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25,753 स्कूल भर्तियां रद्द करने का मामला पहुंचा सुप्रीमकोर्ट , ममता सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को दी चुनौती
Posted Date : 24-Apr-2024 1:26:28 pm

25,753 स्कूल भर्तियां रद्द करने का मामला पहुंचा सुप्रीमकोर्ट , ममता सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को दी चुनौती

नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2016 में शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक पदों पर 25,753 नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
विशेष अनुमति याचिका में उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और शब्बर रशीदी की खंडपीठ द्वारा पारित 22 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें राज्य के माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नौकरियों की विभिन्न श्रेणियों के लिए 2016 में सूचीबद्ध सभी 25,753 व्यक्तियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था।
पीठ ने यह भी आदेश दिया था कि इन चयनित उम्मीदवारों को उनके द्वारा लिया गया पूरा वेतन 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अगले चार सप्ताह के भीतर वापस करना होगा। डब्ल्यूबीएसएससी को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के अलावा, अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मामले की जांच जारी रखने का भी निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने बड़ी संख्या में पदों के सृजन के राज्य कैबिनेट के फैसले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि यदि आवश्यक हो तो सीबीआई रिक्त पदों से अधिक सीटों के सृजन के पीछे के मास्टरमाइंडों से पूछताछ कर सकती है। ऐसा माना जाता है कि बड़ी संख्या में सृजित ये पद, जो शुरू से ही संदेह के घेरे में रहे हैं, अवैध रूप से भर्ती किए गए अयोग्य उम्मीदवारों को शामिल करने के लिए जोड़े गये थे।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मानवीय आधार पर सोमा दास नामक एक उम्मीदवार के मामले में केवल एक अपवाद रखा। कैंसर की मरीज होने के कारण उनकी भर्ती रद्द नहीं की जायेगी।

 

घातक बीमारियों को रोकने के लिए एमआरएनए वैक्सीन तकनीक का उपयोग सुरक्षित, रिपोर्ट में खुलासा
Posted Date : 24-Apr-2024 1:26:08 pm

घातक बीमारियों को रोकने के लिए एमआरएनए वैक्सीन तकनीक का उपयोग सुरक्षित, रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्ली । हाल ही में कोविड-19 महामारी के दौरान देखी गई एमआरएनए वैक्सीन तकनीक घातक बीमारियों को रोकने के लिए भी कारगर है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
विश्व टीकाकरण सप्ताह के हिस्से के रूप में डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा की रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्तमान में लगभग 507 टीके के निर्माण अंतिम चरण में हैं, जिनमें से 88 को ट्यूबरक्लोसिस, मलेरिया से लेकर इन्फ्लूएंजा, कोविड-19, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) और लाइम सहित अन्य बीमारियों को रोकने के लिए एमआरएनए तकनीक का उपयोग कर विकसित किया जा रहा है।
अन्य वैक्सीन तकनीक के विपरीत, एमआरएनए का उत्पादन तेजी से हो सकता है हालांकि इन टीकों को अल्ट्रा-कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता होती है, लेकिन इसे संशोधित करने से यह और भी अधिक बेहतर हो जाएगा। बीमारी को रोकने और जीवन की रक्षा के लिए टीकों की क्षमता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल अप्रैल के आखिरी सप्ताह में विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है।
ग्लोबलडेटा में संक्रामक रोग विश्लेषक एनाले टैनेन ने कहा, टीकाकरण ने हमारे समाज में बीमारी के बोझ को काफी हद तक कम कर दिया है। हम पहले ही चेचक का खात्मा देख चुके हैं और पोलियो को भी खत्म करने के बहुत करीब हैं।
टीकाकरण को बढ़ावा देना, टीकाकरण कार्यक्रम में सुधार करना और नए टीके विकसित करना सभी ऐसे तरीके हैं जो रुग्णता मृत्यु दर में कमी लाने में योगदान देंगे। वर्तमान में, 20 से ज्यादा जानलेवा बीमारियों को टीकों से रोका जा सकता है। इसके अलावा, नए तंत्रों से आने वाले वर्षों में उपलब्ध रोकथाम योग्य टीकों के दायरे को व्यापक बनाने की उम्मीद है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के डेटा से पता चलता है कि टीके डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस, इन्फ्लूएंजा और खसरा जैसी बीमारियों से सालाना लगभग 3.5-5 मिलियन मौतों को रोकते हैं। टैनेन ने कहा, हालिया कोविड-19 महामारी ने दुनिया की आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रभावी टीकों की आवश्यकता, टीकाकरण पहुंच और स्वीकृति में सुधार पर जोर दिया है।
टैनेन ने कहा, टीकाकरण सबसे सस्ते और सबसे प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में से एक है, जो बीमारी से लडऩे में सक्षम बनाता है। टीके को लेकर हिचकिचाहट अभी भी मौजूद है, और खास तौर से एमआरएनए को लेकर। इसलिए, इस टीकाकरण के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है।

