राजनीति

07-Feb-2019 10:10:20 am
Posted Date

कांग्रेस संग गठबंधन के लिए आप की कोशिश जारी

0-हाथ नहीं थमा रहे राहुल!
नई दिल्ली ,07 फरवरी । दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के लिए आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के गठबंधन के लिए ना सिर्फ आप कोशिश कर रही है बल्कि ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू और शरद पवार भी इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से बात कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, जहां कांग्रेस के कई सीनियर नेता व्यक्तिगत तौर पर दिल्ली में गठबंधन के लिए तैयार हैं, वहीं राहुल गांधी कांग्रेस की दिल्ली यूनिट के नाम पर गठबंधन के लिए अब तक मना कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में लोकसभा के लिए गठबंधन को लेकर आप नेता संजय सिंह की कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल से कई बार मुलाकात और बातचीत हुई है। सूत्रों का कहना है कि आजाद और अहमद पटेल व्यक्तिगत तौर पर आप-कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में हैं। आम आदमी पार्टी सूत्रों का कहना है कि आप भी बीजेपी को हराने के लिए दिल्ली की सीटों पर गठबंधन करना चाहती है और इसे लेकर वह काफी जोर भी लगा रही है लेकिन मामला राहुल गांधी के पास अटका है।
ममता, नायडू और शरद पवार ने राहुल से की बात 
सूत्रों का कहना है कि फिलहाल राहुल गांधी इस गठबंधन के लिए तैयार नहीं हुए हैं। राहुल को लगता है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की 49 दिनों की सरकार बनाने में कांग्रेस का समर्थन देना गलत कदम था और उस एक कदम की वजह से आप ने दिल्ली में अपनी जड़ें जमा लीं और कांग्रेस ने दिल्ली में अपना ग्राउंड खो दिया। सूत्रों के मुताबिक टीएमसी लीडर और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और एनसीपी नेता शरद पवार भी इस कोशिश में लगे हैं कि दिल्ली में आप-कांग्रेस का गठबंधन हो जाए।
कहा जा रहा है कि जब इन नेताओं ने राहुल गांधी से इस बारे में बात की तो राहुल ने साफ इनकार तो नहीं किया लेकिन कहा कि कांग्रेस की दिल्ली यूनिट इसके लिए तैयार नहीं है और वह अपनी तरफ से कोशिश करेंगे। हालांकि, इन नेताओं ने राहुल के सामने ही यह बहाना गले न उतरने की बात भी कह दी। सूत्रों का कहना है कि आप अभी भी गठबंधन की कोशिश में है। आप सूत्रों के मुताबिक, पार्टी देशहित में यह समझौता करने को तैयार है। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि यह गठबंधन उस तरह नहीं होगा जैसा यूपी में एसपी और बीएसपी का हुआ है। अगर यह गठबंधन हुआ भी तो यह दूसरी पार्टी के लिए सीटें छोडऩे जैसी शक्ल में होगा।

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