संपादकीय

09-Mar-2019 10:06:11 am
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बहादुर मां का जांबाज बेटा

अरुण नैथानी
वह ध्रुव तारे की तरह भारतीय आकाश पर उदय हुआ और हरदिल अजीज बन गया। अब तक उसका नाम भी अधिकांश लोग नहीं जानते थे। मगर नब्बे सेकेंड की ?आकाशीय मुठभेड़ में उसने न केवल दुश्मन के गरूर और अमेरिका के तकनीकी सर्वोच्चता के भ्रम को ध्वस्त किया, बल्कि वीरता-साहस की नई इबारत भी लिखी। वास्तव में कोई ऐसा अभिनंदन सदियों में पैदा होता है। अभिनंदन के पिता पूर्व एयर मार्शल ने जहां उन्हें आकाश की ऊंचाइयां नापने का हौसला दिया, वहीं मां ने वीरता-साहस के ऐसे अद्भुत संस्कार दिये कि आज देश को सही मायनों में हीरो मिला, जिसने अपने विमान से दुश्मन की जमीन पर गिरने के बाद ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाये। दुश्मन की गिरफ्त में आने के बावजूद वे कभी आत्मबल से कमजोर नजर नहीं आये। दो टूक नपे-तुले शब्दों में जवाब देते नजर आये।
अभिनंदन से पहले उनकी वीरांगना मां को नमन् करने का मन करता है, जिसने बुद्धिमत्ता और वीरता के संस्कार ?अभिनंदन की रक्त शिराओं में भरे। अभिनंदन की मां डॉ.?शोभा ने मानवता के सेवा के लिए बम धमाकों व एके-47 की बारिश के बीच घायलों व पीडि़तों की मदद की अनूठी मिसाल कायम की। उन्होंने दुनिया के कई युद्धग्रस्त देशों इराक, साइबेरिया, आइवरी कोस्ट, पापुआ न्यू गिनी, और लाओस में युद्ध पीडि़तों की मदद की। युद्धों में यौन हिंसा की शिकार हजारों महिलाओं के शारीरिक व मानसिक उपचार तथा हजारों बच्चों के चेहरे में मुस्कान लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
कई बार उनका जीवन खतरे में पड़ा, मगर मानवता की सेवा से पीछे नहीं हटीं। दरअसल, डॉ. शोभा युद्धग्रस्त व अशांत देशों में मुफ्त सेवाएं देने वाले समूह मेडिसेन्स सैन्स फ्रंटीयर्स की सदस्य थीं, जिनके लिये भौगोलिक सीमाओं के मायने नहीं थे। खाड़ी युद्ध के दौरान उन्होंने दूसरा जीवन पाया जब इराक में फिदायीन हमले से बाल-बाल बचीं। युद्ध की विभीषिका से ग्रस्त इराकियों की चिकित्सा उपचार के साथ ही वह प्राणायाम से उन्हें युद्ध के अवसाद से निकालने का प्रयास करतीं।
ऐसी मां के पुत्र का आज देश अभिनंदन कर रहा है तो इसका श्रेय इस वीरांगना मां को भी। 21 जून, 1983 को जन्मे अभिनंदन को वायुसेना में जाने की प्रेरणा पिता एसके वर्तमान से मिली। यहां तक कि उनकी पत्नी तन्वी मारवाह भी वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर रही हैं। उनके मित्र बताते हैं कि अपनी स्कूली सहपाठी तन्वी मारवाह से ही उन्होंने शादी की। आज उनके दो बच्चे हैं। उनके भाई भी भारतीय वायुसेना में हैं। अभिनंदन ने स्कूल की पढ़ाई बेंगलुुरु के केंद्रीय विद्यालय से की और उच्च शिक्षा दिल्ली से हािसल की, जहां उनके पिता सेवारत रहे। कालांतर में वे खडग़वासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा ?अकादमी के छात्र भी रहे। उनका परिवार तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में रहता है। अभिनंदन ने भारतीय वायुसेना में एक फाइटर पायलट के रूप में अपना करिअर वर्ष 2004 में शुरू किया।
दरअसल, सुर्खियों में आने से पहले अभिनंदन मिग-21 बाइसन विमानों की स्क्वाड्रन का नेतृत्व कर रहे थे। इसके अलावा उन्हें सुखई लड़ाकू विमान उड़ाने का भी लंबा अनुभव है। अभिनंदन के दोस्त बताते हैं कि शुरुआत से ही अभिनंदन बड़े दिलेर किस्म के रहे हैं। यही वजह है कि विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान के एफ-16 के पायलट को नब्बे सेकेंड की आकाशीय मुठभेड़ में शिकस्त दे दी। जिस 90 सेकेंड में किसी निर्णय के बार में सोच रहे होते हैं, उस समय में उन्होंने दो पाकिस्तान मिसाइलों और एक अत्याधुनिक फाइटर प्लेन को ध्वस्त कर दिया। वह भी एक पुरानी तकनीक वाले मिग-21 और आधुनिक तकनीक वाले एफ-16 फाइटर प्लेन के बीच मुकाबले में। अपनी जान की परवाह न करके उन्होंने एक ?इतिहास रच दिया। यह उनका साहस ही है कि अंदरूनी चोट होने के बावजूद वह फिर युद्धक विमान के कॉकपिट में बैठने को बेताब हैं। तभी वे हाल के वर्षों में सेना के सबसे बड़े नायक बनकर लोगों के दिलों में राज कर रहे हैं।
नि:संदेह अपने विशिष्ट व्यक्तित्व के कारण अभिनंदन देश में वीरता के नये प्रतीक बनकर उभरे हैं। ?उनकी मूंछों का स्टाइल लोगों को खूब रास आ रहा है। कभी बॉलीवुड के खलनायकों व तस्करों की पसंद की स्टाइल वाली मंूछों को अभिनंदन ने नई गरिमा दे दी है। उन्होंने वीरता व सम्मान के प्रतीक कहे जाने वाले मुहावरे को सार्थक करते हुए देश की मंूछें ?ऊंची कर दी। देश के कई भागों में लोग अभिनंदन जैसी मूंछ बनवा रहे हैं और उनके हेयर स्टाइल को अपना रहे हैं। इतना ही नहीं, अभिनंदन के प्रति गौरव का भाव रखने वाले कई सैलून तो छह सौ से अधिक लोगों की मूंछें व बाल मुफ्त बना चुके हैं। सही मायनों में अभिनंदन ने देश को ओज व वीरता का सुखद अहसास कराया है। यही वजह है कि जब वे देश लौटे तो लोग सुबह से रात तक खड़े होकर पाकिस्तानी सीमा पर उनकी प्रतीक्षा करते रहे। सही मायनों में अभिनंदन देश के सच्चे नायक हैं।

 

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