विज्ञान

15 दिसंबर तक पटरी पर दौड़ सकती है हाई स्पीड बिना इंजन वाली ट्रेन
Posted Date : 22-Nov-2018 6:20:36 am

15 दिसंबर तक पटरी पर दौड़ सकती है हाई स्पीड बिना इंजन वाली ट्रेन

नई दिल्ली , 21 नवम्बर ।  देश की पहली बिना इंजन वाली ट्रेन-18 का परिचालन 15 दिसंबर तक शुरू हो सकता है। अभी इसका परीक्षण मुरादाबाद में चल रहा है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘ट्रेन-18 की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। पहली बार इसे दिल्ली से वाराणसी या दिल्ली से भोपाल के लिए चलाया जा सकता है।
उक्त अधिकारी के अनुसार, ‘परीक्षण के दौरान ट्रेन-18 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ चुकी है। परिचालन के दौरान यह 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। उम्मीद है कि 15 दिसंबर तक इसका परिचालन शुरू हो जाएगा।’
ट्रेन-18 में विश्व की सबसे अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इनमें वाईफाई, जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, बायो वैक्यूम टायलेट, एलईडी लाइटिंग, मोबाइल चार्जिग प्वाइंट और यात्रियों की उपलब्धता तथा मौसम के हिसाब से तापमान नियंत्रित करने वाली प्रणाली से युक्त है। पूर्णत: वातानुकूलित और स्वचालित माड्यूल वाली ट्रेन-18 को पिछले महीने धूमधाम से लांच किया गया था। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने चेन्नई स्थित इंटिग्रेटेड कोच फैक्ट्री में धूमधाम के साथ इसे हरी झंडी दिखाई थी।
मारे गए लोगों में खमरिया आयुध फैक्ट्री का एक कर्मचारी भी शामिल है। 18 घायलों में से एक की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। मारे गए लोगों की पहचान नारायण शामराव, विलास लक्ष्मण, उदयवीर सिंह, प्रवीण प्रकाश मुंजेवार, राजकुमार भोवटे और प्रभाकर रामदास वानखेड़े के रूप में हुई है।
बता दें कि ऐसे कायरें में ठेके पर बुलाए गए लोगों का उपयोग गढ्डे खोदने एवं गढ्डे में दबाए गए विस्फोटकों पर रेत की बोरियां रखने के लिए किया जाता है। हादसे के बाद जबलपुर स्थित खमरिया आयुध फैक्ट्री और चंद्रपुर स्थित आयुध फैक्ट्री का स्टाफ आपात स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलगांव पहुंच चुका है।

अंतरिक्ष में स्थापित हुआ संचार उपग्रह जीसैट-29
Posted Date : 18-Nov-2018 11:46:07 am

अंतरिक्ष में स्थापित हुआ संचार उपग्रह जीसैट-29

0-अब और बढ़ जाएगी इंटरनेट की स्पीड
श्रीहरिकोटा ,18 नवंबर । इसरो ने शनिवार को अत्यधिक क्षमता वाले संचार उपग्रह जीसेट 29 को उसकी अंतिम भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के जीएसएलवी एमके 3-डी2 रॉकेट ने 14 नवंबर को जीसेट-29 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था. अब जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों के दुर्गम क्षेत्रों में भी हाई स्पीड इंटरनेट और मोबाइल कम्युनिकेशन की सुविधा देने का रास्ता साफ हो गया है.
चेन्नई से करीब 100 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा से 3423 किलोग्राम के उपग्रह के प्रक्षेपण के तत्काल बाद कर्नाटक के हासन स्थित मास्टर कंट्रोल फेसिलिटी में वैज्ञानिकों ने इसपर नजर रखा.
बता दें कि इससे पहले 14 नवंबर को इसरो ने अपने सबसे च्भारी और शक्तिशालीज् बताए जाने वाले रॉकेट जीएसएलवी मार्क 3 - डी 2 के जरिए देश के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट- 29 को बुधवार को सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचा दिया. इस प्रक्षेपण को महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान- 2’ अभियान और देश के च्मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनज् के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है क्योंकि उनमें इसी का उपयोग किया जाएगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख के. सिवन ने इस दौरान कहा था कि चंद्रयान के साथ रॉकेट का प्रथम ऑपरेशनल मिशन जनवरी 2019 में होने जा रहा है. वहीं, यह शानदार यान अब से तीन साल में मानव को अंतरिक्ष में ले जाने वाला है. सिवन के मुताबिक इसरो ने अंतरिक्ष में देश के महत्वाकांक्षी मानवयुक्त मिशन को 2021 तक हासिल करने का लक्ष्य रक्षा है, जबकि प्रथम मानव रहित कार्यक्रम ‘गगनयान’ की योजना दिसंबर 2020 के लिए है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस समारोह पर अपने संबोधन में यह घोषणा की थी कि भारत गगनयान के जरिए 2022 तक एक अंतरिक्ष यात्री को भेजने की (अंतरिक्ष में) कोशिश करेगा. इस अभियान के सफल होने पर भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा राष्ट्र बन जाएगा.

