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करवा चौथ पति-पत्नी के आपसी प्रेम और समर्पण का त्योहार है। सब लोग ये तो जानते हैं कि पत्नी द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखा जाता है जानते हैं कैसे हुई इस व्रत की शुरुआत , आइए आपको बताते हैं इसके बारे में ………..
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर गए तब बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आ गए। इन संकटों से मुक्ति के लिए द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से उपाय पूछा तो श्रीकृष्ण ने उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत करने के बारे में बताया । श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत किया, जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो गए और तभी से स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और पति को संकटों से बचाने के लिए यह व्रत करने लगीं। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
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