संपादकीय

18-Nov-2018 11:51:19 am
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बाघों को बचाएं

बाघ लगातार मर रहे हैं। कहीं उनका शिकार हो रहा है, कहीं वे दुर्घटना में मारे जा रहे हैं, तो कहीं इंसानी आबादी के बीच आ जाने के कारण लोग उन्हें मार दे रहे हैं। बुधवार को ओडिशा के सतकोसिया वन्यजीव अभयारण्य के अंदरूनी क्षेत्र में महावीर नामक एक बाघ मृत पाया गया। इससे देश में बाघों के पहले अंतरराज्यीय स्थानांतरण को झटका लगा है। महावीर को कुछ ही समय पहले मध्य प्रदेश से ओडिशा लाया गया था और अभी इसकी मौत के कारण का पता नहीं चल पाया है।
इससे पहले 6 नवंबर को बांधवगढ़ से वहां भेजी गई बाघिन सुंदरी को ग्रामीणों द्वारा मारने का प्रयास किया गया था, जो उनके मुताबिक आदमखोर हो चुकी है। इसी गुरुवार को महाराष्ट्र की चिचपल्ली फॉरेस्ट रेंज में हुए एक दर्दनाक हादसे में बाघ के तीन शावक ट्रेन से कटकर मर गए। 2 नवंबर को यवतमाल जिले के पांढरकवड़ा वन क्षेत्र में बाघिन अवनि (टी-1) को मार दिया गया, जिसे लेकर उठा राजनीतिक विवाद अभी थमा नहीं है। 
वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बीते दो साल में देश में 201 बाघों की मौत हुई है, जिनमें 63 का शिकार किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में 116 और 2018 में 85 बाघों की मौत हुई थी। पिछली (2014 की) गणना में देश में बाघों की कुल संख्या 2226 निकली थी। पहले राजा-महाराजा, संपन्न लोग और शिकारी बाघों का शिकार अपनी बहादुरी दिखाने के लिए करते थे लेकिन अभी उनका शिकार तस्करी के लिए किया जाता है। 
चीन में बाघ के शरीर के विभिन्न हिस्सों की बड़ी मांग है। वहां इससे पारंपरिक दवाएं बनाई जाती हैं। बाघ के अंगों की कीमत इतनी ज्यादा मिलती है कि तस्कर बाघ मारने के लिए कोई भी तरीका अपनाने को तैयार रहते हैं। बाघों की मौत का दूसरा कारण यह है कि उनके स्वाभाविक आवास क्षेत्र में लगातार कमी हो रही है। जंगल बेतहाशा काटे जा रहे हैं। जो थोड़े-बहुत बचे हैं, उनमें भी मानवीय गतिविधियां चलती रहती हैं। पर्यटन के लिए बीच जंगल में टूरिस्ट स्पॉट बना दिए जाते हैं, जहां लोगों का आना-जाना लगा रहता है। 
टाइगर रिजर्व बनाने का प्रयोग भी असफल ही कहा जाएगा। इससे हत्यारों को पता होता है कि यहां तो उन्हें बाघ मिल ही जाएंगे। छोटे से वन क्षेत्र में अक्सर बाघों को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता। भूख से बेहाल होकर वे इंसानी बस्तियों की ओर आते हैं, जहां आदमखोर घोषित होकर मारे जाते हैं। 
बाघों के मरने का अर्थ यह है कि आहार श्रृंखला में उनसे नीचे के जीव, जैसे हिरण, खरगोश वगैरह और उन्हें जिंदा रखने वाली जंगली वनस्पतियां या तो साफ हो चुकी हैं, या होने वाली हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो उन्हें मारकर हम अपने ही मृत्युपत्र पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।

 

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