संपादकीय

30-Oct-2019 1:09:59 pm
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सांस्कृतिक विविधता की विरासत को सहेजता ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’

0 सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती (31 अक्टूबर) के अवसर पर विशेष लेख 
रायपुर, 30 अक्टूबर । भारत की मिट्टी और हवा श्रेष्ठ है क्योंकि यह बांटने पर भी बंटती नहीं है। हिंदुस्तान की मिट्टी में मोहब्बत और हवाओं में अपनापन है। जुबान, खान-पान, पहनावा और संस्कृति एक न होने के बावजूद भी यह मुल्क एक है क्योंकि यहां के लोगों का दिल सिर्फ हिंदुस्तानी है। अलग-अलग मजहब, जाति और वर्गों वाले भारत को एक रखने के मकसद से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई जाने वाली सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर 31 अक्टूबर 2015 को एक भारत, श्रेष्ठ भारत योजना की घोषणा की थी। इसका मकसद राष्ट्र के सभी राज्यों को एक दूसरे की संस्कृति से रूबरू कराना और आपसी संबंधों को और मजबूत बनाना है।
ताकि विकसित हो सकारात्म सोच
सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था, ‘राष्ट्र की प्रगति का माप उसकी नैतिक प्रगति से निकलता है।’ नैतिक प्रगति के लिए जरूरी है कि पढ़ाई के दौरान ही बच्चों में ऐसे बीज बोये जाएं कि वह दूसरे राज्यों के बारे में सकारात्मक सोच विकसित करें, वहां की संस्कृति को समझें और उसका सम्मान करें। इसके साथ ही भारत की सांस्कृतिक विरासत की अहमियत भी समझ सकें। इसी उद्देश्य से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना के तहत करीब 227 विश्वविद्यालयों और 450 स्कूलों में करीब एक हजार से ज्यादा सांस्कृतिक, क्राफ्ट और खेल कूद से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें करीब दो लाख बच्चे और  पैरंट्स अलग अलग संस्कृतियों से रूबरू हुए। इसके अलावा केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की भाषा संगम परियोजना के तहत कक्षा एक से 12 तक के छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा असमिया, बंगाली, बोडो, तमिल, तेलुगु, उर्दू, गुजराती, कन्नड, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयाली, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी और डोगरी जैसी भाषाओं के बोलचाल के वाक्य सिखाये जा रहे हैं। 
युवा खुद बनाएं अपनी राय 
देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल हमेशा मानते थे कि प्रेम ही सही रास्ता है और प्रेम करने के लिए जरूरी होता है दूसरे को सही ढंग से जानना और समझना। एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना के तहत कोशिश की जा रही है कि युवा ज्यादा से ज्यादा दूसरे राज्यों को देखें और उनको खुद से समझने की कोशिश करें। इसके लिए कई प्रयास किए गए जैसे पर्यटन मंत्रालय की ओर से भारत पर्व और पर्यटन पर्व जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां अलग-अलग राज्यों की संस्कृति के साथ ही वहां के हुनर को जानने, समझने का मौका भी मिला। वहीं डिपार्टमेंट ऑफ यूथ अफेयर की ओर से हुए इंटर स्टेट यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत बड़ी संख्या में युवाओं को अपने पार्टनर स्टेट में जाकर उसे करीब से देखने और नए दोस्त बनाने का मौका दिया गया। इससे पहले प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी खुद अपील कर चुके हैं कि अगले तीन वर्षों में प्रत्येक भारतीय को 15 घरेलू पर्यटन स्थलों की यात्रा करनी चाहिए। 
राज्य एक-दूसरे से जुडक़र समझ रहे संस्कृति 