 

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 12 राज्यों की 95 सीटों पर 1,351 प्रत्याशी, 7 मई को मतदान
Posted Date : 24-Apr-2024 1:25:47 pm

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 12 राज्यों की 95 सीटों पर 1,351 प्रत्याशी, 7 मई को मतदान

नई दिल्ली । लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं। तीसरे चरण का मतदान 7 मई को होगा। इन 95 सीटों पर कुल 1,351 उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।
इसमें मध्य प्रदेश के बैतूल (अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित) संसदीय क्षेत्र में स्थगित चुनाव के लिए लड़ रहे 8 उम्मीदवार शामिल हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात के सूरत संसदीय क्षेत्र से एक उम्मीदवार को निर्विरोध चुना गया है।
सभी 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 22 अप्रैल थी। निर्वाचन आयोग के मुताबिक लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के लिए 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 95 संसदीय क्षेत्रों के लिए कुल 2,963 नामांकन दाखिल किए गए।
सभी सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 19 अप्रैल थी। दाखिल सभी नामांकनों की जांच के बाद 1,563 नामांकन वैध पाए गए। इनमें से कई उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिए। जिसके बाद अब 1,351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
तीसरे चरण में गुजरात में 26 संसदीय क्षेत्रों से अधिकतम 658 नामांकन दाखिल किए गए थे, इसके बाद महाराष्ट्र में 11 संसदीय क्षेत्रों से 519 नामांकन थे। महाराष्ट्र में उस्मानाबाद संसदीय क्षेत्र में अधिकतम 77 नामांकन प्राप्त हुए, इसके बाद छत्तीसगढ़ में बिलासपुर संसदीय क्षेत्र में 68 नामांकन प्राप्त हुए।
दूसरे चरण में जिन सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें असम की 4, बिहार की 5, छत्तीसगढ़ की 7, दादर और नगर हवेली तथा दमन और दीव की 2, गोवा की 2, गुजरात की 26, जम्मूं और कश्मीषर की 1, कर्नाटक की 14, मध्यप प्रदेश की 9, महाराष्ट्र, की 11, उत्तर प्रदेश की 10 और पश्चिम बंगाल की 4 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं।

 

चुनावी बॉन्ड घोटाले की एसआईटी जांच हो’, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
Posted Date : 24-Apr-2024 1:25:12 pm

