बैंक हथियाकर फिर से केंद्र और राज्यों की सत्ता पर काबिज होना चाहती है। बिहार दिल्ली,पंजाब हारने के बाद और मुश्किल से यूपी जीतने के बाद पार्टी को या यह एहसास हो चला है कि मुस्लिम वोट के बिना जीत मुश्किल है। मोदी के स्टैंड बदलने की एक वजह यह भी हो सकती है कि तीन साल में गाय चर्बी,अखलाक, पानसरे, दाभोलकर , कन्हैया, पशुवध हेतु बिक्री बंद, गौर रक्षको के मुस्लिमों पर हमले, पाकिस्तान विरोध,कलाकारों के पुरस्कार लौटाने जैसे असहिष्णुता और हिंसा मुद्दों से देश और सरकार की दुनिया में तेजी से बिगड़ती छवि। मोदी जिस हिसाब से दुनिया में जा रहै हैं और बड़े बड़े नेता भारत में अराजकता, असिष्णुता के लिए नुताचीनी कर रहे हैं,जिससे प्रधानमंत्री पर बदलने के लिए दबाव प्रतीत होता है। देश में ऐसे माहौल में पूंजी निवेश नहीं होने की भी उन्हें चिंता है। बहरहाल उनका यह बदलाव खुशफहमी है, गलतफहमी है या फिर एक सच्चाई है, यह वत
श्रीनगर। कश्मीर घाटी के मोस्ट वांटेड 12 आतंकियों में से जिंदा बचे 11 आतंकियों में शामिल जाकिर मूसा और सद्दाम पडर शनिवार को दक्षिण कश्मीर के पांपोर और हफ शोपियां में मारे गए आतंकी साथियों के जनाजे में शरीक हुए। दोनों ने इस दौरान हवा में गोलियां भी चलाई। उनके साथ 20 से अधिक आतंकी थे। अरवनी में शुक्रवार को सुरक्षाबलों ने एक भीषण मुठभेड़ में लश्कर के तीन आतंकियों जुनैद मट्टू, नासिर और आदिल मुश्ताक उर्फ आजाद को मार गिराया था। इन तीनों आतंकियों के शव, तीन एसाल्ट राइफलें व अन्य सामान शनिवार सुबह मुठभेड़ के दौरान मलबे का ढेर बने मकानों के नीचे से निकाले गए। बाद में तीनों आतंकियों के शव परिजनों को सौंप दिए गए। तीनों आतंकियों को उनके गांवों के कब्रिस्तानों में दफनाया गया। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो पांपोर में आतंकी आदिल के जनाजे में जाकिर मूसा अपने सात साथियों के साथ आया। उसने इस दौरान हवा में गोलियां भी चलाईं। उधर, शोपियां के हफ में आतंकी नासिर वानी के जनाजे में सद्दाम पडर अपने साथियों के साथ पहुंचा। उसने हवा में गोलियां चलाईं। बताया जाता है कि नासिर के जनाजे में पहले दो आतंकी आए। उनके बाद पांच आतंकी और शामिल हुए। जुनैद मट्टू के जनाजे में भी करीब 12 आतंकी मौजूद रहे। उन्होंने भी हवा में गोलियां दागीं।
नई दिल्ली। लगातार अंतरिक्ष में अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराने में जुटा इसरो एक नया कीर्तिमान बना लिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने सोमवार को भारत में विकसित किए गए करीब 200 बड़े हाथियों के बराबर वजन वाले रॉकेट लॉन्च कर दिया। इसरो की योजना इस रॉकेट के जरिए भारतीय जमीन से भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचाने की है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित रॉकेट केंद्र में देश के सबसे आधुनिक और भारी जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क तीन,जीएसएलवी एमके3 को रखा गया है। जीएसएलवी मार्क 3 अब तक के सबसे वजनदार उपग्रहों को अपने साथ ले जाने में सक्षम है। इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने दुनिया के कई करोड़ डॉलर के प्रक्षेपण बाजार में भी अपनी स्थिति मजबूत बना ली है। भारत में ही विकसित नई पीढ़ी के हैवी लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी मार्क ३ रॉकेट को फैट वॉय नाम दिया गया है। इस रॉकेट के जरिए 3,136 किलोग्राम के कयूनिकेशन सैटेलाइट जीसैट-19 को अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा गया। इस रॉकेट के तीन प्रपोल्शन, सॉलिड एस 200, लिक्विड एल110 कोर स्टेज और सबसे ताकतवर क्रायोजनिक अपर स्टेज को भारत में ही विकसित किया गया है। ये है खासियत फैट वॉय के लॉन्च के साथ ही देश में ही भारी रॉकेट को विकसित करने वाली इसरो की क्षमता का भी टेस्ट हुआ। यह रॉकेट चार टन के कयूनिकेशन सैटेलाइट को उच्च कक्षा में ले जाने में सक्षम होगा। इस रॉकेट का वजन पूर्ण विकसित 200 हाथियों के बराबर होगा। यह सैटेलाइट देश भर में डाटा कनेिटविटी को बेहतर बनाएगा। पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण