भ्रष्टाचार के एक मामले में मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक को मंगलवार(3 जुलाई) को भ्रष्टाचार निरोधी जांचकर्ताओं ने गिरफ्तार कर लिया. नजीब पर मंगलवार(3 जुलाई) को आरोप लगाए जाएंगे. मलेशिया में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी 1 एमडीबी के धन में हेरफेर के मामले की जांच कर रहे कार्यबल ने एक वक्तव्य में बताया कि नजीब को उनके घर से गिरफ्तार किया गया. जांचकर्ताओं ने ऐसे कई कदम उठाए जिनके चलते नजीब, उनके परिवार और उनके कई करीबी राजनेताओं तथा कारोबार के सहयोगियों के इर्दगिर्द कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है.
नजीब की अगुवाई में लंबे समय से सत्ता में रहने वाला गठबंधन मई चुनाव में हार गया था
बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों का एक बड़ा कारण था कि नजीब की अगुवाई में लंबे समय से सत्ता में रहने वाला गठबंधन मई चुनाव में हार गया था और महातीर मोहम्मद के नेतृत्व में सुधारवदी गठबंधन जीत गया. नजीब और उनके कृपापात्रों पर आरोप है कि उन्होंने 1 एमडीबी में अरबों डॉलर की राशि का हेरफेर किया और उस पैसे को अमेरिका में रियल एस्टेट से लेकर कई चीजों को खरीदनें में इस्तेमाल किया.
चुनाव में हार के बाद से नजीब के देश छोड़ने पर रोक है
हालांकि नजीब ने इस बात से इनकार किया. चुनाव में हार के बाद से नजीब के देश छोड़ने पर रोक है. भ्रष्टाचार की व्यापक जांच के केंद्र में नजीब ही बने हुए हैं. चुनाव में हार के बाद से नजीब और उनके परिवार सी जुड़ी कई संपत्तियों पर मारे गए छापे में 27.3 करोड़ डॉलर के मूल्य की नकदी, गहने और महंगे हैंडबैग मिले. जांचकर्ताओं ने उनसे और उनकी पत्नी रोजमाह मंसूर से पूछताछ की थी. मलेशिया की भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी ने नजीब के सौतेले बेटे रिजा अजीज से भी इस मामले में पूछताछ की. वह हॉलीवुड में फिल्म निर्माता है. अजीज भ्रष्टाचार निरोधी कार्यालय अकेले ही पहुंचे और उन्होंने संवाददाताओं से बात नहीं की.
मुरादाबाद। इंसाफ पाने के लिए अब लोग तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कुंदरकी थाना क्षेत्र का है, जहां भूमाफिया द्वारा कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा किए जाने और कहीं सुनवाई न होने से परेशान एक युवक शानू मंगलवार को करीब 100 फीट ऊंचे मोबाइल टावर पर चढ़ गया।
परिवार की मांग थी कि जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा, शानू टावर से नहीं उतरेगा। शानू के टावर पर चढ़ते ही इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची और उसे समझाने का प्रयास करने लगी। लोगों की भीड़ जमा हो गई। हर कोई उसके मोबाइल टावर पर चढ़ने की वजह जानने की कोशिश में जुट गया। उसी भीड़ के बीच परिवार की कुछ महिला न्याय प्रणाली को कोसती हुई नजर आईं।
कुंदरकी थाना क्षेत्र की रहने वाली समरीन पत्नी युसूफ की पुश्तैनी कब्रिस्तान के लिए करीब 3.25 बीघा जमीन चौधरी पट्टी में है, जिस पर कुछ भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है और उसे बेचने की जुगत में लगे हैं। पीड़िता समरीन ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री समेत कई अधिकारियों से की थी, लेकिन कहीं से इंसाफ नहीं मिला। आखिकार प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करने के लिए पीड़ित परिवार ने यह कदम उठाया।
पीड़िता समरीन ने बताया कि उसके पुस्तैनी कब्रिस्तान पर यहीं के स्थानीय भूमाफिया अकील उर्फ लाला, तस्लीम उर्फ बाबू खां, भूरा खां अन्य भूमाफियाओं के साथ मिलकर जबरन जमीन कब्जा कर उसे बेचने की कोशिश कर रहे हैं।
समरीन के मुताबिक, इस संबंध में मुख्यमंत्री के ई-पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई थी, जिसकी जांच बिलारी के एसडीएम को सौंपी गई, लेकिन एसडीएम भी तीन लाख रुपये की रिश्वत पाकर भूमाफिया के साथ मिल गए और कार्रवाई में ढील देने लगे। एसडीएम और लेखपाल की शिकायत भी मुख्यमंत्री और मुरादाबाद के जिलाधिकारी से की गई थी और जांच अधिकारी बदलने का आग्रह किया गया था, लेकिन उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
पीड़िता समरीन ने कहा, “अगर हमारी जमीन हमें वापस नहीं की गई और कब्रिस्तान में तोड़ी गई कब्र नहीं बनाई गई तो हम परिवार समेत यही पर आत्मदाह कर लेंगे।”
दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत पर रहस्य बना हुआ है… ये हत्या थी या फिर आत्महत्या किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है. कई लोग इसे तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास से जोड़ कर देख रहे हैं. दिल्ली पुलिस को आशंका है कि भाटिया परिवार ‘शेयर्ड सायकोटिक डिसऑर्डर’ ( Shared psychotic disorder) नाम की बीमारी की चपेट में था.
