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20-Feb-2022 3:59:53 am
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भारत-यूएई व्यापार-निवेश संबंधों के स्वर्णिम युग की शुरुआत : गोयल

नयी दिल्ली ।  वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत-यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) के बीच व्यापाक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर हुए हस्ताक्षर को देनों पक्षों के व्यापारिक संबंधों में स्वर्णिम दौर की शुरुआत बताया और कहा कि इससे भारत में निवेश और विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा तथा लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। श्री गोयल ने ट्वीट किया, दोनों पक्ष इस समझौते के साथ आर्थिक और व्यापार सहयोग के स्वर्ण युग में प्रवेश कर रहे हैं। इस सीईपीए के लिए बातचीत गत सितंबर में शुरु हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी के युवराज शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई शिखर वार्ता के दौरान इस करार पर हस्ताक्षर किए गए। भारत की ओर से इस पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री गोयल और नयी दिल्ली आए यूएई के आर्थिक मामलों के मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मारी ने हस्ताक्षर किया।
उम्मीद है कि इस कारार से भारत और यूएई के बीच पहले से ही बेहतर आर्थिक वाणिज्यिक एवं निवेश संबंधों का विस्तार होगा और इससे पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंचाने में मदद मिलेगी।
श्री गोयल ने कहा, भारत द्वारा अब तक किये गए मुक्त व्यापार समझौतों में अपने किस्म का पहला समझौता है। इसमें कई बाते नयी है। मुक्त व्यापार व्यवस्था के तहत संयुक्त आरब अमीरात से आने वाले उत्पादों में कम से कम 40 प्रतिश्त मूल्यवर्धन स्थानीय स्तर पर होने की शर्त है। उत्पाद के उद्गम स्थल का प्रमाण पत्र वहां का की सरकार करेगी, ताकि कोई तीसरा देश इस मुक्त व्यापार समझौते का फायदा न उठा सके। 
उन्होंने कहा कि इस समझौते से भारत रत्न और आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, जूते, खेल के सामान, फर्नीचर और इंजीनियरिंग सामान जैसे प्रमुख श्रम प्रधान क्षेत्रों को फायदा होगा।। समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद संयुक्त अरब अमीरात के अर्थव्यवस्था मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मर्री और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश व्यापार राज्य मंत्री थानी बिन अहमद अल जायौदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, गोयल ने कहा कि अगले पांच वर्षों में 100 अरब कम से कम 10 लाख नए रोजगार सृजित होंगे।
संयुक्त अरब अमीरात में जो प्रमुख क्षेत्रों इस समझौते से लाभान्वित होंगे, उनमें धातु, खनिज, पेट्रो-रसायन, पेट्रोलियम उत्पाद और खजूर उत्पाद क्षेत्र शामिल हैं। समझौते में मुक्त व्यापार, डिजिटल अर्थव्यवस्था, सरकारी खरीद और कई रणनीतिक क्षेत्र शामिल हैं। आठ सौ इक्कासी पन्नों के दस्तावेज़ को 88 दिनों में अंतिम रूप दिया गया, जिसमें दोनों पक्षों की टीमों ने मध्यरात्रि में तेल जलाया। श्री गोयल ने कहा कि इस समझौते से भारतीय उद्योगों , खास कर प्लास्टिक और खनिजों पर आधारित उद्योगों के लिए कच्चा माल और विनिर्माण में काम आने वाली मध्यवर्ती वस्तुओं की आपूर्ति सस्ती होगी। भारत-यूएई एफटीए से आने वाले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार दो गुना होगा और देनों ही देशों में रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा, यूएई में रोजगार के अवसर बढऩे में भी भारत का लाभ है, क्योंकि भारत के 35 लाख लोग वहां काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूएई की सरकार ने कोविड के दौरान अपने यहां भारतीय लोगों को बड़ी सुरक्षा दी। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी शाह नाहयान का धन्यवाद कर चुके है। दोनों देशोंने रणनीतिक भागीदार का करार पहले ही कर रखा है और ऐसे में आपसी व्यापार और निवेश के संबंध में आज की नयी पहल से आने वाले समय में भारत के चार्टड एकाउंटेंट् और इंजीनियरिंग सेवाओं के पेशेवर लोगों के लिए भी अवसर खुल सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय स्टील उद्योग इस समझौते से हर्षित होगा क्योंकि केवल यूएई में बने इस्पात को भी इस समझौते के तहत भारत में आसान प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने कहा, हमने समझौते में वहां से सोने के आयात को शुल्क मुक्त किया है। इसके बदले में हमारे रत्न आभूषण निर्यात को वहां मुक्त प्रवेश मिलेगा। श्री गोयल ने कहा कि वहां के सावरेन (सरकारी) निवेश कोष ने भारत में एनआईआईएफ (नेशनल इन्फ्रा स्ट्रक्चर निवेश कोष) के साथ भागीदारी में निवेश की योजना बनायी है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेश (डीजी) एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अजय सहाय ने कहा, यह एक ऐतिहासिक समझौता है। यह पहला बड़ा व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता है, जिस पर पिछले 10 वर्षों में भारत ने हस्ताक्षर किए हैं।
श्री सहाय ने कहा कि भारत पहले से ही संयुक्त अरब अमीरात के बाजार में एक प्रमुख भागीदार है और उसके पास अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए आवश्यक साधन हैं। इसके अलावा, भारतीय निर्यातक भी संयुक्त अरब अमीरात को खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों और उससे आगे (अफ्रीका) के प्रवेश द्वार के रूप में देख रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। दोनों पक्षों में वार्षिक व्यापार 2019-20 में 59 अरब डॉलर के बराबर था जिसमें भारत का निर्यात 29 अरब डॉलर था।
संयुक्त अरब अमीरात भारत में आठवां सबसे बड़ा निवेशक है, जिसने अप्रैल 2000 और मार्च 2021 के बीच 11 अरब डॉलर का निवेश किया है, जबकि भारतीय कंपनियों द्वारा संयुक्त अरब अमीरात में निवेश 85 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।
यूएई को भारत के प्रमुख निर्यात में पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती धातुएं, पत्थर, रत्न और आभूषण, खनिज, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, परिधान, चीनी, इंजीनियरिंग और रसायन शामिल हैं। संयुक्त अरब अमीरात से भारत के शीर्ष आयात में पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती धातुएं, पत्थर, रत्न और आभूषण, खनिज, रसायन और लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद शामिल हैं। भारत ने पिछले साल फरवरी में मॉरीशस के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौते (सीईसीपीए) पर हस्ताक्षर किए थे। मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात के अलावा, भारत वर्तमान में एक मुक्त व्यापार समझौते के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और कनाडा सहित सात और देशों और ब्लॉकों के साथ बातचीत कर रहा है।

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