जीएसएलवी एमके.3 का यह पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण है। अगर सब कुछ योजना के तहत ठीक से चला तो एक दशक या करीब आधा दर्जन सफल लॉन्चिंग के बाद इस रॉकेट के जरिए धरती से भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचाने की कोशिश की जा सकती है। ऐसे स्थिति में ये रॉकेट सबसे अहम विकल्प बन सकता है। सरकार से धन का इंतजार यह रॉकेट पृथ्वी की कम ऊंचाई वाली कक्षा तक आठ टन वजन ले जाने में सक्षम है जो भारत के चालक दल को ले जाने के लिए लिहाज से पर्याप्त है। इसरो पहले ही अंतरिक्ष में दो-तीन सदस्यीय चालक दल भेजने की योजना तैयार कर चुका है। इसरो को बस इस संबंध में सरकार की ओर से तीन-चार अरब डॉलर की राशि आवंटित किए जाने का इंतजार है। इसरो की इस सफलता पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बधाई दी है। राष्ट्रपति ने कहा- राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा गया है कि जीएसएलवी - एमके ३ के ऐतिहासिक प्रक्षेपण पर इसरो को हार्दिक बधाई। राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि - जीएसएलवी एमके 3 भारत द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा रॉकेट है और आज तक बनाए गए भारी उपग्रहों को ले जाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र को इस महत्वपूर्ण उपलिध पर गर्व है। पीएम ने कहा गर्व है पीएम मोदी ने कहा कि जीएसएलवी- एम के आई आई आई डी 1 / जीएसएटी - 19 मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के समर्पित वैज्ञानिकों के लिए बधाई। पीएम ने कहा कि जीएसएलवी एमके 3 डी जीएसएटी -19 मिशन भारत को अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण वाहन और उपग्रह क्षमता के करीब ले जा रहा है। राष्ट्र को गर्व है!
रायपुर। प्रदेश काग्रेस कमेटी व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कन्हैया अग्रवाल और महामंत्री राजेश केडिया के प्रदेश में पंजीयन की प्रक्रिया को पूरी तरह अव्यवस्थित बताते हुए कहा की प्रदेश में एक लाख ,तीस हजार पंजीकृत व्यापारी है उसमें केवल बीस हजार व्यापारियों का ही अब तक पंजीयन हुआ है ऐसे में 15 जून तक कैसे एक लाख दस हजार पंजीयन और हो पाएंगे । उन्होंने कहा की एक सर्वे के अनुसार देश का कुल 04 प्रतिशत व्यापारी कह्रश्वयूटर का प्रयोग व्यापार में करता है ऐसे में शत प्रतिशत व्यापारी कैसे ऑनलाइन रिटर्न भरेगा । उन्हें जागरूक करने के साथ सिस्टम की व्यवस्था हेतु भी समय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा की पंजीयन की सरकारी व्यवस्था ऑनलाइन पोर्टल पूरी तरह लॉप साबित हो रहा है । मई माह में पूरे देश मे पोर्टल बन्द था जिसके कारण पंजीयन बंद पड़ा था , 01 जून से पंजीयन पुन: प्रारभ हुआ परन्तु पोर्टल अभी भी बंद पड़ा है ,15 जून पंजीयन की अंतिम तिथि है इस बीच रविवार की छुट्टियां भी है । अभी तक तो प्रदेश के 30 प्रतिशत पंजीकृत व्यापारी को विभाग द्वारा कोड देना भी बाकी है । ये स्थिति छाीसगढ़ ही नही पूरे देश की है। अग्रवाल ने कहा की बिना किसी ठोस तैयारी के सरकार ने जीएसटी लागू करने का निर्णय लेकर व्यापारी और कर सलाहकारों को परेशानी में डाल दिया है । उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में दस दिन में सवा लाख पंजीयन संभव नही है इसलिए लागू करने की तिथी तीन महीने बढ़ाने के साथ ही पोर्टल सही तरीके से लगातार काम करे ,पंजीयन सुगम और सरल तरीके से हो सके इसकी पुता व्यवस्था की जानी चाहिए ।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुयमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार मवेशियों के वध पर प्रतिबंध के अपने आदेश से भैंसों को दूर रखना चाह रही है योंकि भाजपा के कुछ करीबी मांस व्यापार में शामिल हैं। गौरतलब है कि लोगों के विरोध के परिणामस्वरूप सरकार द्वारा भैंसों के खरीद-फरोत पर लगी रोक को हटाने पर विचार किए जाने की खबर है। ममता बनर्जी हुगली जिले के तारकेश्वर में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि अब केंद्र सरकार भैसों के वध की इजाजत देने की योजना बना रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है योंकि उनकी पार्टी के कुछ लोग भैंस मांस व्यापार में शामिल लोगों के करीबी हैं। इसलिए उन लोगों के बचाव में मवेशी वध प्रतिबंध सूची से भैसों को अलग रखने की योजना बनाई जा रही है। मुयमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा लोगों के खानों की आदतों को भी नियंत्रित करने की कोशिश में है। उन्होंने कहा, 'वे कौन होते हैं यह तय करने वाले कि लोग या खाएंगे वे कौन होते हैं लोगों के खाने की आदतों को नियंत्रित करने वालेÓ।
