मुंबई ,04 दिसंबर । हाल ही में महाराष्ट्र के रेसलर उत्तर प्रदेश (यूपी) के गोंडा के नंदिनीनगर में आयोजित हुई नैशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने आए थे। चैंपियनशिप के खत्म होने के बाद जब ये पहलवान अपने घर लौटे तो उन्हें ट्रेन बोगी के टॉइलट के पास बैठकर यात्रा करनी पड़ी। नैशनल चैंपियन में भाग लेने आए ये खिलाड़ी यहां से 1 गोल्ड समेत कुल 5 पदक जीतकर लौटे हैं लेकिन उन्हें यात्रा के दौरान जबरदस्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
इस ममले में एक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि जहां खिलाड़ी जबरदस्त कष्ट का सामना करते हुए अपने गृह शहर पहुंचे वहीं स्टेट रेसलिंग संगठन के अधिकारी प्लेन व ट्रेन के एसी श्रेणि में यात्रा कर अपने गंतव्य तक आराम से पहुंचे।
इन खिलाडिय़ों की रिटर्न टिकट साकेत एक्सप्रेस में थी। जब सभी खिलाड़ी ट्रेन पकडऩे के लिए फैजाबाद स्टेशन पहुंचे, तो उन्हें मालूम चला कि उनकी टिकटें कन्फर्म नहीं हुई हैं। खिलाडिय़ों ने टीसी को सारी कहानी बताई और उनसे मदद की मांग की लेकिन टीसी ने इन खिलाडिय़ों की कोई मदद तो नहीं की लेकिन इन्हें खूब खरी-खोटी जरूर सुनाई। अंत में इन खिलाडिय़ों को जनरल डिब्बे के टॉइलट के पास ही बैठने को मजबूर होना पड़ा। खिलाडिय़ों के इस दल में महिला रेसलर्स भी थीं, जिन्हें टिकट कन्फर्म न होने के चलते इस यात्रा के दौरान और भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
फैजाबाद से मुंबई तक के इस सफर में 30-35 घंटे का समय लगा और इस पूरी यात्रा के दौरान ये खिलाड़ी परेशानियों से जूझते हुए ही यहां पहुंचे। इस घटना का एक पहलू यह भी है कि जहां एक ओर इन खिलाडिय़ों को टीसी के बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरी ओर स्टेट रेसलिंग फेडरेशन के अधिकारी प्लेन या एसी ट्रेन में आराम से बैठकर अपने-अपने गंतव्य पर पहुंचे।
इन खिलाडिय़ों को टिकट कन्फर्म न होने के चलते 400-500 से रुपये नुकसान भरपाई के लिए फेडरेशन की ओर दिए गए लेकिन यह रकम आज के सामान्य मानकों के लिहाज से बहुत थोड़ी ही है। इस पूरे घटनाक्रम से दुखी इन रेसलरों ने पूछा है कि आखिर ऐसा कब होगा जब असोसिएशन खिलाडयि़ों को ऐसे हालात से निपटने के लिए पयाप्त पैसा मुहैया कराएगा।