संपादकीय

17-Jul-2018 9:53:27 am
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संपादकीय : ताजमहल की अनदेखी

दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करने वाले ताजमहल की देखभाल में लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी स्वाभाविक ही है। ताजमहल विदेशी मुद्रा का एक बड़ा जरिया होने के साथ ही विश्व में भारत की पहचान का पर्याय भी है। ऐसी भव्य इमारत के संरक्षण्ा के लिए तो ऐसे उपाय किए जाने चाहिए कि किसी को शिकायत का मौका ही न मिले। दुर्भाग्य से स्थिति इसके उलट दिख रही है और इसी कारण सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार को भी फटकार लगाई। समझना कठिन है कि ताजमहल सरीखी विशिष्ट इमारत की उचित देखभाल में आनाकानी का परिचय क्यों दिया जा रहा है? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट की बार-बार की टोका-टोकी के बावजूद स्थितियां बेहतर क्यों नहीं हो रही हैं? 

 

इसका कोई मतलब नहीं कि ताजमहल प्रदूषण से जूझने के साथ ही कई तरह की अव्यवस्थाओं से भी दो-चार होता हुआ दिखे। सुप्रीम कोर्ट न जाने कब से यह कह रहा है कि ताजमहल की सज-धज बनाए रखने के लिए हरसंभव उपाय किए जाने चाहिए, किंतु नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही अधिक नजर आ रहा है। यह विचित्र है कि ताजमहल के आसपास औद्योगिक गतिविधियां शुरू करने की इजाजत दी जा रही है। यह तो सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के ठीक उलट काम है, जिसके तहत बरसों पहले उसने ताजमहल के आसपास की औद्योगिक इकाइयों को अन्यत्र स्थानांतरित किया था। 

 

 

यह अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भी कठघ्ारे में खड़ा किया। इस विभाग के लिए ताजमहल एक नगीने की तरह है। यह सरकारी विभाग न तो दुनिया भर के पर्यटकों को आगरा खींच लाने वाले ताजमहल का सही तरह से संरक्षण कर पा रहा है और न ही राष्ट्रीय महत्व की अन्य इमारतों का। यह एक तथ्य है कि ताजमहल के मुकाबले अन्य पर्यटन स्थलों की स्थिति अधिक खराब है। कई प्राचीन स्मारक तो अनदेखी और अव्यवस्था के चलते खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। ऐतिहासिक महत्व की कुछ पुरानी इमारतें अतिक्रमण की भेंट चढ़ गईं, लेकिन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास इसका जवाब नहीं कि ऐसा क्यों हुआ? भारत उन चंद देशों में है जिसके पास बेजोड़ स्थापत्य कला का परिचय देने वाली अनगिनत इमारतें हैं, लेकिन उनकी उचित देखभाल नहीं हो पा रही है। इसके चलते ये इमारतें पर्यटकों को आकर्षित करने में उतनी सक्षम नहीं, जितना कि उन्हें होना चाहिए। केंद्र सरकार यह समझे कि स्मारकों के संरक्षण में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की नाकामी बहुत महंगी साबित हो रही है। देश केवल अनमोल विरासतों को ही नहीं खो रहा है, बल्कि विदेशी मुद्रा से भी वंचित हो रहा है। इसमें दोराय नहीं कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहा है, लेकिन इसमें संदेह है कि सुप्रीम कोर्ट की ऐसी कठोर टिप्पणियों से बात बनेगी कि ताजमहल की देखभाल नहीं कर सकते, तो फिर उसे ढहा दो। बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट उन कारणों की तह तक जाए, जिनके चलते ताजमहल और उसके साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण इमारतों की उचित देख-रेख नहीं हो पा रही है।

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