नईदिल्ली। भारत के प्रमुख पैरा एथलीट सुमित अंतिल ने पेरिस पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए पुरुष भाला फेंक एफ64 वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। सुमित ने अपने दूसरे प्रयास में 70.59 मीटर का थ्रो किया, जो उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा और साथ ही यह पैरालंपिक का एक नया रिकॉर्ड भी बन गया। इस तरह, सुमित ने टोक्यो पैरालंपिक की अपनी स्वर्णिम सफलता को दोहराते हुए लगातार दूसरी बार स्वर्ण पदक जीता और अपने खिताब का सफलतापूर्वक बचाव किया।
सुमित ने शुरुआत 69.11 मीटर के थ्रो से की, लेकिन दूसरे प्रयास में उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया। तीसरे प्रयास में उन्होंने 66.66 मीटर, चौथे में फाउल, पांचवें में 69.04 मीटर और अंतिम प्रयास में 66.57 मीटर का थ्रो किया। वहीं, भारत के एक अन्य एथलीट संदीप ने एफ44 वर्ग में 62.80 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया और चौथे स्थान पर रहे, जबकि संदीप संजय ने इसी वर्ग में 58.03 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो करते हुए सातवां स्थान हासिल किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुमित की स्वर्णिम सफलता पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर सुमित ने देश का मान बढ़ाया है, और उनकी इस उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है। उन्होंने यह भी कहा कि लगातार दो स्वर्ण पदक जीतकर सुमित एक विशिष्ट खिलाडिय़ों के क्लब में शामिल हो गए हैं, जो युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुमित अंतिल की इस स्वर्णिम सफलता पर उन्हें बधाई दी। पीएम मोदी ने पेरिस पैरालंपिक में सुमित के प्रदर्शन को असाधारण बताते हुए कहा कि उन्होंने पुरुषों की जेवलिन एफ 64 स्पर्धा में शानदार निरंतरता और उत्कृष्टता दिखाई है। प्रधानमंत्री ने आगामी प्रतियोगिताओं के लिए भी सुमित को शुभकामनाएं दीं।
न्यूयॉर्क। विश्व नंबर-1 एक इटली के जानिक सिनर ने मंगलवार को चौथे दौर के मैच में घरेलू पसंदीदा टॉमी पाउलिन को हराकर अमेरिकी ओपन के क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया।
पाउलिन ने अमेरिकी दर्शकों के बीच अपना हुनर साबित किया और शीर्ष वरीय सिनर को पहले दो सेट में कड़ी टक्कर दी, लेकिन इतालवी खिलाड़ी ने कमबैक करते हुए 7-6(3), 7-6(5), 6-1 से जीत हासिल की।
सिनर अब इस साल के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जो चारों ग्रैंड स्लैम के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे हैं। 23 वर्षीय सिनर ने रौलां गैरो सेमीफाइनल और विंबलडन क्वार्टर फाइनल में पहुंचने से पहले ऑस्ट्रेलियन ओपन में अपना पहला प्रमुख खिताब जीता था।
इटली का यह खिलाड़ी साल 2000 के बाद से एक ही सीजन में सभी चार प्रमुख क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने वाले आठवें पुरुष खिलाड़ी है।
वह नोवाक जोकोविच (8 बार), रोजर फेडरर (8), राफेल नडाल (5), एंडी मरे (4), डेविड फेरर (2), स्टेन वावरिंका (1) और आंद्रे अगासी (1) जैसी प्रतिष्ठित नामों की सूची में शामिल हो गए हैं।
अब वह ड्रॉ में बचे हुए दो प्रमुख चैंपियनों के बीच होने वाले मुकाबले में दानिल मेदवेदेव से भिड़ेंगे। दोनों के बीच हाल ही में विंबलडन क्वार्टर फाइनल में मुकाबला हुआ था, जहां मेदवेदेव ने पांच सेटों में जीत हासिल कर विश्व नंबर 1 के खिलाफ पांच मैचों की हार का सिलसिला तोड़ दिया था और अपनी प्रतिद्वंद्विता में 7-5 की बढ़त हासिल कर ली थी। सिनर ने मेदवेदेव को हराकर इस साल का ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता था।
