संपादकीय

29-Jul-2018 4:39:21 pm
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सम्पादकीय- पाकिस्तान में नया चेहरा !

पाकिस्तान में आम चुनाव के नतीजों से कई गंभीर संकेत मिलते हैं। क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। नवाज शरीफ के करीब सारे मंत्री चुनाव हार गए। वे सेना पर आरोप लगाते हुए खुद को बेदाग साबित करने की कोशिश करते रहे और उन्हें उम्मीद थी कि लोग अपने वोटों से उन्हें इंसाफ दिलाएंगे, पर वह उनकी गलतफहमी साबित हुई। पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में जैसा सियासी माहौल बन गया था, उसमें पहले से संकेत मिलने लगा था कि वहां के लोग इस चुनाव में किसी दमदार विकल्प को चुनेंगे। ऐसे में मुंबई हमलों के सरगना और लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया आतंकी हाफिज सईद के मंसूबे बुलंद थे। उसने कुल दो सौ बहत्तर सीटों में से दो सौ पैंसठ पर अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे। उसे लग रहा था कि वह किसी न किसी तरह लोगों को अपने पक्ष में झुका ही लेगा और इस तरह पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज हो जाएगा। इसी यकीन के साथ उसने चुनाव आयोग से अपनी पार्टी मिल्ली मुसलिम लीग को मान्यता न मिलने के बाद अल्लाह-ओ-अकबर पार्टी के बैनर तले अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। पर उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी। लोगों ने उसे पूरी तरह नकार दिया। हाफिज सईद पर अनेक आतंकी हमलों के आरोप हैं, पर वहां की सरकारें उसे हर तरह से महफूज रखने का प्रयास करती रही हैं। अमेरिका तक के दबाव के बावजूद उसके लिए कोई न कोई गलियारा निकाला जाता रहा है। दुनिया उसे आतंकी मानती रही है, पर पाकिस्तानी हुक्मरान उसे समाज सेवक बताते रहे हैं। वहां की सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ भी उसे संरक्षण देती रही हैं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से उसका मनोबल बढ़ता गया। वह पाकिस्तान में सरेआम घूमता और तकरीरें करता रहा है। उसकी सभाओं में भारी भीड़ जुटती रही है। इसलिए भी उसे भरोसा रहा होगा कि चुनाव में बाजी मार लेगा और सत्ता को अपने ढंग से चलाएगा। पर वहां के लोगों ने मंजूर नहीं किया।

इस तरह लोगों ने संकेत दिया है कि उन्हें दहशतगर्दी नहीं, अमन चाहिए, बुनियादी सुविधाएं और अधिकारों का भरोसा चाहिए। हालांकि वहां के आम लोग लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ रुझान पेश करते रहे हैं, पर वहां की सियासी पार्टियां, कट्टरपंथी नेता, सेना और खुफिया एजेंसी ने उस पर कभी गौर ही नहीं किया। वे पाकिस्तान की हकीकत पर पर्दा डाल कर लोगों को अपनी मनचाही तस्वीरें दिखाने की कोशिश करते रहे हैं। एक आम धारणा बन गई है कि पाकिस्तान के लोग जिहाद के नाम पर चल रही आतंकी गतिविधियों को पसंद करते हैं। मगर हाफिज सईद की पार्टी को नकार कर उन्होंने इस धारणा को निर्मूल साबित किया है। जितना दुनिया के दूसरे मुल्क दहशतगर्दी से परेशान हैं, उतने ही खुद पाकिस्तान के लोग भी हैं। अकसर वहां आतंकी हमलों में लोग मारे जाते हैं। भारत को सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए हर समय युद्ध का-सा वातावरण बनाए रखने का प्रयास किया जाता है, जबकि वहां के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी सुविधाएं चाहिए। वहां के हुक्मरान इस तरफ ध्यान ही नहीं दे पाते। इसलिए लोगों ने इमरान खान की पार्टी को इस बार मौका दिया है। अगर वहां के हुक्मरान जनता के इस संकेत को समझ कर नए सिरे से कदम बढ़ाएंगे, तो निस्संदेह मुल्क की सूरत कुछ बदलेगी।

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