संबंधों की आंच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के ठीक पहले अमेरिका ऐसे कई कदम उठा रहा है, जिनसे संकेत यही निकलता है कि वह भारत के साथ अपने रिश्ते और गहरे करना चाहता है। गुरुवार को उसने भारत को 22 गार्जियन ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इस हाई-टेक उपकरण की यह पहली डील है, जो अमेरिका ने किसी गैर नाटो देश के साथ की है। ये ड्रोन न सिर्फ खुफिया निगरानी और टोही गतिविधियों के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगे, बल्कि इनसे हथियारबंद दुश्मन को ढेर भी किया जा सकता है। एक साथ 22 विमान आने से सीमावर्ती क्षेत्रों और हिंद महासागर में भारत की समुद्री ताकत बढ़ जाएगी। यह प्रेडटर ड्रोन का अपडेटेड वर्जन है और अमेरिकी एयरफोर्स में इसे 'एमक्यू-9 रीपरÓ कहा जाता है। दूर से संचालित यह विमान 50,000 फीट यानी दस मील से ज्यादा ऊंचाई पर उड़ सकता है और 27 घंटे तक हवा में रह सकता है। इसमें डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक इंजन कंट्रोल सिस्टम लगा है जो इसकी क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। अभी अमेरिका के अलावा इटली, फ्रांस और स्पेन इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। जनरल एटॉमिक्स कंपनी द्वारा बनाए गए इस ड्रोन का भारतीय सौदा दो से तीन अरब डॉलर यानी 130 से 195 अरब रुपये का बैठेगा। इस सौदे पर अमल के साथ ही भारत को अमेरिका द्वारा दिया गया 'मेजर डिफेंस पार्टनरÓ का दर्जा प्रभाव में आ जाएगा। यह दर्जा देने का फैसला ओबामा प्रशासन का है और इसे अमेरिकी संसद में पास कराया जा चुका है। डॉनल्ड ट्रंप के शुरुआती रवैये को देखकर भारत में यह अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि शायद अमेरिका के भीतर भारत को लेकर पहले वाली गर्मजोशी न रह जाए। पर ट्रंप प्रशासन ने यह दुविधा समाप्त कर दी है। उसने साफ संकेत दिया है कि व्यापार से लेकर कूटनीति तक वह भारत को अपना अहम साझेदार मानता है। उसने हमारी सुरक्षा चिंताओं को संजीद"ी से लिया है, इसका एक प्रमाण "ार्जियन ड्रोन का सौदा भी है। आतंकवाद पर हमारी राय को अहम मानते हुए उसने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने के संकेत दिए हैं। दो वरिष्ठ अमेरिकी सांसदों ने द्विपक्षीय बिल पेश किया है, जिसमें पाकिस्तान के साथ अमेरिकी संबंधों में कटौती की बात है। रिपब्लिकन टेड पो तथा डेमोक्रेट रिक नोलन ने शुक्रवार को यह बिल पेश किया, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान का 'मेजर नॉन-नाटो एलाईÓ (अहम गैर-नाटो सहयोगी) दर्जा रद्द करना है। विधेयक में कहा गया है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को शरण देता है और आतंकवाद से लडऩे, उसे खत्म करने के लिए दी गई रकम के प्रति जवाबदेही नहीं दिखाता। यह बात भारत ने कई बार कही है। उम्मीद करें कि दोनों देशों की बढ़ती समझदारी आगे और रंग लाएगी।
Share On WhatsApp