संपादकीय

22-Nov-2018 6:52:13 am
Posted Date

आतंकवाद की आहट

पंजाब में सिखों के प्रमुख धार्मिक शहर अमृतसर से करीब दस किलोमीटर दूर एक गांव में स्थित निरंकारी भवन पर हुए हमले ने चिंता बढ़ा दी है। इस घटना में तीन लोग मारे गए हैं और कम से कम 19 घायल हुए हैं। पिछले हफ्ते ही पंजाब पुलिस ने पाकिस्तानी मूल के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े 6-7 संदिग्धों के प्रदेश में दाखिल होने की अफवाह के बाद अलर्ट जारी किया था और प्रदेश भर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। पंजाब में पिछले कुछ समय से आतंकी संगठनों के फिर से सिर उठाने के संकेत मिल रहे हैं। वहां अस्सी के दशक में खालिस्तानियों ने ठीक इसी तरह निरंकारियों पर हमले के साथ अपना हिंसक अभियान शुरू किया था और फिर ज्यादातर प्रवासी मजदूरों को अपना निशाना बनाया था। असल में वे सबसे कमजोर तबकों पर हमले के जरिए प्रशासन का रुख भांपने की कोशिश करते हैं।
सचाई यह है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद लंबे समय तक चली पुलिस कार्रवाई से खालिस्तान समर्थकों की रीढ़ भले ही टूट गई हो पर वे पूरी तरह खत्म नहीं किए जा सके हैं। पंजाब की राजनीति में उनकी मौजूदगी किसी न किसी रूप में लगातार बनी रही और कुछ मामलों में उन्होंने अपना अजेंडा भी लागू कराया। अभी वे देश-विदेश में फिर से संगठित हो रहे हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों का सहयोग भी मिल रहा है। खुफिया एजेंसियों को सूचना मिली है कि बीते 4 नवंबर को आईएसआई चीफ आसिम मुनीर ने कई खालिस्तानी आतंकियों के साथ मीटिंग की और कहा गया कि वे ‘सिख फॉर जस्टिस’ को पूरा सहयोग करें। यह संगठन 2020 में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह कराने की जुगत में है और इसने विदेशों में इसके लिए रैलियां भी की हैं। खालिस्तान आंदोलन को दोबारा जिंदा करने के लिए ग्लोबल स्तर पर फंड इक_ा हो रहा है। 
असल में पंजाब के कई राजनेता अपने तात्कालिक लाभ के लिए कट्टरपंथियों की मांगों के आगे घुटने टेकते आ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी रजोआना और दिल्ली बम धमाके के दोषी भुल्लर को फांसी न देने के लिए अकाली सरकार ने जिस तरह पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित कराया, उससे खालिस्तानियों को नई ताकत मिली। फिर अभी कांग्रेस की सरकार ने भी ईश निंदा कानून पास करके उन्हीं तत्वों को संतुष्ट करने की कोशिश की। नतीजा सामने है। कश्मीरी आतंकी संगठनों के सदस्यों का पंजाब आना-जाना लगा ही हुआ है। पंजाब में पिछले महीनों में दो आतंकी मॉड्यूल तोड़े गए हैं लेकिन अभी एक दर्जन और मॉड्यूल होने की आशंका जताई जा रही है। पंजाब पुलिस अपनी मुस्तैदी से राज्य में आतंकवाद को फिर से पैर जमाने से रोक सकती है, लेकिन यह तभी संभव है, जब पंजाबी राजनीति के तीनों प्रमुख धड़े कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी इस मामले में सहमति बनाकर चलें।

 

Share On WhatsApp