पाउलिन ने दमदार शुरुआत की, दो बार ब्रेक लेकर 4-1 की बढ़त बनाई, लेकिन सिनर ने लगातार चार गेम जीतकर बढ़त हासिल कर ली। पहले सेट के टाईब्रेक में सिनर ने दबदबा बनाया और 3-3 से सीधे चार सीधे अंक जीते।
दूसरे सेट के टाईब्रेक में 18 शॉट की चुनौतीपूर्ण टक्कर के दौरान तीव्रता चरम पर पहुंच गई, जहां सिनर ने कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद शक्तिशाली बैकहैंड पासिंग शॉट के साथ स्कोर 4-4 से बराबर कर दिया।
सिनर ने दमदार सर्विस और सेट पॉइंट पर निर्णायक रिटर्न के साथ दो सेट की बढ़त हासिल की। तीन गेम बाद, वह तीसरे सेट में 3-0 से आगे थे, और उन्होंने पहले दो सेटों में कड़ी टक्कर के बाद, केवल 39 मिनट में तीसरा सेट और मैच समाप्त कर दिया।
नई दिल्ली। भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में आमने-सामने होंगी। इस सीरीज में अभी करीब दो महीने से ज्यादा का समय बाकी है, लेकिन क्रिकेट जगत के गलियारों में इसकी चर्चा तेज हो गई है।
सक्रिय क्रिकेटर से लेकर पूर्व क्रिकेटर तक दोनों टीमों की क्षमता पर बयान दे रहे हैं, और अब इस कड़ी में ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट कप्तान पैट कमिंस का नाम जुड़ गया है।
कमिंस ने कहा, बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है और हमेशा मुकाबला 50-50 का रहा है।
2024/25 बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत और ऑस्ट्रेलिया क्रमश: पर्थ, एडिलेड, ब्रिस्बेन, मेलबर्न और सिडनी में महत्वपूर्ण पांच मैचों की श्रृंखला में आमने-सामने होंगे।
भारत ने 2018/19 और 2020/21 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पिछले दो संस्करण जीते हैं।
कमिंस ने हाल के वर्षों में भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के सामने आई चुनौतियों को स्वीकार किया। हालांकि, असफलताओं के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई कप्तान आत्मविश्वास से भरे हुए हैं।
ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम के कप्तान ने भारत के खिलाफ पिछली असफलताओं को नहीं, बल्कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में उनकी हालिया जीत को ध्यान में रखा है।
कमिंस ने स्टार स्पोर्ट्स से कहा, ऑस्ट्रेलिया में पिछली दो सीरीज में हम सफल नहीं रहे, इसलिए काफी समय हो गया है। लेकिन अब समय आ गया है कि हम अपनी गलतियों को सुधारें। आप जानते ही होंगे कि हमने उनके खिलाफ कई बार खेला है, जहां उन्होंने हमें हराया है, लेकिन हमने उनके खिलाफ कई बार जीत भी दर्ज की है, जिससे हमें आत्मविश्वास मिलेगा।
हमें विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप की जीत को ध्यान में रखना चाहिए। उस मुकाबले में हम शीर्ष पर रहे। भारत के खिलाफ हमारा मुकाबला हमेशा बहुत प्रतिस्पर्धी होता है। ऐसा लगता है कि यह 50-50 है। मैं बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए बहुत उत्साहित हूं।
ऑस्ट्रेलिया ने 2014/15 के बाद से अपने घर में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी नहीं जीती है। भारत ने 2018/19 और 2020/21 सीरीज में उन पर जीत हासिल की थी। खास बात यह है कि 1992 के बाद से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पांच मैचों की पहली टेस्ट सीरीज होगी।
नईदिल्ली। भारतीय रनर प्रीति पाल ने रविवार को शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक 2024 में दूसरा मेडल जीत लिया. प्रीमि ने महिलाओं की 200 मीटर टी35 कैटगिरी में ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया है. प्रीति का ये मेडल भारत का इस पैरालंपिक में 6वां मेडल है. उनकी इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर बधाई दी.
