नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी महागठबंधन के मुंह से जीत का निवाला निकाल कर गेमचेंजर साबित हुए। पहले चरण में बुरी तरह पिटे राजग ने अगले दो चरणों में पीएम मोदी के चेहरे और केंद्रीय योजनाओं के सहारे न सिर्फ सीएम नीतीश के खिलाफ एंटी इनकंबैंसी की बयार रोकी, बल्कि जीती बाजी पलटने में भी कामयाब रही। पूरी लड़ाई में नीतीश कमजोर पड़े तो हार के बावजूद तेजस्वी ने अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया। हां, इस पूरी लड़ाई में अपने घर को फूंक कर चिराग भाजपा का घर रोशन कर गए।
दरअसल पहले चरण के चुनाव में राजग पर जबर्दस्त बढ़त हासिल कर विपक्षी महागठबंधन ने एक समय राज्य में सत्ता परिवर्तन की पटकथा लिख दी थी। मगर दूसरे चरण में पीएम मोदी और केंद्रीय योजनाओं के सहारे राजग ने वापसी की तो तीसरे चरण में जबर्दस्त प्रदर्शन कर विपक्षी महागठबंधन की सत्ता पाने की मजबूत उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
मोदी साबित हुए गेमचेंजर
दरअसल राज्य में नीतीश और खास कर उनके तीसरे कार्यकाल के खिलाफ मतदाताओं में भारी नाराजगी थी। नाराजगी का आलम यह था कि भाजपा समर्थक मतदाता भी जदयू के पक्ष में वोट करने के लिए तैयार नहीं थे। इसी बीच पीएम मोदी ने मोर्चा संभाला और जंगलराज के मुद्दे को हवा देने के साथ तेजस्वी की लोकलुभावन घोषणाओं पर तथ्यात्मक वार शुरू किया। तेजस्वी को जंगलराज का युवराज बता कर राज्य के लोगों को लालू-राबड़ी शासनकाल की याद दिलाई। हालात को भांपते हुए राजग ने मोदी को चेहरा बनाया। कई रैलियों में खुद नीतीश मोदी के नाम पर वोट मांगते दिखे। इससे दूसरे और तीसरे चरण में अचानक नीतीश के खिलाफ चल रही एंटी इनकंबैंसी की बयार थमती दिखी।
केंद्र्रीय योजनाओं-महिलाओं ने निभाई भूमिका
राजग की सत्ता बरकरार रखने में केंद्रीय योजनाओं और महिलाओंं ने भी अहम भूमिका निभाई। कोरोना काल में जनधन योजना की महिला खाताधारकों में नकद राशि भेजने, मुफ्त अनाज कार्यक्रम, लाखों की संख्या में बने शौचालय और इतनी ही संख्या में बांटे गए मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन का असर जमीन पर दिखा। जमीन पर भले ही नीतीश के खिलाफ नाराजगी थी, मगर यही नाराजगी भाजपा के खिलाफ नहीं थी। इससे पहले नीतीश की शराबबंदी योजना, पंचायत चुनावों में महिलाओं को आरक्षण और स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का लाभ राजग को मिला था।
कांग्रेस ने डुबा दी महागठबंधन की नैया
चुनाव में कांग्रेस खुद तो डूबी ही अपने साथ विपक्षी महागठबंधन को भी डुबा दिया। ढंग के उम्मीवार की कमी और बेहद कमजोर संगठन के बावजूद कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी और महज 17 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। जाहिर तौर पर अगर कांग्रेस कम सीटों पर लड़ती तो बिहार की सियासी तस्वीर बदलनी तय थी। बीते चुनाव में कांग्रेस 41 सीटों पर लड़ कर 27 सीट हासिल की थी। हालांकि तब जदयू-राजद ने कांग्रेस को डेढ़ दर्जन उम्मीदवार दिए थे। इस बार अतिआत्मविश्वास में डूबी कांग्रेस ने पार्टी के उम्मीदवार उतारे और महागठबंधन का बंटाधार कर दिया।
वाम दलों की बढ़ी ताकत
चुनाव में खास बात वाम दलों की ताकत में इजाफा है। इस चुनाव में महागठबंधन के साथ उतरे वाम दलों ने अपने हिस्से की 29 सीटों में से 16 सीटों पर जीत हासिल कर राजद से भी अच्छा प्रदर्शन किया। बीते चुनाव में वाम दलों में सीपीआई माले को चार सीटें मिली थी। इस पर वाम दलों ने अपनी सीटों में चार सौ फीसदी का इजाफा किया।
