विज्ञान

16-Oct-2018 9:59:11 am
Posted Date

वैज्ञानिकों ने किया विकसित आंखों में दवा डालने पर रंग बदलने वाले कॉन्टेक्ट लेंस

बीजिंग। वैज्ञानिकों ने रंग बदलने वाले कॉन्टेक्ट लेंस विकसित किए हैं जो दवा दे सकते हैं और आंखों के उपचार की निगरानी भी कर सकते हैं। चीन स्थित चीन फार्मास्युटिकल विश्वविद्यालय और साउथइस्ट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वह दवा देने वाले कॉन्टेक्ट लेंस बनाएंगे जिसका रंग आंखों में दवा डालने पर बदल जाएगा । एसीएस एप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटरफ़ेस नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, आंखों में लगातार डाले जाने वाली विभिन्न दवाओं को यह लेंस नियंत्रित कर सकता है और इसका संकेत दे सकता है।

जब आंखों में दवाई डाली जाती है तो वास्तव में यह पता लगना कठिन होता है कि आंखों को कितनी दवा मिल रही है । ऐसा इसलिए है क्योंकि आंखें बाहरी तत्वों को अस्वीकार करती हैं और आंखों में कुछ पड़ने पर आँसू तेजी से बहने लगते हैं । हालांकि यह प्रक्रिया आमतौर पर संक्रमण से बचने और बाहरी वस्तुओं से होने वाली क्षति से बचने में मददगार होती है, लेकिन यह प्रक्रिया आंखों के लिए बहुत दवाओं के संदर्भ में बाधा डाल सकती है । कॉन्टेक्ट लेंस आंखों तक सीधे दवाओं को पहुंचाने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है, लेकिन दवा डाले जाने के वास्तविक समय की निगरानी अब भी एक चुनौती है। शोधकर्ताओं ने मालिक्युलर इंप्रिंटिग का इस्तेमाल कर एक, रंगों के लिए संवेदनशील कॉन्टेक्ट लेंस तैयार किया है । मालिक्युलर इंप्रिंटिग एक ऐसी तकनीक है जो पोलीमर संरचना में आणविक कैवेटीज का निर्माण करता है जो एक विशिष्ट यौगिक के आकार से मेल खाता है, जैसे दवाइयां ।प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगों के अनुसार मॉलिक्युलर इंप्रिंटेड कॉन्टेक्ट लेंस में टाइमोलोल होता है, जो ग्लूकोमा के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है । चूंकि दवाओं को लेंस के माध्यम से डाला जाता है, इससे अणुओं के निर्माताओं में बदलाव होता है और इससे लेंस का रंग भी बदल जाता है । शोधकर्ताओं ने कहा कि प्रक्रिया में किसी प्रकार के रंग को शामिल नहीं किया गया है । इससे संभावित दुष्प्रभाव कम हो गए। वे इस बदलाव को खुली आंखों से और एक फाइबर ऑप्टिक स्पेक्ट्रोमीटर से भी देख सकते हैं ।

Share On WhatsApp