छत्तीसगढ़

22-May-2021 6:18:54 pm
Posted Date

गोधन न्याय योजना से मिली महिलाओं को एक नई राह

सुुखापाली गौठान की महिला समूह ने वर्मी खाद और केंचुआ बेच कर कमाए 2.58 लाख रुपए
जिले टॉप 10 गोठान में शामिल

रायगढ़, 22 मई2021/ छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना को लेकर ग्रामीणों और किसानों में उत्साह है। इस योजना के तहत रायगढ जिले के गौठानों में नियमित रूप से गोबर की खरीदी हो रही है। गौठानों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद के उत्पादन में जुटी है। जिले के सभी गौठानों में गोबर की खरीदी और वर्मी खाद तैयार करने की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है। रायगढ़ जिले के विकासखण्ड बरमकेला के ग्राम सुखापाली की 10 सदस्यी महिला समूह ने जैविक खाद विक्रय कर 1 लाख 20 हजार 728 रुपये और केंचुओं की बिक्री से 1 लाख 37 हजार 500 रुपये सहित अब तक कुल 2 लाख 58 हजार 228 रूपए की आय अर्जित की है। गोधन न्याय योजना से प्रगति ग्राम संगठन की महिला स्व-सहायता समूह ने यह सिद्ध किया है कि यदि किसी भी काम को लगन से किया जाए तो उसका परिणाम सुखद ही होता है।
समूह की दीदी श्रीमति सरिता साहू, श्रीमति नर्मदा श्रीवास एवं श्रीमति रजनी साहू ने बताया कि  कृषि विभाग के द्वारा वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करने का नियमित प्रशिक्षण दिया जाता रहा है और आवश्यकता अनुसार सभी तकनीकी सहयोग दिया गया। यही कारण है कि वर्मी खाद्य का उत्पादन बेहतर हो सका है। जैविक खाद्य बनाने का कार्य सुखापाली गौठान में निरंतर जारी है तथा हम 10 सदस्यी समूह कि महिलाओं को लाभ हुआ हैं। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाएं गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाली गृहणी है, जो कभी अपने दैनिक जरूरतों के लिए परेशान हुआ करती थी। जब से शासन द्वारा गौठान विकास का कार्य करते हुए गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी और खाद उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है तब से हमारे आजीविका के नए रास्ते खुले है। अब हम महिलाएं जैविक खाद्द तैयार करने में सक्षम हो गई है और गौठान में इसका निरंतर उत्पादन कर रहीं है।
गोधन योजना से खुला रोजगार का द्वार
गोधन न्याय योजना बहुत कारगर साबित हो रही है। वैश्विक महामारी कोरोना काल के दौरान ग्रामीणों के लिए आमदनी का बेहतर स्त्रोत बन कर उभरा है। जिसके कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था बनी हुई है। गौठान में गोबर खरीदी से अनेक प्रकार के रोजगार सृजन हुए है। प्रत्यक्ष रूप से गोबर बेचकर ग्रामीण लाभ कमा रहें है और गोबर से जैविक खाद और अन्य उपयोगी वस्तुओं का निर्माण कर महिला स्व-सहायता समूह भी लाभ कमा रहीं है। सहीं मायने में यह परम्पराओं के साथ विकास की ओर अग्रसर करने वाली योजना सिद्ध हो रहीं है।
 

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