कमजोर हुए नीतीश घटा सियासी कद
नीतीश कुमार भले ही सीएम बनने में कामयाब हो गए, मगर वह न सिर्फ पहले की तुलना में कमजोर हुए बल्कि उनका सियासी कद भी बेहद घट गया। उनकी पार्टी जदयू न सिर्फ भाजपा का छोटा भाई बनने पर मजबूर हुई, बल्कि राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। चुनाव के दौरान भी नीतीश और जदयू को पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगना पड़ा। जाहिर तौर पर नीतीश भले ही फिर से सीएम बन जाएं, मगर उनकी सियासी हनक पहले जैसी नहीं रहेगी।
राजद-कांग्रेस के लिए खतरा बने ओवैसी
इस चुनाव ने एआईएमआईएम और पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को नई पहचान दी। मुस्लिम बहुल सीमांचल की पांच सीटों पर पार्टी ने बड़ी जीत हासिल कर राजद और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी। नतीजे ने भविष्य में मुस्लिम इलाकों में ओवैसी का प्रभाव बढऩे की संभावना पैदा की है। जाहिर तौर पर अगर उनकी सियासी ताकत बढ़ी तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस, राजद सहित कथित धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने वाले दलों को उठाना होगा।
खुद बुझ कर भाजपा को रोशन कर गए चिराग
इस सियासी जंग में लोजपा और पार्टी के मुखिया चिराग पासवान खुद जरूर बुझे, मगर भाजपा का घर जरूर रोशन कर दिया। भाजपा समर्थन और नीतीश विरोध की उनकी राजनीति का जदयू को खासा नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि इस जंग में चिराग की पार्टी बस खाता खोलने में कामयाब रही। अगर चिराग की रणनीति के पीछे भाजपा थी तो उसे इसका लाभ मिला। भाजपा की गठबंधन में बड़ा भाई बनने की तमन्ना पूरी हो गई।
चूके मगर फाइटर साबित हुए तेजस्वी
कांग्रेस के लचर प्रदर्शन के कारण भले ही तेजस्वी सत्ता की देहरी तक आ कर अटक गए, मगर इस पूरे सियासी जंग में बेहतरीन फाइटर जरूर साबित हुए। मोदी-नीतीश-शाह-योगी जैसे सियासी धुरंधरों को अपने दम पर जबर्दस्त टक्कर दी। राजद का सबसे बड़ी पार्टी का ओहदा बरकरार रखा। तेजस्वी ने यह कमाल तब दिखाया जब इस जंग में उनके पिता लालू प्रसाद यादव उनके साथ नहीं थे। चुनाव मेंं उनकी छवि फाइटर के रूप में उभरी है।
चरण दर चरण बदलता गया खेल
पहले चरण में तेजस्वी की अगुवाई में विपक्षी महागठबंधन ने सत्तारूढ़ राजग पर जबर्दस्त बढ़त बनाई थी। हालांकि बाद में चरण दर चरण खेल बदलता चला गया और आखिरकार बाजी फिर से राजग के हाथ लगी। दरअसल पहले चरण की 71 सीटों में से महागठबंधन को 48 तो राजग को महज 21 सीटें हाथ लगी। इसके बाद दूसरे चरण में राजग ने वापसी की और इस चरण की 94 में से 52 सीटों पर कब्जा जमाया। यहां महागठबंधन को 42 सीटें हाथ लगी। तीसरे चरण की 78 सीटोंं ने बाजी पलट दी। इस चरण में राजग को 53 तो महागठबंधन को महज 20 सीटें हाथ आई। तीसरे चरण में कांग्रेस ने ज्यादातर सीटों पर हार कर महागठबंधन को कहीं का नहीं छोड़ा।
हर चरण के लिए अगर रणनीति
भाजपा ने हर चरण के लिए अलग रणनीति अपनाई। मसलन दलित वर्चस्व वाले पहले चरण की सीटों पर महागठबंधन से मात खाने के संकेत के बाद पार्टी ने रणनीति बदली। नीतीश पर्दे के पीछे चले गए और अचानक राजग ने चेहरा के रूप में पीएम मोदी को आगे किया। जंगलराज जैसे मुद्दों को हवा देने के साथ तेजस्वी की लोकलुभावन घोषणाओं पर वार करना शुरू किया। तीसरे चरण में मोदी की अगुवाई में राजग ने राष्टï्रवाद और विकास की लाइन ली और सियासी बाजी अपने पक्ष में करने में सफल रहे।
क्यों चूक गए तेजस्वी?