 

विज्ञान कहता है सांप दूध नहीं पी सकते, तो अध्यात्म के नाम पर उनसे क्रूरता क्यों होती है?
Posted Date : 13-Nov-2018 12:14:36 pm

विज्ञान कहता है सांप दूध नहीं पी सकते, तो अध्यात्म के नाम पर उनसे क्रूरता क्यों होती है?

विज्ञान के अनुसार साप एक सरीसृप है, इसलिए ये दूध का पाचन नही कर सकते और ये दूध पीने के कुछ दिन बाद मर जाते हैं मतलब उनकी आयु कम हो जाती है।

साँप और दूध का संबंध कहा से आया :

हमारे पुराने ग्रंथों में वराह पुराण में ये ज़िक्र मिलता है कि पूजा करते समय, साँप को दूध से नहलाना चाहिए ।दूध पिलाने का कहीं ज़िक्र नही है।और दूसरा उल्लेख मिलता है एक प्रचलित लोक कहानी में जिसमें एक किसान जिसके दो बेटे और एक बेटी होती है, हल चलाते समय तीन साँपों को मार देता है। और इस घटना से क्रोधित होकर साँपों की माँ उस किसान के परिवार में सबको मार देती है। धोखे से उसकी बेटी बच जाती है। तब उसकी बेटी दूध का कटोरा सामने रख के उस साँप से प्रार्थना करती है की उसे माफ़ करें और सबको जिंदा कर दे। तब वो साँप सबको जिंदा कर देता है।

लोग साँप को दूध क्यो पिलाते हैं:

मेरा मानना है कि भारतीय अपनी सुविधनुसार अपनी अधूरे ज्ञान और अधूरी बुद्धि के हिसाब से प्रचलित मान्यताओं को तोड़ मरोड़ देते हैं। हालाँकि ग्रंथों में कहीं पर ये बात नही कही गयी की साँप को दूध पिलाना चाहिएं लेकिन साँप को दूध से नहलाके पूजा करने का विवरण कई जगह है। लेकिन हमारी होशियार जनता ने सोचा होगा की क्यों न दूध जैसी कीमती चीज़ को साँप को पिला दें तो इस से ज़्यादा पुण्य मिलेगा। लेकिन बेचारे साँप उनके इस अनूठे प्रयोग से अपनी जान गँवा देता है। अब गाँव जहाँ के अशिक्षित लोगों क्या पता होगा की सरीसृप क्या होता है और क्या होता है स्तनधारी। और दूध ना पचा पाने वाली बात उनको पता हो ऐसी उम्मीद मैं नही कर सकता।सरकार को चाहिए की ये बात खुल के बताई जाए और नागपंचमी के दिन जहाँ जहाँ पूजा होती है, वहाँ पर पोस्टर लगाए जाए कारणों के साथ की साँप को क्यों दूध नही पिलाना चाहिए।हालाँकि ये बात सपेरे जानते होंगे, लेकिन हाए ये मानव का स्वार्थी स्वाभाव और ग़रीबी की मार की वो लोग साँप को नागपंचमी से २-३ दिन पहले से खिलाना पिलाना बंद कर देते हैं ताकि नाग पंचमी के दिन जब लोग दर्शन करने आए और दूध पिलाए तो बेचारा भूखा प्यासा साँप बिना कुछ देखे दूध पीने लगे और ये लोग उनसे इसके बदले पैसे ऐंठ ले। वैसे साँप अंडे खा लेता है लेकिन पूजा के समय अंडा खिलाना भारतीयों की भौंहे खड़ी कर देगा इसलिए सपेरा भी दूध ही पिलाने को कहता है अशिक्षित श्रद्धालुओं से।

विज्ञान का ऐसा चमत्कार सुनकर होगा गर्व
Posted Date : 10-Nov-2018 11:19:30 am

विज्ञान का ऐसा चमत्कार सुनकर होगा गर्व

 आधुनिक युग को यदि हम ‘विज्ञान का युग’ कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । विज्ञान ने अनेक असंभव लगने वाली बातों को संभव कर दिखाया है । जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है जिसे विज्ञान ने प्रभावित न किया हो ।
विद्‌युत का आविष्कार विज्ञान की अनुपम देन है । इसने अँधेरे को उजाले में परिवर्तित कर दिया है । बटन दबाने मात्र से सारा घर अथवा सड़क तो क्या संपूर्ण शहर प्रकाशमान हो उठता है । इसके प्रयोग से मनुष्य ने सरदी-गरमी पर भी विजय प्राप्त कर ली है ।