भारत ने चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के अंतिम मैच में इंग्लैंड को पारी और 75 रन से हराकर सीरीज पर 4-0 से कब्जा कर लिया। मैच के अंतिम दिन पहले सत्र में इंग्लैंड के कप्तान एलिस्टर कुक (49) और कीटन जेनिंग्स (54) ने दूसरे दिन के स्कोर बिना किसी नुकसान के 12 रन से आगे खेलते हुए भारत को कोई विकेट नहीं दिया और स्कोर को 103 रन तक ले गए। पहले सत्र में कोई विकेअ नहीं गिरने पर लगने लगा की मैच ड्रा पर समाप्त होगा। लंच ब्रेक के बाद इंग्लैंड ने बिना किसी नुकसान के 103 रन से आगे खेलना शुरू किया और रवींद्र जडेजा ने इसी स्कोर पर कप्तान कुक को आउट कर भारत को पहली सफलता दिलाई। कुक दूसरी पारी में अपना अर्धशतक एक रन से चूक गए और 49 रन पर आउट हुए। इसाके कुछ देर बाद ही जडेजा ने दूसरे ओपनर बल्लेबाज कीटन जेनिंग्स को 54 रन के व्यक्तिगत स्कोर पर आउट कर भारत को दूसरी सफलता दिलाई।
इसके बाद तो जैसे इंग्लैंड के बल्लेबाज पिच पर टिकना ही नहीं चाहते थे और एक के बाद एक विकेट गिरता रहा। रवींद्र जडेजा ने जो रूट को 6 रन के व्यक्तिगत स्कोर पर पगबाधा आउट कर इंग्लैंड के खेमे में खलबली मचा दी और देखते ही देखते इंग्लैंड का स्कोर 103-0 से 126-3 हो गया। रवींद्र जडेजा इंग्लैंड के बल्लेबाजों की परीक्षा ले ही रहे थे कि इशांत शर्मा ने इस साल टेस्ट मैचों में सर्वाधिक रन बनाने वाले जॉनी बेयरस्टॉ को आउट कर इंग्लैंड का स्कोर 129-4 कर दिया। जॉनी बेयरस्टॉ के आउट होने में इशांत से ज्यादा रवींद्र जडेजा का योगदान रहा। उन्होंने गेंद की दिशा के विपरीत दोड़ लगाते हुए शानदार कैच लपका।
इंग्लैंड को दिन के खेल के अंतिम सत्र में मैच ड्रॉ समाप्त करने की उम्मीद थी। लेकिन, टीम इंडिया के बाएं हाथ के स्पिनर रवींद्र जडेजा तो पूरी तरह हावी थे। चायकाल से पहले शानदार कैच लेकर जॉनी बेयरस्टॉ की पारी का अंत करने वाले जडेजा ने एक बाद फिर करिश्माई गेंदबाजी की और 192 और 193 के स्कोर पर इंग्लैंड के दो और विकेट झटकते हुए अपने विकेटों की संख्या 5 कर ली। उन्होंने छठी बार पारी में पांच या अधिक विकेट लिया। जडेजा ने चाय के बाद 44 रन पर खेल रहे मोईन अली का अहम विकेट लिया। इसके बाद 23 रन पर खेल रहे बेन स्टोक्स को तिहरा शतक जड़ने वाले करुण नायर के हाथों कैच कराया। फिर लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने लियाम डॉसन को बोल्ड कर दिया। इंग्लैंड ने 196 रन पर अपना सातवां विकेट खो दिया। स्कोर में चार रन और जुड़े थे कि तेज गेंदबाज उमेश यादव ने आदिल राशिद को दो रन पर जडेजा के हाथों कैच करा इंग्लैंड का आठवां विकेट लिया, जबकि अंतिम दोनों विकेट रवींद्र जडेजा ने झटके।
रवींद्र जडेजा को उनके शानदार कैच के लिए ‘बेस्ट कैच आॅफ द मैच’ के खिताब से नवाजा गया। करुण नायर को 303 रन की पारी के लिए ‘मैन आॅफ द मैच’ चुना गया। विराट कोहली को इस सीरीज में कुल 655 रन बनाने के लिए ‘मैन आॅफ द सीरीज’ चुना गया। टीम इंडिया की चेन्नई टेस्ट में जीत के सितारों की बात करें तो इसमें करुण नायर (303*), लोकेश राहुल (199) और रवींद्र जडेजा (10 विकेट- दूसरी पारी में 7 और पहली में 3) प्रमुख रहे। टीम इंडिया ने चौथे दिन नायर के ऐतिहासिक तिहरे शतक की मदद से इंग्लैंड पर 282 रनों की बढ़त बना ली थी, जवाब में इंग्लिश टीम 207 रन पर सिमट गई। कप्तान एलिस्टर कुक (49), कीटन जेनिंग्स (54 रन) और मोईन अली (44) ने हार टालने की भरपूर कोशिश की, लेकिन जडेजा की घूमती गेंदों के आगे उनकी एक न चली। जडेजा ने कुक को सीरीज में छठवीं बार आउट किया।