पोर्ट ब्लेयर ,22 नवंबर । अंडमान के सेंटिनल द्वीप में मारे गए 27 साल के अमेरिकी नागरिक जॉन ऐलन चाऊ का मकसद इन अनजान आदिवासियों के बीच ईसाई धर्म का प्रचार करना था। चाऊ ने दो बार इस द्वीप पर पहुंचने की कोशिश की थी। 14 नवंबर को उनकी पहली कोशिश नाकाम रही थी। इसके बाद 16 नवंबर को वह पूरी तैयारी के साथ पहुंचे लेकिन कहा जा रहा है कि गुस्साए आदिवासियों ने उनको तीरों से मार डाला। चाऊ इससे पहले पांच बार अंडमान आ चुके थे।
27 साल के चाऊ का शव अभी तक बरामद नहीं हो सका है। अमेरिका के 27 वर्षीय जॉन ऐलन चाऊ सात मछुआरों के साथ बिना इजाजत एडवेंचर ट्रिप पर नॉर्थ सेंटिनल द्वीप गए थे। चाऊ सेंटिनेलीज जनजाति के लोगों के साथ मित्रता की कोशिश कर रहे थे। कहा जा रहा है कि उनके शव को रेत में ही गाड़ दिया गया है। पुलिस ने 6 मछुआरों और अंडमान निवासी के एस ऐलेक्जेंडर को चाऊ की मदद करने और नियम तोडऩे के लिए गिरफ्तार किया है।
अंडमान व निकोबार डीजीपी दीपेंद्र पाठक ने बताया, चाऊ छठी बार पोर्ट ब्लेयर की यात्रा कर रहे थे। उन्होंने मछुआरों को उत्तरी सेंटिनल आइलैंड भेजने में मदद के लिए 25 हजार रुपये दिए थे। मछुआरे 15 नवंबर की रात उन्हें आइलैंड के पश्चिमी सीमा तक एक छोटी नाव से ले गए। वहां से अगले दिन चाऊ एक नाव लेकर अकेले ही आइलैंड तक गए। पुलिस ने 13 पन्नों का नोट अपने कब्जे में ले लिया है जिसे चाऊ ने लिखा था और द्वीप पर जाने से पहले मछुआरों को सौंप दिया था।
शव के पास आदिवासी कर रहे थे अनुष्ठान
सूत्रों ने बताया, चाऊ अपने दोस्त ऐलेक्जेंडर के यहां पोर्ट ब्लेयर में रह रहे थे और 16 नवंबर को उत्तरी सेंटिनल द्वीप गए थे। आइलैंड में चाऊ ने सेंटिनेलीज के साथ मित्रता करने की कोशिश की। उन्हें फुटबॉल, फिशिंग लाइन और मेडिकल किट भी गिफ्ट किए। 17 नवंबर को करीब सुबह साढ़े छह बजे किनारों से लौटकर आए मछुआरों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने आदिवासियों को किसी लाश के पास अनुष्ठान करते हुए देखा, जो संभवतया चाऊ की हो सकती है।
हवाई सर्वेक्षण के बाद भी शव को कब्जे में नहीं लिया जा सका
मछुआरे पोर्ट ब्लेयर लौटकर आए और ऐलेक्जेंडर को सारी बताई। इसके बाद ऐलेक्जेंडर ने चाऊ की मां को उसकी हत्या के बारे में बताया। उन्होंने चेन्नै में यूएस वाणिज्य दूतावास में अमेरिकी नागरिक सेवाओं के वाइस कंसुलेट जनरल डेविड एन रॉबर्ट्स को ईमेल लिखा। पाठक ने बताया कि भारतीय तटरक्षक द्वीप के नजदीक पहुंचे और एसपी जतिन नारीवाल ने हवाई सर्वेक्षण भी किया, लेकिन शव को नहीं ढूंढ सके। पुलिस वन और आदिवासी कल्याण विभाग से मदद लेकर प्रयास कर रही है।
पुलिस ने मामले में मछुआरे सॉ जंपो, सॉ टैरे, सॉ वाटसन, सॉ मोलियन, एम भूमि, सॉ रेमिस और ऐलेक्जेंडर को आदिवासी जनजातियों (विनियमन) अधिनियम की सुरक्षा का उल्लंघन करने और चाऊ की मौत का कारण बनने के लिए गिरफ्तार किया है।
धर्म प्रचार के इरादे से गए थे सेंटिनल!
बताया जा रहा है कि आदिवासी इतने गुस्से में थे कि उन्होंने शव लेने पहुंचे हेलिकॉप्टर को भी नहीं उतरने दिया। आदिवासी अपने यहां किसी भी घुसपैठ को हमले की तरह देखते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि चाऊ का मकसद उस द्वीपीय इलाके के लोगों में ईसाई धर्म का प्रचार करना था। नवंबर की 14 तारीख को इनकी पहली कोशिश नाकाम रही, फिर वह 16 नवंबर को पूरी तैयारी के साथ पहुंचे।
60 हजार पुराना आदिवासियों का कबीला
अंडमान के सेंटिनेल द्वीप में घुसने की मनाही के बावजूद चाऊ मछुआरों की मदद से वहां गए थे। बता दें कि अंडमान निकोबार के सुदूर सेंटिनल द्वीप पर आदिवासियों का यह बेहद विलुप्तप्राय समुदाय रहता है। इस समूह से मिलने की इजाजत किसी को नहीं है। अंडमान निकोबार के नॉर्थ सेंटिनल द्वीप में 60 हजार साल पुराना आदिवासियों का कबीला है। पोर्ट ब्लेयर से 50 किमी दूर इस द्वीप पर दुनिया से कटे आदिवासियों की तादाद बेहद कम है। ये करंसी इस्तेमाल नहीं करते, इन पर मुकदमा भी नहीं चल सकता। सेंटिनेलीस एशिया की आखिरी अछूती जनजातियों में से एक हैं। जनजाति कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वह बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रखना चाहते हैं।
चाऊ के परिवार ने इंस्टाग्राम पर बयान जारी किया
चाऊ के परिवार ने इंस्टाग्राम पर बयान जारी कर उनके निधन पर दुख जताया है। परिवार ने अपने बयान में कहा कि वह ईसाई मिशनरी थे। लेकिन वह एक फुटबॉल कोच और पर्वतारोही भी थे। वह दूसरों की मदद करने वाले थे। वह एक प्यारा पुत्र, भाई, अंकल थे।