वातानुकूलित कमरों में बैठने पर उसे वातावरण की कड़ाके की ठंड या गरमी का पता भी नहीं चलता है । अनेकों कल-कारखाने व मशीनें विद्‌युत के प्रयोग से चल रही हैं । विद्‌युत चालित रेलगाड़ियाँ प्रतिदिन लाखों लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाती हैं ।

चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान ने अनेक चमत्कारिक दवाओं की खोज की है जिससे मनुष्य को अनेक कष्टों से तुरंत आराम मिल जाता है । इस क्षेत्र में वैज्ञानिकों के निरंतर अनुसंधान से ऐसे उपकरण बनाए जा चुके हैं जिनके प्रयोग से कभी असाध्य लगने वाली बीमारियों को भी ऑपरेशन द्‌वारा दूर किया जा सकता है । इसने अंधों को आँखें, लंगड़ों को पैर तथा बहरों को कान प्रदान किए हैं ।

विज्ञान की वजह से हो रहे ये बदलाव

यातायात के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अद्‌भुत चमत्कार कर दिखाए हैं । आज मनुष्य के पास इतने तीव्रगामी व आरामदायक साधन उपलब्ध हैं जिनसे वर्षो व महीनों का समय लगने वाली यात्रा केवल कुछ घंटों में ही पूर्ण हो जाती है । कार, बस, रेलगाड़ी, वायुयान, सभी विज्ञान के देन हैं । वायुयान अथवा हवाई जहाज के द्‌वारा मनुष्य केवल कुछ घंटों में पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँच सकता है ।
कृषि के क्षेत्र में भी विज्ञान ने कम योगदान नहीं दिया है । ट्रैक्टर व अन्य आधुनिक उपकरणों की खोज से वे खेत जिनकी जुताई में महीनों लगते थे आज उनकी जुताई केवल कुछ घंटों में ही पूर्ण कर ली जाती है । कृषि के क्षेत्र में हो रहे निरंतर अनुसंधान ने उन्नत बीज प्रदान किए हैं तथा अनेक प्रकार के रासायनिक खाद का निर्माण हुआ है जिससे कृषि की उत्पादन क्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ा है ।

औद्‌योगिक क्षेत्र में मशीनों के आविष्कार ने तो क्रांति ही ला दी है । आज इनके प्रयोग से औद्‌योगिक क्षेत्र की उत्पादन क्षमता कई गुना

बढ़ गई है । वह कार्य जो कभी सैकड़ों लौगों द्‌वारा किया जाता था आज केवल एक मशीन द्‌वारा हो रहा है । मशीनों के प्रयोग से उत्पादों की गुणवत्ता में भी निरंतर सुधार हो रहा है ।

विज्ञान के आविष्कारों ने मनोरंजन के अनेकों ऐसे साधन विकसित कर दिए हैं जिसने मनुष्य के जीवन को अत्यंत सुखदायी बना दिया है । चलचित्र, दूरदर्शन, रेडियो, वीडियो आदि आविष्कारों ने मानव के जीवन की कायापलट कर दी है जो सभी मूड के व्यक्तियों को हँसाने, गुदगुदाने व उनका मन बहलाने में सक्षम हैं । शिक्षात्मक गतिविधियों को तो आधुनिक आविष्कारों ने इसे इतना सहज और सरल बना दिया है कि एक सामान्य व्यक्ति भी श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त कर सकता है । आज विद्‌यार्थी घर बैठे ही विज्ञान के आधुनिक साधनों का प्रयोग कर ज्ञान के अथाह सागर में गोते लगा सकते हैं और इसके बल पर अपने योग्य उचित स्थान की प्राप्ति कर सकते हैं । बहुत से विद्‌यार्थी सुदूर देशों की यात्रा केवल शिक्षा प्राप्ति के उद्‌देश्य से करते हैं जो आधुनिक विज्ञान का ही प्रतिफल है ।

विज्ञान के आविष्कार अनगिनत हैं और आज भी प्रतिदिन नए आविष्कार हो रहे हैं । विज्ञान के माध्यम से मनुष्य अपनी हर कल्पना को साकार करने हेतु अग्रसर है । निस्संदेह मानव जीवन को विज्ञान की देन अतुलनीय है

बहुत ज्यादा टाइपिंग करने इस बीमारी के हो जाओंगे शिकार
Posted Date : 06-Nov-2018 8:33:09 am

