छत्तीसगढ़

24-Nov-2020 3:09:20 pm
Posted Date

रामबाई के दो बच्चों ने कुपोषण को एक साथ दी मात

सफलता की कहानी
बच्चों के जीवन की नींव मजबूत करने वाली पहल है मुख्यमंत्री सुपोषण योजना-रामबाई

न्याय साक्षी/रायगढ़। रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखण्ड का गांव है बाम्हनपाली। यहां के निवासी है बजरंग खडिय़ा जिनकी पत्नी है रामबाई खडिय़ा। बजरंग हमाली तो रामबाई एक फैक्ट्री में काम करती है। इनकी दो संताने चार साल का अंश और दो साल की वंशिका है, जिनकी सेहत अक्सर कमजोर रहा करती थी। जो उनके माता-पिता के लिये चिंता का एक बड़ा कारण था।
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने जब बच्चों का वजन लिया तो वे मध्यम कुपोषित मिले। इसके पश्चात बच्चों को कुपोषण से बाहर निकालने की कोशिशें शुरू हुई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बच्चों को सुखा राशन जिसमें सोयाबड़ी, दाल, आलू, दलिया, अण्डा व रेडी टू ईट का पोषण आहर देना प्रारंभ किया। मार्च-अप्रैल में लॉकडाउन के समय सुखा राशन व अण्डा बच्चों को घर पहुंचाकर दिया जाता था। माता-पिता की नियमित काऊंसिलिंग भी की जाती थी। जिसमें उन्हें बच्चे के साफ-सफाई का ध्यान रखने, ताजा व गरम भोजन खिलाने व नियमित उनका वजन करवाते रहने के लिये कहा गया। माता-पिता ने भी अपने बच्चों का पूरा ख्याल रखा। पंचायत प्रतिनिधियों की पहल पर ग्राम पंचायत की ओर से भी कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त पोषण आहार के रूप में दूध व फल दिया जाता था। इन प्रयासों का यह परिणाम हुआ कि अंश और वंशिका ने अक्टूबर में कुपोषण को एक साथ मात दे दी। इन बच्चों का वजन पहले से बढ़कर सामान्य श्रेणी में आ चुका। अंश व वंशिका, जिज्ञासा, पूरब व सरोज के साथ उन पांच बच्चों में शामिल है, जिन्होंने अक्टूबर माह में कुपोषण के खिलाफ जंग जीती और इन पांच बच्चों के कुपोषण से बाहर निकलते ही बाम्हनपाली जिले का पहला कुपोषण मुक्त गांव बन गया। बच्चों की मां रामबाई कहती है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो योजना प्रारंभ की है उससे हमारे बच्चों के जीवन की नींव को मजबूत किया है। बच्चों के शुरूआती साल उनके शारीरिक व मानसिक विकास के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान पोषण स्तर में किसी प्रकार की कमी रह जाने पर सही मानसिक विकास नहीं होने का असर बच्चे में पूरे जीवन पर पड़ता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने यह योजना प्रारंभ की जिससे लाभान्वित होकर हमारे बच्चे इस कुपोषण के कुचक्र से बाहर निकल गये है।

 

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