चुनावी बॉन्ड घोटाले की एसआईटी जांच हो’, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें तथाकथित चुनावी बॉन्ड घोटाले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में कराने की मांग की गई है।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के निर्देशों पर सामने आये चुनावी बॉन्ड के आंकड़े दिखाते हैं कि इसका बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेट्स द्वारा राजनीतिक दलों को अनुबंध, लाइसेंस और सरकारों या प्राधिकारियों से पट्टे प्राप्त करने के बदले प्रत्युपकार के रूप में दिया गया है।
इसके अलावा, आरोप लगाया गया कि कॉर्पोरेट्स द्वारा राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड अनुकूल नीतिगत बदलावों के लिए और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी एजेंसियों द्वारा कार्रवाई के करीब दिए गए थे। याचिका में दावा किया गया है कि कई कंपनियां जो इन एजेंसियों की जांच के दायरे में थीं, उन्होंने संभावित रूप से जांच के नतीजों को प्रभावित करने के लिए सत्ताधारी पार्टी को बड़ी रकम का दान दिया है।
याचिका में कहा गया है, हालांकि ये स्पष्ट अदायगियां कई हजार करोड़ रुपये की हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने लाखों करोड़ रुपये के अनुबंधों और एजेंसियों द्वारा हजारों करोड़ रुपये की नियामक निष्क्रियता को प्रभावित किया है और ऐसा लगता है कि उन्होंने घटिया या खतरनाक दवाओं को बाजार में बेचने की अनुमति दी है, जिससे देश में लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है।
इसमें कहा गया है कि चुनावी बॉन्ड पर खुलासा किए गए डेटा से संकेत मिलता है कि कम से कम 20 कंपनियों ने अपने निगमन के तीन साल के भीतर 100 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे और कुछ मामलों में, जब उन्होंने बॉन्ड खरीदे तो कंपनियां केवल कुछ महीने पुरानी थीं जिससे कंपनी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है।
एनजीओ कॉमन कॉज द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि डेटा से पता चला है कि विभिन्न घाटे में चल रही कंपनियां और शेल कंपनियां चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को भारी रकम दान कर रही थीं और चुनावी बांड की शुरुआत के कारण फर्जी कंपनियों की संख्या में वृद्धि हुई, जिनका इस्तेमाल कॉरपोरेट घरानों द्वारा अवैध धन को सफेद करने के लिए किया गया।
इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि चुनावी बॉन्ड घोटाले में 2जी घोटाले या कोयला घोटाले के विपरीत धन का लेन-देन किया गया है, जहां धन के लेन-देन का कोई सबूत नहीं होने के बावजूद अदालत की निगरानी में जांच के आदेश दिए गए थे।
याचिका में कहा गया है, इस प्रकार, इस मामले की जांच में न केवल प्रत्येक मामले में पूरी साजिश को उजागर करने की आवश्यकता है, जिसमें कंपनी के अधिकारी, सरकार के अधिकारी और राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों के अलावा ईडी/आईटी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के संबंधित अधिकारियों को भी जांच के दायरे में शामिल करने की जरूरत है, जो इस साजिश का हिस्सा बन गए प्रतीत होते हैं। याचिका में शीर्ष अदालत द्वारा चुने गए और सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में काम करने वाले त्रुटिहीन जांच अधिकारियों की एसआईटी द्वारा जांच की मांग की गई है।

 

स्क्रैप माफिया रवि काना और उसकी साथी काजल थाईलैंड में गिरफ्तार, दोनों कई दिनों से चल रहे थे फरार
Posted Date : 24-Apr-2024 1:24:52 pm

स्क्रैप माफिया रवि काना और उसकी साथी काजल थाईलैंड में गिरफ्तार, दोनों कई दिनों से चल रहे थे फरार