यह सच है कि चुनाव में नीतीश के खिलाफ गहरी नाराजगी थी। तेजस्वी की रैलियों में भारी भीड़ भी जुट रही थी। उनका दस लाख सरकारी नौकरी देने, पलायन रोकने और उद्योग लगाने का मुद्दा मतदाताओं के सिर चढ़ कर बोल रहा था। हालांकि नतीजे से साबित हुए कि तेजस्वी रैली में आई भीड़ और लोगों की नाराजगी को वोट में नहीं बदल पाए। संभवत: वह अपनी घोषणाओं के संदर्भ में लोगों के मन में भरोसा पैदा नहीं कर पाए। ऐसा इसलिए कि उन्होंने घोषणा तो की मगर उन पर अमलीजामा पहनाने का रोडमैप पेश नहीं कर पाए। इसके अलावा नतीजे से यह भी साबित हुआ कि बिहार के मतदाताओं के एक बड़े वर्ग में अब भी राजग की पूर्ववर्ती शासनकाल के दौरान छाई रहने वाली अराजकता का भय बरकरार है। यह वर्ग नीतीश से नाराज होने के बावजूद तेजस्वी पर भरोसा नहीं कर पाया।
नईदिल्ली। बिहार विधानसभा में बहुमत पाने के साथ ही अनेक राज्यों में हुए उपचुनावों के परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए जबरदस्त उत्साह लेकर आए हैं। आधी रात तक बिहार विधानसभा के जो परिणाम घोषित हुए हैं और जो रुझान हैं उनसे साफ है कि बिहार में एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने जा रही है। इस बार भाजपा गठबंधन सरकार का सबसे बड़ा दल होगा। वहीं मध्य प्रदेश के उपचुनावों के परिणामों से शिवराज सरकार को पूर्ण बहुमत मिल गया है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा उपचुनावों में भी बाजी भाजपा के हाथ लगी है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पार्टी की जीत का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व, केन्द्र सरकार के कामों और कार्यकर्ताओं के परिश्रम को दिया। जेपी नड्डा ने पार्टी की जीत पर सबको बधाई देते हुए कहा कि इस जनादेश के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। उनके नेतृत्व में भारत वास्तव में वैश्विक शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित होगा जहां समृद्धि, सुरक्षा और सबके लिए आगे बढऩे के समान अवसर होंगे। चाहे बिहार विधानसभा चुनाव हों या फिर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मणिपुर व तेलंगाना के उप-चुनाव, समग्र राष्ट्र ने प्रधानमंत्री मोदी जी की जनकल्याण नीतियों में अपना अटूट विश्वास बनाए रखा है और जनता का प्रधानमंत्री पर भरोसा और दृढ़ हुआ है। यह चुनाव परिणाम उसके परिचायक हैं।
भाजपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि कोविड महामारी के कठिन समय में जब देश संघर्षों एवं चुनौतियों से जूझ रहा था, तब यह मोदी सरकार ही थी जिसने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए हर संभव कदम उठाये और मुफ्त राशन के साथ-साथ उन्हें आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई। यह मानवता की सेवा का अनुपम उदाहरण था। लोगों ने एक प्रकार से सरकार के कार्यों पर मुहर लगाई है। जेपी नड्डा ने कहा कि बिहार ने निर्णायक रूप से वंशवाद, भ्रष्टाचार व विभाजनकारी राजनीति को खारिज कर दिया है। बिहार के मतदाताओं ने न केवल भारतीय जनता पार्टी और एनडीए को वोट दिया है बल्कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जारी विकास यात्रा में अपना विश्वास भी व्यक्त किया है। भाजपा अध्यक्ष ने बिहार की जनता को स्पष्ट जनादेश देने के लिए बधाई देते हुए कहा कि नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में विकास की गति तेज कर हम बिहार की जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। इसके साथ ही भाजपा अध्यक्ष ने मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश में जीत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी बधाई दी।