प्रीति पाल जज्बे का जीता जागता सबूत हैं. उन्होंने पेरिस पैरालंपिक 2024 में दूसरा ब्रॉन्ज मेडल जीता, जो पेरिस में चल रहे खेलों में भारत का दूसरा पैरा एथलेटिक्स मेडल भी है. उनकी इस अचीवमेंट पर पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए सराहा. उन्होंने लिखा- प्रीति पाल ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. प्रीति ने महिलाओं की 200 मीटर टी35 स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता, जो उनका पैरालंपिक 2024 में दूसरा मेडल है. वह भारत के लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं. उनका समर्पण कमाल का है.
प्रीति ने रविवार को महिलाओं की 200 मीटर टी35 श्रेणी में ब्रॉन्ज जीत लिया है. उन्होंने 30.01 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ यह कमाल किया. इससे पहले प्रीति ने शुक्रवार को महिलाओं की 100 मीटर टी 35 दौड़ में कांस्य जीता, जो भारत का पैरालंपिक ट्रैक स्पर्धा में पहला एथलेटिक्स पदक था. बताते चलें, पेरिस पैरालंपिक 2024 के चौथे दिन भारत ने 2 मेडल जीते. जहां, प्रीति ने ब्रॉन्ज जीता, वहीं हाई जंप में निषाद कुमार ने सिल्वर मेडल जीता. इस तरह भारत के खाते में 7 मेडल्स आ गए हैं.
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से ताल्लुख रखने वाली प्रीति ने छोटी से उम्र में कई दिक्कतों का सामना किया. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इतना ही नहीं कमजोर और असामान्य पैर की स्थिति के कारण पैदा होने के 6 दिन बाद ही शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर बांधना पड़ा था. उनका सालों तक इलाज चला, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ. प्रीति को पांच साल की उम्र में कैलिपर पहनना पड़ा जिसका आठ सालों तक उन्होंने उपयोग किया.
मगर प्रीति के अंदर जज्बा था और कम उम्र में ही वह ट्रेनिंग के लिए दिल्ली आ गईं. फिर उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सपना पूरा किया और पेरिस पैरालंपिक 2024 में 2 मेडल जीतकर अपने परिवार और देश का नाम रौशन किया.
नईदिल्ली। पेरिस पैरालंपिक 2024 में हिस्सा लेने वाले कई एथलीट्स का हौसला और जुनून देखने को लायक है. ऐसी ही एथलीट हैं ग्रेट ब्रिटेन की जोड़ी ग्रिनहम, जिन्होंने 7 मंथ प्रेग्नेंट होने के साथ ना केवल इस इवेंट में हिस्सा लिया बल्कि मेडल जीतकर इतिहास भी रच दिया. वह ग्रिनहम प्रेगनेंसी के साथ पेरिस पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली पहली पैरा एथलीट बन गई हैं.
ग्रेट ब्रिटेन की जोड़ी ग्रिनहम का नाम इस वक्त चर्चा में बना हुआ है और हर कोई उनके जज्बे को सलाम ठोक रहा है. जोड़ी ग्रिनहम ने 7 महीने की प्रेग्नेंट रहते हुए पेरिस पैरालंपिक 2024 में हिस्सा लिया, जहां जोडी ग्रिनहम ने वुमेंस कंपाउंड में ग्रेट ब्रिटेन की फोएबे पैटर्सन पाइन के खिलाफ ब्रॉन्ज मेडल का मैच खेला, जिसमें 142-141 के स्कोर से जीत अपने नाम की. इस मैच में उन्होंने फोएबे पैटर्सन पाइन को धूल चटाई.
