बुडापेस्ट। भारत के भाला फेंक के स्टार खिलाड़ी और ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा पिछले कुछ समय से 90 मीटर की दूरी पार करने का प्रयास कर रहे हैं और उन्होंने कहा कि वह यह लक्ष्य हासिल करने के करीब हैं और उन्हें इसके लिए केवल अनुकूल परिस्थितियों की जरूरत है।
तोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता चोपड़ा पिछले साल 90 मीटर की दूरी तक भाला फेंकने के बेहद करीब पहुंच गए थे। तब उन्होंने स्टॉकहोम में डायमंड लीग प्रतियोगिता में 89.94 मीटर भाला फेंका था।
चोपड़ा ने कहा, निश्चित तौर पर मैं इस लक्ष्य के करीब हूं। मुझे बस एक अच्छे दिन की जरूरत है जिसमें मौसम की परिस्थितियां अनुकूल हों। मुझे विश्वास है कि मैं यह लक्ष्य हासिल करने में सफल रहूंगा।
यह स्टार खिलाड़ी यहां विश्व चैंपियनशिप में भारतीय चुनौती की अगुवाई करेगा। उन्होंने कहा कि वह उनसे लगाई जा रही उम्मीदों से निपटने के आदी हो चुके हैं।
चोपड़ा ने कहा, मैं दबाव झेलने का आदी हो चुका हूं। हालांकि जब मैं हर दो या चार साल में होने वाली प्रतियोगिताओं ( जैसे विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक) भाग लेता हूं तो निश्चित तौर पर जिम्मेदारी का बोध रहता है।
उन्होंने कहा, लेकिन मैं हमेशा अपना शत-प्रतिशत देता हूं और अपने प्रदर्शन पर पूरा ध्यान लगाता हूं। पहले कुछ चीजें मुझ पर हावी हो जाती थी लेकिन धीरे-धीरे मुझे इनकी आदत पड़ गई।
चोपड़ा ने 30 जून को 87.66 मीटर भाला फेंक कर लगातार दूसरी बार प्रतिष्ठित डायमंड लीग का खिताब जीता था लेकिन वह अभी तक 90 मीटर की दूरी तक नहीं पहुंच पाए हैं।
उन्होंने कहा, प्रतियोगिताओं में भाग लेना और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाडिय़ों के सामने शीर्ष स्तर पर प्रदर्शन में निरंतरता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है। इस साल के शुरू में मैं बहुत अच्छी तरह से तैयार था लेकिन इसके बाद मैं चोटिल हो गया जिसके कारण मुझे कुछ प्रतियोगिताओं से हटना पड़ा।
चोटिल होने के कारण एक महीने तक बाहर रहने वाले चोपड़ा ने कहा, इसके बाद मैंने लुसाने डायमंड लीग में वापसी की जहां मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा। इसके बाद से सब कुछ अच्छा हो रहा है तथा मैं अपने प्रदर्शन और अभ्यास से खुश हूं।
उन्होंने कहा, मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से तैयार होना है क्योंकि विश्व चैंपियनशिप करीब है और मैं उसमें अच्छा प्रदर्शन करना चाहता हूं।
चोपड़ा ने कहा, मैं अपने दिमाग में किसी खास दूरी या पदक को लक्ष्य लेकर नहीं जा रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि जब मैं वहां प्रतिस्पर्धा में भाग लूं तो मेरे दिमाग में चोट का डर या कोई अन्य चीज रहे। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता हूं और अगर ऐसा होता है तो मैं पहले से बेहतर प्रदर्शन के साथ वापस लौटूंगा।
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