राज्य

06-Aug-2018 4:30:24 pm
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मराठा आंदोलन अब अपना रूप बदल कर उग्र रूप ले चुका है, और बढ़ेगी महाराष्ट्र सरकार की परेशानी

मराठा आंदोलन अब अपना रूप बदल कर उग्र रूप ले चुका है. आंदोलनकारी आंदोलन के उग्र होने का ठीकरा सरकार पर फोड़ रहे हैं. धुले में बीजेपी सांसद हीना गावित पर आंदोलनकारियों के हमले के लिए उन्होंने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया और साथ ही साथ सरकार का आंदोलनकारियों के प्रति उदासीन रवैये को भी जिम्मेदार बताया. आपको बता दें कि इस आंदोलन में अब तक 19 मराठा आंदोलन समर्थक आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त कर चुके हैं. हालांकि मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक आंदोलन में शरीक लोगों से बराबर शांति पूर्ण तरीके से आंदोलन करने की अपील कर रहे हैं और आगे आने वाले दिनों में भी आंदोलन पुरजोर तरीके से चलते रहने की अपनी दृढ़ता स्पष्ट कर रहे हैं.सरकार के लिए चुनौती बनता जा रहा मराठा आरक्षण आंदोलन का मुद्दा, बगैर अपनी मांग मनवाए सामान्य होने को तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री के जरिए यह स्पष्ट रूप से अपील की गई है कि नवंबर माह तक समय दिया जाए और क्रमबद्ध तरीके से मराठा आंदोलन के मुद्दे को माना भी जाएगा, लेकिन मराठा आंदोलनकारियों का मानना है कि सरकार मुद्दे को टाल रही है. मराठा क्रांति मोर्चा के जरिए 15 सूत्री मांगों को रखा गया था जिसमें 72 हजार नौकरियों में से 16 फीसदी मराठा के लिए आरक्षित करना था. सरकार के जरिए स्पष्ट किया गया कि जब तक मराठा आरक्षण का मुद्दा हल नहीं किया जाता तब तक यह नियुक्तियां नहीं की जाएंगी. इस बात को लेकर भी मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयकों को विश्वास नहीं है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विशेष तौर पर यह आग्रह भी किया है, “मराठा आरक्षण मुद्दे को लेकर सरकार गंभीर है और राज्य भर में मराठा आरक्षण को लेकर हो रहे आंदोलन का उग्र रूप राज्य के हित में नहीं है. इसलिए समन्वय समिति के प्रतिनिधि और सरकार के लोग आमने-सामने बैठें और इसका हल भी निकालें. मुख्यमंत्री के जरिए विशेष तौर पर यह भी कहा गया है कि नवंबर महीने में कमीशन की रिपोर्ट आज आने के बाद विशेष अधिवेशन के दौरान इस बात को रखा जाएगा और कानूनी रूप देने की कोशिश की जाएगी.”हालांकि मुख्यमंत्री के जरिए किए गए वायदे को मराठा आंदोलनकारी एक नए वायदा ही करार देते हैं. उनके मुताबिक यह वादा सरकार कभी भी पूरा नहीं करेगी, क्योंकि पिछले डेढ सालों में 58 मराठा मुक आंदोलनों के दौरान सरकार ने यही बातें दोहराई थीं. मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक राज्य में तकरीबन 19 युवाओं के आत्महत्या करने से आंदोलन की दिशा बदलने से चिंतित हैं. हालांकि सरकार की जरिए की गई बातों पर किसी भी तरह से मानने को तैयार नहीं है. लेकिन पिछले दिनों जनप्रतिनिधियों पर आंदोलनकारियों के जरिए किए गए हमले और दुर्व्यवहार से दुखी भी हैं. उनका मानना यही है कि सरकार ही इन सारी परिस्थितियों की जिम्मेदार है. वीरेंद्र पंवार इस बात से दुखी भी हैं. उन्होंने कहा, “सरकार इतने दिनों के बाद भी इस जनआंदोलन की बात को समझ नहीं रही है. बार-बार आरोप और प्रत्यारोप लगा रही है जिससे लोगों में रोष बढ़ता ही जा रहा है. अगले 9 अगस्त को ये आंदोलन और वृहद रूप भी ले सकता है इस बात से भी आगाह कर रहे हैं. तकरीबन 19 लोगों की आत्महत्या करने से आंदोलन की दिशा जरूर बदल रही है लेकिन आंदोलन कम नहीं हो रहा है. ऐसा कतई नहीं है कि इन लोगों के मौत पर ही किसी भी तरह की राजनीति की जा रही है. हमें दुख है कि जिनके लिए हम लड़ाई लड़ रहे हैं वही नहीं रहेंगे तो आखिर हम लड़ाई किनके लिए लड़ेंगे.”महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन के सुर अब दिल्ली में भी सुनाई पड़ने लगे हैं. दिल्ली में मुख्यमंत्री सहित सांसद और कई दिग्गज नेताओं को पार्टी की तरफ से तलब भी किया गया है. मराठा आरक्षण मुद्दे पर अदालत में 7 अगस्त को सुनवाई होने वाली है. इस बीच मुस्लिम आरक्षण की मांग सहित OBC और अल्पसंख्यक वर्ग भी मराठा आरक्षण के विरोध में अवाज उठाने लगे हैं. अब सरकार के सामने यह समस्या है कि आखिर मराठाओं को आरक्षण देने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाए जिससे राज्य में शांति का माहौल भी रहे और नाराजगी भी कम झेलनी पड़े.

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