आज के दौर में जब हर इंसान दुनिया को देखने और जानने के लिए उत्सुक है, उसे अपने भारत से रूबरू कराने की कोशिश एक भारत, श्रेष्ठ भारत के जरिए की जा रही है। इसके तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को साहित्यिक, सांस्कृतिक, खेल और पर्यटन के जरिए आपस में जोड़ा जा रहा है ताकि वह दूसरे राज्यों को बेहतर ढंग से जान पाएं। राज्यों को एक दूसरे से जोडक़र उनकी संस्कृति और सलीकों का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। इसमें जम्मू और कश्मीर को तमिलनाडु, पंजाब को आंध्र प्रदेश, हिमाचल को केरल, उत्तराखंड को कर्नाटक, हरियाणा को तेलंगाना, राजस्थान को असम, गुजरात को छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र को उड़ीसा, गोवा को झारखंड, दिल्ली को सिक्किम, मध्य प्रदेश को मणिपुर और नागालैंड, उत्तर प्रदेश को अरुणाचल प्रदेश और मेघालय, बिहार को त्रिपुरा और मिजोरम, चंडीगढ़ को दादरा और नगर हवेली, पुदुचेरी को दमन-दीव और लक्ष्यद्वीप को अंडमान और निकोबार से जोड़ा गया है।  
अब साथ में मना रहे हर तीज त्योहार    
आज हर राज्य में दूसरे राज्य के लोग पढ़ाई, रोजगार या किसी अन्य वजह से रह रहे हैं। यही वजह है कि दूसरे राज्य के तीज त्योहार और परंपराओं को लोग साथ मिलकर मनाना पसंद कर रहे हैं। बंगाल की दुर्गा पूजा हो या बिहार की छठ पूजा, दोनों की धूम अब दिल्ली में नजर आती हैं तो महाराष्ट्र का गणेश उत्सव उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के शहरों तक पहुंच चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत के जरिए इस कोशिश को और प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया है। इसके तहत बीते वर्षों में अलग-अलग मंत्रालयों की ओर से तमाम कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनका प्रभावी असर भी देखने को मिल रहा है। संस्कृति मंत्रालय की ओर से गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और दिल्ली समेत 10 जगहों पर राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव आयोजित किए गए। इसमें शास्त्रीय, लोक संगीत, नृत्य, रंगमंच की प्रुस्तियों के साथ ही क्षेत्रीय जायकों के जरिए अलग-अलग राज्यों को जोडऩे की कोशिश की गई। वहीं कुंभ मेले में संस्कृति महोत्सव की ओर से लगाए गए संस्कृति कुंभ (प्रयागराज) में करीब एक महीने तक युंवाओं ने अपने हुनर से राज्यों की खूबसूरत झलक पेश की। इसके अलावा कबीर फेस्टिवल (मगहर), नर्मदा नाट्य महोत्सव (जबलपुर), स्वच्छता की ज्योति (वाराणसी), अतुल्य भारत (पटना), लोकोत्सव (मोतिहारी) आदि के जरिए भी कल्चर, क्राफ्ट और आर्ट के जरिए विभिन्नता में एकता के रंग देखने को मिले।
राज्यों में दिख रहा योजना का उत्साह
एक भारत श्रेष्ठ भारत प्रोग्राम के प्रति राज्यों में काफी उत्साह दिखाई दिया। हरियाणा और तेलंगाना ने अपने साथ को ‘हरियांगना’ नाम देकर एक दूसरे की साहित्यिक, सांस्कृतिक विरासत को एक दूसरे से साझा किया। तेलंगाना के कलाकारों ने घूमर नृत्य सीख उसकी प्रस्तुति दी तो देखने वालों ने संस्कृति के इस मिलन का तालियों से स्वागत किया। वहीं तमिलनाडु टुरिज्म डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन ने जम्मू और कश्मीर के पर्यटकों के लिए टूर पैकेज में 15 पर्सेंट और तमिलनाडु टुरिज्म डिवेलपमेंट कारपोरेशन के होटलों में 20 पर्सेंट छूट की सुविधा दी है।
जुबान के जरिए दिल में उतरे
कहा जाता है कि उलझे हुए मसले अक्सर मीठी जुबान से सुलझ जाते हैं क्योंकि जुबान शब्दों के बिना भी भावों को समझ लेती है। भारत की खूबी यह है कि यहां जितनी जुबानें बोली जाती हैं, उससे ज्यादा जायके, जुबान का स्वाद बढ़ाते हैं। एक भारत को श्रेष्ठ भारत शायद उसका जायका ही बनाता है। यही वजह है कि दिल्ली में साउथ इंडियन और केरल में नॉर्थ इंडियन खाने की दीवाने खूब मिलते है। इस योजना के तहत राज्यों के फूड फेस्टिवल आयोजित कर जायके से दिलों को जोडऩे की कोशिश भी खूब रंग ला रही है।

(ओम अवस्थी)
 

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