विज्ञान

13-Jul-2018 8:15:09 am
Posted Date

लोगों में मोतियांबिंद के बाद अंधेपन का दूसरा कारण ये होगा !

चाय एक बुहत पीया जाने वाला पेय पदार्थ है। भारत में सबसे ज्यादा पीया जाता है। ज्यादा लोग इसका उपयोग सुस्ती भागने के लिए करते है जिससे शरीर में चुस्ती आ जाती है। चाय के कप के बगैर सुबह अधूरी सी लगती है। एक कप चाय आपकी ज़िंदगी में खुशियों के रंग घोल देता है। और ये बात अब तो विज्ञान ने भी यह मान लिया है कि गर्म चाय के कप से आप ग्लूकोमा से मुक्ति दिला सकती है। ग्लूकोमा को वैसे तो आम बोल चाल की भाषा में काला मोतिया भी कहते है। यह हमारी आंख एक बैलून की तरह होती है,

जिसके भीतर एक तरल पदार्थ भरा हुआ होता है। आंखों का यह लिक्विड लगातार आंखों के अंदर बनता रहता है और बाहर भी निकलता रहता है। इससे आंखों में दबाव बढ़ जाता है। आपको बता दे की आंखों में ऑप्टिक नर्व होती हैं जिनकी मदद से किसी वस्तु के बारे में दिमाग को सिग्नल मिलता है। आंखों पर ये बढ़ता दबाव इन ऑप्टिक नर्व को धीरे-धीरे खत्म करने लगता है, जिससे आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है। अगर इसके शुरूआती लक्षणों का पता न चले तो आदमी अंधा हो सकता है।

ग्लूकोमा के कुछ लक्षण है जैसे शाम को आंख में या सिर में दर्द होना, इंद्रधनुषी रंग दिखाई देना, चीजों पर फोकस करने में परेशानी होना आदी। इस विषय पर शोध किया गया जिसम पाया गया कि कैफीन इंट्राऑक्यूलर प्रेशर में बदलाव ला सकती है। वैज्ञानीकों के अनुसार, ग्लूकोमा से दुनिया में 5.75 करोड़ लोग प्रभावित हैं। और ये भी बताया की इन पीड़ितों की संख्या वर्ष 2020 तक बढ़कर 6.55 करोड़ होने जायेगी है। मोतियाबिंद के बाद ग्लूकोमा अंधेपन का दूसरा सबसे बड़ा कारण होगा है।

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