नईदिल्ली। दुनियाभर में कोरोना महामारी की बढ़ते प्रकोप के बीच इसके वैक्सीन निर्माण की उपलब्धि पर अमेरिका ने लोगों में उम्मीद जगाई है। अमेरिकी कंपनी फाइजर ने एक वैक्सीन तैयार किया है लेकिन इसके भारत में लाने और लोगों तक पहुंचाने को लेकर दुविधा बनी हुई है। इसी मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से हर भारतीय तक वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में लॉजिस्टिक्स पर काम करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि जरूरी है कि भारत सरकार वैक्सीन के वितरण रणनीति को परिभाषित करे।
दरअसल, बीते दिन स्नोमैन लॉजिस्टिक्स के सीईओ सुनील नायर ने कहा था कि 'भारत में किसी भी फर्म के पास माइनस 40 डिग्री से ज्यादा की ठंडी में किसी वस्तु को ट्रांसपोर्ट करने की क्षमता नहीं है। जबकि फाइजर वैक्सीन के लिए माइनस 70 डिग्री स्टोरेज की आवश्यकता होती है। ऐसे में इन कमियों के कारण इसका परिवहन करना मुश्किल होगा।Ó सुनील नायर इस कथन का हवाला देते हुए ही राहुल गांधी ने भारत सरकार से जरूरी लॉजिस्टिक्स पर काम करने की बात पर बल दिया है।
कांग्रेस सासंद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, भले ही फाइजर ने एक आशाजनक टीका बनाया है, लेकिन इसे हर भारतीय को उपलब्ध कराने के लिए लॉजिस्टिक्स पर काम करने की जरूरत है। भारत सरकार को एक वैक्सीन वितरण रणनीति को परिभाषित करना है और यह प्रत्येक भारतीय तक कैसे पहुंचेगी।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी कंपनी 'फाइजरÓ जर्मन कंपनी 'बायोनटेकÓ के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन पर संयुक्त रूप से काम कर रही है। फाइजर और बायोनटेक ने इस वैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षण को लेकर बड़े पैमाने पर डाटा भी जारी किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 को रोकने के लिए उनका प्रयोग वाला टीका 90 फीसदी से अधिक असरदार साबित हुआ है। ऐसे में कंपनी के दावे को कोरोना के खिलाफ जंग में जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
नईदिल्ली। कोरोना वायरस की अधिक से अधिक जांच कर वायरस प्रभावितों का जल्दी पता लगाकर इसे नियंत्रित करने की मुहिम में मंगलवार (10 नवंबर) को देश में कुल जांच का आंकड़ा 12 करोड़ के पार तक पहुंच गया। देश में वैश्विक महामारी कोविड-19 का पहला मामला इस वर्ष 30 जनवरी को आया था और इसके बाद सरकार ने लगातार जांच का दायरा बढ़ाकर संक्रमितों का पता लगाने और वायरस की रोकथाम पर जोर दिया।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के बुधवार को जारी आंकड़ों में बताया गया कि दस नवंबर तक कुल जांच का आंकड़ा 12 करोड़ सात लाख 69 हजार 151 पर पहुंच गया है। इससे पहले नौ नवंबर को 11 लाख 53 हजार 294 नमूनों की जांच की गई। देश में प्रति दस लाख की आबादी पर औसतन जांच भी 87 हजार 329 पर पहुंच गई है। कोरोना वायरस के बड़े स्तर पर फैलाव की रोकथाम के लिये देश में दिन प्रतिदिन इसकी अधिक से अधिक जांच की मुहिम में 24 सिंतबर को एक दिन में 14 लाख 92 हजार 409 नमूनों की जांच का रिकार्ड है।