ग्रेटर नोएडा । स्क्रैप माफिया और गैंगस्टर रवि नागर उर्फ रवि काना और उसकी महिला सहयोगी काजल झा को थाईलैंड में वहां की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आधिकारिक सूत्रों मे इसकी पुष्टि की है। 
इसी साल जनवरी में पुलिस ने जारी किया था रेड कॉर्नर नोटिस
गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट पुलिस ने जनवरी 2024 में लुक आउट और रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। यह नोटिस और रवि पर चल रहे मुकदमों का विवरण पुलिस ने थाईलैंड के साथ साझा किया था। इसी के आधार पर यह गिरफ्तारी होने की बात कही जा रही है। पुलिस रवि काना गिरोह के 14 सदस्यों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। इसमें रवि काना की पत्नी मधु नागर भी शामिल है। इसके साथ ही 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति को भी सीज कर चुकी है। चार बैंक खातों को भी फ्रीज किया जा चुका है। रवि काना के खिलाफ नोएडा के सेक्टर-39 में सामूहिक दुष्कर्म और बीटा-2 थाने में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया गया था। 
पिछले महीने पुलिस ने रवि काना गैंग के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट
गैंगस्टर के मुकदमे में 16 सदस्य नामजद थे। रवि काना की पत्नी मधु को पुलिस फरवरी 2024 में दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। पिछले महीने पुलिस ने रवि काना गैंग के खिलाफ जिला अदालत में 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें रवि काना को काले कारोबार का सरगना बताया गया और उसकी सहयोगी काजल झा को इसमें बराबर का हिस्सेदार बताया गया था।
भाई की हत्या के बाद संभाला स्क्रैप का काम
रवि काना दनकौर के गांव दादुपुर के हरेंद्र प्रधान का बड़ा भाई है। साल 2015 में हरेंद्र प्रधान की हत्या हो गई थी और आरोप कुख्यात बदमाश सुंदर भाटी पर था। यह घटना गौतमबुद्ध नगर के चर्चित हत्याकांड में से एक है। इस हत्याकांड के बाद स्क्रैप व सरिया की तस्करी के धंधे का काम रवि काना ने संभाला। साथ ही भाई की हत्या के बाद खुद की जान को खतरा बताते हुए पुलिस से सुरक्षा मांगी थी।
छह महीने पहले हटा ली थी सुरक्षा
पुलिस से सुरक्षा मिलने के बाद रवि काना ने इसका दुरुपयोग किया। पुलिस सुरक्षा के साथ वह अपराधों को अंजाम देता रहा। उसके खिलाफ मुकदमे दर्ज होते रहे। रवि काना के साथ-साथ हरेंद्र नागर की पत्नी और रवि की भाभी बेवन नागर, भाई राजकुमार नागर को भी पुलिस ने सुरक्षा प्रदान की थी। इस कारण सभी की सुरक्षा छह महीने पहले हटा ली गई।
हमने थाईलैंड पुलिस के साथ रवि काना के बारे में विवरण साझा किया था। अभी थाईलैंड पुलिस ने हमें मेल से या किसी आधिकारिक माध्यम से कोई सूचना नहीं दी है। आधिकारिक सूचना मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। -वरिष्ठ पुलिस अधिकारी

 

जेएंडके: बांदीपोरा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच भीषण मुठभेड़, दो जवान घायल
Posted Date : 24-Apr-2024 1:24:28 pm

जेएंडके: बांदीपोरा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच भीषण मुठभेड़, दो जवान घायल

श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव को लेकर और राजौरी घटना के बाद सुरक्षाबल अलर्ट मोड पर है। आतंकियों के सफाए के लिए जवान दिन-रात पूरी मुस्तैदी के साथ जुटे हैं। इसी क्रम में बांदीपोरा जिले में बुधवार को सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हो गई। इस भिड़ंत में दो सिपाही घायल हो गए। दोनों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
कश्मीर जोन पुलिस ने इंटरनेट मीडिया के एक्स प्लेटफॉर्म पर बताया कि अरागाम, बांदीपुरा के रेन्जी वन क्षेत्र में सुबह-सुबह आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई। इन इलाकों में तलाशी अभियान जारी है।
बता दें कि 22 अप्रैल को राजौरी में प्रादेशिक सेना के जवान के घर पर आंतकियों ने हमला किया था। इस हमले में सेना के जवान के भाई की हत्या कर दी गई थी। आतंकी जवान को किडनैप करने के मकसद से आए थे। मगर वे इस प्लान में नाकाम रहे। घटना के पीछे लश्कर ए तैयबा के विदेशी आतंकी अबू हमजा का हाथ बताया जा रहा है।
घटना के बाद से ही जवान आसपास के इलाकों सहित कश्मीर में सर्च अभियान चला रहे हैं। इसी क्रम में आज सुबह बांदीपोरा जिले में सुरक्षाबलों की मुठभेड़ आंतकियों से हो गई। भिड़ंत में दो जवान घायल हो गए हैं।