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30-Oct-2018 9:02:08 am
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आरती के बाद क्यों किया जाता है ‘कर्पूरगौरं’ मंत्र का जाप, जानिए

हिंदू धर्म में होने वाले तमाम पूजा-पाठ में आरती करने का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि आरती करने से देवी-देवता की विशेष कृपा बरसती है। इसके साथ ही आरती से माहौल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने की भी बात कही गई है। आपने अक्सर यह देखा होगा कि आरती के बाद ‘कर्पूरगौरं’ मंत्र का जाप किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है? मालूम हो कि ‘कर्पूरगौरं’ मंत्र का संबंध भगवान शंकर से हैं। इसे शिव जी का मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र में शिव जी के दिव्य रूप का वर्णन किया गया है। इस मंत्र से शिव जी से प्रार्थना की जाती है कि वे हमारे मन से मृत्यु का भय दूर करके हमारे जीवन को सुखमय बनाएं।

‘कर्पूरगौरं’ मंत्र इस प्रकार से है-
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

अर्थ: जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।

हिंदू धर्म में होने वाली किसी भी पूजा से पहले गणेश जी स्तुति करने का विधान है। ठीक इसी प्रकार से पूजा-पाठ में आरती होने के बाद ‘कर्पूरगौरं’ मंत्र का जाप किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु ने यह स्तुति गाई थी। ऐसे में इसका महत्व और भी अधिक हो जाता है। मान्यता है कि आरती के बाद ‘कर्पूरगौरं’ मंत्र का जाप करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं। और उक्त पूजा का संपूर्ण शुभ फल व्यक्ति को प्राप्त होता है।

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