कहा-मोदी देश के सबसे विश्वसनीय नेता
नईदिल्ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की जीत पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बुधवार को कहा देशभर के चुनावी नतीजों ने फिर से साबित किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सबसे विश्वसनीय नेता हैं ।
बिहार विधानसभा के मंगलवार को आये नतीजों में राजग ने लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव के महागठबंधन को कड़े मुकाबले में हराकर राज्य की सत्ता पर फिर कब्जा किया है। इसके अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों के उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जोरदार जीत हासिल की है। जावड़ेकर ने आज ट्वीट किया, बिहार में बहार है, एनडीए का कमाल है। देश भर के चुनावी नतीजों ने फिर से साबित किया है कि नरेंद्र मोदी देश के सबसे विश्वसनीय नेता हैं। जनता का अपार प्यार और विश्वास उनको मिला है।
गुरुवार को अभिनेता से होगी पूछताछ
नईदिल्ली। बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत मौत प्रकरण में ड्रग्स कनेक्शन सामने आने के बाद नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की जांच जारी है। सोमवार को एनसीबी ने अंधेरी, बांद्रा और खार में कई स्थानों पर छापेमारी की। इसी सिलसिले में एनसीबी ने फिल्म अभिनेता अर्जुन रामपाल के घर पर भी छापा मारा और ड्रग्स, सीडी एवं अन्य सामान बरामद किया है। यह कार्रवाई एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के नेतृत्व में की गई है।
छापेमारी की कार्रवाई के बाद एनसीबी ने अर्जुन रामपाल और उनकी गर्लफ्रेंड गैब्रिएला डेमेट्रिएड्स को पूछताछ के लिए समन दिया था। बुधवार सुबह गैब्रिएला एनसीबी के ऑफिस पूछताछ के लिए पहुंच चुकी हैं। बताया जा रहा है कि अर्जुन रामपाल के मुंबई स्थित घर पर छापेमारी की कार्रवाई के दौरान कुछ प्रतिबंधित दवाएं मिली थीं। एनसीबी के अधिकारियों का कहना है कि अर्जुन और गैब्रिएला को यह बताना होगा कि उनके पास ये दवाएं कहां से आई हैं और क्या इसके लिए उनके पास कोई लीगल प्रिस्क्रिप्शन है या नहीं। बता दें कि ऐसी दवाओं के लिए एक डॉक्टर का पर्चा होना जरूरी होता है वरना ऐसी दवाएं रखना एनडीपीएस ऐक्ट के तहत गैर-कानूनी होता है। इससे पहले एनसीबी ने गैब्रिएला के भाई अगिसियालोस को गिरफ्तार किया था। अगिसियालोस के पास से भी एनसीबी को हशीश और एलप्राजोलम की टैबलेट्स मिली थीं। एनसीबी का कहना है कि अगिसियालोस एक बड़े ड्रग सिंडिकेट का हिस्सा हैं। एक नाइजीरियन व्यक्ति ने गिरफ्तारी के बाद अगिसियालोस का नाम लिया था। एनसीबी के अधिकारियों ने यह भी बताया है कि अगिसियालोस उन ड्रग पेडलर्स के संपर्क में थे जिनसे कथित तौर पर रिया चक्रवर्ती, शौविक, सैमुअल मिरांडा और दीपेश सावंत ने सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग्स खरीदे थे।