इस जीत के साथ ही ग्रिनहम का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. वह पेरिस पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली पहली पैरा एथलीट बन गईं. करीब 28 हफ्ते यानी 7 महीनें की प्रेग्नेंट रहते हुए इस इवेंट में हिस्सा लेने का फैसला किया.
जोडी ग्रिनहम ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में शामिल हैं. उनके बाएं हाथ में विकलांगता है और दाएं हाथ से निशाना लगाती हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने आर्चरी के मिक्स्ड टीम कंपाउंड के क्वार्टर फाइनल में भी जगह बना ली है, जो 02 सिंतबर यानि आज खेला जाएगा.
जोडी ग्रिनहम ने ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद जोड़ी ग्रिनहम ने कहा, निशाना लगाते वक्त बच्चे ने पेट के अंदर किक मारना बंद नहीं किया. मुझे ऐसा अहसास हो रहा था कि बच्चा पूछ रहा हो कि मम्मी आप क्या कर रही हैं? लेकिन यह मेरे पेट में मौजूद सपोर्ट बबल एक प्यारी मैमोरी दिलाता है. मुझे खुद पर गर्व है. मैंने मुश्किलों का सामना किया है और यह बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है. हालांकि मैं और बच्चा हेल्दी है.
पेरिस। भारत के योगेश कथुनिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक में पुरुषों के एफ56 चक्का फेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ रजत पदक जीता। कथुनिया ने इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक में भी इस स्पर्धा का रजत पदक जीता था। इसी तरह भारत अब तक इन खेलों में आठ पदक जीत चुका है जिसमें एक स्वर्ण भी शामिल है।
इस 29 साल के खिलाड़ी ने अपने पहले प्रयास में मौजूदा सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 42.22 मीटर की दूरी तय की। ब्राजील के क्लॉडनी बतिस्ता डॉस सैंटोस ने अपने पांचवें प्रयास में 46.86 मीटर की दूरी के साथ इन खेलों का नया रिकॉर्ड कायम करते हुए पैरालंपिक में स्वर्ण पदक की हैट्रिक पूरी की। ग्रीस के कंन्स्टेंटिनो तजौनिस ने 41.32 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता। एफ 56 वर्ग में भाग लेने वाले वाले खिलाड़ी बैठ कर प्रतिस्पर्धा करते है। इस वर्ग में ऐसे खिलाड़ी होते है जिनकी रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त होती है और शरीर के निचले हिस्से में विकार होता है।
रजत जीतने के बावजूद योगेश कथुनिया अपने प्रदर्शन से बहुत खुश नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि वह कई प्रमुख टूर्नामेंटों में दूसरे स्थान की बाधा को पार नहीं कर पा रहे हैं। कथुनिया ने मैच के बाद कहा, प्रतियोगिता ठीक रही, मुझे रजत पदक मिला। मैं अब पदक का रंग बदलने के लिए कड़ी मेहनत करूंगा। पिछले कुछ समय से मैं केवल रजत जीत रहा हूं, चाहे वह टोक्यो पैरालंपिक हो या आज, विश्व चैंपियनशिप या एशियाई खेल..हर जगह मैं रजत जीत रहा हूं। गाड़ी अटक गई है। मुझे लगता है कि मुझे और अधिक मेहनत करने की जरूरत है। अब मुझे स्वर्ण पदक चाहिए।
कथुनिया नौ साल की उम्र में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम से ग्रसित हो गए थे। यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसमें शरीर के अंगों में सुन्नता, झनझनाहट के साथ मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और बाद में यह पैरालिसिस का कारण बनता है। वह बचपन में व्हीलचेयर की मदद से चलते थे लेकिन अपनी मां मीना देवी की मदद से वह बाधाओं पर काबू पाने में सफल रहे। उनकी मां ने फिजियोथेरेपी सीखी ताकि वह अपने बेटे को फिर से चलने में मदद कर सके। कथुनिया के पिता भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं। कथुनिया ने दिल्ली के प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक किया है।