बहुत ज्यादा टाइपिंग करने इस बीमारी के हो जाओंगे शिकार

 

न्याय साक्षी । पहले के जमाने में लोग कागज और कलम की मदद से लिखा करते थे लेकिन जब से तकनीक ने लोगों के जिंदगी में दस्तक ही है तब से लोगों का लिखने का रूख ही बदल गया है। अब यह काम कंप्यूटर की मदद से किया जा रहा है और फोन की मदद से भी ये काम कर रहा है। अब लोग लिखते नही है बल्कि कंप्यूटर पर टाइप करते हैं। आपको तो पता ही है कि कई नौकरियों में तो लोग 10-12 घंटे तक लगातार की-बोर्ड पर अपनी उंगलियां घिसते रहते हैं लेकिन उनको इस बात की खबर नहीं है कि इससे उको किस तरह की बिमारीयों का शिकार होना पड़ेगा।

आपको बता दे कि हद से ज्यादा टाइपिंग करने की वजह से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। आपको जानकारी दे दे कि हद से ज्यादा टाईपिंग करने से आपको एक अजीब बीमारी हो सकती हैं। आपको बता दे कि इस बीमारी को साढ़े तीन उंगलियों की बीमारी भी कहा जाता है। आप नाम सुनकर चौंक गए होंगे की ऐसी कौनसी बिमारी जो जिसका नाम ऐसा अजीब सा है। इस बात को तो हम भी जानते है कि की-बोर्ड पर बहुत देर तक टाइपिंग करते रहने से उंगलियों में कई तरह की दिक्कतें आने लग जाती हैं।कोई लगातार घंटों तक टाइपिंग करता ही रहता है तो उसकी कलाई, अंगूठा, अंगूठे के साथ वाली दो उंगलियों और तीसरी आधी उंगली में दर्द होने लग जाता है तो इसी कारण से इसको साढ़े तीन उंगलियों’ की बीमारी कहते हैं। आपको बात दे कि हमारी कलाई में एक मिडियन नस होती हैं जिसके दब जाने से ही यह बीमारी होती है। वैसे तो वैज्ञानिक इसे कार्पल टनल सिंड्रोम कहते हैं। बता दे कि ये बीमारी उन युवाओं में ज्यादा पाई जाती है जो दिन भर अपने कंप्यूटर या लैपटॉप पर उंगलिया चलाते हैं।

अब होगा जड़ से ख़त्म 2 रुपए में कैंसर बीमारी का इलाज
Posted Date : 06-Nov-2018 8:21:11 am

अब होगा जड़ से ख़त्म 2 रुपए में कैंसर बीमारी का इलाज

 जयपुर, दोस्तों सभी लोग भगवान से यही दुआ करते है कि वह एकदम स्वस्थ रहे। साथ हम बचपन से सुनते आए है कि पहला सुख निरोगी काया होता है। लेकिन फिर भी कई बार हमें ऐसी बीमारिया हो जाती है जिनका इलाज काफी महंगा होता है। इतना ही नहीं पैसा लगने के बाद भी इलाज संभव नहीं होता है। और अंत में इंसान मरणासन की स्थिति में पहुंच जाता है। दोस्तों एक ऐसी ही बीमारी का नाम है कैंसर जिसके नाम से भी लोगों की रूह कांप जाती हैक्योकि इसकी शुरूआती स्टेज में लोगों को पता ही नहीं चलता है और जब यह बढ़ जाती है तो इसका इलाज इतना महंगा होता है कि चाहकर भी ईंसान नहीं करवा पाता है। लेकिन दोस्तों अमेरिका के लडविंग इंस्टीट्यूट फॉर कैंसर रिसर्च में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कुछ नए शोध किए है जहां उन्होंने पाया कि अब तक कैंसर के जो भी इलाज वह हर इंसान की पहुंच से दूर है।जहां उन्होंने अपने शोध में बताया कि बेकिंग सोड़ा जो है वह कैंसर के लिए रामबाण औषधि है। और यह महंगा भी नहीं है इससे कितना भी गरीब इंसान क्यों ना हो वह आसानी से ऑषधी को प्राप्त कर सकता है। एक लंबी रिसर्च के बाद बेकिंग सोडा के बारे में जो सुना वह सच हुआ।उन शोधकर्ताओं का कहना है कि बैकिंग सोड़ा को पानी में मिलाकर अगर रोगी को दिया जाए तो कुछ दिनों में ही असर दिखना शुरू हो जाउन्होंने बताया कि कीमोथेरेपी और महंगी दवाओं से भी तेजी से बेकिंग सोडा ट्यूमर सेल्स को न सिर्फ बढ़ने से रोकता है, बल्कि उसे खत्म भी कर देता है।