इस बीमारी के शिकार लोगों को सामने से कोई दिखाई देता है. इनके कानों में कोई कहता हुआ सुनाई देता है. इसके बाद ऐसे लोग अपने आस-पास के लोगों को भी वही महसूस करवाना चाहते हैं. पुलिस की मानें, तो इसी बीमारी से बिल्कुल मिलते जुलते लक्षण ललित में दिखाई देते थे. यही वजह है कि अब क्राइम ब्रांच बड़े मनोवैज्ञानिक की मदद ले रही है.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,‘‘ललित भाटिया ऐसा शख्स था, जिसे अपने मरे हुए पिता से बात करने का भ्रम था. उसके विश्वास को परिवार के अन्य सदस्यों ने भी समर्थन दिया था.”क्राइम ब्रांच के सीनियर अफसरों के मुताबिक, ललित के करीबियों, रिश्तेदारों और परिवार के लोगों से पूछताछ में पता चला है कि वह कुछ महीनों से अपने पिता की आवाज में भी बात करने लगा था. हाल के कुछ महीनों में उस पर पिता का प्रभाव काफी ज्यादा हो चुका था. दरअसल, पिता की मौत के बाद उसका दावा था कि पिता उसे दिखाई देते हैं.
एक पड़ोसी ने बताया कि भाटिया परिवार कभी भी पड़ोसियों को अपने घर में आमंत्रित नहीं करता था. उन्होंने कहा,‘‘परिवार ज्यादातर खुद को अलग रखता था. हालांकि, वे बहुत दोस्ताना और सौहार्दपूर्ण थे. वे कभी भी हमारे साथ अपने निजी मामलों पर चर्चा नहीं करते थे. ’’
पुलिस के मुताबिक, फिलहाल किसी बाबा या तांत्रिक से पूछताछ नहीं की जा रही है. क्राइम ब्रांच का पूरा फोकस सिर्फ ललित के जीवन से जुड़ी हर बारीकी को समझना है. उसकी लाइफ स्टाइल के बारे में जानना है. शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पहले ही ये साफ हो गया है की घर के सभी 11 सदस्यों ने आत्महत्या की थी.
देश में लगातार बढ़ी रही मॉब लिंचिंग (पीट-पीटकर हत्या करना) की घटनाओं को लेकर सरकार सख्त हो गई है। सरकार ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए वॉट्स ऐप को चेतावनी दी है कि वो गैर-जिम्मेदार और भड़काऊ संदेशों को अपने प्लेटफॉर्म पर फैलने से रोके वरना सरकार इस पर कुछ कदम उठा सकती है। आपको बता दें कि पिछले दो महीने के अंदर देश में मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं सामने आई हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक मंत्रालय ने वॉट्सऐप को वॉर्निंग देते हुए एक बयान जारी किया है कि जब कानून इसे लेकर कड़ा रुख अपना रहा है तो ऐसे में वॉट्स ऐप पर लगातार भड़काऊ मैसेज का शेयर होना चिंता का विषय है। मंत्रालय ने कहा कि कंपनी अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही से बच नहीं सकती। नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि अगर वॉट्सऐप इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाता तो मजबूरन सरकार को कोई कदम उठाना पड़ेगा। पिछले कुछ दिनों फेक वीडियोज और मैसेज के चलते देश कई राज्यों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं समाने आई हैं। जिनमें कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र और गुजरात शमिल आठ राज्य शामिल हैं।
बता दें कि मॉब लिंचिंग का ताजा मामला महाराष्ट्र में सामने आया है जहां बच्चा चोरी करने की अफवाह के चलते भीड़ ने पांच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इससे पहले त्रिपुरा में भी बच्चा चोर गिरोह के शक में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी जबकि तीन लोग घायल हो गए थे।
गौ रक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डालते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश हेतु दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस पर बाद में फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़़ की खंडपीठ ने सख्त शब्दों में कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है और इसके लिये प्रत्येक राज्य सरकार ही जिम्मेदार होगी।
की घटनायें वास्तव में भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा है और यह अपराध है। अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने कहा कि केन्द्र इस समस्या के प्रति सचेत है और इससे निबटने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्य चिंता तो कानून व्यवस्था बनाये रखने की है। पीठ ने कहा कि कोई भी कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता और ऐसी घटनाओं की रोकथाम करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।